व्यंग्य साहित्य अस्पताल में एक और आम हादसा October 25, 2016 by अशोक गौतम | Leave a Comment नहीं सर! वह तो बेचारी समान नागरिक संहिता के दौर में भी हरदम बस इसी बात से डरी रहती है कि दूसरे धर्म का होने के बाद भी जो भोलाराम ने सपने तक में उसे तीन बार तलाक तलाक तलाक कह दिया तो इस बुढ़ापे में कहां जाएगी? सोचती है तो उसके हाथ पांव फूल जाते हैं।हाय री रूह! गजब के मर्द हैं ये भी! सारी उम्र प्रेम. प्रेम करते. करते, कहते.कहते भी अपनी बीवी से प्रेम नहीं कर पाते पर सिर्फ तीन बार तलाक तलाक तलाक कहकर उसे तलाक जरूर दे देते हैं। कौन से धर्म की पोथी पढ़े हैं री ये मर्द? Read more » अस्पताल में एक और आम हादसा
व्यंग्य साहित्य कौन समझे पुरबिया पुत्रों की पीड़ा …..!! October 25, 2016 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment पूरबिए रोजी - रोटी की तलाश में चाहे अपनी जड़ों से हजारों किलोमीटर दूर या परदेश ही निकल जाएं। लेकिन पिता रहते बाबूजी ही हैं। बेटे से सदा नाराज। बेटा कालेज में पढ़ रहा है, पर बाबूजी को उसकी शादी की चिंता खाए जा रही है। शादी हो गई, तो नाराज ... कि इसे तो घर - परिवार की कोई चिंता ही नहीं। बेटा नौकरी की तलाश में कहीं दूर निकल जाए या घर पर रह कर ही कोई धंधा - कारोबार करे, तो भी शिकायत। मड़हे में बैठ कर बेटे की बुराई ही करेंगे कि भैया , एेसे थोड़े धंधा - गृहस्थी चलती है। परिवार की गाड़ी खींचने के लिए हमने कम पापड़ नहीं बेले। लेकिन आजकल के लौंडों को कौन समझाएं... वगैरह - वगैरह चिर - परिचित जुमले। Read more » पुरबिया पुत्रों की पीड़ा
व्यंग्य साहित्य सोशल मीडिया इंश्योरेंस : लिखने की आजादी October 22, 2016 by एम्.एम्.चंद्रा | Leave a Comment सोशल मीडिया पर बोलने से पहले न सोचने की जरूरत है न पढ़ने की. जब किसी के लिखे को पढ़ने की जरूरत ही नहीं तो सोचने की जरूरत किसे है. आज किसके पास इतना टाइम रखा है जो पहले सो बार सोचे. जितना समय सोचने में लगायेगे, उतने समय में तो सोशल मीडिया पर लिख देंगे. आज टाइम की कीमत, लिखने की कीमत है, सोचने की नहीं. सोचने का काम दूसरे लोग करे. समझदार व्यक्ति वही होता है जो लिख दे, रही बात लेने- देने की तो वह सोशल मीडिया इंश्योरेंस कंपनी कर ही देंगी. Read more » लिखने की आजादी सोशल मीडिया इंश्योरेंस
व्यंग्य बहिष्कारी तिरस्कारी व्यापारी October 14, 2016 by आरिफा एविस | 2 Comments on बहिष्कारी तिरस्कारी व्यापारी हिष्कार जनता को नहीं करना है. यह काम नेताओं का है क्योंकि वे लोग तो दिलो जान से स्वदेशी हैं. देखो न सदियों से अब तक सफेदपोश ही हैं. खादी पहन कर ही सारे समझौते विदेशी कम्पनियों से हो सकते हैं. बहिष्कार करना स्वदेशी होने की निशानी है लेकिन विदेशी कम्पनियों से नित नए समझौते करना और लुभावने ऑफर देकर अपने यहाँ स्थापित करना उससे बड़ा स्वदेशीपन है Read more » तिरस्कारी बहिष्कारी व्यापारी
व्यंग्य साहित्य रामायण और मीडिया ट्रायल October 12, 2016 by दीपक शर्मा 'आज़ाद' | Leave a Comment मीटिंग समाप्त होने के अगले कुछ दिनों में लंका में जो हुआ उससे राम और लक्ष्मण एक बड़ी प्रोब्लम में फंस गये। पत्रकारों और मानवाधिकारवादियों ने गुस्सैल लक्ष्मण को अपने सवालों में जकड़ लिया। आम जनता के बीच अपनी न्यूज सेंस टैक्निक की बदौलत यह बात फैला दी कि लक्ष्मण के पास ब्रह्मास्त्र था जबकि मेधनाद निहत्था था। बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान ढ़ूंढ़ने वाले राम इस आधुनिक समस्या का समाधान ढूंढ़ने में असफल दिखाई दिये। Read more » मीडिया ट्रायल रामायण
व्यंग्य नेताओ का राज , फिर कैसे आएगा इंडिया का स्वराज October 7, 2016 by अमित शर्मा (CA) | 1 Comment on नेताओ का राज , फिर कैसे आएगा इंडिया का स्वराज वहीँ भूषण के ऑफिस में घुसकर कुछ लोगो ने जूतों से उनकी पिटाई कर दी थी। वैसे इन घटनाओ की निंदा की जानी चाहिए। मैंने भी इन घटनाओ की निंदा की थी , हालांकि मैं कड़ी निंदा नहीं कर पाया था ,क्योंकि निंदा करने से पहले मैंने मिठाई खा ली थी क्योंकि जैसे ही मैंनै इन घटनाओ के बारे में सुना, वैसे ही मेरे दिल में ख्याल आया, “कुछ मीठा हो जाए”। Read more » नेताओ का राज फिर कैसे आएगा इंडिया का स्वराज योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण
व्यंग्य व्यंग्य : केजरी भैया बोले October 5, 2016 by मनोहर पुरी | 1 Comment on व्यंग्य : केजरी भैया बोले पाकिस्तान के प्रधान मंत्री ने अपनी संजय रूपी आंख से देखा कि उनके हमसाये अरविन्द केजरी भैया बहुत ही मायूस एक कोने में पड़े हैं। हमेशा अखबारों में छाये रहने वाले उनके केजरी भैया मीडिया में सोलहवें पेज पर भी दिखाई नहीं दे रहे हैं। Read more » Featured Kejriwal attack on surgical strike केजरी भैया बोले
व्यंग्य आखिर अहिंसा के पुजारी का घर अशांत क्यों? October 1, 2016 / October 1, 2016 by प्रवीण कुमार | Leave a Comment अजीब विडम्बना है कि कल तक हमें कालापानी और फाँसी की सजा सुनाने वाले गोरे अब हमारे दोस्त बन गये और जो साथ लड़े वो दुश्मन। इसलिए अब सडकों और दीवारों की गन्दगी साफ करने के साथ-साथ हमें अपने दिलों की गन्दगी भी साफ करनी पड़ेगी तथा पुनर्चिंतन करना पड़ेगा। गाँधी के गुजरात से आने वाले प्रधानमंत्री जी को "गाँधी के मन्तर" को अपने मन की बात बनानी पड़ेगी। Read more » आखिर अहिंसा के पुजारी का घर अशांत क्यों?
व्यंग्य साहित्य मच्छर से कुछ सीखो भाई ………… September 30, 2016 / September 30, 2016 by विजय कुमार | Leave a Comment मनुष्य भले ही स्वयं को संसार के प्राणियों में सबसे अधिक बुद्धिमान समझे, पर मैं इससे सहमत नहीं हूं। इन दिनों सब तरफ बाबा रामदेव और उनके योगासनों की धूम है; पर एक बार जरा आसनों के नाम पर तो नजर डालें। मयूरासन, श्वानासन, कुक्कुटासन, सिंहासन, गोमुखासन, मत्स्यासन, भुजंगासन, मकरासन, उष्ट्रासन... आदि। नाम गिनाना शुरू करें, तो सूची समाप्त नहीं होगी। Read more » Featured sattirical article on dengue मच्छर
व्यंग्य साहित्य आज़ादी की तान पर नाचे बलूचिस्तान September 27, 2016 / September 27, 2016 by अमित शर्मा (CA) | 1 Comment on आज़ादी की तान पर नाचे बलूचिस्तान भारत के रक्षा मंत्री ने पाकिस्तान को नरक कहाँ था , मतलब बलूचिस्तान नर्क से आज़ादी चाहता है लेकिन बलूची लोगो को समझना होगा की नरक से आज़ादी मिलने में समय लगता है , हमें भी यूपीए के शासनकाल से 10 साल के बाद ही मुक्ति मिली थी। Read more » Featured sattirical article on baluchistan बलूचिस्तान
व्यंग्य साहित्य वाकई ! इस चमत्कार को नमस्कार है !! September 26, 2016 by तनवीर जाफरी | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा क्या आप इस बात की कल्पना कर सकते हैं कि कोई बिल्कुल आम शहरी युवक बमुश्किल चंद दिनों के भीतर इतनी ऊंची हैसियत हासिल कर लें कि वह उसी माहौल में लौटने में बेचारगी की हद तक असहायता महसूस करे, जहां से उसने सफलता की उड़ान भरी थी। मैं बात कर रहा […] Read more » Featured
व्यंग्य साहित्य विश्व शांतिदूत कबूतर की रिहाई September 21, 2016 by एम्.एम्.चंद्रा | Leave a Comment एम एम चन्द्रा कबूतर-1 हर साल होने शांति दिवस को लेकर शांति दूत कबूतरों की समस्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है कोई भी हमारी सुनने वाला नहीं है. सबके सब कबूतरबाजी में लगे है और पतंगबाजी में यकीन करने लगे .जब यह दुनिया शांतिदूत कबूतरों की नहीं हो सकती तो हमें शांतिदूत होने […] Read more » कबूतर की रिहाई विश्व शांतिदूत