व्यंग्य छेड़छाड़ : हमारा राष्ट्रीय स्वभाव March 19, 2017 by अमित शर्मा (CA) | 1 Comment on छेड़छाड़ : हमारा राष्ट्रीय स्वभाव हम छेड़छाड़ के परंपरागत तरीको से आगे बढ़ चुके है, साइबर फ्रॉड, क्रेडिट कार्ड क्लोनिंग, हैकिंग जैसे नए "हथियारो" ने छेड़छाड़ का "मेकओवर" कर दिया है। छेड़छाड़ के लिए हाई-टेक और डिजिटल साधनो का प्रयोग हो रहा है जिससे कम समय में अधिक परिणाम आ रहे है और हमने प्रति घंटा छेड़छाड़ करने के अपने पिछले औसत को काफी पीछे छोड़ दिया। तकनीक ने हर चीज़ को बदल कर रख दिया लेकिन तकनीक हर जगह अंगुली करने की हमारी आदत को नहीं बदल पाई, अंतर केवल इतना आया है कि अब हम हर जगह अंगुली, टच-स्क्रीन के माध्यम से करते है। Read more » छेड़छाड़ हमारा राष्ट्रीय स्वभाव
व्यंग्य यह मैने नहीं मेरी कलम ने लिखा …!! March 6, 2017 by तारकेश कुमार ओझा | 2 Comments on यह मैने नहीं मेरी कलम ने लिखा …!! तारकेश कुमार ओझा मैं एक बेचारे ऐसे अभागे जो जानता हूं जिसे गरीबी व भूखमरी के चलते उसके बड़े भाई ने पास के शहर में रहने वाले रिश्तेदार के यहां भेज दिया। जिससे वह मेहनत – मजदूरी कर अपना पेट पाल सके। बेचारा जितने दिनों तक उसे काम ढूंढने में लगे, उतने दिन मेजबान की […] Read more »
व्यंग्य निज़ाम-ए मुस्तफा March 5, 2017 by एल. आर गान्धी | Leave a Comment बापू की एक और इच्छा थी ,,,,वे कहते थे जब मेरा काम यहाँ पूरा हो जायेगा मैं पाक चला जाऊंगा। बापू की अधूरी इच्छा को पूरा करना अब गाँधी भक्त कांग्रेसियो और अफ़ज़ल गैंग के आज़ादी परस्त छात्रों और उनको उकसाने वाले बुद्धिजीवी अवार्डवापसी गैंग का है पाक जाएं और अपने आकाओं की बिरियानी का हक़ अदा करें और निज़ाम-ए मुस्तफा कायम करने में अपना योगदान दें !!!! Read more » Featured निज़ाम-ए मुस्तफा
व्यंग्य साहित्य मिलावट का व्याकरण March 4, 2017 by वीरेन्द्र परमार | Leave a Comment देश के प्रतिष्ठित नक्कालों, कालाबाजारियों और मिलावट विशेषज्ञों को इसका सदस्य बनाया जाएगा I ये सदस्य विभिन्न वस्तुओं की नक़ल बनाने एवं मिलावट की आधुनिक प्रविधि के संबंध में बहुमूल्य सुझाव देंगे I हमारा शोध संस्थान डुप्लीकेट चैनल नामक एक टी वी चैनल आरम्भ करेगा जिसके माध्यम से अलंकृत शैली और काव्यमय – अनुप्रासयुक्त शब्दावली में विज्ञापनबालाओं द्वारा उत्पादों का विज्ञापन किया जाएगा I Read more » मिलावट मिलावट का व्याकरण
व्यंग्य जनजागरण की लीला March 4, 2017 / March 4, 2017 by दीपक शर्मा 'आज़ाद' | Leave a Comment देखा जाये तो जनजागरण शब्द राष्ट्रवादी है क्योंकि अभी तक किसी अन्य ने इस पर अपना अधिकार नहीं जताया है। ऐसा मैं इसलिये कह रहा हूं क्योंकि हमारी दो बड़ी राष्ट्रीय पार्टियों की आपसी लड़ाई का केंद्र ही गांधी और पटेल पर अपने अपने आधिपत्य को लेकर रहा है। मैं तो कहूंगा न केवल यह […] Read more » जनजागरण
व्यंग्य गाजर मूली के साथ धनिया मिर्ची फ्री March 3, 2017 by जगमोहन ठाकन | Leave a Comment गली में कई दिनों बाद नत्थू सब्जी वाले की आवाज़ सुनाई दी । देखा तो सामने नत्थू ही अपनी गधा-रेहड़ी पर सब्जी लादे आवाज़ लगा रहा है । मैंने पूछा – अरे नत्थू ! सब कुशल तो है ? कहीं चले गए थे क्या ? नहीं साहब , हम कहाँ जा सकते हैं । बस […] Read more » गाजर मूली के साथ धनिया मिर्ची फ्री
व्यंग्य साहित्य मूर्ख परंपरा और समर्पित मूर्ख February 28, 2017 by अमित शर्मा (CA) | Leave a Comment मैं बचपन से मूर्ख रहा हूँ पर कभी इस पर गर्व नहीं किया, करता भी क्यों आखिर, गर्व मनुष्य द्वारा स्वअर्जित चीज़ों पर किया जाना चाहिए, प्रकृतिप्रदत्त वस्तुओ पर कैसा गुमान, वो तो आपके पूर्व जन्म में किये गए कर्मो का ही फल होता है, जो कभी बासी नहीं होता है। प्रकृति के इस “फल” […] Read more » मूर्ख परंपरा समर्पित मूर्ख
व्यंग्य साहित्य मैं जब भ्रष्ट हुआ February 24, 2017 / February 24, 2017 by वीरेन्द्र परमार | Leave a Comment वीरेन्द्र परमार मेरी नियुक्ति जब एक कमाऊ विभाग में हुई तो परिवार के लोगों और सगे – संबंधियों को आशा थी कि मैं शीघ्रातिशीघ्र भ्रष्ट बनकर राष्ट्र की मुख्यधारा में जुड़ जाऊंगा लेकिन आशा के विपरीत जब मैं एक दशक तक भ्रष्ट नहीं हुआ तो सभी ने एक स्वर से मुझे कुल कलंक घोषित कर […] Read more » Featured भ्रष्ट भ्रष्ट होना एक राष्ट्रीय उत्सव भ्रष्टाचार भ्रष्टाचार मुक्त समाज
व्यंग्य खट्ठा-मीठा : भाभी से होलियाना छेड़छाड़ February 23, 2017 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment ऐसे दीवाने देवरों को देखकर भाभी डर गयीं। भैया से शिकायत करने की धमकी दी। इस पर देवर और भी अधिक हो-हल्ला करने लगे। ‘भाभी, हम भैया से नहीं डरते। अगर भैया डाँटेंगे, तो उनको भी गुलाल लगा देंगे। पर हम भाभी से होली जरूर खेलेंगे।’ भाभी जानती थी कि ससुर जी से भी शिकायत करने का कोई लाभ नहीं होगा। वे तो ज्यादा से ज्यादा यही कहेंगे कि ‘लड़के हैं, लड़कों से गलतियाँ हो जाती हैं।’ Read more » भाभी भाभी से होलियाना छेड़छाड़ होलियाना छेड़छाड़
व्यंग्य साहित्य आईपीएल, मनोरंजन और भारतीय दर्शन February 22, 2017 / February 22, 2017 by अमित शर्मा (CA) | Leave a Comment आईपीएल की बोली लग चुकी है, खिलाडी बिक चुके है, बस अब खेल का बिकना बाकी है। मज़मा लग चुका हैै, खिलाडी मुजरा करने को तैयार है। बाज़ारीकरण के इस दौर में “आई-पिल” और “आईपीएल” दोनों का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है क्योंकि दोनों ही कम समय में “सुरक्षित” मनोरंजन सुनिश्चित करते है। विकासशील […] Read more » Featured आईपीएल भारतीय दर्शन मनोरंजन
व्यंग्य “लांच” होने से ज़्यादा रूचि “लंच” करने में February 18, 2017 by अमित शर्मा (CA) | Leave a Comment इसरो ने अंतरिक्ष में 104 उपग्रह एक साथ छोड़कर उन्हें सफलतापूर्वक अपनी कक्षा में स्थापित कर दिया है,ये पूरे देश के लिए तो गर्व की बात है ही लेकिन मेरे लिए यह गर्व के साथ -साथ प्रेरणास्पद बात भी है क्योंकि बचपन में अपने मम्मी-पापा के कई असफल प्रयासों के बाद भी मैं अपनी स्कूल […] Read more »
व्यंग्य नये इसरो की तलाश February 18, 2017 by विजय कुमार | Leave a Comment इन दिनों हर कोई ‘इसरो’ के गुण गा रहा है। सचमुच उसने काम ही ऐसा किया है। दुनिया में आज तक कोई देश एक साथ 104 उपग्रह सफलतापूर्वक प्रक्षेपित नहीं कर सका है। जो लोग वैज्ञानिक सफलता के नाम पर सुबह उठते ही अमरीका और रात में सोने से पहले रूस की माला जपते हैं, […] Read more » नये इसरो की तलाश