कविता आज उस में सब समा गया है ! August 21, 2019 / August 21, 2019 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment (मधुगीति १९०८१९ अग्रसु) आज उस में सब समा गया है, आज रब उस में रम गया है; आज रव अविरत हो गया है, आज रवि रमणीक लग रहा है ! क्षण हर कणिका से मिल गया है, अणु हर कलिका में खिल गया है; तृण तल्लीनता में खो गया है, अरुण चिर चेतनता से भर […] Read more » Hindi Poem poem
कविता तन्हाइयां August 19, 2019 / August 19, 2019 by अजय एहसास | Leave a Comment चाहूं मैं तुम साथ हो, जब पास हो तन्हाइयां कोई भी न साथ दे तब साथ हो तन्हाइयां मेरी हस्ती देख करके सब बिषैले हो गये हम जहां पहुंचे वहां कितने झमेले हो गये दुनिया के मेले मे देखो हम अकेले हो गये पल में ही मिट जाती चाहें कितनी हों अच्छाइयां चाहूं मैं तुम […] Read more » Hindi Poem poem poetry
कविता आधे-अधूरे हम August 18, 2019 / August 18, 2019 by डा.सतीश कुमार | Leave a Comment एक वे हैं जो केवल , अधिकारों की हमेशा करते हैं मांग। अधिकारों के शोर में, भूल जाते है कर्तव्यों को । एक वे हैं, जिनका कर्तव्य पर ही , सदैव रहता ध्यान। अधिकार तो मिल ही जाएंगे, यदि हम, मनसा-वाचा-कर्मणा, अपने कर्तव्य को निभाएंगे। किसी के लेने -देने से, कुछ नहीं मिलता कभी। अगर […] Read more » hindi poem
कविता व्यर्थ ही चिन्ता किए क्यों जाते ! August 17, 2019 / August 17, 2019 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment (मधुगीति १९०८११ अकासा) व्यर्थ ही चिन्ता किए क्यों जाते, छोड़ क्यों उनके लिए ना देते; करने कुछ उनको क्यों नहीं देते, समर्पण करके क्यों न ख़ुश होते ! कहाँ हर प्राण सहज गति है रहा, जटिलता भरा विश्व विचरा किया; ज़रूरी उनसे योग उसका है, समर्पित उसको उन्हें करना है ! कार्य जो कर सको उसे कर लो, शेष सब उनके हवाले कर दो; उचित विधि उसको लिए जावेंगे, क्षीण संस्कार करा भेजेंगे ! किए रचना जगत में धाया करो, सोच ना विचित्रों को लाया करो; चित्र जो बन रहे बना लो तुम, इत्र उनको भी कुछ छिड़कने दो ! पाएँगे कर वे कुछ ज्यों छोड़ोगे, किसी रस और में वे बोरेंगे; ‘मधु’ कुछ छोड़ भी जगत देते, प्रभु औ प्रकृति द्युति लखे चलते ! ✍? गोपाल बघेल ‘मधु’ Read more » in vain why worry
कविता दोषी ना प्राणी कोई जग होता ! August 17, 2019 / August 17, 2019 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment (मधुगीति १९०८१० सकारा) दोषी ना प्राणी कोई जग होता, सृष्टि परवश है वह पला होता; कहाँ वश उसके सब रहा होता, लिया गुण- धर्म परिस्थिति होता ! बोध कब बालपन रहा होता, खिलाता जो कोई है खा लेता; बताता जैसा कोई वह करता, धर्म जो सिखाता वो अपनाता ! विवेक अपना पनप जब जाता, समझ कुछ तत्व विश्व में पाता; ज्ञान सापेक्ष जितना हो पाता, बदल वह स्वयं को है कुछ लेता ! कहाँ सम्भव है बदलना फुरना, कहाँ आसान है प्रकृति पुनि रचना; कहाँ जीवन की राह सब मिलता, कहाँ जाती है ग्लानि सकुचाना ! साधना समर्पण है जब होता, मुक्ति रस पान प्रचुर जब होता; ‘मधु’ को प्रभु का भान तब होता, फिर कहाँ भेद दृष्टि रह पाता ! ✍? गोपाल बघेल ‘मधु’ Read more » creatures in the world no guilty
कविता खा रहे हो नमक,ऐसे मत दगा दीजिये August 16, 2019 / August 16, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment आर के रस्तोगी खा रहे हो नमक,ऐसे मत दगा दीजिये | मुल्क का फर्ज कुछ तो अदा कीजिये || खाते हो किसी का,गुण गाते किसी का | ऐसे तो इस मुल्क को न दगा दीजिये || महफूज हो यहाँ पर,फिर भी डरने लगे | फितरत दिमाग की,जरा कम कर लीजिये || खा कर भी गुर्रा […] Read more » salt
कविता दहेज दानव August 16, 2019 / August 16, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment विनोद सिल्ला ये दहेज दानव हजारों कन्याएं खा गया। ये बदलता माहौल भी रंग दिखा गया।। हर रोज अखबारों में ये समाचार है, ससुराल जाने से कन्या का इंकार है, क्यों नवविवाहितों को स्टोव जला गया।। बिकने को तैयार लङके हर तरह से, मांगें मोटर कार अङके हर तरह से, हर नौजवान अपना मोल लिखा […] Read more » dowry dowry monster poem poetry
कविता लाल किले से मोदी जी का सन्देश August 16, 2019 / August 16, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment आर के रस्तोगी लाल किले की प्राचीर से,मोदी जी ने दिया ये सन्देश |एक ध्वज हो,एक कानून हो,सबका समान हो ये देश || मिले सबको समान अधिकार,किसी के साथ न हो द्वेष |तभी भारत फल फूलेगा,आगे बढ़ता रहेगा ये हमारा देश || बढ़ रहा है जनसँख्या का बोझ,कैसे उठा पायेगा ये देश |सीमित साधन,असीमित आवश्यकता […] Read more » lal kila Modi
कविता मर्द August 16, 2019 / August 17, 2019 by डा.सतीश कुमार | Leave a Comment मर्द हो मर्द बनो । कुछ खा लो , कुछ पी लो , दो चार कश भी लगा लो, अरे क्या बिगड़ता है, थोड़े में , यार ! चख कर तो देखो। अरे !तुम तो अभी बच्चे हो? मां बाप की आज्ञाएं, ही ढोते रहते हो । तुम्हारा जीवन अपना है। अपने निर्णय खुद लो […] Read more » be a man Man
कविता स्वतन्त्रता दिवस और रक्षा बन्धन August 16, 2019 / August 16, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment लाया है स्वतन्त्रता दिवस साथ में,राखी का त्यौहार |जिसने फहराया है देश में आज,भाई बहन का प्यार || आजादी के रंग में रंगे है,सभी भाई बहन सब संग |भाई ने रक्षा का वादा किया,लगवा टीका रोली संग || राखी के धागे कच्चे मत समझो,जुडा है पक्का विश्वास |एक वर्ष के बाद ये दोनों आते,लगाये रहते […] Read more » independance day Raksha Bandhan
कविता आज क्रांति फिर लाना है August 14, 2019 / August 14, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment आज सभी आज़ाद हो गए, फिर ये कैसी आज़ादीवक्त और अधिकार मिले, फिर ये कैसी बर्बादीसंविधान में दिए हक़ों से, परिचय हमें करना है, भारत को खुशहाल बनाने, आज क्रांति फिर लाना है… जहाँ शिवा, राणा, लक्ष्मी ने, देशभक्ति का मार्ग बतायाजहाँ राम, मनु, हरिश्चन्द्र ने, प्रजाभक्ति का सबक सिखायावहीं पुनः उनके पथगामी, बनकर हमें दिखना […] Read more » brought again Revolution
कविता आओ बच्चो तुम्हे बताये,हिस्ट्री इस्लामबाद की August 13, 2019 / August 13, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment आओ बच्चो तुम्हे बताये,हिस्ट्री इस्लामाबाद की |जिस धरती में पैदा होता,केवल आंतकवाद ही || भुट्टो को भी यहाँ इसने,फाँसी पर लटकाया था |भुट्टो के बेटी बेनजीर को इसने ही मरवाया था ||सत्ता में आते ही,उसका तख्ता पलट दिया जाता है |फौजी उसका अपने आप ही मालिक बन जाता हे || ये छोटी सी एग्जाम्पिल दी,केवल इस्लामाबाद […] Read more » come children islamabaad