कला-संस्कृति लेख शिव, शक्ति और प्रकृति को निहारने का मौसम है सावन July 26, 2020 / July 26, 2020 by सोनम लववंशी | Leave a Comment हम ज़िन्दगी को जिस नजरिये से देखते है जिंदगी हमें वैसी ही नजर आने लगती है। ये हमारी आस्था और मन का विश्वास ही तय करता है कि हमें ज़िन्दगी को किस चश्मे से देखना है। जीवन में आशा-निराशा, सुख-दुःख और जीवन-मरण की प्रक्रिया अपनी गति से चलती रहती है। ये सत्य है कि […] Read more » Sawan is the season to see Shiva Shakti and nature शक्ति और प्रकृति शिव
कविता जब पिया घर नहीं आए July 26, 2020 / July 26, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment साजन मेरे नहीं आए,मेरा सावन सूखा जाए।मै क्या करू राम अब ?जब पिया घर नहीं आए।। उमड़ घुमड़ कर बदरा आए,प्यासी धरती की प्यास बुझाएमेरी प्यास अब कौन बुझाए ?जब पिया मेरे घर नहीं आए।। झूले पड़ गए है बागन में,कोयल कूके मेरे कानन में।मुझे अब कौन झुलाए ?जब पिया घर नहीं आए।। मनरा गली […] Read more » जब पिया घर नहीं आए
लेख भारतीय क्षात्र धर्म और अहिंसा – अध्याय -2 July 26, 2020 / July 26, 2020 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment वैदिक राष्ट्र और अहिंसा यजुर्वेद में एक सुन्दर ऋचा आयी है :– ओ३म आ ब्रह्मन् ब्राह्मणो ब्रह्मवर्चसी जायताम आ राष्ट्रे राजन्य: शूरऽइषव्योऽतिव्याधी महारथो जायतां दोग्ध्री धेनुर्वोढानड्वानाशु: सप्ति: पुरन्धिर्योषा जिष्णू रथेष्ठा: सभेयो युवास्य यजमानस्य वीरो जायतां निकामे निकामे न: पर्जन्यो वर्षतु फलवत्यो नऽओषधय: पच्यन्तां योगक्षेमो न: कल्पताम्।। -यजु० २२/२२ अर्थात हे सर्वाधार सर्वेश्वर सर्वव्यापक प्रभो ! […] Read more » भारतीय क्षात्र धर्म वैदिक राष्ट्र और अहिंसा
कविता देश की दशा के दर्शन July 24, 2020 / July 24, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment चारो तरफ हाहाकार मचा है,दुखो का दौर अभी बाकी हैं।अभी तो केवल ट्रेलर देखा है,पूरी फिल्म देखना बाकी हैं।। अस्पतालों का है बुरा हाल,डॉक्टर नर्स नहीं मिलते हैं।जरूरी दवाओं की बात छोड़ोमास्क दस्ताने नहीं मिलते हैं। बढ़ते जा रहे रोज है मरीज,लाखो में संख्या है पहुंच गई।कैसे होगा इनका अब इलाज,ये समस्या अब गंभीर हो […] Read more » देश की दशा के दर्शन
लेख गिनीज बुक में देश के बाघ July 23, 2020 / July 23, 2020 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव देश के राष्ट्रीय प्राणी ‘बाघ’ की बढ़ी संख्या को ‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में स्थान मिला है। ऐसा संभव इसलिए हुआ क्योंकि पहली बार 2018 में बाघों की गणना ‘कैमरा ट्रैपिंग’ पद्धति से की गई थी। इसमें करीब 27000 कैमरों का इस्तेमाल किया गया था। इन कैमरों द्वारा कैद किए गए करीब […] Read more » Country tigers in Guinness Book बाघ
लेख भारतीय क्षात्र धर्म और अहिंसा — अध्याय 1 July 23, 2020 / July 23, 2020 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment (है बलिदानी इतिहास हमारा)वैदिक धर्म और अहिंसाभारतवर्ष के पास उसका गौरवपूर्ण सांस्कृतिक इतिहास है । यह इतिहास भारत को शेष संसार से सर्वश्रेष्ठ सिद्ध करने के लिए पर्याप्त है। भारत की संस्कृति अनुपम है , अप्रतिम है । इसका अध्यात्मवाद अनोखा और निराला है , तो वेदज्ञान बेजोड़ और अद्वितीय है , जो कि संसार […] Read more » वैदिक धर्म और अहिंसा
कविता सड़कें हैं , सवार नहीं ….!! July 23, 2020 / July 23, 2020 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा बड़ी मारक है , वक्त की मारहिंद में मचा यूं हाहाकारसड़कें हैं , सवार नहींहरियाली है , गुलज़ार नहींबाजार है , खरीदार नहींगुस्सा है , इजहार नहींसोने वाले सो रहेखटने वाले रो रहेखुशनसीबों पर सिस्टम मेहरबानबाकी भूखों को तो बस ज्ञान पर ज्ञानजाने कब खत्म होगा नई सुबह का इंतजारबड़ी मारक है […] Read more » सवार नहीं
कविता आया है तीजो का त्यौहार July 23, 2020 / July 23, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment आओ सखि सब झूला झले,पींग बढ़ाकर नभ को छूले।आया है तीजो का त्योहार,मन में है मेरे खुशी अपार।। साजन भी मेरे आ जाएंगे,सुहाग का सामान वे लाएंगे।करूंगी मै सोलह सिंगार,महकेगा मेरा सारा संसार।भूल जाएंगे अब मन के सूले,आओ सखी सब झूला झूले।। रिमझम रिमझिम पानी बरसे,जिया मेरा पिया को तरसे।हो जाएगा जब मिलन मेरा,प्रसन्न चित्त […] Read more » आया है तीजो का त्यौहार
कहानी बेटियां July 22, 2020 / July 22, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment मां की मुस्कान है बेटियां,पिता की शान है बेटियां।ससुराल की बहु है बेटियां,मायके की मेहमान है बेटियां।। बेटों से कम नहीं है बेटियां,हर क्षेत्र में आगे है बेटियां।बेटे खाना बनाते है होटलों में,अब खाती है होटल में बेटियां।। अब जहाज उड़ाती है बेटियां,रेल बस मैट्रो चलाती बेटियां।इससे ज्यादा क्या कहे हम ,अंतरिक्ष में पहुंच गई […] Read more » बेटियां
लेख ऐसे हुई श्रीराम जन्मभूमि की मुक्ति July 22, 2020 / July 22, 2020 by विनोद बंसल | Leave a Comment – विनोद बंसल ईस्वी सन् 1528 से लेकर आज तक भारत के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद ने असंख्य उतार-चढ़ाव देखे हैं। एक ओर उसने वह असहनीय दर्द सहा जब भव्य तथा विशाल मंदिर को धूल धूसरित कर अपने सत्ता मद में चूर एक विदेशी आक्रान्ता ने भारत की आस्था को कुचलकर देश के स्वाभिमान की नृशंस ह्त्या […] Read more » श्रीराम जन्मभूमि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद
लेख सोशल साइट्स शांतिपूर्ण समाज के लिए एक बड़ा खतरा July 22, 2020 / July 22, 2020 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment डॉo सत्यवान सौरभ, फेसबुक, ट्विटर, गूगल और कई अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने हमारे संवाद करने के तरीके में क्रांति ला दी है। ये प्लेटफॉर्म आज ज्यादातर चैट करने के लिए उपयोग किए जाते हैं, यही नहीं ये सार्वजनिक तौर पर बहुत बड़ा प्रभाव डालते है। लेकिन सुरक्षा के उचित नियमों के आभाव में ये अतिसंवेदनशील है। […] Read more » Social sites are a major threat to peaceful society सोशल साइट्स
कविता एक दिन मंज़िल मिल जाएगी July 20, 2020 / July 20, 2020 by आलोक कौशिक | Leave a Comment ख़ुशियों का उजाला ज़रूर होगाबेबसी की ये रात बीत जाएगीकट जाएगा सफ़र संघर्ष काएक दिन मंज़िल मिल जाएगी खो गया है जो राह-ए-सफ़र मेंउससे भी मुलाक़ात हो जाएगीसूखी पड़ी दिल की ज़मीन परएक दिन बरसात हो जाएगी नामुमकिन सी लग रही है जोवो परेशानी भी हल हो जाएगीदिल में हो अगर मोहब्बतहर जंग बातों से […] Read more »