कविता बेईमान ने साधु रख लिया है नाम रे भैया July 20, 2023 / July 20, 2023 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायक बेईमान ने साधु रख लिया है नाम रे भैया, खबर है कि शैतान ने बदला नाम रे भैया! आई लव माई ‘इंडिया’ प्रेमपूर्वक कहने से, अब भारत का होगा नहीं गुणगान रे भैया! भ्रष्टाचारी व भाई-भतीजा वादी नेताओं से, अब होगी देश ‘इंडिया’ की पहचान रे भैया! भारत सोने की चिड़िया बड़ा […] Read more »
कविता बच्चों का पन्ना दादाजी की मूँछें July 18, 2023 / July 18, 2023 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment Read more » poem for kids
कविता साहित्य लेकिन गुस्सा भी आता है July 17, 2023 / July 17, 2023 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment भुदयाल श्रीवास्तव छिंदवाड़ा मध्य प्रदेश लेकिन गुस्सा भी आता है खड़ी हुई दर्पण के सम्मुख , लगी बहुत मैं सीधी सादी | पता नहीं क्यों अम्मा मुझको , कहती शैतानों की दादी | मैं तो बिलकुल भोली भाली , सबकी बात मानती हूँ मैं | पर झूठे आरोप लगें तो, घूँसा तभी तानती हूँ […] Read more »
कविता मैंने की दादी से बात July 17, 2023 / July 17, 2023 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment प्रभुदयाल श्रीवास्तव छिंदवाड़ा मध्य प्रदेश मैंने की दादी से बात मोबाइल पर आज मजे से , मैंने की दादी से बात | मैंने दादीजी को अपने , पढ़ने का परिणाम बताया | मैंने उन्हें बताया कैसे, कक्षा में नंबर वन आया | खुशियों से दादी अम्मा के , उठे दुआओं वाले हाथ | मैंने बोला […] Read more » मैंने की दादी से बात
कविता मस्ती के स्कूल में बच्चे July 17, 2023 / July 17, 2023 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment प्रभुदयाल श्रीवास्तव मस्ती के स्कूल में बच्चे खेल रहे हैं धूल में बच्चे , भँवरे बनकर फूल में बच्चे| नंगे बदन उघाड़े हैं ये खुशियों के हरकारे हैं ये खाता कोई रोटी पुंगा चूसे कोई अंगूठा चुंगा उछल […] Read more » मस्ती के स्कूल में बच्चे
कविता श्रम सस्ता और ज्ञान महँगा है July 17, 2023 / July 17, 2023 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment –विनय कुमार विनायक श्रम सस्ता और ज्ञान महँगा है इससे ही आज देश चल रहा है एक श्रमिक आठ घंटे कठिन काम कर साढ़े तीन सौ रुपए कमाई कर लेता जिससे दो जून की रोटी मिल जाती मगर दो सौ रुपए किलो टमाटर सौ रुपए किलो मूली गाजर हरी मिर्च सब्जी कोई श्रमिक नहीं खरीद […] Read more » श्रम सस्ता और ज्ञान महँगा है
कविता चाय न आई हाय ! July 14, 2023 / July 14, 2023 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment प्रभुदयाल श्रीवास्तव न तो हमको भैंस चाहिए ,नहीं चाहिए गाय |कड़क ठण्ड है हमें पिला दो,बस एक कप भर चाय |चाय कड़क हो थोड़ी मीठी ,बस थोड़ा अदरक हो|दूध मिलाकर खुशियों के संग ,मिला हुआ गुड लक हो |हो जाती छू मंतर सुस्ती ,बढ़िया चाय,उपाय |जब भी बनती चाय घरों में ,मोहक गंध निकलती |लाख […] Read more »
कविता हम हिंदुस्तानी हैं July 14, 2023 / July 14, 2023 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment प्रभुदयाल श्रीवास्तव »बच्चो कहो प्रेम से हम,सब हिन्दुस्तानी हैं।भरत वंश के ध्वज वाहक,हम अमर कहानी हैं। वेद ऋचाओं वाली माँ,भारत के रहवासी।दिल में रखते प्यार और,आँखों में पानी है। दया धर्म का सदियों से,सबसे अपना नाता।संग साथ रहने में ही,सबको आसानी है। खून खराबा करना यह,है नहीं सोच अपनी।मदद ग़रीबों की करना,यह रीति पुरानी है। […] Read more »
कविता धुक्कम – पुक्कम रेल July 14, 2023 / July 14, 2023 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment रेल चली भई रेल चली,धुक्कम- पुक्कम रेल चली। टीना ,मीना ,चुन्नू ,मुन्नू,डिब्बे बनकर आएं।मोहन कक्कू इंजिन बनकर,सीटी तेज बजाएं।डीज़ल से फुल टैंक कराएँ,इंजन न हो फेल ,चली। गार्ड बनेंगे झल्लू भाई,हरी लाल ले झंडी।छुक -छुक -छुक रेल चलेगी,पटना ,कटक, भिवंडी।पैसिंजर बन कहीं चलेगी,कहीं -कहीं बन मेल चली। स्टेशन -,स्टेशन रुककर ,लेगी ढेर मुसाफिर।कई मुसाफिर उतर […] Read more »
कविता आओ फिर से एक नया मानवीय धर्म बनाएँ July 13, 2023 / July 13, 2023 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकआओ फिर से एक नया मानवीय धर्म बनाएँ,सब मानव मात्र में मानवता का अलख जगाएँ! जिसमें हो भक्ति माँ पिता और गुरु के प्रति,जिसमें नहीं हो धर्म मजहब की फिरकापरस्ती! जिसमें हो अपना अंबर अपनी मातृभूमि धरती,जिसमें हो अपना आदर्श अपनी हो वतनपरस्ती! जिसमें हर जीव जंतुओं के लिए भावना न्यारी,जिसमें संतान को […] Read more »
कविता क्या है जिंदगी? July 10, 2023 / July 10, 2023 by चरखा फिचर्स | Leave a Comment डॉली गढ़ियापोथिंग, कपकोटबागेश्वर, उत्तराखंडदो पल की हसीन ये जिंदगीजिसे लफ़्ज़ों में बयां ना कर सके कोई,पल में जीना, पल में मरना जिसे पता न हो,वह जिंदगी ही क्या जिसमें पानी और हवा न हो,जुदा-जुदा लगी ये जिंदगी मुझे,कब बचपन से बड़े हुए, पता ही नही मुझे,वह चांद की चांदनी रातें,जिसमें करते हम तारों की बातें,जिसमें […] Read more » क्या है जिंदगी
कविता सुनो, बरसात आयी रे ! July 10, 2023 / July 10, 2023 by चरखा फिचर्स | Leave a Comment अंजली शर्मामुजफ्फरपुर, बिहार बरसात का मौसम आया,सबके मन को भाया,कुछ लोगों को छोड़ो भाई,मैं भी हूं एक प्रेयसी तुम्हारी।तुम्हें देखते मैं हुई बावरी,सुनो, बरसात आई रे,सबके मन को भायी रे।तुम गरीब, किसानों की हो उम्मीद,तुम फसलों के लिए प्यार की बूंदे,बूंदों की प्रेमिल फुहार से किसान का मन हर्षाती हो,सबके मन को भाती हो,सुनो बरसात […] Read more »