राजनीति राजनीति के वर्तमान दौर में अरविंद केजरीवाल February 19, 2015 by निर्मल रानी | 1 Comment on राजनीति के वर्तमान दौर में अरविंद केजरीवाल राजनीति यदि पूरी जि़म्मेदारी,ईमानदारी,पारदर्शिता तथा जनकल्याण आदि के मक़सद को लेकर की जाए तो निश्चित रूप से यह कोई कम पुनीत पेशा नहीं है। परंतु हमारे देश की वर्तमान राजनीति तो गोया केवल सत्ता सुख भोगने का एक ज़रिया बन कर रह गई है। चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में प्रधानमंत्री चाणक्य से जब कोई व्यक्ति […] Read more » राजनीति के वर्तमान दौर में अरविंद केजरीवाल
राजनीति ‘आप‘ की जीतः February 19, 2015 / February 19, 2015 by इक़बाल हिंदुस्तानी | 2 Comments on ‘आप‘ की जीतः मोदी के 249 दिन पर केजरीवाल के 49 दिन भारी\ –इक़बाल हिंदुस्तानी अमीर समर्थक व वादे पूरे ना करने से हारी बीजेपी! जुम्मा जुम्मा आठ दिन की नौसीखिया आम आदमी पार्टी भाजपा की मोदी सरकार की साम दाम दंड भेद की नीति अपनाने के बावजूद उसे हरा देगी यह तो लग ही […] Read more » ‘आप‘ की जीतः
राजनीति सूप बोले सो बोले ,किन्तु छलनी भी बोले ! February 18, 2015 by श्रीराम तिवारी | Leave a Comment दक्षिणपंथी पूंजीवादी संसदीय लोकतंत्र की राजनीति में महाचालू और मजे हुए नेता और राजनैतिक दल जब बम्फर जीत हासिल करते हैं तो वे जीत का श्रेय अपने ‘हीरो’ को देते हैं। इसके साथ -साथ जीत की इस वेला में आम जनता याने मतदाता तब उन्हें बहुत समझदार लगती है। किन्तु जब वे बुरी तरह हार जाते हैं […] Read more »
राजनीति अरविन्द बाबू दिल्ली का सिंहासन कोई फूलों की सेज नहीं काँटों भारा ताज है …. February 17, 2015 / February 17, 2015 by एडवोकेट मनीराम शर्मा | 3 Comments on अरविन्द बाबू दिल्ली का सिंहासन कोई फूलों की सेज नहीं काँटों भारा ताज है …. केजरीवाल जी आपने जनता को काफी कुछ मुफ्त में देने और भ्रष्टाचारमुक्त शासन देने का वादा किया है | लोकपाल कानून तो आपके दायरे में ही नहीं है और इस कानून से भी जनता का कितना भला हो सकता है मैं नहीं जानता किन्तु यह अवश्य जानता हूँ कि राजस्थान में लोकायुक्त कानून 40 […] Read more »
राजनीति मौजों की रवानी में मांझी February 17, 2015 / February 17, 2015 by दीपक कुमार | 1 Comment on मौजों की रवानी में मांझी 2005 की बात है, बिहार में विधानसभा चुनाव के नतीजे आए थे। जनता ने जदयू और भाजपा को सरकार चलाने का आदेश दिया था लेकिन मुझे उस वक्त लगा कि यह जनाधार भाजपा को नहीं बल्कि एक इंजीनियर दिमाग के संघर्षशील सितारे को मिली है जिसने लालू के जंगलराज को खत्म करने के सपने दिखाए […] Read more » मांझी
राजनीति राजनीति में ‘ जीतनराम’ …… !! February 17, 2015 / February 17, 2015 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा अपने माही यानी टीम इंडिया के कप्तान महेन्द्र सिंह धौनी का जब भारतीय टीम में चयन हुआ तो अरसे तक मीडिया उन्हें धोनी – धोनी कहता रहा। आखिरकार उन्हें खुद ही सामने आकर कहना पड़ा कि वे धोनी नहीं बल्कि धौनी हैं। इसी तरह 2104 लोकसभा चुनाव के बाद बिहार की राजनीति […] Read more » जीतनराम
जन-जागरण राजनीति संघ, मोदी और केजरीवाल: बदलते दौर का हिंदुत्व February 15, 2015 / February 15, 2015 by मिथिलेश सिंह | Leave a Comment दिल्ली के चुनाव परिणामों ने देश की राजनीति में आ रहे बदलावों को व्यापक रूप से पुख्ता किया है. इसे समझने के लिए हमें पिछले लोकसभा चुनावों का पन्ना फिर से पलटना होगा. 9 महीने पहले जब लोकसभा में नरेंद्र मोदी प्रचंड बहुमत लेकर लोकसभा में पहुंचे थे तो यह बात बड़ी जोर शोर से […] Read more » changing phase of hindutwa बदलते दौर का हिंदुत्व
राजनीति दिल्ली कांग्रेस में बगावती स्वर February 14, 2015 / February 14, 2015 by सुरेश हिन्दुस्थानी | Leave a Comment सुरेश हिन्दुस्थानी दिल्ली में जमीन झाड़ पराजय के बाद भी कांग्रेस पार्टी सबक लेने को तैयार दिखाई नहीं दे रही है। इस अप्रत्याशित पराजय को लेकर दिल्ली के पिछले और इस चुनाव में कांग्रेस के केन्द्र बिन्दु बने शीला दीक्षित और अजय माकन के बीच तो ऐसा लगने लगा है कि दोनों के बीच सीधी […] Read more » दिल्ली कांग्रेस में बगावती स्वर
राजनीति नीतीश कुमार : “चलनी दूसे सूप को” February 13, 2015 / February 13, 2015 by आलोक कुमार | 1 Comment on नीतीश कुमार : “चलनी दूसे सूप को” माँझी-नीतीश की कुर्सी की ‘हाई-वोल्टेज’ लड़ाई में नीतीश जी लगातार ये कहते दिख रहे हैं “बिहार में संवैधानिक संस्थाओं व परम्पराएँ मज़ाक बन कर रह गई हैं ” उनका इशारा किस संवैधानिक संस्था की ओर है इसे ,नीतीश-माँझी प्रकरण के संदर्भ में , समझना ‘रॉकेट-साइन्स’ के गूढ विज्ञान जैसा जटिल भी नहीं है , लेकिन नीतीश जी के मुँह से ऐसी बात सुन कर हँसी आना , हतप्रभ होना तो […] Read more » नीतीश कुमार माँझी-नीतीश की कुर्सी
राजनीति भाजपा की हार या आप की जीत ! February 13, 2015 / February 13, 2015 by संजय द्विवेदी | 2 Comments on भाजपा की हार या आप की जीत ! -संजय द्विवेदी दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम में भाजपा की पराजय की चर्चा हर जुबान पर है। जाहिर तौर पर इस हार ने भाजपा के अश्वमेघ के अश्व को रोक दिया है और नरेंद्र मोदी-अमित शाह की जोड़ी के जलवे में भी कमी आई है। दिल्ली का चुनाव सही मायने में बहुत छोटा चुनाव है, […] Read more » आप की जीत ! भाजपा की हार
राजनीति राष्ट्रीय विकल्प तो भाजपा ही है February 12, 2015 / February 12, 2015 by सुरेश हिन्दुस्थानी | 1 Comment on राष्ट्रीय विकल्प तो भाजपा ही है सुरेश हिन्दुस्थानी दिल्ली में जिस प्रकार के चुनाव परिणाम आए, उससे धर्मनिरपेक्षता का आवरण ओढ़े उन ताकतों को चिल्लाने अवसर मिल गया है जो राजनीतिक तौर पर पतन की ओर अग्रसर हो चुके हैं। लेकिन सत्य यह है कि आम आदमी पार्टी की यह अकल्पनीय जीत उन दलों के लिए भी किसी बड़े खतरे का […] Read more » राष्ट्रीय विकल्प तो भाजपा ही है
राजनीति भाजपा सबक ले और आगे बढ़े…. February 11, 2015 / February 11, 2015 by नरेश भारतीय | 2 Comments on भाजपा सबक ले और आगे बढ़े…. नरेश भारतीय दिल्ली में हुए चुनावों में अपनी घोर पराजय की सम्यक समीक्षा करते समय भाजपा को यह ध्यान में लेने की महती आवश्यकता है कि वह किसी भी परिस्थिति में अपने स्थानीय नेतृत्व की उपेक्षा करने से बचे. स्पष्ट है कि पहले से ही विभाजित दिल्ली के भाजपा नेताओं का मनोबल चुनाव से मात्र […] Read more » भाजपा सबक ले