विविधा विश्ववार्ता एनसीआर में आ रहे बार-बार के भूकम्प के झटके कहीं किसी महाविनाश का संकेत तो नहीं May 15, 2020 / May 15, 2020 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment देश की राजधानी दिल्ली में पिछले 30 दिनों में चार बार भूकंप के झटके अनुभव किए गए हैं । भूगर्भीय हलचलों के विशेषज्ञ इस प्रकार के बार-बार के झटकों को किसी बड़ी आपदा का संकेत भी माना करते हैं । जहां तक दिल्ली की बात है तो यह भूकंप संभावित क्षेत्रों के सबसे अधिक खतरनाक […] Read more » एनसीआर में बार-बार के भूकम्प के झटके भूकम्प के झटके महाविनाश का संकेत
विविधा विश्ववार्ता कोरोना मुक्ति के लिये मंत्र-साधना अनुष्ठान May 15, 2020 / May 15, 2020 by आचार्य डाॅ. लोकेशमुनि | Leave a Comment – आचार्य डाॅ.लोकेशमुनि-कोरोना महामारी से मुक्ति एवं विश्व शांति के लिये मंत्र साधना एक कारगर उपक्रम है। भारतीय संस्कृति में मंत्र शक्ति का विशिष्ट स्थान है। मंत्र साधना के द्वारा न केवल आत्मिक जागरण किया जा सकता है बल्कि कोरोना प्रकोप एवं कहर पर भी नियंत्रित स्थापित किया जाना भी संभव है। यही कारण है कि […] Read more » corona salvation Mantra-cultivation rituals Mantra-cultivation rituals for corona salvation कोरोना मुक्ति मंत्र-साधना अनुष्ठान
विश्ववार्ता जीवन के सबक सिखाता कोरोना काल May 9, 2020 / May 9, 2020 by दीपक कुमार त्यागी | Leave a Comment दीपक कुमार त्यागीकोरोना से बचाव के लिए देश में लॉकडाउन 3 का समय चल रहा है, भयानक वैश्विक आपदा के तौर पर पूरी दुनिया के सामने एकाएक आए कोरोना वायरस संक्रमण ने आज हम लोगों को जिंदगी के बेहद कटु व अच्छे अनमोल सबक सीखने पर मजबूर कर दिया है। कोरोना वायरस के संक्रमण से […] Read more »
विश्ववार्ता “भूख और भय से भागे हैं – भुखमरी और मजबूरी से बापसी होगी “ May 8, 2020 / May 8, 2020 by डॉ देशबंधु त्यागी | 1 Comment on “भूख और भय से भागे हैं – भुखमरी और मजबूरी से बापसी होगी “ ओद्योगिक नगरो और महानगरों से मजदूर अपने मूल घरों और स्थानों को क्यों भाग रहे हैं ? प्रथम लॉक डाउन के आरंभ में एक हिंदी डेली में मैंने लिखा था कि ” भारत कोरोना से भी जीत सकता है बशर्ते…। देश सामान्य खाद्यान सप्लाई सेना के हाथ में दे दे। मध्य्यम वर्ग 15 दिन और […] Read more » भुखमरी और मजबूरी
विश्ववार्ता वर्ण व्यवस्था, योग साधना व विश्व प्रबंधन! May 4, 2020 / May 4, 2020 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment यदि हम अष्टांग या राजाधिराज योग का पालनकरें और आध्यात्मिक साधना करें तो कर्म काण्ड कीआवश्यकता नहीं पड़ेगी। जो जीवन गुण-धर्म तब हम अपनाएँगे वह सहज, सामयिक, ज्ञान विज्ञान युक्त वतर्क संगत होंगे। कुछ नया होने लगेगा या जो सही हो रहा था वह युक्ति पूर्ण लगने लगेगा! तब हम वर्ण व्यवस्था के व्यूह से निकल ध्यान कर ‘द्विज’(द्वितीय या पुन: जन्मे) अवस्था में आजाएँगे। समाधिसे परे जाकर हम ‘सद्विप्र’ (सद्+विप्र = सच्चे विशुद्ध प्रिय= आध्यात्मिक व्यक्ति) बन जाएँगे। तब ब्राह्मण, वैश्य, क्षत्रिय व शूद्र एवं समस्त विश्व वासी मानव, जीव जन्तु व वनस्पति ही नहीं पंचभूत भी हमेंअनायास गद् गद् हो विशुद्ध स्नेह करने लगेंगे और हम उन्हें! उस मनःस्थिति में पहुँच हम अपनी तथा-कथित स्वनिर्मित सीमाओं से परे जाकर समस्त मानव व भूमा समाजको अन्त: करण से प्रेम करपाएँगे और तत्क्षण उनका भी भरपूर सहयोग व समर्पण हम अपने इन्हीं चक्षुओं सेदेख व चख सकेंगे! ज़रूरत है अपने चित्त को साध दृष्टि भाव ब्रहत्, महत व ब्रह्म-भाव वत कर लेने की! वर्ण व्यवस्था से प्रत्येक वर्ण पीड़ित व शोषित है। पर यह सब संघर्ष हमारे अपने मन की जड़ताया मोहावस्थाके कारण ही है। यदि हम योग, तंत्र व समाधि से ऊपर की अपनी ईश्वरीय अवस्थाओं में पहुँच जाएँगे तो हमेंसृष्टि प्रबंधन का अधिकार व उत्तरदायित्व मिल जाएगा। तब हमारी सारी सोच, झेंप, झिझक, शिकायत यादोषारोपण की प्रवृत्ति अथवा अकड़, अहंकार व पर-पीड़न की वृत्ति हमारे मन में में ठहर नहीं पाएगी। तब सब व्यक्ति, वर्ण व व्यवस्थाएँ और उनकी अवस्थाएँ व सीमाएँ हमें व्यथित व आहत नहीं करेंगी! हम उनकीसेवा व सहभागिता करने दौड़ पड़ेंगे। तब उनके लड़खड़ाते चरण हम कृष्ण बन उन्हें सुदामा-सरिस मित्र समझचूमना चाहेंगे! मानव व जीव समाज के विकसित, व्यवस्थित व तरंगित होने में लाखों वर्ष लग गए हैं! उनके इतिहास का एकएक पल यद्यपि उल्लेखनीय, गौरवपूर्ण व संग्रहण योग्य है पर उस इतिहास की पीड़ा, क्रीड़ा व संवेदना मेंसबको सब समय उलझना उचित नहीं होगा! उससे सीख समझ कर आगे बढ़ हमें अपना इतिहास बनाना उचितव उपयोगी होगा! हमारे साथ जो अच्छा हुआ उसे याद रखें। जो कोई अज्ञान वश या संकुचित भाव वश कुछ समुचित नहीं करपाए, उन्हें अपने ईश्वरीय भाव सेक्षमा करते हुए आगे बढ़ जाएँ। सम्भव है अब वभी वैसे नहीं रहे जैसे पहले थे! हम भी तो प्रति पल बदल रहे हैं। अब हम अपने उत्क्रष्ट भाव से उन्हें आध्यात्मिक भाव तरंग दे बदल भी सकतेहैं! आवश्यक हो तो परम पुरुष से ध्यान में शिकवे शिकायत भी कर सकते हैं! जब हम सद्विप्र होगए तो उनके भी वरेण्य होगएऔर वे भी हमें पूज्य भाव से देखने लगे! तब द्वैतव द्वेष कहाँरहा! वस्तुतः यह परिवर्तन, परिमार्जन व परिष्कार हमारे अन्त:करण में हुआ या होना है और जगत (जोहमारे आसपास चल रहा है या परिलक्षित है) हमारी छाया मात्र है! जैसे हम होंगे वैसा ही जग हमारे इर्द गिर्द निर्मितहोगा। हम बदल जाएँ तो वह भी वैसा नहीं रहेगा! हमारा मन छोटा है तो हमारा सोच, विचार, परिकल्पना, धारणा, योजना, कार्य प्रणाली, व्यवहार, आकाँक्षा, अभिलाषा, अपेक्षा, आदि सब क्षत विक्षत, दीन हीन, संकीर्ण व सीमित हैं! यदि आत्म ईश्वरीय स्वरूप इख़्तियार कर ले तोसारा विश्व उसके आधीन हो कार्य करने लगता है! पर तब हमअपने ब्रह्माण्ड के हर पिण्ड व अण्ड की सेवा करने, सृष्टि प्रबंधन करने व सब कुछ अर्पण समर्पण कर अपनेपूरे मनोयोग व आत्म- योग से युक्त जहाँ कहीं हैं वहीं से ओत प्रोत योग में समाहित हुए व्यस्त हो जाते हैं! यह मात्र सिद्धान्त या दर्शन की बात नहीं है। प्रयोगात्मक सार्वभौमिक सत्य है। अनन्त ईश्वरीयसत्ता से संभूतप्राण हर काल, हर देश में, हर पात्र के साथ विश्व रंगमंच पर लीला करते रहे हैं, कर रहे हैं व करते रहेंगे! आवश्यकता है उन्हें समझने की, उनके जैसे बनने व उनसे भी बेहतर कार्य करने की! बस छोटा सा काम करना है, योग साधना व ध्यान सीख उसका अभ्यास करना है! इसके लिए मात्र मानव देहहोना पर्याप्त है और कुछ नहीं चाहिए! वैसे अन्य प्राणी भी साधना करते हैं पर मनुज रूप में यह करना ज़्यादाआसान है। हम अपना मन बनायें तो दीक्षा देने वाले स्वयं आ जाएँगे! तो बात बस अपना मन बनाने की है। शेषसब हो जाएगा! वे हर घड़ी अपनी विश्व व्यवस्था हमारे हाथ में थमा हमें निदेशक, व्यवस्थापक, प्रबंधक, परिचालक, इत्यादिपदों पर प्रतिष्ठित व सुशोभित करना चाहते हैं! हम सबका सदा स्वागत है! ✍? गोपाल बघेल ‘मधु’ Read more » Varna system yoga practice and world management
विश्ववार्ता कोरोना के दौरान राक्षसी आतंक May 4, 2020 / May 4, 2020 by डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Leave a Comment डॉ. वेदप्रताप वैदिक कोरोना महामारी से सारी दुनिया के साथ-साथ भारत और पाकिस्तान भी, दोनों ही परेशान हैं लेकिन इस भयंकर संकट के दौरान कश्मीर के हंडवाड़ा में जो आतंकवादी घटना हुई है, उससे अधिक शर्मनाक और दुखद क्या हो सकता है ? हमारे टीवी चैनल बता रहे हैं कि इन आतंकियों का सरगना हैदर […] Read more » Demonic terror attack during corona आतंक
विश्ववार्ता हास्य कोरोना मुक्ति का सशक्त माध्यम May 2, 2020 / May 2, 2020 by ललित गर्ग | Leave a Comment विश्व हास्य दिवस- 3 मई 2020 पर विशेष-ललित गर्ग –विश्व हास्य दिवस विश्व भर में मई महीने के पहले रविवार को मनाया जाता है और इस वर्ष कोरोना महामारी के बीच जन-जन में व्याप्त तनाव, परेशानी एवं मानसिक असंतुलन के बीच इस दिवस का विशेष महत्व है। हास्य सकारात्मक और शक्तिशाली भावना है जिसमें व्यक्ति […] Read more » Humorous Corona is a powerful medium of liberation कोरोना मुक्ति
विश्ववार्ता कहां है गांधीजी के ‘सर्वांगीण विकास’ का सपना? May 2, 2020 / May 2, 2020 by केवल कृष्ण पनगोत्रा | Leave a Comment शिक्षा व्यवस्था: *केवल कृष्ण पनगोत्रा शिक्षा क्या है? महात्मा गांधी ने शिक्षा को लेकर अपनी परिभाषा में मनुष्य के ‘सर्वांगीण विकास’ पर विशेष तौर पर बल दिया है। सच भी है, मानव का सर्वांगीण विकास ही उसे मात्र भौतिक, आर्थिक तथा औपचारिक प्रगति से तनिक हट कर बंधुत्व भाव, क्षमा, त्याग, परोपकार जैसी भावनाओं से […] Read more » Where is Gandhijis dream of all-round development गांधीजी सर्वांगीण विकास का सपना
टेक्नोलॉजी टॉप स्टोरी विश्ववार्ता क्या गुल खिलाएगा जियो, फेसबुक से मिलकर! April 30, 2020 / April 30, 2020 by ललित गर्ग | Leave a Comment लिमटी खरे भारत देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी वैसे तो बीएसएनएल है पर अंबानीज की जियो ने इसे भी कई मायानों में पछाड़ दिया है। जियो और दुनिया की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी फेसबुक के बीच हुए व्यापारिक करार से अब तरह तरह की बातों का बाजार भी गर्माता दिख रहा है। आज के […] Read more » facebook and jio जियो और फेसबुक गठबंधन फेसबुक के साथ रिलायंस जियो
टॉप स्टोरी विविधा विश्ववार्ता कोरोना के चलते फल-फूल व सब्जी पैदा करने वाले किसान परेशान April 29, 2020 / April 29, 2020 by दीपक कुमार त्यागी | Leave a Comment दीपक कुमार त्यागीदेश में कोरोना संक्रमण से बचने के लिए लॉकडाउन टू का पीरियड़ चल रहा है, मानव सभ्यता पर आये खतरे को समाप्त करने के लिए सभी लोगों की हालात ये है कि उनकी रोजमर्रा की जिंदगी न तो पटरी पर ठीक ढंग से चल रही है और न ही कोई काम-धंधा व्यापार चल […] Read more » Farmers who grow fruits and flowers due to Corona are upset कोरोना फल-फूल व सब्जी पैदा करने वाले किसान परेशान
विश्ववार्ता कोरोना कहर ने बदल दी सोच एवं संवेदनाएं April 29, 2020 / April 29, 2020 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ः ललित गर्ग:-हम कोरोना महासंकट में बदलाव के अनेक स्वरूप उभरते हुए देख रहे हैं, सबसे बड़ा बदलाव यह देखने में आ रहा है कि अब हमारा राष्ट्रीय चरित्र बनने लगा है। जनसंख्या की दृष्टि से विश्व का दूसरा सबसे बड़ा और लोकतंत्र व्यवस्था में सबसे बड़ा राष्ट्र, कोरोना महामारी को नियंत्रित करने में अब […] Read more » Corona Kahar changed thinking and feelings कोरोना कहर
विश्ववार्ता भाऊराव देवरस न्यास के सेवा-प्रकल्प की इबारत April 26, 2020 / April 26, 2020 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ः ललित गर्ग:-कोरोना महासंकट एवं महामारी के इस विषम दौर में आज आवश्यकता है आदमी और आदमी के बीच सम्पूर्ण अन्तर्दृष्टि और संवेदना के सहारे सह-अनुभूति की भूमि पर पारस्परिक संवाद की, सेवा एवं परोपकार की, मानवीय मूल्यों के पुनस्र्थापना की, सेवा क्रांति की। आवश्यकता है कि राष्ट्रीय अस्मिता के चारों ओर लिपटे अंधकार के […] Read more » Talk about service of Bhaurao Deoras Trust भाऊराव देवरस न्यास