Category: विश्ववार्ता

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जलवायु परिवर्तन समझौते को झटका

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ट्रंप की इस आत्मकेंद्रित मानसिकता का तभी अंदाजा लग गया था, जब इटली में दुनिया के सबसे धनी देशों के समूह जी-7 की शिखर बैठक में पेरिस संधि के प्रति वचनबद्धता दोहराने के संकल्प पर ट्रंप ने हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया था। ट्रंप ने तब जल्दी ही इस मसले पर अपनी राय स्पष्ट करने का संकेत दिया था। अब ट्रंप ने व्हाइट हाउस के रोज गार्डन में भाषण देकर अपना मत तो साफ किया ही, साथ ही भारत और चीन पर आरोप लगाया कि इन दोनों देशों ने विकसित देशों से अरबों डाॅलर की मदद लेने की शर्त पर समझौते पर दस्तखत किए हैं।

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कब थमेगा यह खूनी मंजर

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हर आतंकवादी वारदात के बाद समय के साथ जख्म तो भर जाते हैं लेकिन इनका असर लम्बे समय तक बना रहता है। मानवता स्वयं को जख्मी महसूस करती है, घोर अंधेरा व्याप्त हो जाता है। यह जितना सघन होता है, आतंकियों का विजय घोष उतना ही मुखर होता है। आतंकवाद की सफलता इसी में आंकी जाती है कि जमीन पर जितने अधिक बेकसूर लोगों का खून बहता है, चीखें सुनाई देती है, डरावना मंजर पैदा होता है उतना ही आतंकवादियों का मनोबल दृढ़ होता है, हौसला बढ़ता है। इन घटनाओं के बाद उन मौत के शिकार हुए परिवारों के हिस्से समूची जिन्दगी का दर्द और अन्य लोगों के जीवन में इस तरह की घटनाओं का डर - ये घटनाएं और यह दर्द जितना ज्यादा होगा, आतंकवादियों को सुकून शायद उतना ही ज्यादा मिलेगा। इससे उपजती है अलगाव की आग, यह जितनी सुलगे कट्टरपंथियों की उतनी ही बड़ी कामयाबी।

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मून तथा मांक्रों का उदय : अमेरिकी चाल के पतन के संकेत

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युद्धविराम होने तक 40 हजार संयुक्त राष्ट्र सैनिक, जो कि 90 प्रतिशत अमेरिकी सैनिक थे, मारे जा चुके थे। उत्तर कोरिया और उसके साथी देशों के संभवत: 10 लाख तक सैनिक मारे गये। मारे गये सैनिक एवं नागरिकों की संख्या 20 लाख आँकी जाती है। आज भी कई हजार अमेरिकी सैनिक दक्षिण कोरिया में तैनात हैं, ताकि उत्तर कोरिया अचानक फिर कोई आक्रमण करने का दुस्साहस न करे। दूसरी ओर, भारी आर्थिक कठिनाइयों और संभवत: आंशिक भुखमरी के बावजूद उत्तर कोरिया ने भी 12 लाख सैनिकों वाली भारत के बराबर की संसार की एक सबसे बड़ी सेना पाल रखी है।

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मोदी की श्रीलंका यात्रा -कहीं पे निगाहें, कहीं पे निशाना

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प्रधानमंत्री मोदी ने श्रीलंका के साथ सांस्कृतिक संबंधों को आधार बनाकर रिश्ते सुधारने की शानदार पहल की है। श्रीलंकाई लोग बहुतायत से जिस बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं, उसके प्रवर्तक महात्मा बुद्ध का जन्मस्थान भारत है। बौद्ध धर्म के संदेश के जरिए मोदी ने तमिल राजनीति की गंदगी से दोनों देशों के बीच के संबंधों को दूर ले जाकर सांस्कृतिक एकता के दायरे में ले आने की कोशिश की है। दोनों देशों के बीच धार्मिक व सांस्कृतिक एकता बढ़ने से न सिर्फ दोनों देशों के बीच 2500 वर्ष से चले आ रहे संबंधों में फिर से गर्मी आएगी, बल्कि भारत खुद को एक ऐसी सौहार्द्रपूर्ण शक्ति के रूप में पेश कर सकता है, जिसे श्रीलंका के सिर्फ विकास और कल्याण में दिलचस्पी है।

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रियाद में ट्रंप का शीर्षासन

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रात्रि-भोज के पहले वे महल में नाचे भी। यह सब नाटक क्यों किया, ट्रंप ने ? क्योंकि सउदी अरब के साथ 350 अरब डालर के रक्षा-समझौते और 200 बिलियन के व्यापारिक समझौते हुए हैं। किसी छोटे-मोटे देश का सालाना बजट इतना बड़ा होता है। अमेरिका की थकी-मांदी अर्थ-व्यवस्था के लिए ये समझौते छोटे-मोटे सहारा बनेंगे। उधर सउदी अरब की जमकर तेल-मालिश भी हुई। ट्रंप ने बेवजह ईरान को कोसा। उसे आतंकवादी बताया। बादशाह सलमान के सुर में सुर मिलाया। ट्रंप शायद भूल गए कि ईरान में हसन रुहानी दुबारा राष्ट्रपति बन गए हैं। वे नरमपंथी हैं और अमेरिका से ईरान के संबंधों को सुधारना चाहते हैं। ट्रंप के विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने उनको शुभकामना देने की बजाय उपदेश झाड़ा कि रुहानी अपना प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम बंद करें और आतंकवाद को बढ़ावा न दें।

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