लेख स्वास्थ्य-योग कहर बरपाता डेंगू का डंक September 25, 2019 / September 25, 2019 by योगेश कुमार गोयल | Leave a Comment डेंगू के उपचार से बेहतर है बचाव – योगेश कुमार गोयल डेंगू वैसे तो हर साल खासकर बारिश के मौसम में लोगों पर कहर बनकर टूटता रहा है लेकिन इस वर्ष उत्तराखंड में इसके कारण महामारी जैसे हालात नजर आने लगे हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार अभी तक राज्य में डेंगू के मरीजों की […] Read more »
कविता वो छोटी सी मुलाकात September 25, 2019 / September 25, 2019 by विवेक कुमार पाठक | Leave a Comment विवेक कुमार पाठक वाकई उस दिन कुछ अलग थाहवाएं सर्द सर्द थींकुछ खुशी थीकुछ डर थाशायद मुलाकात होतीशायद हम बैरंग लौटते मगर एहसास हिसाब करके नहीं आतेवे आते हैं तो उन आंधियों की तरहजो जेठ में कभी कभी आती हैंतो कितना कुछ कहां कहां से लाती हैंहवा पानी माटी की सुगंधटूटे पत्तों की उड़ान बारिश […] Read more »
कविता मै रहूँ न रहूँ,मेरा देश रहना चाहिए | September 24, 2019 / September 24, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment मै रहूँ न रहूँ,मेरा देश रहना चाहिए |मै बढ़ूँ न बढूँ मेरा देश बढ़ना चाहिए || आया है जनसँख्या का सैलाब,यह रूकना चाहिए |साधन है सीमित,जनसँख्या तो कम होनी चाहिए || करे मेरा देश विकास,उसका विश्व में नाम हो |बन जाये विश्व गुरु,उसकी विश्व में शान हो || हर हाथ को काम,हर इनसान को शिक्षा […] Read more » मेरा देश रहना चाहिए | मै रहूँ न रहूँ
चुटकुले व्यंग्य “तब्दीली आयी रे “ September 23, 2019 / September 23, 2019 by दिलीप कुमार सिंह | Leave a Comment “हजारों साल नर्गिस अपनी बेनूरी पे रोती है , तब कहीं जाकर होता चमन में एक बिदनवार पैदा” यही शेर आजकल पाकिस्तान में बच्चा बच्चा कह रहा है क्योंकि जो ऊपर वाले ने ऐसा छप्पर फाड़ कर दिया कि पाकिस्तानियों को अपनी खुशकिस्मती पर यकीन नहीं हो रहा है कि “या इलाही ये माजरा क्या है “पाकिस्तान […] Read more » शेख रशीद और फवाद चौधरी
कविता आज चली उसकी मरजी September 20, 2019 / September 20, 2019 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment ड्राइंग रूम की दीवारों पर, लिखी रमा ने ए. बी. सी. न जाने वह चाक कहां से, नीले रंग की ले आई। अक्षर टेढ़े मेढे लिखकर, बड़ी जोर से चिल्लाई। देखो अक्षर अंग्रेजी के लिख डाले मैंने दीदी। चू ने से कुछ दिन पहले था, पुत वाया पापा ने घर। चाक रगड़ कर उल्टी सीधी, […] Read more »
कविता अमीर ग़रीब September 18, 2019 / September 18, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment मिलता नहीं चैनो सुकून रईसों के मकानों में, दम घुटता है क्यों ऊँचे – बंगले आशियानों में। अमीरों में छुपे दर्दों की झलक देखी है हमने, कितने अदब से कैसे रहते हैं ऊँचे मकानों में। नींद की गोलियां खाना फिर भी नींद ना आए, ग़रीबों को तो में बिना गोलीके नींद आ जाए। अमीरों की […] Read more » अमीर ग़रीब
दोहे जब मन की मेरी बात सुने मेरे सँवरिया ! September 18, 2019 / September 18, 2019 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment जब मन की मेरी बात सुने मेरे सँवरिया; आनन्द गंग बहे चले मेरे प्रहरिया ! लहरों में घुमा प्रस्तर तर आए नज़रिया; बृ़क्षों की व्यथा उर में रखे चमके वे दुनियाँ ! बादल में घुमड़ सूर्य रमण देखे वे नदिया; वायु में रमे हिय में फुरे मन वन फिरिया ! हर पात सिहर ताप विहर […] Read more » जब मन की मेरी बात सुने मेरे सँवरिया !
दोहे सोचो मत ऐसा कुछ भी नहीं ! September 16, 2019 / September 16, 2019 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment सोचो मत ऐसा कुछ भी नहीं अपनी दृष्टि का फेर सभी; पाषाण औ पौधे पूर्ण सुधी, ना हीन भाव उर धारो जी ! तुम ब्रह्म बृहत सृष्टि देखो, कर्मों को कर जीवन झाँको; अपनापन जग पा जाओगे, जब ऊर्द्ध्व भाव रम जाओगे ! क्यों जाति पाँति में बँधकर तुम, श्रँखला सँजोये स्वयं रहे; अपनी आस्था […] Read more »
दोहे कितने ही दर्द सर्द मिले ! September 14, 2019 / September 14, 2019 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment कितने ही दर्द सर्द मिले, सुरमयी दुनियाँ; उर में थीं कितनी व्याधि रखी, विरहिन बुधिया ! सुधियों की बरातों में बही, ध्यान कब रही; ज्ञानों की गरिमा उलझे-सुलझे, गूढ़ मति गही ! सामान्य सरोजों की भाँति, खिल कभी सकी; किलकारी बालपन की पुन:, पक के वो तकी ! तत्काल काल गति में बही, अकाली बनी; […] Read more »
लेख विविधा नए मोटर व्हीकल एक्ट से मेरा देश परेशान September 12, 2019 / September 12, 2019 by ललित गर्ग | Leave a Comment – ललित गर्ग – नया बना मोटर व्हीकल एक्ट देश को राहत पहुंचाने की बजाय परेशानी का सबब बन रहा है। अनेकों विरोधाभासों एवं विसंगतियों से भरे इस कानून से मेरा देश परेशान है। यह कानून विरोधाभासी होने के साथ-साथ समस्या को और गंभीर बना रहा है। एक नये किस्म के भ्रष्टाचार को पनपने का […] Read more » new motor vehicle act नए मोटर व्हीकल एक्ट
कविता राज हर कोई करना है जग चह रहा ! September 11, 2019 / September 11, 2019 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment राज हर कोई करना है जग चह रहा, राज उनके समझना कहाँ वश रहा; राज उनके कहाँ वो है रहना चहा, साज उनके बजा वह कहाँ पा रहा ! ढ़पली अपनी पै कोई राग हर गा रहा, भाव जैसा है उर सुर वो दे पा रहा; ताब आके सुनाए कोई जा रहा, सुनके सृष्टा सुमन मात्र मुसका रहा ! पद के पंकिल अहं कोई फँसा जा रहा, उनके पद का मर्म कब वो लख पा रहा; बाल बन खेल लखते मुरारी रहे, दुष्टता की वे सारी बयारें सहे ! सृष्टि सारी इशारे से जिनके चले, सहज होके वे जगती पै क्रीड़ा करे; जीव गति जान कर तारे उनको चले, कर विनष्टि वे आत्मा में अमृत ढ़ले ! हर निमिष कर्म करके वे प्रतिपालते, धर्म अपना धरे वे प्रकृति साधते; ‘मधु’ है उनका समझ कोई कब पा रहा, अपनी जिह्वा से चख स्वाद बतला रहा ! ✍? गोपाल बघेल ‘मधु’ Read more » राज हर कोई करना है जग चह रहा !
व्यंग्य बप्पा और सेल्फी वाले भक्त September 11, 2019 / September 11, 2019 by प्रभुनाथ शुक्ल | Leave a Comment प्रभुनाथ शुक्ल भक्ति की अपनी शक्ति है। भक्ति और उसकी धारा का विच्छेदन और विश्लेषण करना आसान नहीं है। कण-कण में भक्ति का भाव समाया हुआ है। तेरे में मेरे में खड्ग में और खंभ में भी भक्ति विराजमान है। […] Read more » सेल्फी वाले भक्त