विविधा विद्यालयी शिक्षा में संस्कृत December 26, 2014 / December 26, 2014 by शिवदेव आर्य | 3 Comments on विद्यालयी शिक्षा में संस्कृत शिवदेव आर्य संस्कृत भाषा का नाम सुनकर प्रगतिशील विद्वान्, नेता राजनेता भड़क जाते हैं। शिक्षा मे संस्कृत की बात आती है तो इन्हें सेक्युलर ढांचा खतरे में दिखाई देने लगता है। विडम्बना देखिए त्रिभाषा फार्मूले पर असंवैधानिक कदम का विरोध नहीं हुआ। लेकिन जब गलती को सुधारा गया, तो आरोप लगाया गया कि सरकार शिक्षा […] Read more » शिक्षा में संस्कृत
विविधा विश्व हिन्दू परिषद् का विराट हिन्दू सम्मेलन December 20, 2014 by प्रवीण गुगनानी | 1 Comment on विश्व हिन्दू परिषद् का विराट हिन्दू सम्मेलन 21दिस. भोपाल में विराट हिन्दू सम्मेलन पर विशेष – 5 विराट हिन्दू सम्मेलनों विहिप लिखेगा नई कथा आज 21 दिस. को भोपाल में विश्व हिन्दू परिषद् का विराट हिन्दू सम्मेलन आयोजित है. विहिप ने अपनें स्वर्ण जयंती वर्ष में इस प्रकार के महत्वाकांक्षी आयोजन केवल पांच आयोजित करनें की योजना बनाई है. मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, […] Read more » vishwa hindu parishad विराट हिन्दू सम्मेलन विश्व हिन्दू परिषद्
विविधा भारतीय रेल:सुखद यात्रा का अथवा लूट-भ्रष्टाचर व अधर्म का पर्याय? November 20, 2014 by निर्मल रानी | 1 Comment on भारतीय रेल:सुखद यात्रा का अथवा लूट-भ्रष्टाचर व अधर्म का पर्याय? आस्ट्रेलिया में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से एक आलीशन ट्रेन चलाई गई है जिसका नाम मोदी एक्सप्रेस रखा गया है। भारतवासियों को यह खबर मुबारक हो। रेल से जुड़ी एक और दूसरा शुभ समाचार यह भी सुनाई दे रहा है कि भारत में भविष्य में बुलेट ट्रेन चलती दिखाई देगी। यह भी हम […] Read more » अधर्म का पर्याय? - भारतीय रेल भारतीय रेल सुखद यात्रा का अथवा लूट - भारतीय रेल
विविधा लेखक से पाठक तक… November 16, 2014 / November 16, 2014 by बीनू भटनागर | Leave a Comment लेखक जो कुछ भी लिखता है, अपने मन से, अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति के लिये लिखता है, स्वान्तः सुखाय लिखता है ,फिर भी वह चाहता है कि उसकी बात अधिक से अधिक पाठकों तक पंहुचे। लेखन के बाद अपनी रचना को पाठकों तक पंहुचाना लेखक के लियें, लिखने से भी बड़ी चुनौती होता है।बहुत […] Read more » पाठक लेखक
विविधा धर्मनिरपेक्षता ही भारतीय समाज का स्वभाव November 16, 2014 / November 17, 2014 by तनवीर जाफरी | 3 Comments on धर्मनिरपेक्षता ही भारतीय समाज का स्वभाव तनवीर जाफ़री भारतवर्ष में पहली बार कट्टरपंथी हिंदुत्ववादी संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाला राजनैतिक संगठन भारतीय जनता पार्टी देश की स्वतंत्रता के 67 वर्षों बाद पहली बार पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता ज़रूर हासिल कर चुकी है परंतु इसका अर्थ यह क़तई नहीं लगाया जा सकता कि देश ने अपना धर्मनिरपेक्ष मिज़ाज बदल दिया है […] Read more » The secular nature of Indian society धर्मनिरपेक्षता भारतीय समाज का स्वभाव
विविधा स्वतंत्रता के नाम पर नंगापन November 13, 2014 / November 15, 2014 by प्रवीण दुबे | Leave a Comment प्रवीण दुबे देश के अग्रगण्य विश्वविद्यालयों में से एक दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय आजकल खासा चर्चा में है। यहां पढऩे वाले छात्र-छात्राओं द्वारा किस ऑफ लव अभियान का पुरजोर समर्थन करने और दिल्ली के सार्वजनिक स्थानों पर इसका खुल्लम-खुल्ला प्रदर्शन करने की बेशर्मी भरी घटनाएं सामने आ रही हैं। हद तो तब हो […] Read more » vulgarity in the name of modernisation स्वतंत्रता के नाम पर नंगापन
विविधा जब डा. हेडगेवार चल पड़े 32 मील November 11, 2014 / November 15, 2014 by अनुज अग्रवाल | Leave a Comment परम पूज्यनीय डॉ हेडगेवार जी के जीवन की एक बहुत ही प्रेरक घटना है | समय पालन के लिए डा. जी कितने प्रतिबद्ध थे आप स्वयं देख सकते हैं | एक बार प.पू. डॉ. हेडगेवार चार स्वयंसेवको के साथ अदेगांव गए | वहां किसी स्वयंसेवक के घर पर कोई कार्यक्रम था | शनिवार का दिन […] Read more » when dr. hedgewar walked 32 miles जब डा. हेडगेवार चल पड़े 32 मील
विविधा ‘हमारी सूरत हमारे पूर्व जन्म के कर्मों के अनुरूप’ November 9, 2014 / November 15, 2014 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य सूरत मनुष्य की आकृति को कहते हैं। भारत की जनसंख्या लगभग 125 करोड़ और सारे संसार की लगभग 7 अरब से कुछ अधिक है। यह एक बड़ा आश्चर्य है कि सभी स्त्री व पुरूषों, बुजुर्गं, जवान या बच्चे, की मुखों की सूरत, चेहरा, आकृतियां, शकल, कद-काठी, रंग-रूप अलग-अलग हैं। प्रश्न उठता है […] Read more » Our face according to the deeds of our pre-birth हमारी सूरत हमारे पूर्व जन्म के कर्मों के अनुरूप
विविधा हमारी शिक्षा नीति में सुधार की जरूरत October 29, 2014 / October 29, 2014 by अभिषेक कांत पांडेय | 6 Comments on हमारी शिक्षा नीति में सुधार की जरूरत अभिषेक कांत पांडेय किसी देश के विकास का अंदाजा लगाना हो तो उस देश की प्राइमरी शिक्षा व्यवस्था देखकर आप समझ सकते हैं कि इस देश का नींव, क्या चौतरफा और वास्तविक विकास प्राप्त कर सकता है। भारत के कई राज्यों में प्राइमरी शिक्षा व्यवस्था की हालत दयनीय है। बिहार, राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों में शिक्षा देने […] Read more » हमारी शिक्षा नीति में सुधार की जरूरत
विविधा गाँधी नेहरु का पुनर्मूल्यांकन October 26, 2014 by अनिल गुप्ता | 3 Comments on गाँधी नेहरु का पुनर्मूल्यांकन केरल में संघ परिवार से जुड़े एक अख़बार में किसी का लेख छप गया जिसमे लिखा था कि विभाजन के लिए गांधी से अधिक नेहरू जिम्मेदार थे.उसने यहाँ तक लिख दिया कि गोडसे ने अपना लक्ष्य गलत चुना.कांग्रेस के लोगों द्वारा इसका विरोध किया जाना स्वाभाविक ही है.और संघ तथा समाचार पत्र द्वारा उस लेख […] Read more » अभिव्यक्ति की स्वंत्रता गाँधी नेहरु का पुनर्मूल्यांकन
विविधा चिर विजय की कामना ही राष्ट्र का आधार है October 24, 2014 by विजय कुमार | 1 Comment on चिर विजय की कामना ही राष्ट्र का आधार है जीवन का हर काम वस्तुतः एक युद्धक्षेत्र ही है। पढ़ना हो या पढ़ाना; व्यापार हो या नौकरी; खेती हो या उद्योग का संचालन। सफल होने के लिए मन में विजय प्राप्ति की प्रबल कामना होना आवश्यक है। अन्यथा पर्याप्त साधन और अनुकूल वातावरण होने पर भी सफलता पास आते-आते दूर चली जाती है। इस बारे […] Read more » चिर विजय की कामना ही राष्ट्र का आधार है
जन-जागरण विधि-कानून विविधा रेल यात्रा और क़ानून का यह दोहरा मापदंड ! October 24, 2014 by निर्मल रानी | 3 Comments on रेल यात्रा और क़ानून का यह दोहरा मापदंड ! निर्मल रानी कहने को तो हमारे देश में प्रत्येक नागरिक के लिए समान कानून बनाए गए हैं। परंतु यदि इस बात की धरातलीय पड़ताल की जाए तो कई ऐसे विषय हैं जिन्हें देखकरयह कहा जा सकता है कि या तो वर्ग विशेष कानून की धज्जियां उड़ाने पर तुला हुआ है और कानून की नज़रें कानून […] Read more » रेल यात्रा रेल यात्रा और क़ानून का यह दोहरा मापदंड !