Category: धर्म-अध्यात्म

धर्म-अध्यात्म समाज

“पराधीन भारत में अंग्रेजों की आर्यसमाजियों पर क्रूर दृष्टि के कुछ उदाहरण”

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  मनमोहन कुमार आर्य,  पराधीन भारत में अंग्रेज पादरियों और अधिकारियों की आर्यसमाज के अनुयायियों पर कू्रर दण्डात्मक दृष्टि थी। इसके लगभग 24 उदाहरण आर्यसमाज के विद्वान आचार्य पं. सत्यप्रिय शास्त्री, प्राचार्य, दयानन्द ब्राह्म महाविद्यालय, हिसार ने अपनी पुस्तक ‘भारतीय स्वातन्त्र्य संगाम में आर्यसमाज का योगदान’ में दिये हैं। वह पुस्तक के छठे अध्याय में […]

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“विधवा विवाह के समर्थन में दो सनातनधर्मी पक्षों में हुए शास्त्रार्थ में आर्यसमाजी ठाकुर अमर सिंह एक पक्ष के शास्त्रार्थकर्ता बनाये गये”

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–मनमोहन कुमार आर्य,  सन् 1935 में होशियारपुर, पंजाब में सनातन धर्म के दो पक्षों में विधवाओं के पुनर्विवाह के समर्थन में शास्त्रार्थ होना निश्चित हुआ। सनातन धर्म में विधवा विवाह का निषेध मानने वालों को शास्त्रार्थ के लिए दो विद्वान पं. अखिलानन्द और पं. कालूराम शास्त्री मिल गये पर विधवा विवाह का समर्थन करने वाला […]

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“आर्यसमाज और गुरुकुल”

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  –मनमोहन कुमार आर्य,  आर्यसमाज वेद वा वैदिक धर्म के प्रचार व प्रसार का अद्वितीय व अपूर्व आन्दोलन है जो पूरे संसार के मनुष्यों का कल्याण करना चाहता है। यदि हम विचार करें कि मनुष्यों का सर्वोपरि व प्रमुख धर्म क्या है तो हमें इसका उत्तर यही मिलता है कि परमात्मा ने मनुष्यों को वेद […]

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“गृहस्थ आश्रम सुख का धाम कब होता है?”

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–मनमोहन कुमार आर्य,  हमें मनुष्य जीवन परमात्मा से मिलता है। हमारा परमात्मा सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ, सृष्टि का कर्ता, धर्त्ता व हर्त्ता है। संसार में तीन सत्तायें हैं जिन्हें ईश्वर, जीव व प्रकृति के नाम से जाना जाता है। तीनों सत्तायें अत्यन्त सूक्ष्म है। ईश्वर सर्वातिसूक्ष्म है। ईश्वर जीव व प्रकृति दोनों के भीतर विद्यमान […]

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“विद्यायुक्त सत्य वैदिक धर्म की उन्नति में बाधायें”

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–मनमोहन कुमार आर्य,  वैदिक धर्म संसार का सबसे प्राचीनतम एवं ज्ञान विज्ञान से युक्त प्राणी मात्र का हितकारी धर्म है। यही एक मात्र धर्म है जो मनुष्यों को श्रेष्ठ गुण, कर्म व स्वभाव को धारण करने की प्रेरणा करता है। वैदिक धर्म से इतर हिन्दू, जैन, बौद्ध, ईसाई, मुस्लिम आदि मत-मतान्तर हैं। धर्म श्रेष्ठ गुण–कर्म–स्वभाव […]

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