कविता मेरी ताकत लेखनी, तू रखता हथियार ! October 5, 2020 / October 5, 2020 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment लुके-छिपे अच्छा नहीं, लगता अब उत्पात !कभी कहो तुम सामने, सीधे अपनी बात !!भूल गया सब बात तू, याद नहीं औकात !गीदड़ होकर शेर की, पूछ रहा है जात !!मेरी ताकत लेखनी, तू रखता हथियार !दोनों की औकात को , परखेगा संसार !!शीशों जैसे घर बना, करते हैं उत्पात !रखते पत्थर हाथ में, समझेंगे कब […] Read more » मेरी ताकत लेखनी
कविता दुर्गा प्रतिमा नही प्रतीक है नारी का October 5, 2020 / October 5, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकदुर्गा प्रतिमा नही प्रतीक है नारी काचाहे कोई उपासक हो सूर्य या चंद्र कानारी एक सी होती तमाम धर्म की! नारी दस भुजा होती दुर्गा जैसीएक से घर, दूसरे से द्वार, तीसरे सेपहली और चौथे से दूसरी दुनिया बांकी में हथियार जो थामे होतीवो कम ही होती है उनकी सुरक्षा मेंऐसे भी दुर्गा […] Read more » Durga idol is not a symbol of a woman दुर्गा प्रतिमा
कविता शिक्षक October 5, 2020 / October 5, 2020 by आलोक कौशिक | Leave a Comment सद्गुणों व दुर्गुणों के वोहोते हैं सर्वश्रेष्ठ ईक्षकईश्वर के तुल्य ही होतेहम कहते जिनको शिक्षक करते दूर अज्ञानता कोजलाते हैं ज्ञान का दीपकहमारी धीरता व नम्रता केहोते हैं वो कुशल परीक्षक जीवन जीने की कला सिखातेगुरु ही होते पथप्रदर्शकआधारशिला होते समाज केशिक्षक ही सच्चे मार्गदर्शक ✍️आलोक कौशिक Read more » poem on teacher शिक्षक
कविता कैसे छोड़ दू साथ प्रिये ! October 4, 2020 / October 4, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment कैसे छोड़ दू साथ प्रिये !जीवन की ढलती शामो में,धूप छांव की साथी रही होमेरे दुख सुख के कामों में।। साथ मरेंगे साथ जिएंगे,ये वादा किया था दोनों ने,क्यो अलग हो जाए हम ,जब साथ फेरे लिए थे दोनों ने जर्जर शरीर हो चला दोनों काअब तो कोई इसमें न दम रहाएक दूजे की करगे […] Read more » How can I leave dear कैसे छोड़ दू साथ प्रिये
कविता बच्चों का पन्ना पानी पीते नए ढंग से October 4, 2020 / October 4, 2020 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment Read more » पानी पीते नए ढंग से
कविता पूर्वोत्तर भारत की गौरव गाथा व्यथा October 4, 2020 / October 4, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकपूर्वोत्तर भारत की सत बहनाअरुणाचल, मिजोरम, मणिपुर,मेघालय,नागालैण्ड,त्रिपुरा औरसिक्किम की माता असम कानाम कभी था प्राग्ज्योतिषपुर! महाभारत युद्ध का युद्ध वीरभगदत्त का पिता था नरकासुरएक राजा असम का अत्याचारीजिसका कृष्ण से बध होने परभगदत्त बना प्राग्ज्योतिषपुरेश्वर! भगदत्त था पीत किरात मंगोलहिन्दचीनी मंगोल बर्मी रक्त काचीन था शक्तिहीन एक तटस्थकबिलाई, हुआ नहीं था शामिलमहाभारत के […] Read more » Pride saga of Northeast India पूर्वोत्तर भारत की गौरव गाथा
कविता उड़े छतों से कपड़े लत्ते October 3, 2020 / October 3, 2020 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment आये शाम को आज अचानक,काले- काले बदल नभ में। बूँद पड़ी तो बुद्धू मेंढक,मिट्टी के भीतर से झाँका।ओला गिरा एक सिर पर तो,जोरों से टर्राकर भागा।तभी मेंढकी उचकी, बोली,ओले करें इकट्ठे टब में। आवारा काले मेघों ने,धूम धड़ाका शोर मचाया।चमकी बिजली तो वन सारा,स्वर्ण नीर में मचल नहाया।बूढ़ा बरगद लगा नाचनेंजो अब तक था खड़ा […] Read more » Hanging clothes from rooftops उड़े छतों से कपड़े लत्ते
कविता घर-घर दुःशासन खड़े October 3, 2020 / October 3, 2020 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment चीरहरण को देख कर,दरबारी सब मौन !प्रश्न करे अँधराज पर,विदुर बने वो कौन !!★★★राम राज के नाम पर,कैसे हुए सुधार !घर-घर दुःशासन खड़े,रावण है हर द्वार !!★★★कदम-कदम पर हैं खड़े,लपलप करे सियार !जाये तो जाये कहाँ,हर बेटी लाचार !!★★★बची कहाँ है आजकल,लाज-धर्म की डोर !पल-पल लुटती बेटियां,कैसा कलयुग घोर !!★★★वक्त बदलता दे रहा,कैसे- कैसे घाव […] Read more » घर-घर दुःशासन खड़े
कविता गुदड़ी के लाल : लाल बहादुर शास्त्री October 1, 2020 / September 30, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment छोटा कद पर सोच बड़ी थी,तेज सूर्य सा चमके था भाल।भारत मां के गौरव वे थे,कहलाए वे गुदड़ी के लाल।। देश के प्रति थी पूरी निष्ठा,कोई काम न करते थे टाल |जन जन के वे प्यारे थे,कहलाए वे सादगी के लाल।। जन्म हुआ था उनके भारत मैपर मृत्यु हुई थी रूस में।विधि ने छीना उन्हें […] Read more » लाल बहादुर शास्त्री
कविता बेटियों पर अत्याचार ! October 1, 2020 / October 1, 2020 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment करें जितनी निंदा ।पड़ते शब्द कम ।।बेटियां पर अत्याचार ।होतीं आंखें नम ।।जा चुका है गर्त में ।अपना ये समाज ।।है व्यभिचार अनवरत ।तज कर लोक लाज ।।मर गयी संवेदना ।बना मानव दानव ।।राम राज्य कालखंड ।है पतन की लव ?करती रूदन आत्मा ।विलख रहा मन ।।चली प्रगति बात ।रहे पर विपन्न ।। कृष्णेन्द्र राय Read more » Daughters tortured
कविता लोकतंत्री भाषा से दूरी क्यों करते October 1, 2020 / October 1, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकमत भेदभाव करो स्वभाषा के नाम पेभाषा बदल जाती इंसान बदलता नहींनाम बदल जाता ईमान बदलता नहींस्थान बदल जाता किंतु भगवान नहींमत उमेठो कान कानून की भाषा से! देश बहुत बड़ा है भाषा बहुत हो गईदेश बहुत बड़ा है आशा बहुत हो गईदेश बहुत बड़ा, आस्था बहुत हो गईभाषा, आशा,आस्था मानवीय चीज हैमानवता […] Read more » Why do democrats distance themselves from language लोकतंत्री भाषा से दूरी
कविता नारी क्या है एक दिन बन के देखो October 1, 2020 / October 1, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकनारी क्या है?एक दिन बन के देखोसुबह उठ किचन देखोनाश्ता टिफीन के साथकार्यालय विदाकर देखोजाने से उसके आनेतकप्रतीक्षा करके तो देखो! नारी क्या है?एक दिन बन के देखोमाहवारी पीड़ा की दौरगुजर करके तो देखोएक मां बन के देखोगहरी नींद से उठकरमल-मूत्र में पड़े रोतेस्व बचपन को देखो! नारी क्या है?एक दिन बनके देखोमाता-पिता […] Read more » नारी क्या है एक दिन बन के देखो