महिला-जगत समाज आधी आबादी के अस्तित्व से जुड़े प्रश्न March 6, 2020 / March 6, 2020 by लक्ष्मी अग्रवाल | Leave a Comment यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवः। अर्थात जहां नारी की पूजा होती है वहां देवताओं का वास होता है। लेकिन क्या यह सच है? यदि हां तो फिर हमारे देश में इसे झुठलाया क्यों जा रहा है। क्योंकि सच्चाई तो इससे बेहद अलग है। इस तरह की धारणा को मानने वाले हमारे देश में नारी […] Read more » Questions related to the existence of women आधी आबादी के अस्तित्व से जुड़े प्रश्न
महिला-जगत लेख समाज स्वास्थ्य-योग जानिए किराए की कोख अर्थात सरोगेसी आखिर क्या है बला! February 14, 2020 / February 14, 2020 by लिमटी खरे | Leave a Comment लिमटी खरे दुनिया भर में हर प्राणी, चाहे वह मनुष्य हो, जलचर हों, नभचर हों या धरती पर रहने वाले जीव, सभी के द्वारा अपने अपने तौर तरीकों से संतानोत्पत्ति की अभिलाषा रखी जाती है। इन सभी में मनुष्य ही इकलौता ऐसा जीव है जो वंश बढ़ाने के अलावा आनंद के लिए संसर्ग करता है। […] Read more » Know what the hell is for surrogacy surrogacy सरोगेसी
महिला-जगत लेख घरेलू महिलाओं के श्रम का आर्थिक मूल्यांकन January 24, 2020 / January 24, 2020 by ललित गर्ग | Leave a Comment ललित गर्ग इनदिनों दावोस में चल रहे वल्र्ड इकनॉमिक फोरम में ऑक्सफैम ने अपनी एक रिपोर्ट ‘टाइम टू केयर’ प्रस्तुत की है, जिसमें उसने घरेलू औरतों की आर्थिक स्थितियों का खुलासा करते हुए दुनिया को चैका दिया है। वे महिलाएं जो अपने घर को संभालती हैं, परिवार का ख्याल रखती हैं, वह सुबह […] Read more » घरेलू महिलाओं के श्रम घरेलू महिलाओं के श्रम का आर्थिक मूल्यांकन
महत्वपूर्ण लेख महिला-जगत शख्सियत समाज महान विदुषी महिला गार्गी का महर्षि याज्ञवल्क्य से शास्त्रार्थ December 19, 2019 / December 19, 2019 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment भारतीय इतिहास में ऐसी अनेकों महान नारियां हुई हैं जिन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता , ज्ञान – विज्ञान में निष्णात होने और प्रत्येक क्षेत्र में पुरुष की बराबरी कर अपने धर्म का पालन किया। प्राचीन काल में गर्गवंश में वचक्नु नामक महर्षि थे, जिनकी पुत्री का नाम वाचकन्वी गार्गी था। बृहदारण्यक उपनिषद् में इनका ऋषि याज्ञवल्क्य के […] Read more » महान विदुषी महिला गार्गी महिला गार्गी महिला गार्गी का महर्षि याज्ञवल्क्य से शास्त्रार्थ
महिला-जगत लेख बलात्कार शब्द का सामान्यीकरण December 19, 2019 / December 19, 2019 by अनिल अनूप | Leave a Comment अनिल अनूप कभी-कभी सोचता हूँ मैं उस शिक्षित समाज का हिस्सा हूँ जो बलात्कार जैसे शब्दों को लेकर बेहद सामान्य हो चुका है। मेरे आस-पास का समाज अब जानता है कि किसी भी रेप की घटना का विरोध दर्ज करने के लिए उसे सड़कों पर उतर आना है, प्रशासन को दोषी ठहराना है, पीड़िता के […] Read more » बलात्कार बलात्कार शब्द का सामान्यीकरण
महिला-जगत स्वास्थ्य-योग ऑस्टियोआर्थराइटिस की संभावना महिलाओं में ज्यादा…… December 19, 2019 / December 19, 2019 by उमेश कुमार सिंह | Leave a Comment ओस्टियोआथ्र्राइटिस जोड़ों का एक विकार है, जो लाखों भारतीयों को प्रभावित करता है। इससे हड्डियां कमजोर होती हैं और फ्रैक्चर की संभावना बढ़ जाती है। आस्टियोपोरोसिस एक बिना किसी बाहरी लक्षण लगातार बढऩे वाली बीमारी है, जिसके कारण हड्डियां पतली और कमजोर होने लगती हैं और रजोनिवृत हो चुकी महिलाओं में आमतौर पर यह बीमारी […] Read more » osteoartritis osteoartritis in women ऑस्टियोआर्थराइटिस
महिला-जगत स्वास्थ्य-योग क्योंकि माँ बनने का अहसास होता है खास December 10, 2019 / December 10, 2019 by डा. नुपुर गुप्ता | Leave a Comment माँ बनना इस दुनिया का सबसे खूबसूरत अहसास होता है। इस अहसास को सेलिबे्रट करने का मौका देता है मदर्स-डे। मगर जो महिलाएं किसी परेशानी की वजह से मां नहीं बन पाती है, उनके लिए भी उम्मीदें बाकी हैं।वो भी मदर्स-डे पर मातृत्व को महसूस कर सकती है। इसमें अत्याधुनिक तकनीकों जैसे आईवीएफ काफी कारगर साबित हो रही है। आईवीएफ के जरिये कई महिलाओं को मां बनने का सुख मिला है और उन्होंने भी मनाया हैअपनी जिंदगी का पहला मदर्स-डे। एक मां को अपने मातृत्व का आनंद लेने का। वहीं बच्चों को मौका मिलता है इस खास दिन अपनी मां को खास महसूस कराने का। मां और बच्चे दोनों के लिए ही मदर्स-डे एक बेहद खास दिन होता है। दोनों एक-दूसरे सेजुड़े ही इस तरह होते हैं कि उनकी खुशियां भी दोनों के साथ से जुड़ जाती है। मगर मातृत्व का जश्न मनाने वाला ये दिन उन मांओं के लिए बेहद तकलीफदेह साबित होता है, जो किसी कारण से मां नहीं बन पाई है। आखिर मांबनना किसी भी महिला के जीवन का सबसे खूबसूरत पल होता है। इस पल का वो बेसब्री से इंतजार करती है। मगर कुछ कारणों से कुछ महिलाएं सही समय पर मां नहीं बन पाती है। कई कोशिशों के बावजूद भी जब गर्भधारण मेंसफलता नहीं मिलती है, तो यह स्थिति निराशा और अवसाद का भी कारण बन जाती है। इस दौरान अक्सर महिलाओं की उम्र भी 40 तक पहुंच जाती है। माना जाता है कि इस उम्र के बाद गर्भधारण में समस्या होती है। ऐसे मेंहमेशा के लिए संतानहीनता का सामना भी करना पड़ सकता है। निसंतानता के कारण : जानकार बताते हैं कि शादी की बढ़ती उम्र, भाग-दौड़ व तनाव के चलते इन दिनों संतानहीनता की समस्या बढ़ती जा रही है, ऐसे में दंपत्ति नि:संतान रह जाते हैं। इस बात को वे परिवार व समाज के सामने जाहिर करने सेभी बचते हैं। आंकड़ों के मुताबिक भारत में हर वर्ष जितनी शादियां होती है, उनमें से 10 से 15 प्रतिशत महिलाएं संतानहीनता से ग्रस्त होती है। ऐसे में क्या किया जाए? इस सवाल का जवाब है किसी अच्छे फर्टिलिटी केन्द्र काचुनाव कर चिकित्सकीय मार्गदर्शन में इलाज प्रक्रिया सुनिश्चित करनी चाहिए। आईवीएफ किनके लिए है उपयोगी ? १. बंद ट्यूब व ट्यूब में संक्रमण किसी भी ट्यूबल ब्लॉक का मुख्य कारण है यूटरस में इन्फेक्शन, यह इन्फेक्शन शारीरिक संबंध या यूरीन में इन्फेक्शन के कारण हो सकता है। ऑपरेशन या ओवरी सिस्ट के कारण भी यह हो सकता है, यूटरस में टी.बी.होने से भी ट्यूबल ब्लॉक हो जाता है और फैलोपियन ट्यूब में एक्टोपिक प्रेग्नेंसी होने से भी दिक्कतें और बढ़ सकती है। फैलोपियन ट्यूब के बंद होने के कई कारण होते हैं- जैसे संक्रमण, टी.बी., बार-बार गर्भपात होना, गर्भधारण को रोकने के विकल्प, ऑपरेशन इत्यादि। २. माहवारी बंद होने की स्थिति में महिलाओं में अण्डों की मात्रा सीमित होती है जो हर महीने कम होती रहती है। 35 वर्ष की उम्र के बाद अण्डों की गुणवत्ता व संख्या में तेजी से गिरावट होती है और जब किसी महिला में अण्डे खत्म हो जाते हैं तब उनकामासिक धर्म बंद हो जाता है। ऐसी महिलाओं का गर्भाशय भी सिकुड़ जाता है। इन महिलाओं को हार्मोन की दवा देकर माहवारी शुरू की जाती है, जिससे गर्भाशय की आकृति पुन: सामान्य हो जाती है तथा आई.वी.एफ. प्रक्रिया केजरिये बाहरी (डोनर) अण्डे की सहायता से पति के शुक्राणु का इस्तमाल कर भ्रूण बना लिया जाता है। इस भ्रूण को भ्रूण प्रत्यारोपण के माध्यम से गर्भाशय के अंदर प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। ३. शुक्राणुओं की कमी शुक्राणुओं में कमी का मतलब है पुरुषों के वीर्य में सामान्य से कम शुक्राणुओं का होना। शुक्राणुओं में कमी होने को ओलिगोस्पर्मिया भी कहा जाता है। वीर्य में शुक्राणुओं का पूरी तरह से खत्म होना एजुस्पर्मिया कहलाताहै। पुरुष के शुक्राणुओं में कमी के कारण महिला के गर्भधारण करने की संभावना बहुत कम हो जाती है। ऐसी स्थिति में भी आईवीएफ तकनीक कारगर है। कुछ मामलों में देखा गया है कि आईवीएफ तकनीक भी बार-बारअसफल होती है। दरअसल कुछ महिलाओं को आईवीएफ के दौरान भी गर्भपात का सामना करना पड़ता है या सफल प्रत्यारोपण के बावजूद भी आईवीएफ फेल हो जाता है, ऐसे मामलों में निराश होने की जरूरत नहीं है, कई बारदूसरे से तीसरे प्रयास में सफलता संभव हो सकती है। ४. पीसीओडी की समस्या कई बार गर्भधारण ना कर पाने की वजह पीसीओडी की समस्या के रूप में भी सामने आती है। चिकित्सकीय भाषा में महिलाओं की इस समस्या को पोलीसिस्टिक ओवरी डिजीज के रूप में जाना जाता है। इससेमहिलाओं की ओवरी और प्रजनन क्षमता पर असर तो पड़ता ही है साथ ही, आगे चल कर उच्च रक्तचाप, डायबिटीज और हृदय से जुड़े रोगों के होने का खतरा भी बढ़ जाता है। पीसीओडी होने पर महिलाओं की पूरी शारीरिकप्रक्रिया ही गड़बड़ा जाती है। महिलाओं के अंडाशय में तरल पदार्थ से भरी कई थैलियां होती है, जिन्हें फॉलिकल्स या फिर सिस्ट कहा जाता है। इन्हीं में अंडे विकसित होते हैं और द्रव्य का निर्माण होता है। एक बार जब अंडाविकसित हो जाता है, तो फॉलिकल टूट जाता है और अंडा बाहर निकल जाता है। फिर अंडा फैलोपियन ट्यूब से होता हुआ गर्भाशय तक जाता है। इसे सामान्य ओव्यूलेशन प्रक्रिया कहा जाता है। वहीं, जो महिला पीसीओडी सेग्रस्त होती है, उसमें प्रजनन प्रणाली अंडे को विकसित करने के लिए जरूरी हार्मोन का उत्पादन ही नहीं कर पाती है। ऐसे में, फॉलिकल्स विकसित होने लगते हैं और द्रव्य बनना शुरू हो जाता है, लेकिन ओव्यूलेशन प्रक्रिया शुरूनहीं होती है। परिणामस्वरूप, कई फॉलिकल्स अंडाशय में ही रहते हैं और गांठ का रूप ले लेते हैं। इस स्थिति में प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन नहीं बनते और इन हार्मोन्स के बिना मासिक धर्म प्रक्रिया बाधित या फिर अनियमित हो जातीहै, जिस कारण गर्भधारण करना मुश्किल हो जाता है।– Read more » माँ बनने का अहसास
महिला-जगत समाज उन्नाव पीड़िता को भी मिले हैदराबाद पीड़िता जैसा ‘इंसाफ’ December 6, 2019 / December 6, 2019 by संजय सक्सेना | Leave a Comment अब पुलिस अपनी नाक बचाने के लिए बड़े-बड़े दावे कर रही है, उधर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी पीड़िता का इलाज सरकारी खर्च पर कराए जाने और आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कह रहे हैं,लेकिन लगता नहीं है कि इतने भर से मामला शांत हो जाएगा। बहरहाल,हमेशा की तरह इस बार भी सामूहिक दुष्कर्म […] Read more » justice like Hyderabad victim Unnao victim also gets justice Unnao victim also gets justice like Hyderabad victim उन्नाव पीड़िता हैदराबाद पीड़िता जैसा ‘इंसाफ’
महिला-जगत समाज आखिर कब तक प्रियंका रेड्डी जैसी महिलाओं की आबरुह और जान से खेलते रहेंगे दरिदे…? December 4, 2019 / December 4, 2019 by शिवदेव आर्य | Leave a Comment – शिवदेव आर्य देश के कुछ अमानवीय कृत्यों को देखकर किस सहृदय व्यक्ति की अश्रुधार प्रवाहित न होगी? हमारा देश एक ऐसे देश के नाम से जाना जाता है जो सदा परस्पर सौहार्द, प्रेम व सहयोग के भावों को जागता रहा है किन्तु देश की वर्तमान दुर्दशा को देखकर अत्यन्त वेदना होती है कि क्या हमारे देश की […] Read more » muslims in rape rape and murder by muslims rape and murder case कुकृत्यों के लिए कठोरात्मक दण्डव्यवस्था डॉ. प्रियंका रेड्डी दामिनी निर्भया बलात्कार के प्रथम दोषी मुस्लिम
महिला-जगत साहस ने मुखर बनाया महिला को March 12, 2019 / March 12, 2019 by अनिल अनूप | Leave a Comment -अनिल अनूप महिलाओं के प्रति हिंसा के कई कारण हैं। एक तो महिलाएं मुखर हुई हैं, भली औरत के तमगे से खुद को आज़ाद किया और बुरी औरत कहलाने का साहस जुटा लिया। उसने सामाजिक निंदा और आरोपों की परवाह करना बंद कर दिया। उसने अपने को पहचाना, उसके भीतर अपनी पहचान की छटपटाहट आई […] Read more » महिला साहस ने मुखर बनाया महिला को
महिला-जगत समाज राष्ट्र को हमेशा से महिलाओं से ही शक्ति मिलती है March 8, 2019 / March 8, 2019 by ब्रह्मानंद राजपूत | Leave a Comment हम विश्व में लगातार कई वर्षों से अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाते आ रहे हैं, महिलाओं के सम्मान के लिए घोषित इस दिन का उद्देश्य सिर्फ महिलाओं के प्रति श्रद्दा और सम्मान बताना है। इसलिए इस दिन को महिलाओं के आध्यात्मिक, शैक्षिक, आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। आज अपने समाज […] Read more » nation empowerment with women
महिला-जगत दर्द दर्द में फर्क तो है…. . December 11, 2018 / December 11, 2018 by अनिल अनूप | Leave a Comment अनिल अनूप ऑनलाइन ब्रिटिश अख़बार ‘द इंडीपेंडेंट’ में बीते दिनों एक लेख प्रकाशित हुआ जो यह तथ्य रेखांकित करता था कि महिलाओं में मासिक धर्म के समय होने वाला दर्द हृदयाघात के समतुल्य होने के बाद भी चिकित्सकों का ध्यान उतना आकर्षित नहीं करता। ज़ाहिर सी बात है कि ऐसे लेख से नारीवादियों को डॉक्टरों […] Read more » उच्च रक्तचाप दर्द दर्द में फर्क तो है…. . मधुमेह महिलाओं में मासिक धर्म मोटापे