कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म एक अनूठा त्यौहार है अक्षय तृतीया April 26, 2017 by ललित गर्ग | Leave a Comment अक्षय तृतीया का पावन पवित्र त्यौहार निश्चित रूप से धर्माराधना, त्याग, तपस्या आदि से पोषित ऐसे अक्षय बीजों को बोने का दिन है जिनसे समयान्तर पर प्राप्त होने वाली फसल न सिर्फ सामाजिक उत्साह को शतगुणित करने वाली होगी वरन अध्यात्म की ऐसी अविरल धारा को गतिमान करने वाली भी होगी जिससे सम्पूर्ण मानवता सिर्फ कुछ वर्षों तक नहीं पीढ़ियों तक स्नात होती रहेगी। अक्षय तृतीया के पवित्र दिन पर हम सब संकल्पित बनें कि जो कुछ प्राप्त है उसे अक्षुण्ण रखते हुए इस अक्षय भंडार को शतगुणित करते रहें। यह त्यौहार हमारे लिए एक सीख बने, प्रेरणा बने और हम अपने आपको सर्वोतमुखी समृद्धि की दिशा में निरंतर गतिमान कर सकें। अच्छे संस्कारों का ग्रहण और गहरापन हमारे संस्कृति बने Read more » Featured अक्षय तृतीया अक्षय तृतीया 2017
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म ख़ालसा पंथ का उदय तथा श्री गुरु गोबिन्द सिंघ जी के दिशा-निर्देश April 26, 2017 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment 30 मार्च सन् 1699 को वैषाखी के दिन श्री गुरू गोबिन्द सिंघ जी ने आन्नदुपर (पंजाब) में, सभी सिक्खों को एकत्र कर एक विशाल सम्मेलन का आयोजन किया। प्रातः भजन-कीर्तन के पश्चात् उस ऐतिहासिक दिवस पर, श्रद्धालुओं के अपार जन-समूह के सम्मुख हाथ में नग्न तलवार लिए श्री गुरू गोबिन्द सिंघ जी ने उच्च स्वर […] Read more » ख़ालसा पंथ का उदय श्री गुरु गोबिन्द सिंघ जी के दिशा-निर्देश
धर्म-अध्यात्म पूजनीय प्रभो हमारे……भाग-9 April 24, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment पर संसार के लोगों में और विद्वान लोगों में एक बात सांझा होती है कि संसार के साधारण लोग भी जिस सुख-समृद्घि की प्राप्ति करना चाहते हैं उनके लिए वह भी यज्ञयागादि और ज्ञान चर्चाएं करते हैं और विद्वान लोग भी अपने स्तर पर ऐसी ही कार्य प्रणाली को अपनाते हैं। इन सबका उद्देश्य होता है-अपने-अपने उद्देश्यों की प्राप्ति, अपनी-अपनी आकांक्षाओं की प्राप्ति। Read more » पूजनीय प्रभो हमारे
धर्म-अध्यात्म शख्सियत वेदभाष्यकार एवं वैदिक विद्वान पं. हरिश्चन्द्र विद्यालंकार का संक्षिप्त परिचय April 24, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment पं. हरिश्चन्द्र विद्यालंकार जी के जिन ग्रन्थों का उल्लेख उपर्युक्त सूची में है, आज उनमें से कोई एक ग्रन्थ भी कहीं से उपलब्ध नहीं होता। आर्यसमाज की सभाओं को लेखक के ग्रन्थों के संरक्षण की ओर ध्यान देना चाहिये। यदि इन सबकी पीडीएफ बनाकर किसी साइट पर डाल दी जाये तो पाठकों को सुविधा होने के साथ ग्रन्थों का संरक्षण स्वतः ही हो जायेगा। आशा है कि हमारे नेतागण इस पर ध्यान देंगे। Read more » पं. हरिश्चन्द्र विद्यालंकार
धर्म-अध्यात्म हमारी रक्षा के लिए उसका धन्यवाद करना हम सबका परम कर्तव्य April 24, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment प्रतिदिन प्रातः एवं सायं ईश्वर का सम्यक् ध्यान वा सन्ध्या करना सभी मनुष्यों का परम कर्तव्य है। जो नहीं करता वह अपराध करता है। ऋषियों का विधान है कि सन्ध्या न करने वाले के सभी अधिकार छीन लेने चाहिये और उसे श्रमिक कोटि का मनुष्य बना देना चाहिये। सन्ध्या पर अनेक विद्वानों ने टीकायें लिखी हैं। पं. विश्वनाथ वेदोपाध्याय, पं. गंगाप्रसाद उपाध्याय, पं. चमूपति, स्वामी आत्मानन्द सरस्वती जी आदि की टिकायें उपलब्ध हो जाती हैं। अभ्युदय व निःश्रेयस की प्राप्ति के इच्छुक सभी मनुष्यों को प्रतिदिन दोनों समय सन्ध्या अवश्य करनी चाहिये Read more » ईश्वर
धर्म-अध्यात्म अक्षय तृतीया(आखा तीज) 2017 पर बना वर्षों बाद अमृतसिद्घि योग के महासंयोग— April 22, 2017 by पंडित दयानंद शास्त्री | Leave a Comment अक्षय तृतीया के दिन सोने चांदी की चीजें खरीदी जाती हैं। मान्यता है कि इससे बरकत आती है। अगर आप भी बरकत चाहते हैं इस दिन सोने या चांदी के लक्ष्मी की चरण पादुका लाकर घर में रखें और इसकी नियमित पूजा करें। क्योंकि जहां लक्ष्मी के चरण पड़ते हैं वहां अभाव नहीं रहता है। आज के दिन 11 कौड़ियों को लाल कपडे में बांधकर पूजा स्थान में रखे इसमें देवी लक्ष्मी को आकर्षित करने की क्षमता होती है। इनका प्रयोग तंत्र मंत्र में भी होता है। इसका कारण यह है कि देवी लक्ष्मी के समान ही कौड़ियां समुद्र से उत्पन्न हुई हैं। नियमित केसर और हल्दी से इसकी पूजा देवी लक्ष्मी के साथ करने से आर्थिक परेशानियों में लाभ मिलता है Read more » अक्षय तृतीया आखा तीज
धर्म-अध्यात्म यज्ञ व संस्कार कराने वाले पुरोहित तथा उसकी दक्षिणा April 20, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य पुरोहित उस व्यक्ति को कहते हैं जो देश व समाज के प्रत्येक व्यक्ति के हित की भावना से कार्य करता हे। इसके लिए पुरोहित को अपने उद्देश्य का पता होना चाहिये और उसके साधनों का ज्ञान भी होना चाहिये। वह विद्वान एवं पुरुषार्थी होना चाहिये और चारित्रिक बल का धनी हो। विद्वान […] Read more » यज्ञ
धर्म-अध्यात्म वेद स्वतः प्रमाण धर्म ग्रन्थ और अन्य सभी ग्रन्थ वेदानुकूल होने पर ही परतः प्रमाण April 20, 2017 / April 28, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य का जन्म वाद-विवाद के लिए नहीं अपितु सत्य व असत्य का निर्णय कर सत्य का ग्रहण व उसका पालन करने क लिए हुआ है। सत्य का निर्णय करने का साधन व कसौटी क्या है? इसका उत्तर धर्म व सत्य की जिज्ञासा होने पर ईश्वरीय ज्ञान चार वेद की मन्त्र संहिताओं के […] Read more » प्राचीन भाषा वेद वेद वेद अर्वाचीन ग्रन्थों में सबसे उन्नत वेद का ज्ञान
धर्म-अध्यात्म पूजनीय प्रभो हमारे……भाग-8 April 20, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य छोड़ देवें छल-कपट को मानसिक बल दीजिए गतांक से आगे…. इसी अवस्था के आनंद की चर्चा करते हुए वेदांत स्पष्ट करता है:- भिद्यंते हृदय ग्रन्थिश्छिद्यन्ते सर्व संशया:। क्षीयन्ते चास्य कर्माणि तस्मिन्दृष्टे पराह्यवरे।। मु. 2 खण्ड 2 मं. 18 (स.प्र. समु. 9 पृष्ठ 371) अर्थात ‘जब इस जीव के हृदय की अविद्या अंधकार […] Read more » पूजनीय प्रभो हमारे
धर्म-अध्यात्म आचार्य वसन्त सूरिजी : कठोर तप की पूर्णता के पचास वर्ष April 19, 2017 by ललित गर्ग | Leave a Comment आचार्य वसंत सूरीश्वरजी के पास लोककल्याणकारी कार्यों की एक लंबी सूची है। चाहे हस्तिनापुर में अष्टापद का निर्माण हो या जीर्ण-शीर्ण ऐतिहासिक जैन मंदिरों का जीर्णोद्धार, प्रसिद्ध जैन तीर्थ पालीताना में कमल मंदिर की कल्पना हो या देश के विभिन्न हिस्सों में शैक्षणिक संस्थाओं की स्थापना, दिल्ली में भव्य वल्लभ स्मारक हो या सेवा के विविध आयाम- अस्पताल, गौशाला, कन्या छात्रावास- उनकी प्रेरणा के ये आयाम जन-जन के कल्याण के लिए, संस्कार निर्माण के लिए, शिक्षा, सेवा और परोपकार के लिए संचालित हैं। उन्होंने गणि राजेन्द्र विजयजी के नेतृत्व में संचालित सुखी परिवार अभियान के आदिवासी उन्नयन एवं उत्थान के साथ-साथ परिवार संस्था मजबूती देने के संकल्प में भी निरंतर सहयोग एवं आशीर्वाद प्रदत्त किया है। Read more » Featured आचार्य वसन्त सूरिजी
धर्म-अध्यात्म प्रमुख वैश्विक संस्था आर्यसमाज की स्थापना का मुख्य उद्देश्य व इसके उपयोगी राष्ट्रहितकारी कार्य April 18, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment आर्यसमाज की स्थापना वेद प्रचार अर्थात् सत्य ज्ञान के प्रचार के लिए की गई थी जिससे देश व संसार के सभी मानवों का कल्याण हो। ऋषि दयानन्द ने आर्यसमाज के दस नियम सूत्र बद्ध किये हैं। इनका उल्लेख कर देना उचित प्रतीत होता है। पहला नियम है ‘सब सत्य विद्या और जो पदार्थ विद्या से जाने जाते हैं उनका आदि मूल परिमेश्वर है।’ दूसरा नियम: ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, दयालु, अजन्मा, अनन्त, निर्विकार, अनादि, अनुपम, सर्वाधार, सर्वेश्वर, सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, अजर, अमर, अभय, नित्य, पवित्र और सृष्टिकत्र्ता है। Read more » आर्यसमाज की स्थापना का मुख्य उद्देश्य
धर्म-अध्यात्म पूजनीय प्रभो हमारे……भाग-7 April 17, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment जब जिह्वा पर परमेश्वर की गुणों की चर्चा होने लगे और रसना उसी के मधुर गीत गाने लगे, जब हमारे श्वांसों की सरगम में परमेश्वर के गीत भासने लगें तब समझना चाहिए कि हमारे दुर्भाग्य के दुर्दिन हमसे दूर हो रहे हैं और हमारे सौभाग्य का उदय हो रहा है। हमारे भीतर सर्वांशत: व्यापक स्तर पर परिवत्र्तन हो रहा है। हमारे भीतर और बाहर सर्वत्र क्रांति व्याप रही है। Read more » पूजनीय प्रभो हमारे