पर्यावरण ‘‘प्रकृति का प्रतिशोध है या मौत की बारिश’’ June 28, 2013 / June 28, 2013 by विजन कुमार पाण्डेय | 1 Comment on ‘‘प्रकृति का प्रतिशोध है या मौत की बारिश’’ भगवान भोले नाथ बड़े भोले हैं, लेकिन जब उनका गुस्सा फूटता है तो सर्वनाश होता है। देवभूमि उत्तराखंड में आई भयंकर प्राकृतिक आपदा को इसी गुस्से के प्रतीक रूप में देखने की जरूरत है। यह भूक्षेत्र प्राकृतिक संपदा से भरा पड़ा है। लेकिन जिस प्रकार से उत्तराखंड विकास की अग्रिमपंति में आ खड़ा हुआ था। […] Read more » ‘‘प्रकृति का प्रतिशोध है या मौत की बारिश’’
पर्यावरण प्राकृतिक आपदा ऐसे ही नहीं आती June 26, 2013 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on प्राकृतिक आपदा ऐसे ही नहीं आती विपिन जोशी, उत्तराखंड उत्तराखंड में बीते सप्ताह कुदरत का जो क़हर टूटा उसकी कल्पना किसी ने भी नहीं की थी। तबाही का ऐसा खौ़फनाक मंजर पहले नहीं देखा गया। हांलाकि 1970 में चमोली जिले में गौनाताल में बादल के फटने से डरावने हालात बन गये थे, लेकिन इस प्रकार की क्षति नहीं हुई थी क्योंकि […] Read more »
पर्यावरण उत्तराखण्ड में हाहाकार ..!.कौन है इसका जिम्मेदार …? कौन सुनेगा पीड़ितों की पुकार …? June 24, 2013 by श्रीराम तिवारी | 4 Comments on उत्तराखण्ड में हाहाकार ..!.कौन है इसका जिम्मेदार …? कौन सुनेगा पीड़ितों की पुकार …? आदिकाल या पाषाण युग या हिमयुग से या सभ्यता के उदयकाल से ही जिसने-आग, हवा , पानी, आकाश और बुद्धि की प्रबलता को स्वीकार किया था वो ‘मानव’ ‘इंसान’- जगतीतल के समस्त प्राणियों में सबसे चालाक और मेधा शक्तिसंपन्न होने से प्रकृति का सबसे बड़ा दोहनकर्ता , उपभोगकर्ता एवं विनाशकर्ता था , उसीने गाँव ,नगर […] Read more » उत्तराखण्ड में हाहाकार ..!.कौन है इसका जिम्मेदार ...? कौन सुनेगा पीड़ितों की पुकार ...?
पर्यावरण आधुनिक विकास की देन है, देवभूमि आपदा June 22, 2013 / June 22, 2013 by प्रमोद भार्गव | 5 Comments on आधुनिक विकास की देन है, देवभूमि आपदा भगवान भोले नाथ का गुस्सा,प्रतीक रूप में मौत के ताण्डव नृत्य में फूटता है। देवभूमि उत्तराखंड में आई भयंकर प्राकृतिक आपदा को इसी गुस्से के प्रतीक रूप में देखने की जरूरत है। इस भूक्षेत्र के गर्भ में समाई प्राकृतिक संपदा के जिस दोहन से उत्तराखंड विकास की अंग्रिम पांत में आ खड़ा हुआ था,वह विकास […] Read more » आधुनिक विकास की देन है देवभूमि आपदा
पर्यावरण प्रकृति के प्रहार को जरा समझिए June 22, 2013 by अरविंद जयतिलक | 4 Comments on प्रकृति के प्रहार को जरा समझिए उत्तराखंड में कुदरत का कहर प्रकृति से खिलवाड़ का नतीजा है। वनों की अंधाधुंध कटाई और नदियों के कोख को लहूलुहान करने का घातक परिणाम है। इस प्रतिकार ने देवभूमि उत्तराखंड समेत समूचे मानवता को हिलाकर रख दिया है। कुदरत के कहर से रामबाड़ा और गौरीकुंड का अस्तित्व मिट गया है। हजारों साल पुराना केदारनाथ […] Read more » प्रकृति के प्रहार को जरा समझिए
पर्यावरण भूमंडल का बढ़ता तापमान और हम June 20, 2013 by निर्मल रानी | Leave a Comment पूरे विश्व में जि़म्मेदार लोग विशेषकर वैज्ञानिक वर्ग इस बात को लेकर गत एक दशक से बेहद चिंतित दिखाई दे रहे हैं कि पृथ्वी का तापमान अर्थात् ग्लोबल वॉर्मिंग में दिनोंदिन इज़ाफ़ा होता जा रहा है। वैज्ञानिकों की चेतावनी तथा उनकी भविष्यवाणी के अनुसार इस भूमंडल के बढ़ते तापमान के दुष्परिणाम भी तेज़ी से सामने […] Read more » भूमंडल का बढ़ता तापमान और हम
पर्यावरण विश्व में त्वचा कैंसर के फैलने की प्रबल आशंका June 6, 2013 / June 6, 2013 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment एक आंकलन के अनुसार अगले 50 वर्षों में ओजोन परत में हो रहे निरंतर क्षरण के कारण विश्व में त्वचा कैंसर के फैलने की प्रबल आशंका है। पर्यावरणविदों ने इस कैंसर के फैलने की आशंका शीतोष्ण जलवायु के उन क्षेत्रों में सबसे अधिक मानी है, जहां ओजोन की परत पतली है, स्पष्ट है यूरोपीय देश […] Read more » विश्व में त्वचा कैंसर के फालने की प्रबल आशंका
चिंतन पर्यावरण पर्यावरण रक्षा सर्वोपरि फर्ज प्रकृति नहीं तो सब है बेकार June 5, 2013 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment हमारे पास सब कुछ है लेकिन पर्यावरणीय सौन्दर्य नहीं है तो सारे संसाधन, भौतिक संपदा और जीवन व्यवहार सब निरर्थक है। प्रकृति के खुले आँगन में रहते हुए जिन तत्वों और नैसर्गिक ऊर्जाओं के निरन्तर पुनर्भरण की प्रक्रिया अहर्निश चलती रहती है वही वस्तुतः जीवन है। इसके अलावा जो कुछ है सब जड़ है। प्रकृति […] Read more » पर्यावरण रक्षा सर्वोपरि फर्ज प्रकृति नहीं तो सब है बेकार
पर्यावरण लेख हिमालय के परिधि में भूकम्प का खतरा बरकरार बचने हेतु धार्मिक उपाय हेतु लोग मजबूर June 4, 2013 by मनोज श्रीवास्तव 'मौन' | 1 Comment on हिमालय के परिधि में भूकम्प का खतरा बरकरार बचने हेतु धार्मिक उपाय हेतु लोग मजबूर भारत के विशाल भूखण्ड में हिमालय की बहुत ही अहम भूमिका है, जिसके आधार पर यह राष्ट्र विश्व में आकर्षक राष्ट्र के रूप में प्रसिद्ध है। पर्यावरण के दृष्टि से यदि देखा जाए तो उत्तरीय भाग में हिमालय का अंशदान पर्यावरण के एक विराट संरक्षक का है। वहीं पर दक्षिण भाग में कम ऊंचे परन्तु […] Read more » हिमालय के परिधि में भूकम्प का खतरा बरकरार बचने हेतु धार्मिक उपाय हेतु लोग मजबूर
पर्यावरण रिहाईशी क्षेत्रों को ज़हरीला बनाते रसायनयुक्त उद्योग May 10, 2013 / May 10, 2013 by निर्मल रानी | Leave a Comment निर्मल रानी भोपाल गैस त्रासदी को अभी देश भूल नहीं पाया है। और उस त्रासदी से पीड़ित परिवारों के लोगों की तो आने वाली नस्लें उसके दुष्प्रभावों का अभी तक सामना कर रही हैं। यूनियन कार्बाईड नामक उस केमिकल फैक्ट्री में हुए हादसे में हज़ारों लोग मारे गए थे और लाखों लोग आज तक प्रभावित […] Read more » ज़हरीला बनाते रसायनयुक्त उद्योग
पर्यावरण वायु प्रदूषण के गंभीर खतरे के बीच हमारा जीवन April 14, 2013 / April 14, 2013 by मिलन सिन्हा | 1 Comment on वायु प्रदूषण के गंभीर खतरे के बीच हमारा जीवन मिलन सिन्हा गाँव छोड़ कर लोग लगातार शहरों में आ रहे हैं।शहरों पर बोझ बढ़ रहा है। शहर में बुनियादी सुविधाएँ पहले ही नाकाफी थी, अतिरिक्त जनसँख्या के दवाब में तो अब हालत और भी खस्ता हो गई है। सुबह हो या शाम, घर से बाहर निकल कर सड़क पर आते ही आपको हर छोटे […] Read more » वायु प्रदूषण के गंभीर खतरे के बीच हमारा जीवन
पर्यावरण कराहती सई April 8, 2013 by राघवेन्द्र कुमार 'राघव' | Leave a Comment राघवेन्द्र कुमार ‘राघव’ ‘सई उतरि गोमती नहाये, चौथे दिवस अवधपुर आये’।। श्रीराम की वनवास यात्रा में उत्तर प्रदेश की जिन पांच प्रमुख नदियों का जिक्र है, उनमें से एक है – सई । पुराणों में इसे आदि गंगा कहा गया है । शेष चार नदियां हैं – गंगा, गोमती, सरयू और मंदाकिनी […] Read more » कराहती सई