गजल जवानी में तो तुमने भी गज़ब ढाया होगा। April 29, 2022 / April 29, 2022 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment जवानी में तो तुमने भी गज़ब ढाया होगा।एक से नही,दासियों से इश्क लड़ाया होगा।। चेहरे पर गेसू फैलाकर,सबको बहकाया होगा।अपने खूबसूरत चेहरे को जरूर छिपाया होगा।। जब तुमने सोलहवां जन्म दिन मनाया होगा।हर कोई तेरे लिये उपहार भी लाया होगा।। चले तो होगे तेरे प्यार के चर्चे सबको पता होगा।पर तूने सहेलियों से कुछ भी […] Read more » जवानी में तो तुमने भी गज़ब ढाया होगा।
गजल आदमी अगर दुःखी है तो स्वविचार व मन से April 28, 2022 / April 28, 2022 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकभारत में जातिवाद का जहर भरा है,अपनी जाति का दुष्ट व अत्याचारी भी प्यारा है,मगर ये भी सोलहों आने है सहीस्वजाति विरादरी से ज्यादा बुरा पराया होता नहीं! पराया अपरिचित हो या सुपरिचित होपराया आपसे निरपेक्ष या आपका सापेक्ष होता है,पराए में परायापन है, तो विरोध भी कम है,पराए को अपना बनालो तो […] Read more » If a man is sad then by self thought and mind
गजल बेवफाओ के शहर में कुछ वफ़ा कर जाऊं। April 28, 2022 / April 28, 2022 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment वेवफाओ के शहर में कुछ वफ़ा कर जाऊं।जो दिल में है रंजीशे,उन्हे बाहर कर जाऊं।। मिलता नही कोई ठिकाना,जहा आकर बताऊं।अपने आप में ही घुलता हूं,किसे क्या सुनाऊं।। काटी है जिंदगी गरीबी में अब कहां मैं जाऊं।चोरी करनी बसकी नही,दौलत कहां से लाऊं।। ज़ख्म बहुत है दिल में,किस किस को मैं दिखाऊं।जख़्मों पर नमक छिड़क […] Read more » Let me do something in the city of unfaithful people. बेवफाओ के शहर में कुछ वफ़ा कर जाऊं।
गजल अगर तू नही है,जिंदगी में खालीपन रह जायेगा March 22, 2022 / March 22, 2022 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment अगर तू नही है,जिंदगी में खालीपन रह जायेगा,दूर तक तन्हाइयों का,एक सिलसिला रह जायेगा। सुबह भी होगी,सूरज भी निकलेगा हर रोज,पर ये तेरा फूल,हमेशा अधखिला रह जायेगा। लहरे भी उठेगी समंदर में,ज्वार भाटा भी आयेगा,मेरी जिंदगी में आकर,ये जलजला रह जायेगा। चांद निकलेगा आसमां में बिजली भी चमकेगी,पर बादल का आसमां में सिलसिला रह जायेगा। […] Read more » अगर तू नही है जिंदगी में खालीपन रह जायेगा
गजल भौजी आंगें न जाओ January 25, 2022 / January 25, 2022 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment भौजी आंगें न जाओ भौजी आंगें न जाओ|गैल में लड़ईया बैठो बैटरी बताओ | टिंगरन – टिंगरन भरो है पानी और मिंदरा टर्रा रए |डरके मारें भौजी मोरे हाड़ कंपकंपा जा रए |कीचड़ में री भौजी मोरे गोड़े गप- गप जा रए |जरियों के काँटों में मोरे कपडा बिद- बिद जा रए |इतनी न इतराओ […] Read more » भौजी आंगें न जाओ
गजल गजल है कि दिल में सीधे उतरती October 14, 2020 / October 14, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकतेरे मेरे सपनों की उड़ान है गजलकविता सुबह है तो शाम है गजल! गजल में शिकवा शिकायत होती हैये दर्द-ए-दिल की पहचान है गजल! गजल एक तन्हाई का सिलसिला हैवाहवाही ना मिले, बेजान है गजल! गजल गाने गुनगुनाने की विधा हैशायर के दिल-ए-अरमान है गजल! अरबी गजल में इश्क-ए-औरत होतीफारसी में इश्क-ए-खुदाई हुई […] Read more » Ghazal that descends directly into the heart गजल
गजल वत्स ! क्या अब तुम वह नहीं! June 13, 2020 / June 13, 2020 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment वत्स ! क्या अब तुम वह नहीं, जो पहले थे? निर्गुण की पहेली, अहसास की अठखेली; गुणों का धीरे धीरे प्रविष्ट होना सुमिष्ट लगना, पल पल की चादर में निखर सज सँवर कर आना! महत- तत्व से जैसे प्रकट होता सगुण का आविर्भाव, हर सत्ता का रिश्ता रख आत्मीय अवलोकन; पूर्व जन्मों के भावों का प्रष्फुरीकरण, वाल हास में लसी मधुरिमा का आलिंगन! अब वह कहाँ गया, माँ को शिशु समझ निहारना, चाहना दुग्ध माँगना निकट रख नेह करना; हर किसी की गोद आ आनन्द लेना, नानी नाना को नयनों से आत्मीय दुलार देना! व्यस्त होगये हो अब अपने खेलों में, हाथी घोड़ों गाड़ियों के खिलौनों में; यू-ट्यूव पर चलचित्र देखने में, माँ को ‘ना’ करने औ दौड़ाने में! अहं का यह अवतरण, चित्त का विचरण, है तो आत्म विस्तार का व्याप्तिकरण; पर ‘मधु’ के प्रभु की उसमें छिपी चितवन, कहती है, वे वे ही हैं, जो अतीत से अपने थे! ✍? गोपाल बघेल ‘मधु’ Read more » वत्स ! क्या अब तुम वह नहीं!
गजल तन्हाई पर एक गजल May 25, 2020 / May 25, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment तन्हाई में तनहा रहते ये क्यू है।एक दूजे से जुदा रहते ये क्यू है।। जब याद आ जाती है उनकी कभी कभी।फिर आंखो से आंसू बहते ये क्यू है। ये प्यार का रिश्ता या जन्म का रिश्ता है।फिर दुनिया में रिश्ते ये बदलते क्यू है।। जब सीने मै बस जाए उनकी धड़कन।फिर दो दिल धड़कते […] Read more » तन्हाई पर एक गजल
गजल मानव ही मानवता को शर्मसार करता है March 20, 2020 / March 20, 2020 by आलोक कौशिक | Leave a Comment मानव ही मानवता को शर्मसार करता है सांप डसने से क्या कभी इंकार करता है उसको भी सज़ा दो गुनहगार तो वह भी है जो ज़ुबां और आंखों से बलात्कार करता है तू ग़ैर है मत देख मेरी बर्बादी के सपने ऐसा काम सिर्फ़ मेरा रिश्तेदार करता है देखकर जो नज़रें चुराता था कल तलक […] Read more » मानव ही मानवता को शर्मसार करता है
गजल साहित्य नेत्र जब नवजात का झाँका किया! October 11, 2019 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment नेत्र जब नवजात का झाँका किया, शिशु जब था समय को समझा किया; पात्र की जब विविधता भाँपा किया, देश की जब भिन्नता आँका किया ! हर घड़ी जब प्रकृति कृति देखा किया, हर कड़ी की तरन्नुम ताका किया; आँख जब हर जीव की परखा किया, भाव की भव लहरियाँ तरजा किया ! रहा द्रष्टा पूर्व हर जग दरमियाँ, बाद में वह स्वयं को निरखा किया; देह मन अपना कभी वह तक लिया, विलग हो आभास मैं पन का किया ! महत से आकर अहं को छू लिया, चित्त को करवट बदलते लख लिया; पुरुष जो भीतर छिपा प्रकटा किया, परम- पित की पात्रता खोजा किया ! प्रश्न जब प्रति घड़ी जिज्ञासु किया, निगम आगम का समाँ बाँधा किया; ‘मधु’ उसमें प्रभु अपना पा लिया, प्राण के अपरूप का दर्शन किया ! ✍? गोपाल बघेल ‘मधु’ Read more » नेत्र जब नवजात का झाँका किया
गजल हिंदी ग़ज़ल August 28, 2019 / August 28, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment अविनाश ब्यौहार चाँदनी रात हमको बोना। अंधकार घिस घिस कर धोना।। पुलकित सभी दिशाएं दिखतीं, जगमग करता कोना कोना। कविता का मख्खन निकलेगा, भावों को तुम खूब बिलोना। मावस की काली रातें हैं, ठगी गई किस्मत का रोना। जीवन को संबल देता है, उनका मात्र ख्वाब में होना। अविनाश ब्यौहार जबलपुर Read more » hindi gazal
गजल हिंदी गजल -तेरे दिल को पहले ही निकल रख रक्खा है August 27, 2019 / August 27, 2019 by आर के रस्तोगी | 2 Comments on हिंदी गजल -तेरे दिल को पहले ही निकल रख रक्खा है ख्याल तुम्हारा हर तरह से रख रक्खा है |दिल भी तुम्हारा सभांल रख रक्खा है || हुआ नहीं मै कभी अलग तुमसे |खुद को भी सभांल रख रक्खा है || नहीं किया शक कभी तुम पर मैंने |अपने ऊपर ही शक रख रक्खा है || तेरे प्यार की निशानी में मिला जो था |अभी तक […] Read more » hindi gazal your heart