कहानी विविधा साहित्य हरामजादा September 27, 2015 by डॉ. भूपेंद्र सिंह गर्गवंशी | Leave a Comment डॉ. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी कहानी काफी पुरानी और वास्तविक घटना पर आधारित है। इसकी समानता किसी भी तरह से अन्य लोगों से नहीं हो सकती क्योंकि यह मेरी अपनी कहानी है। इसके पात्र काल्पनिक न होकर मेरे अपने ही करीबी परिवारी जन हैं। अब तो मैंने अपनी इस कहानी का जिसे आगे लिख रहा हूँ […] Read more » Featured हरामजादा
कहानी विविधा शख्सियत दर्द या दवा September 22, 2015 by विजय कुमार | Leave a Comment पांच सितम्बर को भारत में ‘शिक्षक दिवस’ मनाया जाता है। यह हमारे दूसरे राष्ट्रपति डा. राधाकृष्णन का जन्मदिन है, जो एक श्रेष्ठ शिक्षक भी थे। इस दिन राष्ट्रपति महोदय देश भर के श्रेष्ठ शिक्षकों को सम्मानित करते हैं। शिक्षक होने के नाते मुझे भी इसमें रुचि रहती है कि इस बार कौन-कौन सम्मानित हुआ ? […] Read more » Featured
व्यंग्य साहित्य अथ ‘श्री मच्छर कथायाम’ September 19, 2015 by श्रीराम तिवारी | Leave a Comment जिस किसी ने संस्कृत नीति कथा ‘पुनर्मूषको- भव:’ नहीं पढ़ी होगी ,उसे मेरी यह नव -उत्तरआधुनिक ‘मच्छरकथा’ शायद ही रुचिकर लगेगी ! किन्तु लोक कल्याण के लिए ‘स्वच्छ भारत’ एवं स्वश्थ भारत के निर्माण के लिए यह सद्यरचित स्वरचित मच्छरकथा -फेसबुक ,ट्विटर ,गूगल्र ,वॉट्सएप समर्पयामि :! ++++ ===++++==अथ मच्छर कथा प्रारम्भ ====+======+===++++ यद्द्पि मैं कोई […] Read more » मच्छर
कहानी बच्चों का पन्ना साहित्य बेसहारा किसान September 18, 2015 / September 15, 2016 by राजू सुथार | Leave a Comment कुमार अपने बच्चों से बहुत प्रेम करता था , लेकिन लड़के आधुनिक जीवन शैली में रहना चाहते थे ‘ बाप घर पर खेती बाड़ी के धंधे में हमेशा व्यस्त ही रहता था ‘ कुमार अपने बच्चों से हमेशा अच्छी तरीके से बातें करता था लेकिन बेटे जो काफी नखरा करते हमेशा उनकी बात काट […] Read more » बेसहारा किसान
व्यंग्य साहित्य सजा का मजा…!! September 16, 2015 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा मैने कई बार महसूस किया है कि बेहद सामान्य व छोटा लगने वाला कार्य करने के बाद मुझे लगा जैसे आज मैने कोई अश्विसनीय कार्य कर डाला है। वैसे सुना है कि भीषण रक्तपात के बाद चक्रवर्ती सम्राट बनने वाले कई राजा – महाराजा इसकी उपलब्धि के बाद मायूस हो गए। यह […] Read more » सजा का मजा
कहानी बच्चों का पन्ना साहित्य शेर और लोमड़ी की दुश्मनी September 13, 2015 / September 17, 2016 by राजू सुथार | Leave a Comment एक बार एक शेर और लोमड़ी थी जो कि ज्यादा अच्छे मित्र नहीं थे हमेशा दोनों में अनबन चलती रहती थी ,फिर भी दोनों साथ-साथ रहते तथा खेती करते थे ‘ एक बार ऐसा हुआ कि लोमड़ी किसी कारणवस बाहर जंगल में गयी और काफी समय तक जंगल में ही रही ‘ इसी बीच शेर […] Read more » Featured शेर और लोमड़ी की दुश्मनी
कविता साहित्य “चलो हम प्यार करें” September 11, 2015 by कुलदीप प्रजापति | Leave a Comment छोड़ो यह तकरार, चलो हम प्यार करें, तुम मानो मेरी बात, चलो हम प्यार करें ! हिम शिखर से हिम चुराकर अपना मन शीतल कर लो, बागों से खिलती कलियाँ चुन , तुम अपनी झोली भर लो, नील गगन में उड़ते पंछी, जैसे हम आजाद उड़े, प्रेम नगर की प्रेम डगर पर कितने वर्षो बाद […] Read more » "चलो हम प्यार करें"
कविता साहित्य प्यारो घणो लागे मन्हें राजस्थान। September 11, 2015 / September 11, 2015 by कुलदीप प्रजापति | Leave a Comment प्यारो घणो लागे मन्हें राजस्थान। ——————————– वीर जाण्या छ जीं धरती न महिमा करि न जावे बखान प्यारो घणो लागे मन्हें राजस्थान। तीज को मेळो बूंदी लागे, कोटा का दशवारो जयपुर की गणगौर रंगीली, पुस्कार दुःख हर सारो, मेवाड़ की आन उदयपुर झीलां की नगरी छ, मेवाड़ चित्तौड़ किला महाराणा की धरती छ, पद्मिनी जोहार […] Read more » poem by kuldeep prajapati प्यारो घणो लागे मन्हें राजस्थान।
कविता साहित्य खिलौना September 11, 2015 by श्यामल सुमन | Leave a Comment खिलौना देख के नए खिलौने खुश हो जाता था बचपन में। बना खिलौना आज देखिये अपने ही जीवन में।। चाभी से गुड़िया चलती थी बिन चाभी अब मैं चलता। भाव खुशी के न हो फिर भी मुस्काकर सबको छलता।। सभी काम का समय बँटा है अपने खातिर समय कहाँ। रिश्ते नाते संबंधों के बुनते हैं […] Read more » poems by Shyamal Suman खिलौना
कहानी साहित्य द्वंद … जारी है September 11, 2015 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment एम आर अयंगर राजस्थान के चाँदा गाँव में स्नेहल एक घरेलू जाना पहचाना नाम था. गाँव के कान्वेंट स्कूल में पढ़ने वाली स्नेहल पढ़ाई में अव्वल थी. मजाल कि उसके रहते कोई कक्षा में प्रथम आने की सोच भी लेता. इसके साथ वह थी भी बला की खूबसूरत. घर- बाहर सब उसे प्यार करते थे, […] Read more » story by M R Iyenger द्वंद ... जारी है
कहानी साहित्य जसु अपजसु बिधि हाथ September 10, 2015 by विजय कुमार | Leave a Comment यों तो हमारे कार्यालय में हर शनिवार और रविवार को छुट्टी रहती है; पर कभी-कभी शुक्रवार या सोमवार को कोई पर्व या जयंती भी आ जाती है। ऐसे में केन्द्रीय कर्मचारियों की चांदी हो जाती है। आप तो जानते ही हैं कि भारत छुट्टी प्रिय देश है। साल में डेढ़ सौ दिन तो छुट्टी होती […] Read more » Featured
कविता साहित्य चिन्गारी भर दे मन में September 9, 2015 by श्यामल सुमन | Leave a Comment चिन्गारी भर दे मन में ऐसा गीत सुनाओ कविवर, खुद्दारी भर दे मन में। परिवर्तन लाने की खातिर, चिन्गारी भर दे मन में।। हम सब यारों देख रहे हैं, कैसे हैं हालात अभी? कदम कदम पर आमजनों को, मिलते हैं आघात अभी। हक की रखवाली करने को, आमलोग ने चुना जिसे, महलों में रहते क्या […] Read more » चिन्गारी भर दे मन में