धर्म-अध्यात्म विविधा व्रत-उपवास एवं महर्षि दयानन्द June 18, 2015 / June 18, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य आजकल हमारे देश के बहुत से लोग नाना दिवसों पर व्रत व उपवास आदि रखते और आशा करते हैं कि उससे उनको लाभ होगा। महर्षि दयानन्द चारों वेदों व सम्पूर्ण वैदिक व अवैदिक ग्रन्थों के अपूर्व विद्वान थे। उन्होंने समाधि अवस्था में ईश्वर का साक्षात्कार भी किया था और अपने विवेक से […] Read more » Featured महर्षि दयानन्द व्रत-उपवास
चिंतन समस्याओं का मूल कहां है ? June 17, 2015 / June 17, 2015 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- हर मनुष्य सफल होना चाहता है और सफलता के लिये जरूरी है समस्याओं से संघर्ष। समस्याओं रूपी चुनौतियों का सामना करने, उन्हें सुलझाने में जीवन का उसका अपना अर्थ छिपा हुआ है। समस्याएं तो एक दुधारी तलवार होती है, वे हमारे साहस, हमारी बुद्धिमता को ललकारती है और दूसरे शब्दों में वे हममें […] Read more » Featured जिंदगी जीवन परेशानी बुद्धि समस्याओं का मूल कहां है ? समाधान हल
चिंतन लौट आओ तुम June 16, 2015 by रवि कुमार छवि | Leave a Comment -रवि कुमार छवि- रात के करीब 10 बजे है। रसोई में रखे खाली बर्तन निशब्द थे. पिंकी और सोनू आज जल्दी सो गए थे.रसोई में लगा एक बल्ब पूरे घर को रोशन कर रहा था। आज राधिका की बहुत याद आ रही थी सोचा कि एक खत लिख दूं । सोचा कि दवाई पी लूं […] Read more » Featured लौट आओ तुम व्यंग्य
धर्म-अध्यात्म वेदों के नासदीय-सूक्त में सिद्धान्त रूप में सृष्टि की प्रलय व उत्पत्ति का वर्णन है June 13, 2015 / June 13, 2015 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on वेदों के नासदीय-सूक्त में सिद्धान्त रूप में सृष्टि की प्रलय व उत्पत्ति का वर्णन है –मनमोहन कुमार आर्य- ऋग्वेद के मण्डल 10 सूक्त 129 को नासदीय–सूक्त कहते हैं। इस सूक्त में सृष्टि की उत्पत्ति होने से पूर्व आकाश की अन्धकाररूप स्थिति का वर्णन है। परमात्मा के सम्मुख सृष्टि का उपादान कारण द्रव्यभाव से वर्तमान था, आत्माएं भी साधारण और मुक्त अवस्था की बहुत थीं आदि ऐसे अनेक विषयों का वर्णन […] Read more » Featured उत्पत्ति नासदीय-सूक्त प्रलय वेद सृष्टि
चिंतन श्रेय और प्रेय का मार्ग June 13, 2015 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -अशोक “प्रवृद्ध”- पृथ्वी के उत्तर और दक्षिण में दो ध्रुव – उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव हैं । दोनों ध्रुवों को ही पृथ्वी की धुरी कहा जाता हैं और दोनों में ही असाधारण शक्ति केन्द्रीभूत मानी जाती हैं । इसी भान्ति चेतन तत्त्व के भी दो ध्रुव हैं जिन्हें माया और ब्रह्म कहा जाता है […] Read more » Featured जिंदगी जीवन मनुष्य श्रेय और प्रेय का मार्ग
चिंतन आसान बनाएं जिन्दगी June 11, 2015 by डॉ. दीपक आचार्य | 1 Comment on आसान बनाएं जिन्दगी -डॉ. दीपक आचार्य- बहुद्देशीय प्रतिस्पर्धा और तेज रफ्तार भरे इस युग में दूसरी सारी बातों से कहीं अधिक जरूरी है जिन्दगी को आसान बनाना। हम सभी का जीवन खूब सारी जटिलताओं और घुमावदार रास्तों से होकर गुजरने वाला बना हुआ होने से जिन्दगी का काफी कुछ समय निरर्थक भी बना हुआ है और बरबाद […] Read more » Featured आसान बनाएं जिन्दगी जिंदगी जीवन मनुष्य
धर्म-अध्यात्म मानवोन्नति की अनन्या साधिका वर्णव्यवस्था June 10, 2015 by शिवदेव आर्य | Leave a Comment -शिवदेव आर्य- वर्णाश्रम व्यवस्था वैदिक समाज को संगठित करने का अमूल्य रत्न है। प्राचीन काल में हमारे पूर्वजों ने समाज को सुसंगठित, सुव्यवस्थित बनाने तथा व्यक्ति के जीवन को संयमित, नियमित एवं गतिशील बनाने के लिए चार वर्णों एवं चार आश्रमों का निर्माण किया। वर्णाश्रम विभाग मनुष्य मात्र के लिए है, और कोई भी […] Read more » Featured मानवोन्नति की अनन्या साधिका वर्णव्यवस्था वर्ण वेद
धर्म-अध्यात्म वेदों का पुरूष-सूक्त और मन्त्रों में विहित रहस्यात्मक सत्य ज्ञान June 10, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य– ऋग्वेद के दशवें मण्डल का नव्वेवां सूक्त पुरूष-सूक्त के नाम से विख्यात है। इस सूक्त की मन्त्र संख्या 16 है। यह सभी मन्त्र यजुर्वेद के 31 वें अध्याय में भी आये हैं। ऋग्वेद के 16 मन्त्रों के अलावा यजुर्वेद में 6 मन्त्र अधिक हैं। इन 6 मन्त्रों को उत्तर-नारायण-अनुवाक की संज्ञा दी […] Read more » Featured पुरूष-सूक्त मंत्र वेद वेदों का पुरूष-सूक्त और मन्त्रों में विहित रहस्यात्मक सत्य ज्ञान सत्य ज्ञान
चिंतन सफलता का संकेत हैं अनपेक्षित विपदाएं June 8, 2015 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment -डॉ. दीपक आचार्य- समस्याओं का आना और जाना हर प्राणी के जीवन का वह अपरिहार्य शाश्वत क्रम है जिसके बिना जिन्दगी अधूरी ही रहती है। कोई भी इंसान यह नहीं कह सकता कि उसके जीवन में कोई समस्या कभी नहीं रही। यों कहें कि जिन्दगी समस्याओं का पर्याय है तो भी अनुचित नहीं होगा। हर […] Read more » Featured विपदा सफलता सफलता का संकेत हैं अनपेक्षित विपदाएं
धर्म-अध्यात्म महत्वपूर्ण लेख आखिर लुप्तप्राय वैदिक सरस्वती मिल ही गई June 4, 2015 / June 4, 2015 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | 1 Comment on आखिर लुप्तप्राय वैदिक सरस्वती मिल ही गई -अशोक “प्रवृद्ध”- ऋग्वेदादि वैदिक व पौराणिक ग्रंथों में अब तक सिमटी प्राचीनतम और हजारों वर्ष पूर्व लुप्त हो चुकी सरस्वती नदी का आदिबद्री के गाँव मुगलवाली (हरियाणा के महेंद्रगढ़ /यमुनानगर जिला का मुगलावाली गाँव) में उद्गम होना ऐतिहासिक, पुरातात्विक और भौगोलिक दृष्टि से एक अत्यंत महत्वपूर्ण घटना है और इस खोज से भारतीय इतिहास की […] Read more » Featured आखिर लुप्तप्राय वैदिक सरस्वती मिल ही गई आदिबद्री गांव मुगलवाली सरस्वती नदी
चिंतन वैष्णव जन तो तैने कहिये, जे पीर पराई जाने रे June 4, 2015 / June 4, 2015 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- आप अपनी जिंदगी किस तरह जीना चाहते हैं? यह तय होना जरूरी है, आखिरकार जिंदगी है आपकी! यकीनन, आप जवाब देंगे-जिंदगी तो अच्छी तरह जीने का ही मन है। यह भाव, ऐसी इच्छा इस तरह का जवाब बताता है कि आपके मन में सकारात्मकता लबालब है, लेकिन यहीं एक अहम प्रश्न उठता है-जिंदगी […] Read more » Featured इंसान जिंदगी जीवन जे पीर पराई जाने रे मनुष्य वैष्णव जन तो तैने कहिये
धर्म-अध्यात्म महर्षि दयानन्द और उनके सत्य व सर्वहितकारी मन्तव्य June 3, 2015 / June 3, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य- महर्षि दयानन्द संसार में सम्भवतः ऐसे पहले धार्मिक महापुरूष हुए हैं जिन्होंने ईश्वरीय ज्ञान वेदों का प्रचार करने के साथ अपने मन्तव्यों तथा अमन्तव्यों का भी सार्वजनिक रूप से पुस्तक लिखकर प्रचार किया है। धार्मिक महापुरूष प्रायः अपनी मान्यताओं के विस्तृत व्याख्यात्मक ग्रन्थ लिख दिया करते हैं। उन्हीं ग्रन्थों को उनके शिष्य […] Read more » Featured मन्तव्य महर्षि दयानन्द महर्षि दयानन्द और उनके सत्य व सर्वहितकारी मन्तव्य सत्य