Category: चुनाव

चुनाव, election

जन-जागरण बच्चों का पन्ना समाज

बिना बाल शिक्षा के देश के उज्जवल भविष्य की कल्पना करना निरर्थक

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वर्तमान में भारत देश में कई जगहों पर आर्थिक तंगी के कारण माँ-बाप ही थोड़े पैसों के लिए अपने बच्चों को ऐसे ठेकेदारों के हाथ बेच देते हैं, जो अपनी सुविधानुसारउनको होटलों, कोठियों तथा अन्य कारखानों आदि में काम पर लगा देते हैं। और उन्हीं होटलों, कोठियों और कारखानों के मालिक बच्चों को थोड़ा बहुत खाना देकरमनमाना काम कराते हैं। और घंटों बच्चों की क्षमता के विपरीत या उससे भी अधिक काम कराना, भर पेट भोजन न देना और मन के अनुसार कार्य न होने पर पिटाईयही बाल मजदूरों का जीवन बन जाता है।

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खेत-खलिहान जन-जागरण पर्यावरण विविधा

हवा की शुद्वता के लिए प्रदूषण के खिलाफ जनान्दोलन छेड़ने की जरूरत

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खेती और किसानों के लिए अहम पराली को संरक्षित करने के बाबत बनाई गई राष्ट्रीय पराली नीति भी राज्य सरकारों के ठेंगा पर दिख रही है। गेहूं, धान और गन्ने की पत्तियां सबसे ज्यादा जलाई जाती है। अधिकृत रिपोर्ट के अनुसार देश के सभी राज्यों को मिलाकर सालाना 50 करोड़ टन से अधिक पराली निकलती है उम्मीदों से भरे प्रदेश उत्तर प्रदेश मे छह करोड़ टन पराली में से 2.2 करोड़ टन पराली जलाई जाती है।

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जन-जागरण विविधा

कैसे बढ़ेंगी पुलिस-पब्लिक की नजदीकियां

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दिल्ली और मुंबई पुलिस ने कुछ बहुत अच्छे प्रयोग किए हैं। जाहिर तौर पर महानगरों की पुलिस ज्यादा संसाधनों से लैस है लेकिन राज्यों में वे प्रयोग दुहराए जा सकते हैं। यह बात निश्चित है कि धटनाएं रोकी नहीं जा सकतीं किंतु एक बेहतर पुलिसिंग समाज में संवाद और भरोसे का निर्माण करती है। यह भरोसा बचाना और उसे बढ़ाना आज के पुलिस तंत्र की जिम्मेदारी है। यहां यह भी जोड़ना जरूरी है कि मीडिया के तमाम अवतारों और प्रयोगों के बाद भी व्यक्तिगत संपर्कों और व्यक्तित्व का महत्व कम नहीं होगा।

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