व्यंग्य ओल्ड इज आलवेज गोल्ड December 11, 2018 / December 11, 2018 by अभिलेख यादव | Leave a Comment दिलीप कुमार सिंह किम जोंग द्वारा अमेरिका से सुलह कर लेने के बाद भारत टीवी चैनल के कर्ता-धर्ता बहुत परेशान थे कि अब कौन सा देश उनसे युध्दनीति की सूचनाएं साझा करेगा और वो अपनी दुनिया को बचाने की योजनाओं पर काम कैसे करेंगे लेकिन भला हो हिंदी फिल्म की तारिकाओं का ,जिन्होंने टीवी चैंनलों […] Read more » अर्थशास्त्र ओल्ड इज आलवेज गोल्ड लेखकवा सुष्मिता
व्यंग्य मोलभाव के उस्ताद November 14, 2018 / November 14, 2018 by विजय कुमार | Leave a Comment विजय कुमार, आप चाहे मानें या नहीं; पर हम भारत वालों को मोलभाव में बहुत मजा आता है। हमारे शर्मा जी की मैडम तो इसमें इतनी माहिर हैं कि पड़ोसिनें जिद करके उन्हें अपने साथ खरीदारी के लिए ले जाती हैं। वे भी इसके लिए हमेशा तैयार रहती हैं, क्योकि आॅटो और चाट-पकौड़ी का खर्च […] Read more » मोलभाव के उस्ताद
व्यंग्य आई .. आई .. सीबीआई ….!! October 29, 2018 / October 29, 2018 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment सीबीआई विवाद पर खांटी खड़गपुरिया तारकेश कुमार ओझा का पंच … तारकेश कुमार ओझा हम समझते थे , कुछ बात है तुममें जरा अलग है हस्ती तुम्हारी … लेकिन यह क्या , यहां भी वही छीनाझपटी और खींचतान की बीमारी वही मैं बड़ा और स्वार्थ का झगड़ा पद, पैसा और पावर का लफड़ा बड़ा शोर […] Read more » आई .. आई .. सीबीआई ....!! खींचतान छीनाझपटी
व्यंग्य अजीब है न लोकतंत्र का ई त्यौहार October 26, 2018 / October 26, 2018 by अभिलेख यादव | Leave a Comment अंकित कुंवर लोकतंत्र का बरसों पुराना त्यौहार नजदीक आ रहा है। यह त्यौहार सियासत के गलियारे में शामिल होने के लिए है। एक मौका है जिसपर चौका लगाना सबकी चाहत। अब तो समझो हम का कहना चाह रहें हैं। ई त्यौहार का नामकरण सोच समझकर फिक्स हुआ है। ‘चुनाव’ नाम है इसका। इस नाम का […] Read more » अजीब है न लोकतंत्र का ई त्यौहार कागज फोटो लोकतंत्र सोशल मीडिया
व्यंग्य पाकिस्तान में शरीफ भैंस September 29, 2018 by विजय कुमार | 1 Comment on पाकिस्तान में शरीफ भैंस – विजय कुमार, किसी समय दूध का अर्थ था, जंगल में चरने वाली देसी गाय का दूध; पर समय बदला, तो दूध कई तरह का हो गया। यों तो हर स्तनपायी मादा के पास अपनी संतानों के लिए दूध होता है; पर गाय, भैंस, जरसी, बकरी, भेड़ या ऊंटनी का दूध मनुष्यों के काम भी […] Read more » पाकिस्तान में शरीफ भैंस क्रिकेट शरीफ मियां सेना प्रमुखों
व्यंग्य सेल ! सेल ! पर एक गजल September 15, 2018 by आर के रस्तोगी | 1 Comment on सेल ! सेल ! पर एक गजल सेल लगाकर दुकानदार,ग्राहकों को आकर्षित करते अधिक है जब ग्राहक दुकान में घुस जाये,उसकी जेब काटते अधिक है देते है जो डिस्काउंट,चीजो की प्राइस बताते अधिक है इस तरह दुकानदार ग्राहकों का,ऊल्लू बनाते अधिक है लालच करना बुरी बला है,उसमे ग्राहक फसते अधिक है जो फस जाते है उसमे,बाद में पछताते बहुत अधिक है सेल […] Read more » दुकानदार ग्राहकों लालच सेल ! सेल ! पर एक गजल
व्यंग्य बदहाल अर्थ व्यवस्था में आखिर क्या करे आदमी ….!! September 14, 2018 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा कहां राजपथों पर कुलांचे भरने वाले हाई प्रोफोइल राजनेता और कहां बाल विवाह की विभीषिका का शिकार बना बेबस – असहाय मासूम। दूर – दूर तक कोई तुलना ही नहीं। लेकिन यथार्थ की पथरीली जमीन दोनों को एक जगह ला खड़ी करती है। 80 के दशक तक जबरन बाल विवाह की सूली […] Read more » दिल्ली-मुंबई फिजूलखर्ची बदहाल अर्थ व्यवस्था
व्यंग्य पति की अभिलाषा September 5, 2018 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment सुन्दर डीपी लगा रखी है मोहतरमा अब तो चाय पिला दें सुबह उठते से ही देखो की है तारीफ़ अब तो चाय पिला दें सोच रखा है छुट्टी का दिन सारा आराम करके गुजार दूँगा चाय पीके सो जाऊंगा, कहीं वो शॉपिंग की याद न दिला दें हफ़्ते भर की थकान मीठी नींद, भीने सपनो […] Read more » पति की अभिलाषा शॉपिंग सुन्दर डीपी
व्यंग्य राष्ट्रीय विद्रोही दल August 3, 2018 / August 3, 2018 by विजय कुमार | Leave a Comment – विजय कुमार, शर्मा जी की बेचैनी इन दिनों चरम पर है। 2019 सिर पर है और चुनाव लड़ने के लिए अब तक राष्ट्रीय तो दूर, किसी राज्य या जिले स्तर की पार्टी ने उनसे संपर्क नहीं किया। उन जैसे समाजसेवी यदि संसद में नहीं जाएंगे, तो क्या होगा देश का ?शर्मा जी ने कई […] Read more » Featured गुलदस्ते जिले स्तर की पार्टी राष्ट्रीय विद्रोही दल लिफाफे सार्वजनिक शौचालय
व्यंग्य जेब कतरा -एक व्यंग –आर के रस्तोगी August 3, 2018 / August 3, 2018 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment एक जेब कतरा जेब काटते पकड़ा गया कुछ पुलिस वालो के वह हत्थे चढ़ गया पुलिस वाले बोले,तू जेब काटता है क्यू जेब कतरा बोला,तुम रिश्वत मांगते हो क्यू पुलिस वाले बोले,हमारे थाने बिकते है सरे आम सारे देश मे नीलाम होते है हमे भी उपर वालो को देना पड़ता है बिना दिए अच्छा थाना […] Read more » असली जेब कतरे जेब कतरा -एक व्यंग --आर के रस्तोगी तू जेब काटता है क्यू पुलिस वाले बोले
व्यंग्य संयुक्त प्रधानमंत्री योजना July 27, 2018 / July 27, 2018 by विजय कुमार | Leave a Comment – विजय कुमार इन दिनों भारत में चातुर्मास चल रहे हैं। देवी-देवता निद्रा में हैं। चातुर्मास में साधु-संत भी अपना प्रवास स्थगित कर एक ही जगह रहते हैं। इस दौरान वे अपना अधिकांश समय अध्ययन, चिंतन, पूजा और प्रवचन में बिताते हैं। पर चातुर्मास में असुर क्या करते हैं, इस पर शास्त्र मौन हैं। शर्मा […] Read more » Featured अध्ययन कांग्रेस चिंतन पूजा और प्रवचन राहुल संयुक्त प्रधानमंत्री योजना
व्यंग्य राजनीतिक आंसुओं का रासायनिक विश्लेषण July 17, 2018 / July 17, 2018 by विजय कुमार | 1 Comment on राजनीतिक आंसुओं का रासायनिक विश्लेषण – विजय कुमार, आंसू का साहित्य में बड़ा महत्व है। भाषा कोई भी हो, पर आंसू की खुराक के बिना उसकी गाड़ी आगे नहीं बढ़ती। न जाने कितनी कविता, शेर, गजल, कहानी और उपन्यासों के केन्द्र में आंसू ही हैं। सुमित्रानंदन पंत के शब्दों में – वियोगी होगा पहला कवि, आह से उपजा होगा […] Read more » Featured ऑक्सीजन और थोड़ा कैल्शियम; कुमारस्वामी राजनीतिक आंसुओं का रासायनिक विश्लेषण राष्ट्रगान सुमित्रानंदन पंत हाइड्रोजन