लेख समाज बाजार, तकनीकी और नैतिक पतन February 12, 2012 / February 12, 2012 by राजीव गुप्ता | Leave a Comment राजीव गुप्ता जयप्रकाश नारायण ने अपनी एक पुस्तक “समाजवाद से सर्वोदय की ओर” में लिखा है कि “विज्ञानं ने अखिल विश्व को सिकोड़कर एक पड़ोस बना दिया है !” इस बात की सत्यता एवं प्रामाणिकता वर्तमान परिदृश्य की भौतिकता के आधुनिक दौर में हुए तकनीकी विकास को देखकर लगाया जा सकता है ! मसलन देश […] Read more » development in science and technology तकनीकी नैतिक पतन बाजार
समाज मुख्यमंत्री का मौनव्रत February 6, 2012 / February 6, 2012 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव मध्य-प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने भ्रष्टाचार-निषेध से जुड़े एक लंबित विधेयक को अनुमोदित कराने के लिए अपने संपूर्ण मंत्री मण्डल के साथ दिल्ली में मौनव्रत साधने की धमकी देने का जुमला छोड़ा है। मध्य-प्रदेश राज्यमंत्री परिषद् से पारित यह विधेयक भारत सरकार के गृह मंत्रालय में बीते एक साल से लटका हुआ […] Read more » Shivraj Singh Chauhan मुख्यमंत्री का मौनव्रत
समाज बदहाली का शिकार : घरेलु महिला कामगार February 5, 2012 / February 5, 2012 by डॉ0 आशीष वशिष्ठ | 1 Comment on बदहाली का शिकार : घरेलु महिला कामगार घरेलू जीवन के रोजमर्रा के तंत्र में कामवाली बाइयों के महत्व को किसी भी तरह से कम करके नहीं आंका जा सकता है। चाहे कामकाजी महिलाएं हों या खांटी घरेलू महिलाएं, कामवाली बाइयों के बिना उनके जीवन की तस्वीर पूरी नहीं उभरती है। कम से कम भारत में तो कामवाली बाइयों को बुनियादी आवश्यकता कहा […] Read more » maid servant घरेलु महिला कामगार बदहाली का शिकार
लेख समाज राइट टू रिकाल February 1, 2012 / February 1, 2012 by अब्दुल रशीद | 2 Comments on राइट टू रिकाल अब्दुल रशीद लोकतंत्र में कहा जाता है सत्ता जनता से जनता के लिए जनता के द्वारा चलता है। लेकिन क्या ऐसा होता है? आज जनता के वोट द्वारा सत्ता भले ही चुनी जाती है लेकिन न तो सत्ता जनता के हित में काम करती है और न ही जनता के भागीदारी को समझती है कारण […] Read more » Democracy Right to Recall राइट टू रिकाल लोकतंत्र
समाज इंसान और जानवर के बीच बढ़ता टकराव January 31, 2012 / January 31, 2012 by डॉ0 आशीष वशिष्ठ | 2 Comments on इंसान और जानवर के बीच बढ़ता टकराव डॉ. आशीष वशिष्ठ वन्य प्राणियों के गांवों एवं शहरों में प्रवेश, खेती-पालतू पशुओं को नुकसान पहुंचाने और मनुष्यों पर घातक हमला करने की घटनाएं देश भर में भी बढ़ रही हैं। वन क्षेत्रों के निकट के गांवों एवं कस्बों में ऐसी घटनाएं आए दिन हो रही हैं। वनों में रहने वाले बंदर जब-तब गांव और […] Read more » increasing conflict between human and animal increasing struggle between human and animals इंसान इंसान और जानवर के बीच बढ़ता टकराव जानवर के बीच बढ़ता टकराव
समाज सर्दी, सिहरन और एक दुखद सच्चाई ? January 31, 2012 / January 31, 2012 by वीरभान सिंह | 1 Comment on सर्दी, सिहरन और एक दुखद सच्चाई ? वीरभान सिंह यह हाड कंपाने वाली ठंड। बस, रजाई में दुबके पडे रहें और हाथ बाहर न निकालना पडे। अपना हाथ पानी में भले ही कटकर गिरता हुआ सा लगे, पर मां अपने हाथ से गरमा-गरम पकौडियां, मटर और आलू भरे पराठे देती रहे। चाय-काॅफी की गर्माहट मिलती रहे। ज्यादा शौक चढे तो चोक-चोराहों पर […] Read more » shivering people in cold unbeatable cold सर्दी सिहरन
महिला-जगत समाज यूपी के कामांधों की कलंक कथा और चुनावी घोषणा पत्र January 31, 2012 / January 31, 2012 by वीरभान सिंह | 4 Comments on यूपी के कामांधों की कलंक कथा और चुनावी घोषणा पत्र बलात्कार पीडिताओं को नौकरी नहीं इंसाफ चाहिए कोशिश ये करो प्रदेश में बलात्कार ही ना हो वीरभान सिंह उत्तर प्रदेश में सत्ता की लडाई जीतने के लिए समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने इस बार महिला कार्ड खेला है। हाल ही में सिद्धार्थ नगर की चुनावी सभा में योजनाओं की घोषणाओं का वायदी […] Read more » government jobs to raped women चुनावी घोषणा पत्र बलात्कार पीडिता लडकी को सरकारी नौकरी यूपी के कामांधों की कलंक
लेख समाज फ़ेसबुक से दुःखी January 24, 2012 / January 24, 2012 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment आजकल हर कोई फ़ेसबुक से दुःखी है. सबसे ज्यादा दुःखी तो सरकार है. सरकार फ़ेसबुक से इतना दुःखी हो चुकी है कि वो इस पर बैन करने की बात कहने लगी है. और अब तो न्यायालय भी चीनी तर्ज पर फ़ेसबुक को ब्लॉक करने की धमकियाँ देने लगी है. उधर फ़ेसबुक में घुसे पड़े रहने […] Read more » Facebook फ़ेसबुक फ़ेसबुक से दुःखी
लेख समाज आस्था के नाम पर शोर से कब तक ब्लैकमेल किया जाता रहेगा ? January 24, 2012 / January 24, 2012 by इक़बाल हिंदुस्तानी | Leave a Comment -इक़बाल हिंदुस्तानी अंधश्रध्दा और कर्मकांड के बहाने लोगों का जीना हराम मत करो! प्रैस काउंसिल के प्रेसीडेंट और न्यायविद मार्कंडेय काटजू का कहना है कि जब भारत वैज्ञानिक रास्ते पर था, तब उसने तरक्की की। साइंस के सहारे हमने विशाल सभ्यताओं का निर्माण हज़ारों साल पहले किया, जब अधिकतर यूरोप जंगलों में रहता था, उन […] Read more » Blackmail आस्था आस्था के नाम पर शोर ब्लैकमेल
समाज अभिव्यक्ति और धर्म की आजादी के मायने! January 18, 2012 / January 18, 2012 by डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' | 3 Comments on अभिव्यक्ति और धर्म की आजादी के मायने! डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’ राजस्थान की राजधानी जयपुर में ‘जयपुर फेस्टीवल’ में शीर्ष साहित्यकारों को आमन्त्रित किया गया था, जिनमें भारत मूल के ब्रिटिश नागरिक सलमान रुश्दी को भी बुलावा भेजा गया| सलामन रुश्दी की भारत यात्रा के विरोध में अनेक मुस्लिम संगठन आगे आये और सरकार द्वारा उनके दबाव में आकर सलमान रुश्दी को […] Read more » salman rushdi in India salman rushdi visit to India अभिव्यक्ति की आजादी के मायने धर्म की आजादी के मायने सलमान रुश्दी
समाज अनाज के उचित प्रबंधन से ही होगी खाद्य सुरक्षा January 16, 2012 / January 16, 2012 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment अनूप आकाश वर्मा संभव है….गरीबों को कानूनी खाद्य सुरक्षा देने की सोच के पीछे यही महत्वपूर्ण विचार रहा होगा कि हर व्यक्ति को भोजन का अधिकार मिले क्योंकि किसी भी भूखे आदमी के लिए जाहिर तौर पर राजनीतिक व अन्य अधिकारों का मतलब शून्य ही है| किसी भी मनुष्य के स्वस्थ जीवन की पहली शर्त […] Read more » proper menagement of food grains rottening food grains अनाज उचित प्रबंधन खाद्य सुरक्षा
समाज हम दूसरों को अपने हिसाब से क्यों चलाना चाहते हैं ? January 16, 2012 / January 15, 2012 by इक़बाल हिंदुस्तानी | Leave a Comment इक़बाल हिंदुस्तानी ऐसा चूंकि संभव ही नहीं जिससे टकराव व हिंसा बढ़ रही है! लियो टॉलस्टाय ने कहा है कि हर आदमी दुनिया बदलने की तो सोचता है लेकिन खुद को बदलने की नहीं । एक बात हम सबकी ज़िंदगी में कॉमन है। वह यह है कि हम खुद से आगे पीछे देखने को तैयार […] Read more » live and let others live people need to control on others नियंत्रण