कला-संस्कृति जन-जागरण समाज आइये, कुंभ को जाने May 3, 2016 by अरुण तिवारी | Leave a Comment सिर्फ स्नान नहीं है कुंभ अरुण तिवारी दुनिया में पानी के बहुत से मेले लगते हैं, लेकिन कुंभ जैसा कोई कोई नहीं। स्वीडन की स्टॉकहोम, ऑस्ट्रेलिया की ब्रिसबेन, अमेरिका की हडसन, कनाडा की ओटावा…जाने कितने ही नदी उत्सव साल-दर-साल आयोजित होते ही हैं, लेकिन कुंभ!.. कुंभ की बात ही कुछ और है। जाति, धर्म, अमीरी, […] Read more » Featured Kumbh कुंभ
कला-संस्कृति वर्त-त्यौहार विविधा आदि तीर्थंकर ऋषभ के कठोर तप से जुड़ा है अक्षय तृतीया May 2, 2016 by ललित गर्ग | Leave a Comment 9 मई 2016 अक्षय तृतीया अक्षय तृतीया का इन्द्रधनुषी त्यौहार फिर एक बार हमारे द्वार पर दस्तक दे रहा है। न केवल जैन परम्परा में बल्कि भारत की सांस्कृतिक परम्परा में यह एक महत्वपूर्ण त्यौहार है, यह त्यौहार के साथ-साथ एक अबूझा मांगलिक एवं शुभ दिन भी है, जब बिना किसी मुहूर्त के विवाह एवं […] Read more » Featured अक्षय तृतीया
कला-संस्कृति समाज भारतीय संस्कृति की जीवन्तता का प्रतीक कुम्भ पर्व April 30, 2016 / April 30, 2016 by अशोक “प्रवृद्ध” | Leave a Comment अशोक “प्रवृद्ध” पौराणिक मान्यतानुसार हिन्दुओं के महत्वपूर्ण पर्वों में से एक कुम्भ पर्व में करोड़ों श्रद्धालुओं के कुम्भ पर्व स्थलों पर स्नान कर सामूहिक धर्मचर्चा करने की परिपाटी प्रचलित हैं । ये कुम्भ पर्व स्थल चार स्थानों – हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन और नासिक, में अवस्थित हैं , जहाँ समुद्र मंथन से प्राप्त अमृत की बूंदें […] Read more » Featured singhast kumbh कुम्भ पर्व
कला-संस्कृति विविधा जल परम्परा और बाजार April 23, 2016 by मनोज कुमार | Leave a Comment मनोज कुमार एक समय था जब आप सफर पर हैं तो पांच-दस गज की दूरी पर लाल कपड़े में लिपटा पानी का घड़ा आपकी खातिरदारी के लिए तैयार मिलेगा. पानी के घड़े के पास जाते हुए मन को वैसी ही शीतलता मिलती थी, जैसे उस घड़े का पानी लेकिन इस पाऊच की दुनिया में मन […] Read more » Featured Water Conservation जल परम्परा बाजार
कला-संस्कृति वर्त-त्यौहार चैत्र पूर्णिमा ही है हनुमान जयन्ती April 21, 2016 by अशोक “प्रवृद्ध” | Leave a Comment –अशोक “प्रवृद्ध” रामायण के प्रमुख पात्रों में से एक वेद – वेदांग पारंगत, महावीर श्रीराम भक्त श्रीहनुमान के पिता सुमेरू पर्वत के वानरराज राजा केसरी थे तथा माता अंजना थी। हनुमान आञ्जनेय, मारुति, बजरंग बली, अंजनि सुत, पवनपुत्र, संकटमोचन, केसरीनन्दन, महावीर, कपीश, बालाजी महाराज आदि अनेक नामों से भी जाने जाते हैं। इन्हें बजरंगबली के […] Read more » Featured चैत्र पूर्णिमा हनुमान जयन्ती
कला-संस्कृति समाज भगवान महावीर की शिक्षायें मानव कल्याण के लिए! April 19, 2016 / April 21, 2016 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment महावीर जयन्ती पर जनहित में प्रकाशन हेतु विशेष लेख – डा.. जगदीश गांधी, शिक्षाविद् एवं संस्थापक-प्रबन्धक, सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ (1) मानवता के लिए त्याग करने वाला महावीर है:- महावीर का जन्म वैशाली (बिहार) के एक राज परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम सिद्धार्थ और माता का नाम त्रिशिला था। बचपन से […] Read more » Featured भगवान महावीर भगवान महावीर की शिक्षायें महावीर मानव कल्याण
कला-संस्कृति जन-जागरण लेख साहित्य विश्व का सबसे बड़ा कोहिनूर हीरा April 19, 2016 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment डा राधेश्याम द्विवेदी 1.परी कथाओं सा रोमांचक कहानी:- कोहिनूर फारसी का शब्द है, जिसका अर्थ है : आभा या रोशनी का पर्वत । कोहिनूर (फ़ारसी: कूह-ए-नूर) एक 105 कैरेट (21.6 ग्राम) का हीरा है जो किसी समय विश्व का सबसे बड़ा ज्ञात हीरा रह चुका है। कोहिनूर दुनिया के सभी हीरों का राजा है । […] Read more » Featured history of kohinoor hira कोहिनूर हीरा
कला-संस्कृति वर्त-त्यौहार हनुमत् जयन्ती April 18, 2016 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment डा. राधेश्याम द्विवेदी विभिन्न पुराणों एवं वेदों में श्री हनुमत् जयन्ती मनाने के लिए अलग अलग समय और तिथियाँ उल्लिखित हैं| कुछ जगहों पर श्री हनुमत् जयन्ती मार्गशीर्ष मास में मूल नक्षत्र लगने पर मनाई जाती है| कुछ जगहों पर श्री हनुमान जयन्ती का उत्सव कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन मनाया जाता है| कुछ स्थानों […] Read more » Featured हनुमत् जयन्ती
कला-संस्कृति समाज सद्भावना की परंपरा में देरी नहीं लगती April 18, 2016 by संजय स्वदेश | Leave a Comment पटना का प्रसिद्ध हनुमान मंदिर में रामवनवी के दिन आयोध्या के बाद सबसे ज्यादा भीड़ उमड़ती है। राम के जन्मोत्सव के जय घोष के दौराना मस्जिद में नामाज अता की गई। मुस्लिम भाइयों में हिंदू भाइयों से गले मिलकर सद्भावना का उदहरण पेश की। एक और उदाहरण देखिए। राष्टÑीय स्वयंसेवक संघ के मुख्यालय नागपुर में […] Read more » Featured सद्भावना की परंपरा
कला-संस्कृति विविधा पतित पावनी सरयू नदी की महिमा April 14, 2016 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | 1 Comment on पतित पावनी सरयू नदी की महिमा रामनवमी के अवसर पर डा. राधेश्याम द्विवेदी भारत की प्राचीन नदियों में उत्तर प्रदेश के अयोध्या के निकट बहने वाली नदी के रूप में सरयू को देखा जाता है। घाघरा तथा शारदा नाम भी इसे ही कहा जाता है। यूं तो उत्तर में हिमालय के कैलाश मानसरोवर से इसका उद्गम माना जाता है, जो […] Read more » Featured Ram navami पतित पावनी सरयू नदी
कला-संस्कृति शख्सियत सामाजिक समरसता के प्रतीक भगवान श्रीराम April 14, 2016 by मृत्युंजय दीक्षित | 1 Comment on सामाजिक समरसता के प्रतीक भगवान श्रीराम 15 अप्रैल श्री रामनवमी पर विशेषः- मृत्युंजय दीक्षित भारत विविधतापूर्ण भाशा संस्कृति वाला देश है। देश को एक सूत्र में पिरोकर रखने के लिए ऐसे नेतृत्व की सदैव आवष्यकता रही है जो समस्त विविधताओं में समन्वय स्थापित कर सामाजिक व्यवस्था में समरसता बनाएं रख सकें। इस दृष्टि से मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम सामाजिक समरसता के […] Read more » Featured Ram navami भगवान श्रीराम
कला-संस्कृति विविधा आया बैसाखी का पावन पर्व April 13, 2016 / April 13, 2016 by डॉ. सौरभ मालवीय | Leave a Comment डॊं सौरभ मालवीय बैसाखी ऋतु आधारित पर्व है. बैसाखी को वैसाखी भी कहा जाता है. पंजाबी में इसे विसाखी कहते हैं. बैसाखी कृषि आधारित पर्व है. जब फ़सल पक कर तैयार हो जाती है और उसकी कटाई का काम शुरू हो जाता है, तब यह पर्व मनाया जाता है. यह पूरी देश में मनाया जाता […] Read more » Featured बैसाखी बैसाखी का पावन पर्व