कविता
मधुसूदनजी की कविता: मास्को में बारिश, मुंबई में छाता
/ by डॉ. मधुसूदन
बिन बादल, बिन बरसात, बिना धूप, सर पर छाता! एक लाल मित्र मुम्बई में मिले। पूछा, भाई छाता क्यों, पकडे हो? बारिश तो है नहीं? तो बोले, वाह जी, मुम्बई में बारिश हो, या ना हो, क्या फर्क? मास्को में तो, बारिश हो रही है। १० साल बाद। जब मास्को से भी कम्युनिज़्म निष्कासित है। […]
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