कविता
यही ज़िन्दगी है
/ by डा.सतीश कुमार
कभी लगता है , मुट्ठी में है दुनिया, कभी जिंदगी रेत-सी, मुट्ठी से फिसल जाती है। कभी जीत जाते हैं, सब कुछ हार कर भी , कभी जीत कर भी, सब कुछ हार जाते हैं। यह जिंदगी है दोस्तों , यह कभी, सीधी रेखा में नहीं चलती। टेढ़े -मेढ़े ,उल्टे- सीधे, घुमावदार ,सांंस जोड़ते,उखाड़ते हैं […]
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