लेख विश्ववार्ता महर्षि व युग-ऋषि के कथन का क्रियान्वयन May 25, 2020 / May 25, 2020 by मनोज ज्वाला | Leave a Comment मनोज ज्वाला इन दिनों सम्पूर्ण देश-दुनिया में कॉरोना-वायरस की महामारी सेउत्त्पन्न हालातों के कारण भय व संशय का वातावरण बनता जा रहा है । कितुवास्तव में यह तो नवसृजन से पहले की अपरिहार्यताओं का क्रियान्वयन […] Read more » कॉरोना-वायरस की महामारी युग-ऋषि श्रीराम शर्मा आचार्य स्वतंत्रता सेनानी महर्षि अरविन्द
विश्ववार्ता समाज करोना संकट ने दिखाई गरीबी की भयावहता May 23, 2020 / May 23, 2020 by केवल कृष्ण पनगोत्रा | 2 Comments on करोना संकट ने दिखाई गरीबी की भयावहता केवल कृष्ण पनगोत्रा भारत में गरीबी की दशा कितनी भयावह है? इस सवाल के जवाब में सरकारी आंकड़े और आंकलन चाहे जो भी हों, मगर करोना से उठे राष्ट्रव्यापी संकट ने वास्तविकता से हमारा साक्षात्कार करा दिया। कोरोना वायरस संकट में देशव्यापी लॉकडाउन ने भारत में गरीबों और निम्न मध्यवर्ग की वास्तविक स्थिति को […] Read more » corona crisis showed the horrors of poverty horrors of poverty करोना संकट गरीबी की भयावहता
राजनीति विश्ववार्ता दुनिया में भारत की बढ़ती प्रतिष्ठा May 23, 2020 / May 23, 2020 by इ. राजेश पाठक | Leave a Comment पिछले दिनों टीवी चेनल पर स्वास्थ मंत्रालय से जुड़े एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी से बड़ी उल्लेखनीय बात सुननें को मिली. ‘दुनिया भर में कोरोना से निपटनें के लिए वेक्सीन पर रिसर्च चलनें की खबरें आ रहीं हैं. क्या भारत भी इस होड़ में शामिल है?’ – ये पूछने पर एंकर को जवाब देते हुए […] Read more » दुनिया में भारत की बढ़ती प्रतिष्ठा भारत की बढ़ती प्रतिष्ठा
लेख विश्ववार्ता भारतीय गोरैया पक्षी : खुद में ऐतिहासिक कथा बनती जा रही ! May 23, 2020 / May 23, 2020 by डॉ. सदानंद पॉल | Leave a Comment ■ डॉ. सदानंद पॉल हे फुतकी गोरैया ! गोरैया पक्षी (Sparrow Birds) की एक युगल जोड़ी सप्ताह में एक दिन कहीं से उड़ मेरे आंगन आती हैं । मेरे यहाँ कबूतर है, सोचा– वे भी कहीं न कहीं घोंसले बनाकर टिक जाएंगी । परंतु नहीं, वह कबूतर को दिए चावल के दाने चुन फुर्र उड़ […] Read more » भारतीय गोरैया पक्षी
विश्ववार्ता प्रवासी मज़दूर या मजबूरियाँ प्रवासी May 22, 2020 / May 22, 2020 by अजय जैन ' विकल्प ' | Leave a Comment ✍? *डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’* चिलचिलाती धूप और तेज़ पड़ती गर्मी, कराहती धरती और उस पर चलते भारत के नवनिर्माता के पाँव में होते छाले, नंगे पैर अपनी मजबूरियों की गठरी सिर पर बाँधे, हाथ में अपने भविष्य की रोटी यानी अपने बच्चों और पत्नी या परिवार को साथ लेकर निकलने वाला, वो एक कहानी […] Read more » प्रवासी मज़दूर
विश्ववार्ता कोरोना महामारी और भारत May 19, 2020 / May 19, 2020 by सुरेन्द्र नाथ गुप्ता | Leave a Comment आज कोरोना के कहर से सम्पूर्ण विश्व त्राहि त्राहि कर रहा है| यह एक अभूतपूर्व संकट है क्योंकि इससे पहले किसी भी महामारी ने एक साथ दुनिया के इतने बड़े भूभाग को त्रस्त नहीं किया है जितना कोरोना ने| भारत भी इससे अछूता नहीं है| अब तक विश्व के लगभग 194 देश कोरोना वायरस की […] Read more » Corona epidemic Corona epidemic and india कोरोना महामारी
विश्ववार्ता कोरोना महामारी: चुनौतियाँ और अवसर May 19, 2020 / May 19, 2020 by सुरेन्द्र नाथ गुप्ता | Leave a Comment आज विश्व के लगभग सभी देश कोविड-19 वायरस की चपेट में हैं | कोरोना वायरस भयंकर महामारी बन चुका है | वर्तमान चिकित्सा जगत के पास इसका न कोई उपचार है और न कोई टीका | प्रतिदिन मौतों का आंकडा बढ़ता ही जा रहा है | इस संक्रमण को रोकने का एक ही उपाय है- […] Read more » Challenges during corona Corona Epidemic: Opportunities during corona कोरोना महामारी
विश्ववार्ता समाज 21वीं सदी में ‘बचपन’ May 17, 2020 / May 17, 2020 by डा. प्रदीप श्याम रंजन | Leave a Comment डा. प्रदीप श्याम रंजन 21वीं सदी अपनी पूरी शक्ति से गतिमान है और इस वेग के बहाव में कई चीजें चाहे-अनचाहे अपना स्वरुप परिवर्तित कर रही हैं. संकुचित परिवार, ब्यस्त माता-पिता, ब्यस्तता से उपजा समयाभाव और समयाभाव की आभासी प्रतिपूर्ति करते तकनीकी साधनों पर अतिनिर्भरता के फलस्वरुप बचपन की एक विश॓ष किस्म विकसित होती जा […] Read more » 21वीं सदी में ‘बचपन’
विश्ववार्ता जो मुसलमान इनको कहे वह मेरी नज़रों में इंसान नहीं है May 17, 2020 / May 17, 2020 by तनवीर जाफरी | 1 Comment on जो मुसलमान इनको कहे वह मेरी नज़रों में इंसान नहीं है तनवीर जाफ़री कोरोना वायरस ने पूरे विश्व के समक्ष अस्तित्व का संकट खड़ा कर दिया है। ख़ास तौर पर पिछले दिनों जब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने साफ़ शब्दों में चेतावनी दे दी कि संभव है कि कोरोना वायरस संसार से कभी ख़त्म ही ना हो,इसकी भयावहतः और भी पुख़्ता हो गयी। इस चेतावनी के आते ही विशेषज्ञों ने यह कहना शुरू कर दिया कि पूरी दुनिया में इस महामारी की वजह से मानसिक स्वास्थ का संकट भी पैदा हो जाएगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानसिक स्वास्थ्य विभाग की एक अन्य रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र को एक और ख़तरनाक संकट को लेकर आगाह किया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानसिक स्वास्थ्य विभाग की निदेशक के अनुसार इस समय पूरी दुनिया में छाया अकेलापन, भय, अनिश्चितता तथा आर्थिक रूप से होने वाली उथल-पुथल आदि बातें मनोवैज्ञानिक परेशानी का सबब बन सकती हैं.उन्होंने आगाह किया कि बच्चों, युवाओं यहां तक की स्वास्थ्य कर्मियों में भी मानसिक कमज़ोरी पाई जा सकती है। गोया मानव के समक्ष एक ऐसा प्रलय रुपी संकट आ चुका है कि बड़े से बड़े वैज्ञानिक,रणनीतिकार,शासक,प्रशास अफ़लातून सभी फ़िलहाल असहाय बने हुए है। स्वयंभू भगवान व उनके ईश्वर-अल्लाह के स्वयंभू एजेंट अपनी जानें बचाते फिर रहे हैं। बड़े बड़े ‘धर्मउद्योग ‘ ठप्प पड़े हुए हैं। इसी बीच महामारी की इस घड़ी में सड़कों पर इंसानियत का एक ऐसा जज़्बा उमड़ता दिखाई दे रहा है जो पहले कभी नहीं देखा गया। ग़रीब- अमीर हर शख़्स अपनी सामर्थ्य के अनुसार एक दूसरे की मदद करता नज़र आ रहा है। कोरोना से प्रभावित लगभग सभी देशों में सामुदायिक भोजनालय चल रहे हैं। जगह जगह रक्तदान शिविर लगाकर बीमारों को स्वस्थ करने के प्रयास किये जा रहे हैं। प्रकृतिक क़हर के इस संकट में दुनिया धर्म जाति के भेद भुला कर इंसानियत का प्रदर्शन कर रही है और ईश्वर-अल्लाह से पनाह मांग रही है। परन्तु ठीक इसके विपरीत कुछ शक्तियां ऐसी भी हैं जिन्होंने राक्षस या शैतान होते हुए भी दुर्भाग्यवश मानव का केचुल ओढ़ रखा है। ये स्वयं को अल्लाह वाले और मुसलमान भी बताते हैं। इतना ही नहीं बल्कि सिर्फ़ अपनी विचारधारा को ही इस्लामी विचारधारा बताते हैं। शरीया का स्वयंभू रूप से ठेका भी इन्हीं राक्षसों ने लिया हुआ है। वैसे तो कभी तालिबान तो कभी अलक़ायदा तो कभी आई एस व इन जैसे कई चरमपंथी संगठनों ने बर्बरता के कई ऐसे अध्याय लिखे हैं जिनसे मानवता कांपती रही है। परन्तु गत 12 मई मंगलवार को अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी क़ाबुल में चरमपंथियों द्वारा बर्बरता की वह भयानक इबारत लिखी गयी जिसे युद्ध अपराध का दर्जा देना भी पर्याप्त नहीं। रमज़ान के पवित्र महीने में इन दरिंदों ने काबुल के एक मैटरनिटी हॉस्पिटल पर ऐसा हमला किया जिसमें 24 लोगों की जानें चली गयीं । मरने वालों में ज़्यादातर नवजात बच्चे प्रसूता माताएं और अस्पताल की डॉक्टर व नर्सों समेत कई अन्य लोग शामिल हैं। जिस समय ये राक्षस इन निहत्थे बेगुनाहों पर गोलीबारी कर रहे थे ठीक उसी समय एक मां अपने बच्चे को जन्म दे रही थी। उस मां की मनोस्थिति का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। जिनके नवजात बच्चे इस दुनिया में साँस लेते ही चरमपंथियों की गोलियों का शिकार होकर चिथड़े चिथड़े हो गए उनपर क्या बीती होगी ? इसके पहले भी यह निर्दयी विचारधारा स्कूलों अस्पतालों पर हमले चुकी है। पढाई लिखाई,आत्मनिर्भरता,जागरूकता,जैसी बातें तो इन धर्मांधों को तो रास आतीं। मस्जिदों में नमाज़ियों व दरगाहों व धार्मिक जुलूसों में अक़ीदतमंदों पर हमले करना तो मानो इनकी फ़ितरत में शामिल हो चुका है। कुछ समय तक इन ख़बीसों की अफ़ग़ानिस्तान में हुकूमत का वह दौर पूरी दुनिया ने देखा है जब यह इंसानी दुशमन मनमाने तरीक़े से लोगों को सार्वजनिक रूप से सज़ाएं देकर समाज में दहशत का माहौल पैदा करते थे।आज अफ़ग़ानिस्तान सहित कई जगहों पर इन चरमपंथियों के चलते आम नागरिकों को जिन हालात का सामना करना पड़ रहा है वह बेहद चिंतनीय है। पूरे उदारवादी मुस्लिम जगत को किसी भी दशा में इनका न केवल मुक़ाबला करना होगा बल्कि इनके संरक्षकों,इनके स्रोतों व इनके हमदर्दों सभी को बेनक़ाब करना होगा। मैटरनिटी हॉस्पिटल पर हमला कर महिलाओं और नवजात बच्चों का क़त्ल करना इससे निर्दयी व दुखदायी घटना और क्या हो सकती है? कौन सा धर्म किस धर्म का अल्लाह या ईश्वर कौन सा धर्मग्रन्थ उन बच्चों की हत्या को सही ठहरा सकता है कि जो मासूम हैं और जिन्होंने अभी अपने जीवन की चंद साँसें ही ली हैं ? आज इन्हीं कमबख़्तों की वजह से इस्लाम से जन्मज़ात नफ़रत करने वाले लोग इस्लाम का मज़ाक़ ऐसी ही घटनाओं का हवाला देकर यही कहकर उड़ाते हैं कि क्या यही है ‘ शांति और अमन का मज़हब’? इन सपोलों ने यह भी नहीं सोचा कि एक तो यह रमज़ान का पवित्र महीना था दूसरे हमले का दिन हज़रत अली की शहादत का दिन था।हज़रत अली को तो ये राक्षस अपना चौथा ख़लीफ़ा मानते हैं। कम से कम हमले के दिन हज़रत अली की शहादत और उनके चरित्र को ही याद कर लेते? हज़रत अली के सामने जब उनके हत्यारे को पेश किया गया था तो उन्होंने अपने बेटे से कहा कि था ‘कि यह प्यासा है,इसे पानी पिलाओ’। इस्लामी महापुरुषों के जीवन की कोई कारगुज़ारी ऐसे हमलों को जाएज़ नहीं ठहरा सकती। यह नीतियां साफ़ तौर से हज़रत अली के हत्यारे इब्ने मुल्जिम व करबला के बदकिरदार यज़ीद से प्रेरित नज़र आती हैं ।क्योंकि वे सभी नमाज़ी भी थे,ला इलाह के झंडाबरदार भी थे और कलमागो भी थे। आज ख़ून की होलियां खेलने वाले ये राक्षस भी उन्हीं का अनुसरण करते दिखाई दे रहे हैं। बेशक यह भी अपने को मुसलमान भी कहते हैं,और शरिया की बातें भी करते हैं। परन्तु दरअसल ये शक्तियां यज़ीद की ही तरह दहशत का साम्राज्य स्थापित करना चाहती हैं। अफ़ीम की कमाई से हथियार ख़रीद कर अपने द्वारा परिभाषित इस्लाम धर्म का ताक़त के बल पर विस्तार करना चाहती हैं। संभव है इनकी मानसिकता की श्रेणी के कुछ लोग इनको मुसलमान कहते या समझते हों परन्तु मेरी लिए इनको मुसलमान क्या कहना बल्कि -‘जो मुसलमान इनको कहे वह,मेरी नज़रों में इंसान नहीं है। तनवीर जाफ़री Read more » क़ाबुल में चरमपंथियों द्वारा बर्बरता
विश्ववार्ता बारूद के ढेर पर बैठी है दुनिया : कोई भी एक चिंगारी विश्वयुद्ध भड़का सकती है May 17, 2020 / May 17, 2020 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment दुनिया की शक्ति कहे जाने वाले देश जिस प्रकार इस समय परस्पर भिड़ने की तैयारियों में लगे हुए हैं उससे लगता है कि दुनिया तीसरे विश्वयुद्ध की ओर तेजी से बढ़ रही है । अमेरिका और चीन तेजी से अपने साथियों को अपने साथ जोड़ने और तीसरे विश्व युद्ध के लिए शक्तियों का ध्रुवीकरण करने […] Read more » any spark can spark a world war The world is sitting on a pile of gunpowder एक चिंगारी विश्वयुद्ध भड़का सकती है कोई भी एक चिंगारी विश्वयुद्ध भड़का सकती है बारूद के ढेर पर दुनिया
विश्ववार्ता कोरोना नही वरन् भविष्य की चिंता मे प्रवासी भारतीय May 15, 2020 / May 15, 2020 by डॉ. अजय पाण्डेय | Leave a Comment मानव प्रवास कोई नयी घटना नही है शदियों से देश दुनिया के विभिन्न हिस्सों से लोग कई पीढ़ियों से पलायन करते रहे हैं। ब्रिटेन में रह रही 30 प्रतिशत आबादी रोमन काल के दौरान विदेशों से पलायन करके आई थी। प्रवास के कारण समय-समय पर अलग-अलग रहे है आजप्रवासी मजदूरो का पलायन कोरोना महामारी और […] Read more » migrant labourers प्रवासी भारतीय
विश्ववार्ता उपयोग की सभी वस्तुओं का उत्पादन व उपयोग ही देशोन्नति का मूल है May 15, 2020 / May 15, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य, भारत विश्व का सबसे प्राचीन राष्ट्र है। भारत ने ही सृष्टि के आरम्भ से विश्व के लोगों को भाषा एवं ज्ञान दिया है। विश्व के प्राचीनतम ग्रन्थों में प्रमुख मनुस्मृति के अनुसार भारत वा आर्यावर्त देश ही विश्व में विद्वान, चरित्रवान व गुणी लोगों को उत्पन्न करने वाला देश है। यहां […] Read more » उपयोग की सभी वस्तुओं का उत्पादन व उपयोग