चिंतन दिल और दिमाग में है सभी बीमारियों की जड़ June 3, 2015 / June 3, 2015 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment -डॉ. दीपक आचार्य- इस विषय पर गंभीरता से सोचने की आवश्यकता है कि बीमारियों के आदि कारण क्या हैं और वे क्यों होती हैं। शरीर में स्थूल रूप में जो भी अच्छी-बुरी प्रतिक्रियाएं होती हैं उनका मूल कारण हमारी सोच ही है। जैसी हमारी सोच होगी वैसी ही शरीर के अंग-उपांग अपनी प्रतिक्रिया करेंगे और […] Read more » Featured दिल और दिमाग में है सभी बीमारियों की जड़ बीमारियों की जड़ सोच
धर्म-अध्यात्म मेरे स्वप्नों का गुरूकुल June 2, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य- महर्षि दयानन्द ने जिस शिक्षा पद्धति का समर्थन किया है वह गुरूकुल शिक्षा पद्धति है। महर्षि दयानन्द सुसंस्कारों व ज्ञान-विज्ञान से युक्त आधुनिक शिक्षा के भी समर्थक थे परन्तु इसके साथ ही वह वेद व वैदिक साहित्य के ज्ञान को सारे विश्व के लिए अपरिहार्य मानते थे। वेद और वैदिक ज्ञान […] Read more » Featured महर्षि दयानंद सरस्वती मेरे स्वप्नों का गुरूकुल
धर्म-अध्यात्म मांगलिकता एवं समृद्धि का प्रतीक है कलश June 2, 2015 / June 2, 2015 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग – भारतीय संस्कृति में विविध मांगलिक प्रतीकों का विशिष्ट महत्व है। विशेषतः हिन्दू धर्म में इन मांगलिक प्रतीकों का बहुत प्रचलन है। हर मांगलिक कार्य चाहे नया व्यापार, नववर्ष का आरंभ, गृह प्रवेश, दिवाली पूजन, यज्ञ, अनुष्ठान, विवाह, जन्म संस्कार आदि सभी में इन मांगलिक प्रतीकों का उपयोग होता है, इनके बिना कोई […] Read more » Featured कलश मांगलिकता एवं समृद्धि का प्रतीक है कलश
धर्म-अध्यात्म ब्रह्मचर्य विद्या, स्वस्थ जीवन व दीर्घायु का आधार June 2, 2015 / June 2, 2015 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on ब्रह्मचर्य विद्या, स्वस्थ जीवन व दीर्घायु का आधार –मनमोहन कुमार आर्य- संसार में धर्म व संस्कृति का आरम्भ वेद एवं वेद की शिक्षाओं से हुआ है। लगभग 2 अरब वर्ष पहले (गणनात्मक अवधि 1,96,08,53,115 वर्ष) सृष्टि की रचना व उत्पत्ति होने के बाद स्रष्टा ईश्वर ने अमैथुनी सृष्टि में चार ऋषियों को वेदों का ज्ञान दिया था। इस वैदिक ज्ञान से ही वैदिक […] Read more » Featured दीर्घायु का आधार ब्रह्मचर्य विद्या स्वस्थ जीवन
धर्म-अध्यात्म मनुष्य समाज के लिए हानिकारक फलित ज्योतिष और महर्षि दयानन्द May 31, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य- सृष्टि का आधार कर्म है। ईश्वर, जीवात्मा एवं प्रकृति तीन अनादि, नित्य और अविनाशी सत्तायें हैं। सृष्टि प्रवाह से अनादि है परन्तु ईश्वर के नियमों के अनुसार इसकी उत्पत्ति-स्थिति-प्रलय-उत्पत्ति का चक्र चलता रहता है। जीवात्माओं को कर्मानुसार ईश्वर से जन्म मिलता है जिसमें वह पूर्व जन्मों के कर्मों का फल भोगते हैं […] Read more » Featured ज्योतिष मनुष्य महर्षि दयानन्द समाज
धर्म-अध्यात्म मूर्तिपूजा, तीर्थ व नामस्मरण का सच्चा स्वरूप और स्वामी दयानन्द May 30, 2015 by मनमोहन आर्य | 3 Comments on मूर्तिपूजा, तीर्थ व नामस्मरण का सच्चा स्वरूप और स्वामी दयानन्द –मनमोहन कुमार आर्य- महर्षि दयानन्द न केवल वेदों एवं वैदिक साहित्य के विद्वान थे अपितु उन्हें पुराणों सहित सभी अवैदिक धार्मिक ग्रन्थों व पुस्तकों का भी तलस्पर्शी ज्ञान था। अपने इस व्यापक ज्ञान के कारण ही उन्होंने जहां वेदों का भाष्य किया और सत्यार्थ प्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका सहित संस्कार विधि आदि अनेक महत्वपूर्ण ग्रन्थों का प्रणयन […] Read more » Featured तीर्थ नामस्मरण का सच्चा स्वरूप मूर्तिपूजा स्वामी दयानन्द
चिंतन आत्मबंधन तोड़ें, मुक्ति का आनंद पाएं May 30, 2015 / May 30, 2015 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment -डॉ. दीपक आचार्य- हम सभी लोग स्वतंत्र हैं स्वतंत्रता का सुकून देने के लिए पैदा हुए हैं। लेकिन हममें से अधिकांश लोग इस सत्य को कभी नहीं स्वीकार पाते कि हम स्वतंत्र हैं और स्वतंत्रता का आनंद पाना हमारे ही बस में है। ईश्वर की बनाई हुई सृष्टि का प्रत्येक तत्त्व और इकाई अपने […] Read more » Featured आत्मबंधन तोड़ें मुक्ति का आनंद पाएं मुक्ति
धर्म-अध्यात्म गंगा दशहरा अर्थात गंगावतरण की पौराणिक कथा May 29, 2015 / May 29, 2015 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -अशोक “प्रवृद्ध”- भारतवर्ष के पौराणिक राजवंशों में सबसे प्रसिद्ध राजवंश इक्ष्वाकु कुल है। इस कुल की अट्ठाईसवीं पीढ़ी में राजा हरिश्चन्द्र हुए, जिन्होंने सत्य की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व त्याग दिया । इसी कुल की छत्तीसवीं पीढ़ी में अयोध्या में सगर नामक महाप्रतापी , दयालु, धर्मात्मा और प्रजा हितैषी राजा हुए। गर अर्थात विष […] Read more » Featured गंगा गंगा दशहरा गंगा दशहरा अर्थात गंगावतरण की पौराणिक कथा गंगावतरण
धर्म-अध्यात्म दक्षिण भारत के संत (10) सन्त नम्मालवार (शठकोप) May 29, 2015 by बी एन गोयल | 1 Comment on दक्षिण भारत के संत (10) सन्त नम्मालवार (शठकोप) -बीएन गोयल- रक्ताभ कान्ति युक्त अरुणिम मरकत उपगिरि के समान रक्तिम मेघाम्बर तेजपुंज सूर्य शीतल श्वेत चन्द्र और नक्षत्रों को धारण किए समुद्र तरंगों पर विश्रांत, हे प्रबुद्ध अप्रतिम सर्वोच्च प्रभु । ये पंक्तियाँ प्रसिद्ध आलवार संत नम्मालवार की कृति तिरुवाशिरीयम से हैं। इन पंक्तियों में आदिशेष की शय्या पर शयन करने वाले भगवान […] Read more » Featured दक्षिण भारत के संत (10) सन्त नम्मालवार (शठकोप) धर्म प्रभु
धर्म-अध्यात्म विविधा पुण्यसलिला, पाप-नाशिनी, मोक्ष प्रदायिनी, सरित्श्रेष्ठा , राष्ट्रनदी भगवती भगीरथी गंगा May 29, 2015 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -अशोक “प्रवृद्ध”- मानव जीवन ही नहीं, वरन मानवीय चेतना को भी प्रवाहित करने वाली भारतवर्ष की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण नदी राष्ट्र-नदी गंगा देश की प्राकृतिक संपदा ही नहीं, वरन जन-जन की भावनात्मक आस्था का आधार भी है। गंगा निरन्तर गतिशीला और श्रम का प्रतीक है। इसीलिए गंगा को जीवन तत्त्व और जीवन प्रदायिनी कहा गया है […] Read more » Featured पाप-नाशिनी पुण्यसलिला मोक्ष प्रदायिनी राष्ट्रनदी भगवती भगीरथी गंगा सरित्श्रेष्ठा
धर्म-अध्यात्म मां गायत्री है वेदों की जननी May 29, 2015 / May 29, 2015 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- भारत भूमि की यह विशेषता है कि यह भूमि कभी भी संतों, महापुरुषों, देवज्ञों, विद्वानों से खाली नहीं हुई, रिक्त नहीं हुई। स्वामी विवेकानन्द, दयानन्द सरस्वती, रामकृष्ण परमहंस, टैगोर और गांधी सरीखे महापुरुष हमारे आदर्श रहे हैं। उनके कर्म अनुकरणीय हैं। उन्होंने क्या हमारा मार्गदर्शन नहीं किया ? सत्य और अहिंसा का पाठ […] Read more » Featured मां गायत्री मां गायत्री है वेदों की जननी वेद
धर्म-अध्यात्म सत्यार्थ प्रकाश के अनुसार परमेश्वर के तीनों ही लिंगों में हैं नाम May 28, 2015 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -अशोक “प्रवृद्ध”- -जितने ‘देव” शब्द के अर्थ लिखे हों उतने ही “देवी” शब्द के भी हैं – परमात्मा के गुण -कर्म और स्वभाव अनन्त हैं, अतः उसके नाम भी अनन्त हैं | उन सब नामों में परमेश्वर का ‘ओउम्‘ नाम सर्वोतम है, क्योंकि यह उसका मुख्य और निज नाम है, इसके अतिरिक्त अन्य सभी नाम […] Read more » fearured देवी परमेश्वर सत्यार्थ प्रकाश के अनुसार परमेश्वर के तीनों ही लिंगों में हैं नाम