कविता साहित्य तुम जलाते रहे,मै जलती रही August 30, 2019 / August 30, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment आर के रस्तोगी तुम जलाते रहे,मै जलती रही | बिन आग के ही,मै जलती रही || तुम यकीन देते रहे,मै करती रही | धोखा खाया तो,हाथ मलती रही || वादा मुझसे किया,शादी और से की | ये बात जिन्दगी में,मुझे खलती रही || तुम वादा करते रहे,और मुकरते रहे | धीरे धीरे पैरो की जमीं […] Read more » fire of love suffering
कविता एक अनुभव August 28, 2019 / August 28, 2019 by राकेश कुमार पटेल | Leave a Comment माँ तुम बिन सब अधूरी है जीना तो चाहता नहीं , मगर तेरे सपनों के लिये जीना जरुरी है माँ तुम बिन सब अधूरी है | ओ चाँद जिसे तुम ने मामा बताया उस मामा और मेरे बीच जाने कितने मीलों की दुरी है माँ तुम बिन सब अधूरी है | लौटता हूँ घर को […] Read more » Hindi Poem poem poem on experience
कविता हिन्दी- महिमा August 28, 2019 / August 28, 2019 by शकुन्तला बहादुर | Leave a Comment भारत में जो रची बसी है , वह जनभाषा है हिन्दी। भारतमाँ के माथे की है , वह प्यारी सी बिन्दी ।। * उत्तरदिशि केदारनाथ में , गूँज रही है ये हिन्दी। दक्षिण में रामेश्वरम तक, व्याप रही अपनी हिन्दी।। * पूर्वदिशा में जगन्नाथपुरि , में भी तो छाई हिन्दी। पश्चिम में है बसी द्वारिका,वहाँ […] Read more » hindi glory Hindi Poem poem
कविता रात के ख्वाब जो दिन में देखने लगे है August 26, 2019 / August 26, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment रात के ख्वाब जो दिन में देखने लगे |उन्ही को दिन में अब तारे दिखने लगे || खता करके पूछती हो,ऐसा मैंने क्या किया ?नयनो से तीर चलाये थे,आशिक मरने लगे || तुम्हारा चेहरा आईने में कैसे दिखाई देता ?चेहरा देखते ही,आयने के अंग फडकने लगे || हटाये जो गेसू,उसने अपने खूबसूरत चेहरे से |लगा […] Read more » night night dreams poem poetry
कविता सागर August 26, 2019 / August 26, 2019 by बीनू भटनागर | Leave a Comment सागर मौला मस्त सा ख़ुद से ही अंजान, वाष्प बना उड़ता गया बादल बन बरस गया। कौन तूफ़ानों में घिरा, कब सुनामी आई, वो तो मौला मस्त सा वहीं का वहीं रहा। सागर सारे जुडे हुए हैं, सागर को पता नहीं, कहीं कोई सीमा नहीं। कहाँ प्रशांत ख़त्म हुआ, और हिंद शुरू हुआ। सागर तट […] Read more » Hindi Poem poetry
कविता सफ़र लम्बा है | August 26, 2019 / August 26, 2019 by राकेश कुमार पटेल | Leave a Comment सफ़र लम्बा है मगर जाना तो पड़ेगा | टूटी है चप्पल , मगर पांव को पहनना तो पड़ेगा | भूख है जोरो की और चावल बासी है , मगर खाना तो पड़ेगा | धुप है तेज और फटी है पोषक , मगर काया को पहनना तो पड़ेगा | नींद है जोरों की कुछ पाना है […] Read more » Hindi Poem path
कविता अच्छी बात नहीं। August 26, 2019 / August 26, 2019 by डा.सतीश कुमार | Leave a Comment औरों के घर में हो अंधेरा, तुम्हारे घर में हो उजाला, यह तो अच्छी बात नहीं। हमारे हो महल दुमहले, और तरसे झोपड़े को भी, यह तो अच्छी बात नहीं। जो चाहा हमने वह हमें मिले औरों को जो मिला, वह भी हम छीन लें, यह तो अच्छी बात नहीं। मेरी हर बात सच्ची बात, […] Read more » not a good thing
कविता मैया ,मोहे दाऊ आज बहुत चिढायो August 26, 2019 / August 26, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment आर के रस्तोगी मैया,मोहे दाऊ आज बहुत चिढायो |मोसो कहत तू मोल को लीन्हो,इसलिए तुझे मोबाइल न दिलायो ||ग्वाल-बाल सबके पास है मोबाइल |मोहे तूने अभी तक क्यों न दिलायो ?गैया चरावत नही जाऊँगा तब तक ,जब तक मोबाइल मेरे पास न आयो ||भले ही तू माखन मिश्री न दियो मोहे ,पर मोबाइल मुझे तुरन्त […] Read more » tease a lot today
कविता दिल को भी करार तुम्हे आने लगेगा August 23, 2019 / August 23, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment दिल को भी करार तुम्हे आने लगेगा |जब कोई प्यार से तुम्हे बुलाने लगेगा || दिल की दवा भी तुम्हे मिल जायेगी |जब कोई दर्द तुम्हारा समझने लगेगा || भेज दो ऐसी खबर उसके घर पर तुम |तुम्हारा दिल,उनके दिल को सताने लगेगा || जब लगी है आग दिल में दोनों तरफ से |फिर तुममें […] Read more » poem poetry
कविता टेंशन की दवा August 21, 2019 / August 21, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment आर के रस्तोगी इसको बोलो हैलो,उसको बोलो तुम हाय |हर टेंशन की दवा है,तुलसी वाली चाय ||तुलसी वाली चाय,सब साथ पिया करो |रोग कोई न होगा,लम्बी उम्र जिया करो ||कह रस्तोगी कविराय,बांटो ये दवा सबको |टेंशन कभी नहीं रहेगी,जो पियेगा इसको || आर के रस्तोगी गुरुग्राम Read more » tension tension medicine
कविता बसे है दिन रात जो दिल में मेरे August 21, 2019 / August 21, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment बसे है दिन रात जो दिल में मेरे | उनका नाम अब बताऊं मै कैसे || जो बिल्कुल बोलते नहीं है |उनसे बात बताऊँ मै कैसे || चुरा ली नींद है रातो की जिसने |उनका ख्वाब अब दिखाऊं मै कैसे || तडफा कर चल दिए मुझको |उन्हें याद अब दिलाऊं मै कैसे || छोड़ कर चले […] Read more » day night what in my heart
कविता बैसाखी August 21, 2019 / August 21, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment अवधेश सिंह विरासत में मिली है मुझे सोने के फ्रेम में मढ़ी वंचित – निषिद्ध तमाम अमानुषिक पीड़ाओं और जख्मों से कराहती , आज भी भय से थरथराती … टूटे सपनों , लुटे अरमानों व आसुओं की एक तस्वीर जिसमें हमारे पूर्वज रोज माला देते हैं विरासत में मिली हैं कुछ किताबें जो बताती हैं पता हमारे शत्रुओं […] Read more » baishakhi poetry