विविधा अन्ना-स्वामी रामदेव और देश के सर्वहारा वर्ग को एक मंच पर आना चाहिए! June 21, 2011 / December 11, 2011 by श्रीराम तिवारी | 5 Comments on अन्ना-स्वामी रामदेव और देश के सर्वहारा वर्ग को एक मंच पर आना चाहिए! श्रीराम तिवारी आधुनिकतम प्रगतिशील विचारों के पोषक तथा ‘बियांड द विज़न’ रखने वालों को बेहतर मालूम है कि भारत और भारत की जनता के प्रगति पथ के अवरोधक तत्व कौन-कौन से हैं.लेकिन सिर्फ जानने और मानने से ही अभीष्ट की सिद्धि नहीं हो जाती! यदि अवरोध नहीं हट सके तो कोई खास फर्क नहीं पढता […] Read more » Anna Hazare अन्ना हजारे बाबा रामदेव सर्वहारा
विविधा सांस्कृतिक पराधीनता और हिन्दी संस्थान June 20, 2011 / December 11, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | Leave a Comment जगदीश्वर चतुर्वेदी इन दिनों विश्वविद्यालय-कॉलेज में पढ़ाने वाले या केन्द्र सरकार के संस्थानों के हिन्दी अधिकारी इस भ्रम में हैं कि वे हिन्दी की सेवा कर रहे हैं, असल में वे मालिकों की सेवा कर रहे हैं और उनकी सेवा के लिए सुंदर सेवक तैयार कर रहे हैं। हिन्दी को मालिकों की भाषा मालिकों ने […] Read more » hindi हिंदी
विविधा सेक्स बनाम शुचिता का नारा June 20, 2011 / December 11, 2011 by सतीश सिंह | 1 Comment on सेक्स बनाम शुचिता का नारा सतीश सिंह आज भी भारत में सेक्स को वर्जना की तरह देखा जाता है। जबकि हमारे देश में खजुराहो से लेकर वात्सायन के कामसूत्र जैसी कृतियों में सेक्स के हर पहलू पर रोशनी डाली गई है। स्वस्थ व सुखी जीवन के लिए संयमित सेक्स को उपयोगी बताया गया है। सेक्स का स्थान जीवन में पहला तो […] Read more » Sex शुचिता सेक्स
विविधा पढाई के खर्च और महंगे शौक पूरे हो रहे है जिस्मफरोशी से June 19, 2011 / December 11, 2011 by शादाब जाफर 'शादाब' | 7 Comments on पढाई के खर्च और महंगे शौक पूरे हो रहे है जिस्मफरोशी से शादाब जफर ”शादाब” आज पूरी दुनिया में जिस्मफरोशी का बाजार गर्म है। पहले मजबूरी के तहत औरतें और युवतियां इस धंधे में आती थी लेकिन अब मजबूरी की जगह शौक ने ले ली है। आज नये जमाने की आड़ लेकर राह से भटकी कुछ लडकियों को बहला फुसलाकर बडे़-बडे़ सब्जबाग दिखाकर बाकायदा कुछ लोगों ने […] Read more » Sex जिस्मफरोशी युवा सेक्स
विविधा शिक्षा के व्यवसायीकरण से सिमट गए मूल्य June 17, 2011 / December 11, 2011 by लिमटी खरे | 3 Comments on शिक्षा के व्यवसायीकरण से सिमट गए मूल्य लिमटी खरे भारत गणराज्य में केंद्र सरकार का मानव संसाधन मंत्रालय देश में शिक्षा की नीति रीति को निर्धारित करने के लिए पाबंद किया गया था। अस्सी के दशक के उपरांत सियासी दलों ने अपने निहित स्वार्थों के लिए शिक्षा व्यवस्था को गिरवी रख दिया है। अनुशासन की मजबूत नींव पर खड़ा नालंदा विश्वविद्यालय आठ […] Read more » Education शिक्षा का व्यावसायीकरण
धर्म-अध्यात्म मीडिया विविधा आज के भगीरथ निगमानंद की खामोश मौत June 17, 2011 / December 11, 2011 by राजेश त्रिपाठी | 1 Comment on आज के भगीरथ निगमानंद की खामोश मौत मीडिया ने फाइव स्टार आंदोलन को उछाला, एक सच्चे बलिदान की उपेक्षा की राजेश त्रिपाठी भारत की जीवनरेखा पावन सुरसरि जिन्हें हम श्रद्धा से गंगा मैया कह कर पुकारते हैं की रक्षा के लिए 115 दिनों से अनशनरत स्वामी निगमानंद की सोमवार 13 जून को कोमा की अवस्था में हुई मौत अपने पीछे कई सवाल […] Read more » Swamy Nigmanand स्वामी निगमानंद
विविधा इस रंग बदलती दुनिया में….स्वामी रामदेव ! June 17, 2011 / December 11, 2011 by सुनील अमर | 9 Comments on इस रंग बदलती दुनिया में….स्वामी रामदेव ! सुनील अमर सयाने कह गये हैं- इस दुनिया में कुछ भी स्थाई नहीं, सब कच्चा है। सिर्फ वही ‘एक’ सच्चा है। फिर भी लोग नहीं मानते। बहुत से साधु-संत भी नहीं मानते, हमेशा आजमाने की कोशिश में लगे रहते हैं। किसी ने कह दिया कि आग में हाथ ड़ालने से जल जाता है तो क्या […] Read more » Baba Ramdev बाबा रामदेव
विविधा लड़ाई इस तंत्र से है June 16, 2011 / December 11, 2011 by सुशान्त सिंहल | 1 Comment on लड़ाई इस तंत्र से है सुशान्त सिंघल भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी कांग्रेस इस समय अभूतपूर्व परिस्थितियों से दो चार हो रही है। कांग्रेस ने आज़ादी के बाद से ही भ्रष्टाचार के मामले में “जियो और जीने दो” की नीति अपनाई है जिसके अन्तर्गत तुम भी देश को लूटो और हमें भी लूटने दो” के सिद्धान्त को प्रतिपादित किया गया। प्रयासपूर्वक […] Read more » System changes व्यवस्था परिवर्तन
विविधा अपनी शक्ति पहचानिये June 16, 2011 / December 11, 2011 by सुशान्त सिंहल | Leave a Comment सुशान्त कुमार सिंहल हमारे देश की अधिकांश जनता अक्सर संत्रस्त क्यों रहती है? क्यों लोग हाथों में दरख्वास्त लिये प्रशासनिक अधिकारियों के आगे – पीछे रिरियाते हुए घूमते दिखाई देते हैं? अधिकारी तो अधिकारी, उनके चपरासी भी अनपढ़, ग्रामीणों को जब देखो, हड़का लेते हैं । क्या ये सब स्वस्थ लोकतंत्र के लक्षण हैं? मेरे […] Read more » Power
विविधा बाबा रामदेव और अन्ना के अनशन June 16, 2011 / December 11, 2011 by डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' | 22 Comments on बाबा रामदेव और अन्ना के अनशन डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’ पिछले कुछ महिनों में भारत में पहली बार जनता भ्रष्टाचार के विरुद्ध आक्रोशित दिखी है| पहले जनता को अन्ना हजारे में अपना हितैषी नजर आया और जनता उनके साथ रोड पर उतर आयी, उसके कुछ समय बाद ही बाबा रामदेव ने भी अन्ना से भी बड़ा जनान्दोलन खड़ा करने के इरादे […] Read more » Anna Hazare अन्ना हजारे कांग्रेस बाबा रामदेव
विविधा पंचायती राज प्रणाली : चुनौतियां व समाधान June 15, 2011 / December 11, 2011 by डाँ. रमेश प्रसाद द्विवेदी | Leave a Comment डाँ. रमेश प्रसाद द्विवेदी लोकतांत्रीय राजनीतिक व्यवस्था में पंचायती राज वह माध्यम है, जो शासन को सामान्य जनता के दरवाजे तक लाता है। लोकतंत्र की संकल्पना को अधिक यर्थाथ में अस्तित्व प्रदान करने की दिशा में पंचायती राज व्यवस्था एक ठोस कदम है। पंचायती राज व्यवस्था में स्थानीय जनता की स्थानीय शासन कार्यों में अनवरत […] Read more » Panchayati Raj पंचायती राज
विविधा ऑरवेलियन सिटी June 14, 2011 / December 11, 2011 by सतीश सिंह | Leave a Comment सतीश सिंह हाल ही में हिन्दी साहित्य के दिग्गज साहित्यकारों की जन्मशती धूमधाम से पूरे देश में मनाई गई। नागार्जुन, केदारनाथ अग्रवाल, गोपाल सिंह नेपाली, शमशेर बहादुर सिंह, उपेन्द्रनाथ अश्क को उनकी जन्मशती पर शिद्दत के साथ याद किया गया। इसी क्रम में महाकवि गुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर को भी उनकी 150 वीं जयंती पर हमने याद […] Read more » ऑरवेलियन सिटी