समाज किस काम की है, यह मौत की सजा ? June 8, 2017 by डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Leave a Comment बलात्कार की सजा इतनी सख्त होनी चाहिए कि किसी के मन में बलात्कार का विचार पैदा होते ही उसकी सजा की भयंकरता घनघनाने लगे। याने बलात्कार के मुकदमों का निपटारा प्रायः एक माह में ही होना चाहिए और मृत्युदंड बंद कोठरी में नहीं, जेल की चारदीवारी में नहीं, बल्कि कनाट प्लेस और चांदनी चौक जैसे खुले स्थानों पर दी जानी चाहिए और उनका जीवंत प्रसारण सभी चैनलों पर होना चाहिए। देखें, फिर देश में बलात्कारों की संख्या एकदम घटती है या नहीं ? Read more » Featured बलात्कार की सजा
समाज पौधों को वृक्ष बनने के लिए किसी मार्केटिंग की जरूरत नहीं June 8, 2017 by अलकनंदा सिंह | Leave a Comment दूसरी शोध रिपोर्ट कहती है कि अच्छी नींद से वजन कम होता है, ये बिल्कुल नाक को घुमाकर पकड़ने वाली बात है। अच्छी नींद के लिए बहुत आवयश्क है शारीरिक मेहनत करना और जब व्यक्ति शारीरिक तौर पर मेहनत करेगा तो पूरे शरीर की मांसपेशियां थकेंगीं, निश्चित ही मानसिक तौर पर भी थकान होगी और नींद अच्छी आएगी। नींद अच्छी आएगी तो मोटापा हावी नहीं होगा। हास्यास्पद लगता है कि जब ऐसी रिपोर्ट्स को ''शोधार्थियों की अनुपम खोज'' कहा जाता है। Read more » play in dust Yoga मार्केटिंग
समाज भीड़तंत्र की हिंसा से जख्मी होता समाज June 8, 2017 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- उत्तर प्रदेश के आगरा में भाजपा नेता की हत्या के बाद भीड़ ने ही दो हमलावरों में से एक को पीट-पीटकर मार डाला। दिल्ली में खुलेआम दो लड़कों को पेशाब करने से रोकने पर गतदिनों एक ई-रिक्शा चालक की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई। कुछ दिनों पहले आनंद विहार इलाके में कवि […] Read more » राजनीतिक स्वार्थों के लिये हिंसा
समाज मूसा तुम आतंकी हम देशप्रेमी भारतीय! June 8, 2017 / June 8, 2017 by इक़बाल हिंदुस्तानी | Leave a Comment मिस्टर मूसा अलबत्ता तुम ठहरे सारी दुनिया के खुदाई फौजदार, इस् लाम और इंसानियत के दुश्मन तो तुम अपना यह गंदाखूनी खेल कश्मीर तक ही सीमित रखो क्योंकि तुम्हारी ज़िंदगी चार दिन की ही है। भा जपा नेता शाहनवाज़ हुसैन ने कम से कम इतनी बात तो ठीक ही कही है कि भारतीय मुसलमान तुम्हारे झांसे में नहीं आने वाला और एक दिन ख़बर मिलेगी तुम कश्मीर को इस्लामी राष्ट्र बनाने का सपना देखते देखते खुद चंद दिन बाद सेना की गोली का शिकार हो गये। Read more » Featured ज़ाकिर मूसा पूर्व कमांडर कश्मीरी आतंकी हिजबुल मुजाहिदीन
समाज जीवन का दुःख और ध्यान का सुख June 7, 2017 by ललित गर्ग | Leave a Comment ललित गर्ग भौतिक चकाचैंध एवं आपाधापी के इस युग में मानसिक संतुलन हर व्यक्ति जरूरत है। मानसिक असंतुलन जीवन का सबसे बड़ा अभिशाप है। इससे व्यक्तिगत जीवन तो नरक बनता ही है, सम्पूर्ण मानवता भी अभिशप्त होती है। वर्तमान की स्थिति को देखकर ऐसा महसूस हो रहा है कि कुछेक व्यक्तियों का थोड़ा-सा मानसिक असंतुलन […] Read more » जीवन का दुःख ध्यान का सुख
समाज आखिर किसानों को गुस्सा क्यों आया ? June 7, 2017 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment भाजपा ने लोकसभा चुनाव के घोषणा-पत्र में स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करने और किसानों को उपज का लागत से डेढ़ गुना दाम दिलाने का वादा किया था। लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार के तीन साल बीत जाने के बावजूद इस दिशा में कोई उल्लेखनीय पहल नहीं हुई। इसके उलट विभिन्न फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पहले की तुलना में कम ही बढ़े हैं। Read more » farmer dying out of debt farmrers in debt Featured अन्नदाता किसानों को गुस्सा
समाज उत्तर प्रदेश की उच्च मेडिकल शिक्षा June 6, 2017 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment हर साल देश भर में 55,000 डॉक्टर अपना एमबीबीएस और 25,000 पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा करते है। विकास की इस दर के साथ, वर्ष 2020 तक 1.3 बिलियन आबादी के लिए भारत में प्रति 1250 लोगों पर एक डॉक्टर (एलोपैथिक) होना चाहिए और और 2022 तक प्रति 1075 लोगों पर एक डॉक्टर होना चाहिए (जनसंख्यारू 1.36 बिलियन)। दूसरे विशेषज्ञ का कहना है कि, “हालांकि, समिति को सूचित किया गया है। एक रात में डॉक्टर नहीं बनाया जा सकता है और यदि हम अगले पांच सालों तक हर साल 100 मेडिकल कॉलेज जोड़ते हैं तभी वर्ष 2029 तक देश में डॉक्टरों की संख्या पर्याप्त होगी।“ Read more » Featured उच्च मेडिकल शिक्षा उत्तर प्रदेश
समाज सार्थक पहल जिम्मेदारी का घड़ा और स्वच्छता की पहल June 5, 2017 by मनोज कुमार | Leave a Comment मनोज कुमार गर्मी की तपन बढऩे के साथ ही अनुपम मिश्र की याद आ गयी. उनके लिखे को एक बार फिर पढऩे का मन किया. उनको पढ़ते हुए मन में बार बार यह खयाल आता कि वे कितनी दूर की सोचते थे. एक हम हैं कि कल की भी सोच पाने में समर्थ नहीं है. […] Read more »
समाज सार्थक पहल मुचकुंद दूबे के लालन शाह June 5, 2017 by डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Leave a Comment प्रो. मुचकुंद दूबे ने हिंदी में वह काम कर दिखाया है, जो रवीन्द्रनाथ टैगोर ने लालन शाह फकीर के लिए बांग्ला में किया था। लालन शाह एक बाउल संत थे, जिनका जन्म 1774 में हुआ माना जाता है और निधन 1890 में याने उन्होंने 116 साल की उम्र पाई। आज बांग्लादेश के घर-घर में उनके […] Read more » Featured Hindi Translation of Bengali Songs of Lalan Shah Fakir Muchkund Dubey Shri Pranab Mukherjee receiving a copy of the book of Hindi Translation of Bengali Songs of Lalan Shah Fakir by Prof. Muchkund Dubey and a DVD of the Songs The President मुचकुंद दूबे लालन शाह
समाज जानिए की आखिर क्यों अशुभ हैं फटी हुई जींस पहनना..??? June 5, 2017 by पंडित दयानंद शास्त्री | Leave a Comment इस तरह के कपड़े पहनकर आप अपने फ्रेंड्स के बीच भले ही अच्छे लगें लेकिन ये आपके गुड लक को बैड लक में बदल सकता है। इस तरह के कपड़े पहनना दरिद्रता को न्योता देता है। यह सिर्फ बाहर जाने को लेकर ही बुरा नहीं माना जाता बल्कि अगर घर पर हैं या घर से ही काम कर करते हैं तो भी आपको फटे और पुराने कपड़े नहीं पहनने चाहिए। Read more » अशुभ हैं फटी हुई जींस पहनना फटी हुई जींस
समाज धार्मिक आस्था पर आघात की घृणित राजनीति June 5, 2017 by विनोद कुमार सर्वोदय | Leave a Comment भारतीय संस्कृति को नष्ट-भ्रष्ट करके भूमि पुत्र बहुसंख्यक हिंदुओं की आस्थाओं पर निरंतर प्रहार करते रहने की मुगलकालीन परंपरा अभी जीवित है। आज केंद्र में राष्ट्रवादी भाजपानीत राजग सरकार के सशक्त शासन में भी देशद्रोहियों व भारतविरोधियों के षड्यंत्रो पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। यह कितना विचित्र है कि जिस “कांग्रेस” ने आरंभ […] Read more » Featured कत्लगाह गाय गाय को "राष्ट्रीय पशु" धार्मिक आस्था बूचड़खाने बैल व बछड़े स्लाटर हाउस
परिचर्चा समाज सार्थक पहल पर्यावरण से छेड़छाड़ के बिना ही मिलने लगा भरपूर पानी June 5, 2017 by चरखा फिचर्स | Leave a Comment “जब मैं छोटा था बहुत बारिश और बर्फ होती थी। मई के अंत तक पहाड़ बिल्कुल सफेद रहते थे। लेकिन अब बर्फ बहुत ही कम हो गए हैं। सफेद की जगह हरे नजर आते हैं। क्योंकि बारिश ज्यादा होने लगी है”। ये वाक्य है लद्दाख के फ्यांग गांव में रहने वाले 80 वर्षीय टुंडुप वांगाईल का। इसी गांव के 51 वर्षीय रींचेन वांगड़ूज़ बताते हैं कि “साल दर साल वाहनो से निकलने वाले धुंए के कारण वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। और ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे है”। Read more » पर्यावरण पर्यावरण से छेड़छाड़ के बिना ही मिलने लगा भरपूर पानी