चिंतन श्रेय और प्रेय का मार्ग June 13, 2015 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -अशोक “प्रवृद्ध”- पृथ्वी के उत्तर और दक्षिण में दो ध्रुव – उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव हैं । दोनों ध्रुवों को ही पृथ्वी की धुरी कहा जाता हैं और दोनों में ही असाधारण शक्ति केन्द्रीभूत मानी जाती हैं । इसी भान्ति चेतन तत्त्व के भी दो ध्रुव हैं जिन्हें माया और ब्रह्म कहा जाता है […] Read more » Featured जिंदगी जीवन मनुष्य श्रेय और प्रेय का मार्ग
चिंतन आसान बनाएं जिन्दगी June 11, 2015 by डॉ. दीपक आचार्य | 1 Comment on आसान बनाएं जिन्दगी -डॉ. दीपक आचार्य- बहुद्देशीय प्रतिस्पर्धा और तेज रफ्तार भरे इस युग में दूसरी सारी बातों से कहीं अधिक जरूरी है जिन्दगी को आसान बनाना। हम सभी का जीवन खूब सारी जटिलताओं और घुमावदार रास्तों से होकर गुजरने वाला बना हुआ होने से जिन्दगी का काफी कुछ समय निरर्थक भी बना हुआ है और बरबाद […] Read more » Featured आसान बनाएं जिन्दगी जिंदगी जीवन मनुष्य
चिंतन सफलता का संकेत हैं अनपेक्षित विपदाएं June 8, 2015 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment -डॉ. दीपक आचार्य- समस्याओं का आना और जाना हर प्राणी के जीवन का वह अपरिहार्य शाश्वत क्रम है जिसके बिना जिन्दगी अधूरी ही रहती है। कोई भी इंसान यह नहीं कह सकता कि उसके जीवन में कोई समस्या कभी नहीं रही। यों कहें कि जिन्दगी समस्याओं का पर्याय है तो भी अनुचित नहीं होगा। हर […] Read more » Featured विपदा सफलता सफलता का संकेत हैं अनपेक्षित विपदाएं
चिंतन वैष्णव जन तो तैने कहिये, जे पीर पराई जाने रे June 4, 2015 / June 4, 2015 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- आप अपनी जिंदगी किस तरह जीना चाहते हैं? यह तय होना जरूरी है, आखिरकार जिंदगी है आपकी! यकीनन, आप जवाब देंगे-जिंदगी तो अच्छी तरह जीने का ही मन है। यह भाव, ऐसी इच्छा इस तरह का जवाब बताता है कि आपके मन में सकारात्मकता लबालब है, लेकिन यहीं एक अहम प्रश्न उठता है-जिंदगी […] Read more » Featured इंसान जिंदगी जीवन जे पीर पराई जाने रे मनुष्य वैष्णव जन तो तैने कहिये
चिंतन दिल और दिमाग में है सभी बीमारियों की जड़ June 3, 2015 / June 3, 2015 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment -डॉ. दीपक आचार्य- इस विषय पर गंभीरता से सोचने की आवश्यकता है कि बीमारियों के आदि कारण क्या हैं और वे क्यों होती हैं। शरीर में स्थूल रूप में जो भी अच्छी-बुरी प्रतिक्रियाएं होती हैं उनका मूल कारण हमारी सोच ही है। जैसी हमारी सोच होगी वैसी ही शरीर के अंग-उपांग अपनी प्रतिक्रिया करेंगे और […] Read more » Featured दिल और दिमाग में है सभी बीमारियों की जड़ बीमारियों की जड़ सोच
चिंतन आत्मबंधन तोड़ें, मुक्ति का आनंद पाएं May 30, 2015 / May 30, 2015 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment -डॉ. दीपक आचार्य- हम सभी लोग स्वतंत्र हैं स्वतंत्रता का सुकून देने के लिए पैदा हुए हैं। लेकिन हममें से अधिकांश लोग इस सत्य को कभी नहीं स्वीकार पाते कि हम स्वतंत्र हैं और स्वतंत्रता का आनंद पाना हमारे ही बस में है। ईश्वर की बनाई हुई सृष्टि का प्रत्येक तत्त्व और इकाई अपने […] Read more » Featured आत्मबंधन तोड़ें मुक्ति का आनंद पाएं मुक्ति
चिंतन मनुष्य की वास्तविक पहचान के मायने May 21, 2015 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- मानव धर्म का हार्द है मनुष्य का मनुष्य के प्रति तादात्म्य भाव, एक-दूसरे के प्रति संवेदनशीलता और नैतिक एवं चारित्रिक उज्ज्वलता। जो धर्म मनुष्य को दुर्गति, हीनता और चारित्रिक भ्रष्टता से मुक्त करता है, जो हर इंसान की आत्मा को तेजोदीप्त बनाता है, हर हृदय को परदुःखकातर और संवेदनशील बनाता है, उसे मानव […] Read more » Featured जिंदगी मनुष्य मनुष्य की वास्तविक पहचान के मायने
चिंतन धर्म-अध्यात्म क्या ईश्वर है ? April 23, 2015 / April 23, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मन मोहन आर्य– क्या ईश्वर है, है या नहीं? इस युक्ति व तर्क से देखते हैं कि यथार्थ स्थिति क्या है? इससे पूर्व कि ईश्वर की चर्चा करें हम पहले मनुष्य जीवन की चर्चा करते हैं। लोग हमसे पूछते कि आप कौन हैं? हम उत्तर हैं कि मैं मनमोहन हूं। यहां मैं स्वयं अर्थात् अपने […] Read more » Featured ईश्वर क्या ईश्वर है ? दयानंद सरस्वती
चिंतन विविधा आओ चलें, जीवन के प्रश्नों का डटकर सामना करें April 22, 2015 / April 22, 2015 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- एक सफल और सार्थक जिंदगी जीने के लिए मनुष्य के पास उन रास्तों का ज्ञान होना बहुत जरूरी है जो उसे अपने लक्ष्य तक पहुंचाते हैं। इन्हीं रास्तों पर आगे बढ़ते हुए हर मनुष्य की ‘सर्व भवन्तु सुखिनः’-सब सुखी हों- यह भावना होनी चाहिए। हम अपने कर्म और वाणी से ऐसा एक भी […] Read more » Featured आओ चलें जीवन जीवन के प्रश्नों का डटकर सामना करें जीवन प्रश्न जीवन संघर्ष
चिंतन यह अपनापन ही तो है ! April 20, 2015 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -सुनील एक्सरे- दुनिया में अच्छी घटना बुरी घटना हर पल घटती रहती है ,लेकिन बुरी घटना में ग्रस्त व्यक्ति जब हमारे परिचय का होता है तब हमें दुख होता है किसी क्षेत्र विशेष में जब हमारा कोई अपना सफलता प्राप्त करता है तो हम खुशी से उछल पड़ते हैं। जब किसी अपने की मौत हो […] Read more » Featured जीवन जीवन की घटनाएं यह अपनापन ही तो है !
चिंतन पंचायत जगाने निकले कुछ कदमों का संदेश April 19, 2015 / April 19, 2015 by अरुण तिवारी | Leave a Comment -अरुण तिवारी- इलाहाबाद से वाराणसी जाते समय सड़क किनारे एक जगह है – राजा के तालाब। बीते तीन अप्रैल को राजा के तालाब से एक यात्रा चली – तीसरी सरकार संवाद एवम् सम्पर्क यात्रा। राजतंत्र में राजा, पहली सत्ता होता है, प्रजा अंतिम। लोकतंत्र में संसद तीसरी सरकार होती है, विधानसभा दूसरी और ग्रामसभा पहली […] Read more » Featured पंचायत पंचायत जगाने निकले कुछ कदमों का संदेश
चिंतन धर्म-अध्यात्म क्या वेद अपौरूषेय हो सकते हैं March 31, 2015 / April 4, 2015 by मनमोहन आर्य | 4 Comments on क्या वेद अपौरूषेय हो सकते हैं क्या वेद अपौरूषेय है? यदि हैं तो वेदों में ईश्वर ने स्वयं ही दिये ज्ञान में आदि ऋषियों व भावी मानव पीढि़यों से अपनी प्रशंसा क्यों कराई है? अपनी प्रशंसा करना व कराना मानवीय दोष माना जाता है। ईश्वर तो सबसे बड़ा व महान होने के कारण यदि ऐसा करता है तो यह उचित प्रतीत […] Read more » Featured अपनी प्रशंसा करना व कराना मानवीय दोष माना जाता है ईश्वर तो सबसे बड़ा व महान होने के कारण यदि ऐसा करता है तो यह उचित प्रतीत नहीं होता ईश्वर ने स्वयं ही दिये ज्ञान में आदि ऋषियों व भावी मानव पीढि़यों से अपनी प्रशंसा क्यों कराई क्या वेद अपौरूषेय है क्या वेद अपौरूषेय हो सकते हैं मनमोहन कुमार आर्य