कहानी अनकही बात December 28, 2022 / December 28, 2022 by डॉ० शिबन कृष्ण रैणा | Leave a Comment शिबन कृष्ण रैणा जाड़े की रात और समय लगभग बारह बजे। फोन की घंटी बजी। जाने क्यों एक क्षण के लिए मुझे लगा कि फोन अस्पताल से आया होगा। जब तक कि मैं फोन उठाऊँ, घंटी का बजना बंद हो गया। मैंने दिमाग पर जोर डाला- क्या बात हो सकती है ? किस का फोन […] Read more » अनकही बात
कहानी सिकन्दर December 16, 2022 / December 16, 2022 by डॉ० शिबन कृष्ण रैणा | Leave a Comment शिबन कृष्ण रैणा रात के ग्यारह बजे और ऊपर से जाड़ों के दिन। मैं बड़े मज़े में रजाई ओढ़े निद्रा-देवी की शरण में चला गया था। अचानक मुझे लगा कि कोई मेरी रजाई खींचकर मुझे जगाने की चेष्टा कर रहा है। अब आप तो जानते ही हैं कि एक तो मीठी नींद और वह भी […] Read more »
कहानी आठ अस्सी December 13, 2022 / December 13, 2022 by दिलीप कुमार सिंह | Leave a Comment फुटपाथ के दुकानदार ने सख्त लहजे में कहा “ यहां से जाओ चाचा , अस्सी रुपये में ये चप्पल नहीं मिलेगी,बढ़ाओ अपनी साइकिल यहाँ से “। ये सुनकर वो सोच में पड़ गए कि फुटपाथ की सबसे सस्ती दुकान पर तो वो तो खड़े हैं ,अब इससे आगे वो कहाँ जाएं अगर बेटे की पढ़ाई […] Read more »
कहानी मुलाकात November 21, 2022 / November 21, 2022 by डॉ० शिबन कृष्ण रैणा | Leave a Comment शिबन कृष्ण रैणा हमारे घर की बिल्कुल सामने वाली सडक़ के कोने वाला मकान बहुत दिनों तक खाली पड़ा रहा। मकान मालिक संचेती जी की चार वर्ष पूर्व नौकरी के सिलसिले में कहीं दूसरी जगह पर बदली हुई थी और तभी से उनका मकान एक अच्छा किराएदार न मिलने के कारण लगभग दो वर्षों तक […] Read more »
कहानी फौजी जीवन October 28, 2022 / October 28, 2022 by डॉ० शिबन कृष्ण रैणा | Leave a Comment शिबन कृष्ण रैणा हमारे पड़ोस में रहने वाले बाबूजी की उम्र यही कोई अस्सी के लगभग होनी चाहिए। इस उम्र में भी स्वास्थ्य उनका ठीक–ठाक है। ज़िंदगी के आख़िरी पड़ाव तक पहुँचते–पहुँचते व्यक्ति आशाओं–निराशाओं एवं सुख–दुख के जितने भी आयामों से होकर गुजरता है, उन सबका प्रमाण उनके चेहरे को देखने से मिल जाता है। […] Read more » फौजी जीवन
कहानी लेख उसका मंदिर October 13, 2022 / October 13, 2022 by डॉ० शिबन कृष्ण रैणा | Leave a Comment रोज़ की तरह आज भी राजरानी की आँख जल्दी खुल गई। जरा-सी भी आहट किए बिना उसने दरवाजा खोला और वह बाहर बरामदे में आ गई। कमरे में अंदर पड़े-पड़े उसका जी घुट रहा थ। गेट तक दो बार चक्कर काटकर वह बरामदे में लगी कुर्सी पर बैठ गई। पास पड़ोस के घरों के दरवाजें […] Read more » उसका मंदिर
कहानी रिश्ते October 6, 2022 / October 6, 2022 by डॉ० शिबन कृष्ण रैणा | Leave a Comment जिस दिन मिस्टर मजूमदार को पता चला कि उनका तबादला अन्यत्र हो गया है, उसी दिन से दोनों पति-पत्नी सामान समेटने और उसके बण्डल बनवाने, बच्चों की टी०सी निकलवाने, दूधवाले, अखबार वाले आदि का हिसाब चुकता करने में लग गए थे। पन्द्रह वर्षों के सेवाकाल में यह उनका चौथा तबादला था। सम्भवत: अभी तक यही […] Read more » रिश्ते
कहानी बेटे की तनख्वाह September 19, 2022 / September 21, 2022 by डॉ० शिबन कृष्ण रैणा | 2 Comments on बेटे की तनख्वाह (कश्मीरी कहानी) संसारचन्द की गुलामी का यह आखिरी दिन था । चालीस साल की गुलामी बिताने के बाद आज वह आज़ाद होने जा रहा था । भीतर से वह एकदम पोला हो चुका था । गूदा खत्म और बाकी रह गया था ऊपर का छिलका । बस, छिलके को वह और अधिक रौंदवाना नहीं चाहता […] Read more » बेटे की तनख्वाह
कहानी तलाक September 15, 2022 / September 15, 2022 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment राधिका और नवीन को आज तलाक के कागज मिल गए थे। दोनो साथ ही कोर्ट से बाहर निकले। दोनो के परिजन साथ थे और उनके चेहरे पर विजय और सुकून के निशान साफ झलक रहे थे। चार साल की लंबी लड़ाई के बाद आज फैसला हो गया था। दस साल हो गए थे शादी को […] Read more » divorce तलाक
कहानी अच्छा मुहूर्त September 7, 2022 / September 7, 2022 by डॉ० शिबन कृष्ण रैणा | 1 Comment on अच्छा मुहूर्त इस बार गर्मियों की छुट्टियों में दो-एक सप्ताह के लिए घर जाने की इच्छा को मैं टाल न सका। वह भी समय था जब मैं वर्ष में दो-दो बार घर जाया करता … | जैसे-जैसे गृहस्थी बढ़ती गई वैसे-वैसे मेरे घर जाने की आवृत्ति में भी कमी आती गई ..! अब तो तीन-तीन, चार-चार वर्षों […] Read more »
कहानी छलावा September 3, 2022 / September 4, 2022 by लक्ष्मी अग्रवाल | Leave a Comment शुभ्रा और नीलेश एक ही कॉलेज में साथ पढ़ते थे। दोनों के बीच गहरी दोस्ती थी। लेकिन यह दोस्ती कब मन-मंदिर में प्रेम-पुष्प खिला गए, खुद शुभ्रा को भी पता न चला। वह नीलेश को दिल ही दिल चाहने लगी। पर अपने प्यार का इजहार करने से डरती थी। उसे डर था कि यदि नीलेश की […] Read more »
कहानी दो बूंद गंगाजल June 24, 2022 / June 24, 2022 by अरुण तिवारी | Leave a Comment अरुण तिवारी (वैश्विक तापमान में वृद्धि और इसके परिणामस्वरूप मौसमी परिवर्तन। निःसंदेह, वृद्धि और परिवर्तन के कारण स्थानीय भी हैं, किंतु राजसत्ता अभी भी ऐसे कारणों को राजनीति और अर्थशास्त्र के फौरी लाभ के तराजू पर तौलकर मुनाफे की बंदरबांट में मगन दिखाई दे रही है। जन-जागरण के सरकारी व स्वयंसेवी प्रयासों से जनता तो […] Read more » two drops of gangajal दो बूंद गंगाजल