कविता वे दिन थे मेरे लिए बेहद खास February 17, 2024 / February 17, 2024 by चरखा फिचर्स | Leave a Comment करीना थायत कक्षा-9 गरुड़, उत्तराखंड वे भी दिन थे मेरे लिए बेहद खास। जब खेलने का था मुझको अहसास।। अब तो जिंदगी से है यही आस। दोबारा खेलने का मौका आए मेरे पास।। न थी चिंता, न थी कोई फिक्र। बस याद आ रहे हैं खेलकूद के दिन। जब खेलते हैं बच्चे सारे दिन। याद […] Read more » Those days were very special for me
कविता आँसू February 12, 2024 / February 12, 2024 by श्लोक कुमार | Leave a Comment तसव्वुर सा सराय मेंरा बना कब्रअश्क बन गए बरखाउर की बेकरारी बना टेकये बिनाई भी परवश बिन तुम्हारेअश्क से व्रण को भर रहादेखकर तुम्हे यू निष्प्राणखुद का वजूद ख़त्म कर रहासमंदर सूखा , अश्क भी सूख गएन जाने कैसी इश्क लगाईहर लफ्ज़ में तुम्हारे वियोग ही आईऊषा तम सा लग रहा हैंकालिख बनी हया मेरीअहोरात्र […] Read more » अपराध पर घड़ियाली - आँसू
कविता हे राम तुम सृष्टि के पहले करुणाकर हो February 7, 2024 / February 7, 2024 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायक हे राम तुम सृष्टि के पहले करुणाकर हो तुम्हारे समय में एक बर्बर डाकू रत्नाकर थे तुमने ही उनके दिल में करुणा जगाई हे प्रभु तुम्हारे आने से करुणा जग में आई तुमने ही जग में रिश्ते की मर्यादा लाई हे प्रभु तुम कितने अच्छे हो हमें अच्छा बना दो हममें नहीं […] Read more » O Ram you are the first compassionate one of the universe.
कविता जब रावण ब्राह्मण था तो उनका भांजा शंबूक शूद्र कैसे? February 6, 2024 / February 6, 2024 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायक बहुजन सवर्ण की राजनीति करनेवाले जातिवादियों कहो जब रावण ब्राह्मण था तो उनका भांजा शंबूक शूद्र कैसे? पेड़ से उलटा लटककर भला कौन महामानव तप करते? भला ऐसे ऊट-पटांग तप से किसी विप्र के बालक मरते? सच्चाई यह है कि राम के समय में जाति नहीं बनी थी सूर्य चन्द्र जड़ चेतन […] Read more » When Ravana was a Brahmin then how could his nephew Shambuk be a Shudra?
कविता आया वसंत February 5, 2024 / February 5, 2024 by सुनील कुमार महला | Leave a Comment ऋतुओं का राजाधिराज वसंत है आया…!मंजरियां खिल रही हैंआम्र टहनियां हैं झूम रहींभ्रमरों और मधुमक्खियों का गुंजन हैतितलियां फूलों के रसास्वादन में मशगूल हैं। ऋतुओं का राजाधिराज वसंत है आया…!मृदु कोमल कच्चे वृंत इठलायेबावली, मस्तमौला हवाएंझूम रहीं हैं आज फिजाएंधूप बिछ रही है मैदानों, पठारों और पहाड़ों में। ऋतुओं का राजाधिराज वसंत है आया…!गेहूं,चना और […] Read more » spring has come
कविता मणिपुर ए छीजन February 1, 2024 / February 1, 2024 by श्लोक कुमार | Leave a Comment नारी का विशेष स्थानयदि ऐसा नहीं तो नही उत्थानयुगों – युगांतर से हम सब ने यह जानानारी ही वीरता की मूरत मानानारी अबला नहीं सबलाअबला अक्स का ध्वंस कर बनी वीर बालासबला की गाथा , सुने ये इहलोक वालाऐसी उत्कृष्टता, ऐसी वीरता लागे मधुबनशालाउस रात कहां तुम सोये थेजिस रात्रि मैं रोई थीकोई नही बचाने […] Read more » मणिपुर ए छीजन
कविता सबको खुश रखने के बजाए सबके साथ खुश रहना February 1, 2024 / February 1, 2024 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायक अगर जीना है तो सबको खुश रखने के बजाए सबके साथ खुश रहना होगा माना जीवन एक नाटक है स्वाभाविक है जीवन में नाटक हो जाना मगर बुरा तब होता जब जैसा तब तैसा खुद को नहीं दिखने देना जिसके साथ रिश्ते में बंध गए उसके साथ चाहिए हमेशा सामंजस्य बिठाना कलह […] Read more » सबको खुश रखने के बजाए सबके साथ खुश रहना
कविता मंत्र है, साक्षात शिवशक्ति February 1, 2024 / February 1, 2024 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment आत्माराम यादव पीव हमारा देश अनादिकाल से ज्ञान-विज्ञान की गवेषणा, अनुशीलन एवं अनुसंधान का प्रमुख केन्द्र रहा है जिसमें विद्या की विभिन्न शाखाओं में हमारे ऋषिमुनियों-ज्ञानियों ने धर्म दर्शन, व्याकरण, साहित्य, न्याय, गणित ज्योतिष सहित अनेक साधनाओं का प्रस्फुटन किया है जिनमें मंत्र, तंत्र और यंत्र का भी […] Read more » The mantra is Shiva Shakti in person
कविता हम जो छले, छलते ही गये January 25, 2024 / January 25, 2024 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment 15 अगस्त की वह सुबह तो आयी थीजब विदेशी आक्रांताओं से हमेंशेष भारत की बागड़ोर मिलीहम गुलाम थे, आजाद हुयेआजादी के समय भी हम छले गये थेआज भी हम अपनों के हाथों छले जा रहे है।भले आज हम आजादी में साँसे ले रहे हैपर यह कैसी आधी अधूरी आजादी ?पहले अंगे्रेजों के जड़ाऊ महल बनाते […] Read more » We who were deceived continued to be deceived.
कविता वाणिनी January 24, 2024 / January 24, 2024 by श्लोक कुमार | Leave a Comment कुछ ताख की मजबूरीतो, कुछ लाख की मजबूरीकुछ छड़ और खनक जाकुछ पल और सह ले तू इन रोब के उष्णता कोसुन ले ए नृत्यकार , कुछ न कहना रहजा सहन कर संसार के आहट कोसमाज के स्वरों की गूंजे गिनातीमेरी समय को ,के देख यही बिसात तेरीके तू लाख कर ले प्रयत्नरहेगी एक साख […] Read more » वाणिनी
कविता मैं भूल गया हॅू अलमारी में बंद किताबों को, जो आज भी मेरा इंतजार करती है ! January 24, 2024 / January 24, 2024 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment मैं बचपन से ही किताबों सेबहुत प्रेम करता हूं,पहले लोटपोट, मधु मुस्कान, नंदनगुड़िया जैसी किताबों का चस्का लगा थाधीरे धीरे सरिता,कादम्बिनी, मायानिरोगधाम जैसी पत्रिकाओं का शौकमुझे सातवें आसमान पर पहुंचा देता था।किताबें पढने के जुनून ने 10 साल की उम्र में ही मुझेबसस्टेण्ड पर लाकर खडा कर दियाजहॉ ब्रजकिशोर मालवीय और संजीव डेहरी मालवीय के बुकस्टाल सेकमीशन से किताबें लेता औरबस […] Read more » I have forgotten the books locked in the cupboard
कविता भाग्य हमारा श्री रामलला आ रहे हैं अपने धाम को January 22, 2024 / January 24, 2024 by ब्रह्मानंद राजपूत | Leave a Comment भाग्य हमारा श्री रामलला आ रहे हैं अपने धाम को। जन-जन में है खुशी और भज रहे हैं अपने प्रभु श्री राम को स्वागत के लिए बैठा है हर भारत वासी अपने प्रभु श्री राम को सज-धज कर तैयार है अलौकिक अयोध्या धाम अपने राम को भाग्य हमारा श्री रामलला आ रहे हैं अपने धाम को।। आनंदप्रद हुआ विश्व, दिन ये आया प्रभु श्री राम का विश्व गा रहा है स्वागत गान अपने प्रभु श्री राम का स्वर्ण कलश रखे हुए है, बंधे हुए हैं बंधन वार, सजे हुए हैं हर द्वार प्रभु श्रीराम के स्वागत को भाग्य हमारा श्री रामलला आ रहे हैं अपने धाम को।। कर रहा है प्रतीक्षा विश्व सदियों से राम के दर्शन को सरयू जोह रही बाट प्रभु श्रीराम के चरण पखारने को धन्य हुआ सम्पूर्ण विश्व, प्रभु श्री राम के आने को भाग्य हमारा श्री रामलला आ रहे हैं अपने धाम को।। रघुनन्दन के लिए शबरी ने फूलों से सजाया है पथ को, कर रही है इंतजार राम का अपने झूठे बेर खिलाने को आएगा अब राम राज्य क्योंकि प्रभु आ गए हैं अपने धाम को भाग्य हमारा श्री रामलला आ रहे हैं अपने धाम को।। -ब्रह्मानंद राजपूत Read more » Our destiny is that Shri Ramlala is coming to his abode.