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भीड़ प्रबंधन में नाकाम प्रशासन

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हमारे धार्मिक-आध्यात्मिक आयोजन विराट रुप लेते जा रहे हैं। कुंभ मेलों में तो विशेष पर्वों के अवसर पर एक साथ तीन-तीन करोड़ तक लोग एक निश्चित समय के बीच स्नान करते हैं। लेकिन भीड़ के अनुपात में यातायात और सुरक्षा के इंतजाम देखने में नहीं आते। जबकि शासन-प्रशासन के पास पिछले पर्वों के आंकड़े हाते है। बावजूद लापरवाही बरतना हैरान करने वाली बात है। दरअसल, हमारे यहां धार्मिक आयोजनों में जितनी भीड़ पहुंचती है और उसके प्रबंधन के लिए जिस प्रबंध कौषल की जरुरत होती है, उसकी दूसरे देश कल्पना भी नहीं कर सकते ? इ

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मीडिया विविधा सार्थक पहल

एक पाती आदरणीय रविश जी के नाम डॉ नीलम महेंद्र की कलम से

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अफसोस है कि आप इस देश की मिट्टी से पैदा होने वाले आम आदमी को पहचान नहीं पाए । यह आदमी न तो अमीर होता है न गरीब होता है जब अपनी पर आ जाए तो केवल भारतीय होता है । इनका डीएनए गुरु गोविंद सिंह जी जैसे वीरों का डीएनए है जो इस देश पर एक नहीं अपने चारों पुत्र हंसते हंसते कुर्बान कर देते हैं।इस देश की महिलाओं के डीएनए में रानी लक्ष्मी बाई रानी पद्मिनी का डिएनए है कि देश के लिए स्वयं अपनी जान न्यौछावर कर देती हैं ।

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