कला-संस्कृति वर्त-त्यौहार कुम्भ पर्व का आगाज, मध्य रात्रि के बाद शुरू हुआ मकर संक्रान्ति का स्नान January 15, 2013 / January 15, 2013 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment अवनीश सिंह माघ मकरगत रवि जब होइ, तीरथ पतिहिः आव सब कोइ। सोमवार को मध्य रात्रि के बाद तीर्थराज प्रयाग में पवित्र संगम के किनारे मकर संक्रान्ति के स्नान के साथ कुम्भ पर्व का आगाज हो गया। जैसे ही घड़ी की सुई बारह से आगे बढ़ी पवित्र संगम व गंगा के किनारे बने दर्जनो स्नान […] Read more » kumbh mela
कला-संस्कृति जरूर पढ़ें महत्वपूर्ण लेख तुलसी की नारी ताडऩ की नही ”तारन” की अधिकारी है December 11, 2012 / December 10, 2012 by राकेश कुमार आर्य | 17 Comments on तुलसी की नारी ताडऩ की नही ”तारन” की अधिकारी है तुलसी के राम बाल्मीकि के राम से कई रूपों में भिन्न हैं। ऐसा प्रक्षेपों के कारण तो हुआ ही है साथ ही अर्थ का अनर्थ कर देने से भी हुआ है। असंगत अर्थों को और अतार्किक बातों को हमने पत्थर की लकीर मान लिया और लकीर के फकीर बनकर उन असंगत अर्थों को तोता की […] Read more » तुलसी की नारी
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म महत्वपूर्ण लेख साहित्य 300 रामायण : कथ्य और तथ्य September 11, 2012 / September 12, 2012 by डा. रवीन्द्र अग्निहोत्री | 1 Comment on 300 रामायण : कथ्य और तथ्य डॉ. रवीन्द्र अग्निहोत्री राम तुम्हारा चरित स्वयं ही काव्य है , कोई कवि बन जाए सहज संभाव्य है . – राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त कुछ समय पहले अमरीका की यूनिवर्सिटी ऑफ़ शिकागो के प्रोफ़ेसर , ए के रामानुजन ( 1929 – 1993 ) के ‘ 300 Ramayanas ‘ शीर्षक लेख की चर्चा समाचारों में रही […] Read more » 300 ramayans 300 रामायण
कला-संस्कृति कहीं लुप्त न हो जाएँ कुड़बुङिया वाले? September 11, 2012 / September 11, 2012 by अनूप आकाश वर्मा | Leave a Comment अनूप आकाश वर्मा बात,शादी-ब्याह से शुरू करते हैं। इसमें कोई शक नहीं कि भारत में वैवाहिक कार्यक्रमों में होने वाली धमाचौकङी समूचे विश्व में प्रसिद्ध है,जो उमंग जो जुनून यहाँ की बारात और बारातियों में है वो कहीं और नहीं। बेशक!आज शहरों में रिवाज़ अब बदल रहे हों लोग आधुनिक से अत्याधुनिक हो रहे हों,गाँवों […] Read more » कुड़बुङिया
कला-संस्कृति विधि-कानून वेद, महर्षि दयानंद और भारतीय संविधान September 1, 2012 / September 1, 2012 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य भारतीय संविधान में मूल कर्तव्य और वेद का राष्ट्र संगठन वेद मानवजाति के लिए सृष्टि के आदि में ईश्वरप्रदत्त संविधान हैं। अत: ऐसा नही हो सकता कि हमारा आज का मानव कृत संविधान तो नागरिकों के मूल कत्र्तव्यों का निरूपण करे और वेद इस विषय पर चुप रहे। वेदों में मानव और […] Read more » भारतीय संविधान महर्षि दयानंद वेद
कला-संस्कृति अब न बुद्ध हैं, न आम्रपाली, न ही वह वैशाली रही; क्या गणतंत्र है? July 31, 2012 by राजीव रंजन प्रसाद | 3 Comments on अब न बुद्ध हैं, न आम्रपाली, न ही वह वैशाली रही; क्या गणतंत्र है? [वैशाली, बिहार से यात्रा संस्मरण] राजीव रंजन प्रसाद भगवान महावीर की जन्मस्थली –वैशाली तीन बार भगवान बुद्ध के चरण रज पडने से भी पवित्र हुई है। पटना से लगभग सत्तर किलोमीटर की यह यात्रा मैनें बाईक से की और रास्ते भर नयनाभिराम नजारों से गुजरता रहा। एशिया के सबसे बडे पुल गाँधी सेतु पर से […] Read more » आम्रपाल गणतंत्र बुद्ध वैशाली
कला-संस्कृति दीवान साहब के बयान से फिल्म जगत तो सहमा ही July 27, 2012 by तेजवानी गिरधर | Leave a Comment तेजवानी गिरधर बीते दिनों महान सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के दीवान और ख्वाजा साहब के सज्जादानशीन सैयद जेनुअल आबेदीन व खुद्दाम हजरात के बीच हुए विवाद का कोई निष्कर्ष निकला हो या नहीं, जो कि निकलना भी नहीं है, मगर फिल्म जगत तो सहम ही गया। और साथ ही अधिकतर फिल्मी […] Read more » दरगाह दीवान सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती
कला-संस्कृति महत्वपूर्ण लेख पावापुरी भगवान महावीर की निर्वाण स्थली, स्याद्वाद और आधुनिक विचारधाराएं July 22, 2012 / July 22, 2012 by राजीव रंजन प्रसाद | 1 Comment on पावापुरी भगवान महावीर की निर्वाण स्थली, स्याद्वाद और आधुनिक विचारधाराएं राजीव रंजन प्रसाद वहाँ मैं बहुत देर तक आँखे बंद किये बैठा रहा। भगवान महावीर के निर्वाण स्थल पावापुरी पहुँच कर हृदय को यह सु:खद संतोष था कि मैने उस मील के पत्थर को स्पर्श किया जिन्होंने अहिन्सा शब्द के वास्तविक मायनों से हमें परिचित कराया। निर्वाण कक्ष से उठ कर मैने थोडा समय घाट […] Read more »
कला-संस्कृति महत्वपूर्ण लेख हे बुद्ध आपने तो रास्ता दिखाया था हम ठौर पर ही मंदिर बना कर बैठ गये July 18, 2012 / July 18, 2012 by राजीव रंजन प्रसाद | 3 Comments on हे बुद्ध आपने तो रास्ता दिखाया था हम ठौर पर ही मंदिर बना कर बैठ गये [राजगीर से यात्रावृतांत] राजीव रंजन प्रसाद राजगीर (राजगृह) को निहारता हुआ मैं उस बुद्धकालीन भारत की कल्पना कर रहा था जो तब चार शक्तिशाली राज्यों, दस छोटे गणराज्यों तथा सोलह महाजनपदों में विभाजित था। राजगीर महाभारत काल, भगवान बुद्ध एवं महावीर के समयों में उत्थान पर था तथा तत्कालीन सम्राटों नें यहाँ राजधानी का निर्माण […] Read more » बुद्ध राजगीर प्रवास
कला-संस्कृति महत्वपूर्ण लेख मगध के पुरावशेषों में बस्तर की तलाश!! July 10, 2012 / July 12, 2012 by राजीव रंजन प्रसाद | 3 Comments on मगध के पुरावशेषों में बस्तर की तलाश!! राजीव रंजन प्रसाद राजीवजी कई गुणों के समुच्चय हैं। रंगकर्मी। नाटककार। कवि। उपन्यासकार। और सबसे बढ़कर एक जिंदादिल इंसान। पिछले दिनों उनका नाम चर्चा में तब आया जब उन्होंने एक उपन्यास लिखा – ‘आमचो बस्तर’। यह उपन्यास रचकर उन्होंने बस्तर में कुछ वर्षों से डेरा जमाए हिंसक विचारधारा के अनुयायियों द्वारा छल-प्रपंच के बूते अराजकता […] Read more » बस्तर की तलाश मगध के पुरावशेषों में
कला-संस्कृति प्राचीन है संगीत से बारिश की परंपरा July 9, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य संगीत की स्वर लहरियों पर रीझते हैं इन्द्रदेव थार संगीत में छिपा है मेघों के आकर्षण का सामथ्र्य बरसात के देवता इन्द्र को प्रसन्न कर बारिश का आवाहन करने में विभिन्न रागों की माधुर्यपूर्ण प्रस्तुति जबर्दस्त सामथ्र्य रखती हैं। प्राचीन काल में बारिश नहीं होने अथवा विलम्ब से होने की स्थिति में […] Read more » monsoon arrival in India Rain
कला-संस्कृति आरक्षण नहीं संरक्षण दो July 5, 2012 / July 5, 2012 by राकेश कुमार आर्य | 4 Comments on आरक्षण नहीं संरक्षण दो राकेश कुमार आर्य भारत की संस्कृति विश्व संस्कृति है। यह करोड़ों वर्ष से मानवता का दिग्दर्शन करती आयी है। संस्कृतियाँ कभी अनेक नहीं होती, अपितु संस्कृति सदा एक ही होती है। चूँकि संस्कृति धर्म-प्रेरित होती है। जैसे मनुष्य का धर्म मानवता एक है, उसी प्रकार उसकी संस्कृति भी सदा एक (मानव संस्कृति) ही रहती है। […] Read more » give reservation आरक्षण