चाल का जाल
Updated: February 17, 2025
डॉ. नीरज भारद्वाज व्यक्ति जब किसी समाज का सदस्य बनता है तो वह उस समाज में रहने के लिए, उसके सदस्यों से सम्बन्ध बनाए रखने के…
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भारत को मजबूत बनाने के लिए नरेंद्र मोदी की कीप एंड बैलेंस थ्योरी को ऐसे समझिए
Updated: February 17, 2025
कमलेश पांडेय 21वीं सदी के एशियाई बिस्मार्क समझे जाने वाले भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘कीप एंड बैलेंस’ थ्योरी से जहां विकसित देश अमेरिका, रूस, चीन हैरान-परेशान हैं, वहीं भारत ग्लोबल साउथ यानी तीसरी दुनिया के देशों के दूरगामी हितों की हिफाजत करते हुए तेजी से आगे बढ़ता जा रहा है। यह बात मैं नहीं कह रहा हूँ बल्कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंफ, रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग द्वारा वक्त-वक्त पर की हुई बयानबाजियां इस बात की चुगली करती हैं। इसके अलावा भी बहुतेरे राष्ट्राध्यक्ष हैं जो कुछ ऐसी ही बातें छेड़ चुके हैं, जो गलत भी नहीं है। समझा जाता है कि जैसे भारतीय सियासत में उन्होंने अटलबिहारी बाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे कद्दावर नेताओं को साधते हुए नरेंद्र मोदी ने खुद को एक आदमकद चेहरे के रूप में स्थापित करते हुए पहले मुख्यमंत्री, फिर प्रधानमंत्री बने। ठीक वैसे ही अब अमेरिका, रूस और चीन को साधते हुए वो भारत के नेतृत्वकर्ता के तौर पर अपने राष्ट्र को एक अग्रणी विकसित देश की कतार में खड़ा करके ही दम लेंगे। उनके द्वारा पिछले 10-11 साल में जो युगान्तकारी निर्णय लिए गए हैं, वह भी इसी ओर इशारा करते हैं। इसे मोदी भारत का अमृतकाल भी करार देते आए हैं। अपनी हालिया अमेरिकी यात्रा (12-13 फरवरी 2025) के दौरान एक बार फिर से उन्होंने जिस द्विपक्षीय सूझबूझ कूटनीतिक चतुराई का परिचय दिया है, यह उसी का नतीजा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंफ को भी यहां तक कहना पड़ा कि “भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक टफ निगोशिएटर हैं। वह मुझसे कहीं ज्यादा सख्त वार्ताकार हैं और मुझसे कहीं अच्छे वार्ताकार भी हैं। इसमें उनका कोई मुकाबला ही नहीं है।” जाहिर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक दोस्त के रूप में दिलेर होने के साथ-साथ बेहद प्रोफेशनल भी हैं। यही वजह है कि पिछले एक दशक में वैश्विक दुनियादारी में भारत का कद और पद बहुत ऊंचा उठा है। कई मामलों में वो देश के पहले प्रधानमंत्री और आधुनिक भारत के निर्माता जवाहरलाल नेहरू के रिकॉर्ड की बराबरी कर चुके हैं या फिर उसे तोड़ चुके हैं, जो साधारण बात नहीं है। उनके नेतृत्व में भाजपा और उनके संरक्षक के रूप में आरएसएस की भी देशव्यापी साख बढ़ी है। अंतर्राष्ट्रीय कुटनीतिज्ञ बताते हैं कि जिस तरह से उन्होंने अमेरिकी नेतृत्व वाले ‘नाटो’ और रूसी (सोवियत संघ) नेतृत्व वाले ‘सीटो’ से जुड़े देशों को एक साथ साधा है, कुछ को अपने पाले में कर लिया है, वह काबिलेतारीफ है। वहीं, चीनी नेतृत्व वाले ब्रिक्स में रूसी सलाह पर बने रहने के साथ-साथ अमेरिकी नेतृत्व वाले क्वाड में भी सम्मान जनक रूप से जमे रहना कोई साधारण कूटनीतिक गेम नहीं है। वहीं, खास बात यह कि अमेरिका के मुकाबले रूस-चीन-भारत गठजोड़ खड़ा करने का वैश्विक भय पैदा करने वाले चीन को, अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उसी के मुकाबले अमेरिका-रूस-भारत गठजोड़ का नया वैश्विक भय एहसास करवाना चाहते हैं। क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंफ भी कुछ ऐसा ही करना चाहते हैं, ताकि दुनियादारी के मामले में अतिशय महत्वाकांक्षी देश चीन को काबू में रखा जा सके। बता दें कि ट्रंफ के पुतिन और मोदी से मित्रवत और व्यक्तिगत सम्बन्ध भी हैं। आपको यह जानकार हैरत होगी कि पीएम मोदी सबकुछ कर-करवा रहे हैं, लेकिन अमेरिका, रूस, चीन यानी तीनों के खिलाफ कहीं भी खुलेआम सामने नजर नहीं आ रहे हैं। क्योंकि तीनों बड़े देशों की राष्ट्रीय/व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं को संतुलित रखना कोई साधारण बात नहीं है, जबकि इसी में भारत का दूरगामी हित निहित है। यह सब कुछ करते हुए भी मोदी, पुतिन के प्रति सॉफ्ट हैं, क्योंकि रूस भारत का भरोसेमंद अंतर्राष्ट्रीय पार्टनर समझा जाता है। वहीं कभी पाकिस्तान-चीन परस्त रहे अमेरिका, भारत विरोधी चीन और भारत-चीन के सवाल पर तटस्थ रुख रखने वाले रूस को इस करीने से साध रहे हैं कि तीनों भारत के हितबर्धक बने रहें, जबकि भारत उनके किसी भी अंतर्राष्ट्रीय या द्विपक्षीय ‘पाप’ से दूर रहे। मतलब कि गुटनिरपेक्ष बना रहे। भारत के पड़ोसी देश चीन को नियंत्रित रखने के लिए मोदी की यह नीति अंतर्राष्ट्रीय कूटनीतिज्ञों के बीच शोध का विषय है और इसलिए उन्हें 21वीं सदी का एशियाई बिस्मार्क करार दिया जाता है। लोग परस्पर यही सवाल पूछते हैं कि आखिर यह सबकुछ करते हुए मोदी क्या चाहते हैं? भारत को इन सबकी जरूरत क्या है? तो यह जान लीजिए कि कभी सोने की चिड़ियां और विश्व गुरु रहे भारत को मोदी पुनः वही दर्जा दिलाना चाहते हैं। वह भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने के साथ-साथ पूरी दुनिया में हिंदुत्व के प्रति एक नया आकर्षण पैदा करना चाहते हैं। वह अखण्ड भारत के सपने को पूरा करके उन क्षेत्रीय विडंबनाओं को समाप्त करना चाहते हैं जिनको लेकर अबतक अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर सवाल उठता आया है। महत्वपूर्ण बात यह कि यह सबकुछ करते हुए मोदी इन विषयों पर बोलते कम हैं, जबकि उनके काम दहाड़ते हैं। वह दुनियावी देशों के निरंतर यात्रा पर रहते हैं या फिर अपने प्रतिनिधियों को भेजते रहते हैं तो इसका मतलब भी यही है कि वह सबसे व्यक्तिगत और भरोसेमंद सम्बंध चाहते हैं। चाहे फ्रांस हो या जापान, ऑस्ट्रेलिया हो या दक्षिण कोरिया, ब्राजील हो या दक्षिण अफ्रीका, सऊदी अरब हो या ईरान, इंग्लैंड हो या जर्मनी, प्रधानमंत्री दुनिया के दूसरी पंक्ति वाले देशों को भी भारत के हित में साधते जा रहे हैं। वहीं, ग्लोबल साउथ यानी तीसरी दुनिया के देशों की जब वे बात करते हैं तो इससे भारत को मिलने वाले एक बड़े बाजार का भी।पता चलता है। स्वाभाविक है कि यह सबकुछ प्रधानमंत्री मोदी की जैसे को तैसा वाली नीतियों से ही संभव हो पा रहा है। भारत का दूरगामी हित इसी में निहित है। वहीं, यह भी समझा जा रहा है कि दुनियावी कूटनीति के लिए एक अबूझ पहेली बन चुके भारत के पीएम नरेंद्र मोदी को समझना सबके बूते की बात भी नहीं है। क्योंकि यह भारतीयों के पुनर्जागरण का काल है।इसलिए इंतजार कीजिए और अमृतकाल के दौर को समझिए। कमलेश पांडेय
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बचा जा सकता है मानव निर्मित आपदा से !
Updated: February 17, 2025
सुनील कुमार महला 15 फरवरी 2025 की रात नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मचने से 15 लोगों की मौत हो गई, यह बहुत ही दुखद है। मरने वालों में 11 महिलाएं, दो पुरुष और दो बच्चे शामिल बताए जा रहे हैं। हादसे में 15 लोग घायल हो गए, जिन्हें अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। दरअसल, प्रयागराज जाने के लिए स्टेशन पर भारी भीड़ जुटी थी। प्रयागराज एक्सप्रेस के कारण प्लेटफार्म नंबर 14 और 15 पर भारी भीड़ थी। हाल फिलहाल, रेलवे बोर्ड ने घटना की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं। हादसे के बाद राहत कर्मियों को तैनात कर दिया गया है और एलजी इसकी लगातार निगरानी कर रहे हैं। कहना ग़लत नहीं होगा कि दिल्ली रेलवे स्टेशन पर अव्यवस्थाओं के चलते और भगदड़ के कारण जान-माल दोनों का ही नुकसान हुआ है। इसी बीच रेलवे ने प्रयागराज महाकुंभ के लिए चार विशेष गाड़ियां भी चलाने की घोषणा कर दी है, इससे भीड़ में कमी देखने को मिल रही है। बताया जा रहा है कि ट्रेनों के रद्द होने की अफवाह से भगदड़ मची थी। वास्तव में, यह घटना नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर उस समय हुई, जब अचानक प्रयागराज जाने वाली दो ट्रेनों के रद्द होने की अफवाह के बाद यात्रियों में अफरा-तफरी मच गई। बताया जा रहा है कि प्लेटफार्म नंबर 14 और 15, जो एक साथ हैं, के बीच अचानक भारी भीड़ पहुंच गई। रेलवे अधिकारियों के मुताबिक रविवार को अवकाश होने के कारण शनिवार को प्रयागराज जाने के लिए काफी संख्या में लोग जुट गए। पाठकों को बताता चलूं कि इससे पहले 29 जनवरी को प्रयागराज के महाकुंभ में 40 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं, 10 फरवरी 2013 को भी कुंभ के दौरान प्रयागराज स्टेशन पर भगदड़ मची थी। जानकारी के अनुसार इस हादसे में 36 लोग मारे गए थे। वास्तव में देश में महाकुंभ एक बड़ा आयोजन है और इसमें भारी संख्या में भीड़ उमड़ रही है। भारत ही नहीं विदेशों तक से महाकुंभ में अनेक लोग आ रहे हैं। अमूमन देश में किसी त्योहार पर भी इतनी भीड़ नहीं उमड़ती है लेकिन इस बार महाकुंभ में भीड़ का सैलाब है। मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से दिल्ली हादसे को लेकर यह खबरें भी आ रहीं हैं कि गलत अनाउंसमेंट और प्रशासन की लापरवाही इस हादसे का मुख्य कारण बनी। दिल्ली भारत की राजधानी है और अक्सर यहां रेलवे स्टेशन पर काफी भीड़ रहती है। महाकुंभ के कारण पहले से ही यात्रियों की संख्या अधिक थी। ऐसे में भीड़ प्रबंधन की ठोस व्यवस्थाएं की जानी बहुत जरूरी थी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, अचानक प्लेटफॉर्म बदलाव की गलत घोषणा हुई, जिससे यात्रियों में अफरातफरी मच गई और भगदड़ हो गई।शुरुआती जांच में रेलवे प्रशासन और स्टेशन प्रबंधन की गंभीर लापरवाही सामने आ रही है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, गलत घोषणाएं करने वाले अधिकारियों की पहचान की जा रही है। रेलवे और सुरक्षा एजेंसियों की ओर से भीड़ नियंत्रण की योजना की जांच हो रही है। घटना के समय ड्यूटी पर मौजूद अधिकारियों से भी लगातार पूछताछ जारी है। बताया यह भी जा रहा है कि भीड़ को कंट्रोल करने के लिए प्लेटफॉर्म 14 और 15 की एक-एक सीढ़ी बंद कर दी गई थी। बहरहाल, कहना ग़लत नहीं होगा कि यह पहली बार नहीं है जब इस तरह से अचानक रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मची हो। इससे पहले भी इस तरह की कई घटनाएं घटित हो चुकी हैं। 29 सितंबर 2017 को मुंबई के एलफिंस्टन रोड रेलवे स्टेशन के फुट ओवरब्रिज पर भगदड़ मच गई थी और इस भगदड़ में 23 लोगों की मौत हो गई थी औ 39 अन्य यात्री घायल हो गए थे। दरअसल ,यह हादसा पुल गिरने की अफवाह के कारण हुआ था। इसी प्रकार से महाराष्ट्र के मुंबई में बांद्रा रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मच गई थी, जिससे भगदड़ में 9 यात्री घायल हो गए थे। इतना ही नहीं, 10 फरवरी 2013 को कुंभ मेले के दौरान उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर अचानक मची भगदड़ में भी 32 लोगों की मौत हो गई थी। इसी प्रकार से वर्ष 2007 में भी मुगल सराय जंक्शन भगदड़ में 14 महिलाओं की मौत हो गई थी।वहीं इस घटना में 40 से अधिक यात्री घायल हो गए थे। वास्तव में,भगदड़ भीड़ प्रबंधन की असफलता या अभाव की स्थिति में पैदा हुई मानव निर्मित आपदा है। अक्सर भगदड़ किसी अफवाह के कारण पैदा होती है और भगदड़ में लोग दिशाहीन होकर इधर-उधर भागने लगते हैं, जिसके परिणामस्वरूप दम घुटने व कुचलने से चोटिल होने एवं मृत्यु की घटनाएँ होती हैं। अक्सर भगदड़ मचने के पीछे जो कारण निहित होते हैं उनमें क्रमशः मनोरंजन कार्यक्रम,एस्केलेटर और मूविंग वॉकवे, खाद्य वितरण, जुलूस, प्राकृतिक आपदाएँ, धार्मिक आयोजन, धार्मिक/अन्य आयोजनों के दौरान आग लगने की घटनाएँ, दंगे, खेल आयोजन, मौसम संबंधी घटनाएँ आदि शामिल होते हैं। बैरिकेड्स, अवरोध, अस्थायी पुल, अस्थायी संरचनाएँ और पुल की रेलिंग का गिरना, दुर्गम क्षेत्र (पहाड़ियों की चोटी पर स्थित धार्मिक स्थल जहाँ पहुँचना मुश्किल है), फिसलन युक्त या कीचड़ युक्त मार्ग, संकरी गलियाँ एवं संकरी सीढ़ियाँ, खराब सुरक्षा रेलिंग, कम रोशनी वाली सीढ़ियाँ, बिना खिड़की वाली संरचना, संकीर्ण एवं बहुत कम प्रवेश या निकास स्थान, आपातकालीन निकास का अभाव भी बहुत बार भगदड़ के कारण बन सकते हैं। अप्रभावी भीड़ प्रबंधन तो भगदड़ मचने का कारण है ही। बहुत बार यह देखा जाता है कि किसी एक प्रमुख निकास मार्ग पर ही लोगों की निर्भरता होती है ,जो भगदड़ का कारण बन जाती है। आज अक्सर यह भी देखने को मिलता है कि किसी कार्यक्रम विशेष के लिए क्षमता से अधिक लोगों को अनुमति दे दी जाती है। बहुत से स्थानों पर उचित सार्वजनिक संबोधन प्रणाली का भी अभाव होता है, जिससे सूचना देने में दिक्कत आती है। भीड़ अनेक बार गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार अपनाती है और सुरक्षा नियमों का ठीक से पालन नहीं करती है। आग या बिजली का प्रसार भी अनेक बार भगदड़ मचने का कारण बन सकता है। इसलिए सुरक्षा और निगरानी के उपाय पुख्ता होने चाहिए। सुरक्षाकर्मियों की नियुक्ति से पूर्व रिहर्सल प्रैक्टिस भी की जानी चाहिए ताकि भगदड़ आदि के समय सुरक्षा उपायों को तुरंत किया जा सके। सीसीटीवी, आधुनिक तकनीक को भी इस्तेमाल में लाया जा सकता है।पुलिस प्रशासन, अग्निशमन सेवा, चिकित्सा सेवा एजेंसियों और आयोजक प्रबंधन के बीच समन्वय होना भी बहुत ही जरूरी और आवश्यक है। संचार व्यवस्थाएं भी अच्छी और सुदृढ़ होनी चाहिए। भगदड़ से बचने के लिए भगदड़ वाले स्थानों पर आगमन एवं निकास की समुचित व्यवस्था (पुरूष एवं महिलाओं के लिए अलग-अलग) यथा बैरिकेडिंग की व्यवस्था होनी चाहिए। चिकित्सा दल एवं एम्बुलेंस की पर्याप्त व्यवस्था, बिजली के तारों एवं उपकरणों में सुरक्षा के पूर्ण उपायों की व्यवस्था, पार्किंग की समुचित एवं सुचारू व्यवस्था, नियंत्रण कक्ष, पर्याप्त रौशनी,वाच टावर की व्यवस्था होनी चाहिए। इतना ही नहीं, उपहार, भोजन, प्रसाद, कबंल आदि मुफत वितरण के दौरान भगदड़ रोकने की व्यवस्था की जाए एवं अधिक भीड़ होने पर सामग्री के विवरण पर प्रतिबंध लगाने हेतु आयोजकों केा पर्याप्त निर्देश दिए जाने चाहिए। किसी भी स्थान पर अनावश्यक रूप से एक स्थान पर भीड़ नहीं लगानी चाहिए।छोटे बच्चों, महिलाओं, बीमारों या वृद्वों को मेले में ले जाते समय उनकी जेब में (या गले में लाकेट की तरह) घर का पता और फोन नम्बर साथ रखा जाना चाहिए।भगदड़ के समय संयम पूर्ण व्यवहार करना चाहिए और घबराना नहीं चाहिए।किसी भी आपात स्थिति में तत्काल नियंत्रण कक्ष में संपर्क स्थापित करने के प्रयास किए जाने चाहिए।भीड़ वाले स्थान पर किसी भी प्रकार के पटाखे/ज्वलनशील पदार्थ नहीं ले जाना चाहिए तथा ध्रूमपान नहीं करना चाहिए।प्रशासन की ओर से की जाने वाली घोषणाओं को ध्यान से सुनना चाहिए और उसके अनुसार व्यवहार करना चाहिए। सुनील कुमार महला
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‘यू.एस. इंडिया कॉम्पैक्ट” चुनौतियाँ और अवसर।
Updated: February 17, 2025
-डॉ. सत्यवान सौरभ संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के बीच बदलती गतिशीलता का इक्कीसवीं सदी में दुनिया के संगठित होने के तरीके पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। इस साझेदारी की क्षमता को पूरी तरह से साकार करने के लिए, दोनों सरकारों को रणनीतिक बहुपक्षीय सम्बंधों, अर्थशास्त्र और रक्षा पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। मौजूदा हालात अमेरिका-भारत सम्बंधों के दीर्घकालिक विकास के पक्ष में हैं। मुझे उम्मीद है कि भारत चुनौतियों के साथ-साथ अवसरों को भी स्वीकार करने के लिए तैयार है। -डॉ. सत्यवान सौरभ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड जे. ट्रम्प जूनियर ने 13 फरवरी, 2025 को वाशिंगटन डीसी में भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का आधिकारिक कार्य यात्रा के लिए स्वागत किया। राष्ट्रपति ट्रम्प और प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्र और गतिशील लोकतंत्रों के नेताओं के रूप में भारत-अमेरिका साझेदारी की ताकत की पुष्टि की, जो स्वतंत्रता, मानवाधिकार, कानून और बहुलवाद का सम्मान करते हैं। आपसी विश्वास, साझा हित, सद्भावना और सक्रिय नागरिक भागीदारी इस व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी की नींव के रूप में काम करते हैं। राष्ट्रपति ट्रम्प और प्रधानमंत्री मोदी ने “यू.एस. इंडिया कॉम्पैक्ट” नामक एक बिल्कुल नया कार्यक्रम पेश किया, जिसका अर्थ है “सैन्य साझेदारी, त्वरित वाणिज्य और प्रौद्योगिकी के लिए अवसरों को उत्प्रेरित करना”, जिसका उद्देश्य इक्कीसवीं सदी में सहयोग के कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में क्रांति लाना है। रणनीतिक और आर्थिक वातावरण लगातार अंतरराष्ट्रीय गठबंधनों द्वारा नया रूप ले रहे हैं। कई क्षेत्रों में, भारत के बढ़ते नवाचार और अमेरिका की तकनीकी श्रेष्ठता एक दूसरे से मिलती है। भारत को $45 बिलियन के अधिशेष से लाभ होने के साथ, द्विपक्षीय व्यापार $118 बिलियन से ऊपर चला गया। प्रगतिशील आर्थिक सम्बंधों के माध्यम से, यह साझेदारी अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को नया रूप देती है, सुरक्षा में सुधार करती है और आपसी विकास को बढ़ावा देती है। अमेरिका और भारत के बीच व्यापार, रक्षा और प्रौद्योगिकी सभी में वृद्धि हुई है। संचार संगतता और सुरक्षा समझौता और बेसिक एक्सचेंज ऐंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट जैसे महत्त्वपूर्ण समझौते, जो प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और रक्षा रसद में घनिष्ठ सहयोग की गारंटी देते हैं, पर अमेरिका और भारत ने हस्ताक्षर किए हैं। लक्षित सैन्य अभियानों के लिए भारत को अमेरिकी भू-स्थानिक खुफिया जानकारी तक पहुँच प्रदान करके, 2020 बेसिक एक्सचेंज ऐंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट समझौते ने हिंद महासागर क्षेत्र में स्थितिजन्य जागरूकता में सुधार किया। महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों पर पहल जैसी पहलों ने सेमीकंडक्टर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसी महत्त्वपूर्ण तकनीकों में सहयोग को मज़बूत किया है। भारत और माइक्रोन टेक्नोलॉजी ने 2.75 बिलियन डॉलर का सेमीकंडक्टर प्लांट बनाने के लिए मिलकर काम किया, जो आपूर्ति शृंखला के लचीलेपन को बढ़ाएगा। अमेरिकी हाइड्रोकार्बन के एक महत्त्वपूर्ण आयातक के रूप में, भारत हरित ऊर्जा स्रोतों पर स्विच करने में सहायता करता है। तेल आयात के मामले में, संयुक्त राज्य अमेरिका 2024 में 413.61 मिलियन डॉलर के साथ पांचवें स्थान पर रहा। लचीली आपूर्ति श्रृंखलाएँ, विशेष रूप से आवश्यक वस्तुओं के लिए, चीन पर अपनी निर्भरता कम करने के दोनों देशों के प्रयासों का लक्ष्य हैं। भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका क्वाड राष्ट्रों का हिस्सा हैं। अमेरिका और भारत के बीच व्यापार वार्ता में मुख्य बाधा टैरिफ विवाद है। भारत द्वारा अमेरिकी वस्तुओं, विशेष रूप से कृषि और तकनीकी क्षेत्रों पर उच्च टैरिफ लगाए जाने से व्यापार संतुलन प्रभावित होता है और वार्ता अक्सर बाधित होती है। मादक पेय पदार्थों पर भारत द्वारा लगाए गए 150 प्रतिशत टैरिफ ने अमेरिकी निर्यातकों की बाजारों तक पहुँच को प्रतिबंधित करने के लिए अमेरिका की आलोचना की है। भारत में जेनेरिक दवा उद्योग सुलभ दवा की गारंटी के लिए अधिक संतुलित रणनीति का पक्षधर है, जबकि अमेरिका मज़बूत बौद्धिक संपदा सुरक्षा चाहता है। बौद्धिक संपदा सुरक्षा के बारे में चिंताओं के कारण अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ने भारत को अपनी “प्राथमिकता निगरानी सूची” में रखा। ई-कॉमर्स विनियमों और प्रस्तावित डेटा स्थानीयकरण कानूनों पर भारत की अलग-अलग स्थिति अमेरिकी हितों के विपरीत है। गूगल और अमेज़न जैसे अमेरिकी निगमों द्वारा इस बारे में चिंता व्यक्त की गई थी कि भारत का व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक सीमा पार डेटा प्रवाह को कैसे सीमित करेगा। अमेरिका और भारत के बीच $45 बिलियन का व्यापार घाटा बाज़ार पहुँच बढ़ाने और टैरिफ कम करने के लिए अमेरिकी दबाव को प्रेरित करता है। संयुक्त राज्य अमेरिका ने घुटने के प्रत्यारोपण और स्टेंट जैसे चिकित्सा उपकरणों पर कम टैरिफ का अनुरोध करके व्यापार असंतुलन को कम करने की मांग की। भारत के फाइटोसैनिटरी नियम जो अमेरिकी कृषि उत्पादों को प्रतिबंधित करते हैं, इस क्षेत्र में द्विपक्षीय व्यापार के विस्तार में बाधा डालते हैं। चूंकि व्यापार वार्ता ने रक्त भोजन युक्त पशु आहार के मुद्दे को हल नहीं किया है, इसलिए भारत ने अमेरिकी डेयरी आयात को प्रतिबंधित कर दिया है। एलएनजी और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों में सहयोग अमेरिका की एक प्रमुख उत्पादक के रूप में स्थिति और भारत की बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं के कारण संभव हुआ है। उदाहरण के लिए, इस तरह की साझेदारी भारत को ऊर्जा मिश्रण में प्राकृतिक गैस के अनुपात को मौजूदा 6 प्रतिशत से बढ़ाकर कुल प्राथमिक ऊर्जा मिश्रण का 15 प्रतिशत करने के अपने लक्ष्य तक पहुँचने में मदद करेगी। लाभकारी शर्तों पर रक्षा हार्डवेयर का सह-उत्पादन रणनीतिक सम्बंधों को मज़बूत करते हुए भारत की अन्य देशों पर निर्भरता को कम कर सकता है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड और जनरल इलेक्ट्रिक ने भारत में लड़ाकू जेट इंजन के संयुक्त निर्माण के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम कंप्यूटिंग और अंतरिक्ष अन्वेषण जैसी महत्त्वपूर्ण तकनीकों में घनिष्ठ सम्बंधों द्वारा सहयोगी नवाचार के अवसर प्रदान किए जाते हैं। सहकारी अंतरिक्ष अन्वेषण और चंद्र मिशन के लिए आर्टेमिस समझौते में भारत को भागीदार के रूप में स्वीकार किया गया था। घरेलू उत्पादन बढ़ाने के भारत के प्रयास अमेरिका की “चीन+1” नीति के पूरक हैं, जो मज़बूत आपूर्ति श्रृंखलाओं में साझा उद्देश्यों को बढ़ावा देते हैं। उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन योजना के माध्यम से भारत में उत्पादन बढ़ाकर, एप्पल और सैमसंग ने चीनी कारखानों पर अपनी निर्भरता कम कर दी। एक ऐसा समझौता जो अधिक व्यापक है, उसे सीमित व्यापार समझौते द्वारा सुगम बनाया जा सकता है जो बाज़ार पहुँच में सुधार और टैरिफ विवादों को निपटाने पर केंद्रित है। भारत और अमेरिका ने कई औद्योगिक और कृषि उत्पादों पर टैरिफ कम करने पर सहमति व्यक्त की, जो एक व्यापक समझौते की संभावना का संकेत देता है। व्यापार असंतुलन को हल करके विश्व स्थिरता की नींव एक मज़बूत भारत-अमेरिका गठबंधन हो सकता है। डॉ. सत्यवान सौरभ
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भागवत की हिन्दू एकता से ही विश्वगुरु बन सकेंगे
Updated: February 24, 2025
-ः ललित गर्ग:- हिंदू एकता ही समाज, राष्ट्र एवं विश्व में शांति, सद्भाव और प्रगति को सुनिश्चित करती है। साथ ही, यह राष्ट्र की सुरक्षा…
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अत्यधिक महत्वकांक्षा से टूटती परिवार के रिश्तों की डोर
Updated: February 17, 2025
(बिखर रहे चूल्हे सभी, सिमटे आँगन रोज। नई सदी ये कर रही, जाने कैसी खोज॥) पिछले कुछ समय में पारिवारिक ढांचे में काफ़ी बदलाव हुआ…
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हे दयानिधे! जरूरी नहीं, सभी आपके अनुरूप हो..
Updated: February 17, 2025
सुशील कुमार ‘नवीन’ संस्कृत देवभाषा है। संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है। संस्कृत है तो संस्कार है, संस्कृति है। संस्कृत नहीं तो कुछ भी नहीं।…
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विवाह के झूठे वादों से दुष्कर्म के बढ़ते मामले
Updated: February 17, 2025
हाल के वर्षों में बलात्कार के ऐसे मामलों की संख्या में वृद्धि हुई है, जिनमें अभियुक्त पर बलात्कार का आरोप लगाया जाता है। इन मामलों…
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नौनिहालों के सपनों पर हावी होते कोचिंग सेंटर
Updated: February 14, 2025
भारत में कोचिंग सुविधाओं की संख्या में तेज़ी से वृद्धि देखी जा रही है। ये केंद्र छात्रों को स्कूल स्तर की परीक्षाओं के साथ-साथ जेईई,…
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देश भर में पत्रकारों को मिले एक समान पेंशन
Updated: February 14, 2025
पेंशन पाने के लिए आपको हरियाणा सरकार से पांच साल की अवधि के लिए मान्यता प्राप्त होना चाहिए। इस आदेश के तहत बीस साल से…
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वैलेंटाइन पूछता
Updated: February 14, 2025
वैलेंटाइन का चढ़ा, ये कैसा उन्माद।फौजी मरता देश पर, कौन करे अब याद।।●●●सौरभ उनको भेंट हो, वैलेंटाइन आज।सरहद पर जो हैं मिटे, जिन पर हमको…
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नर्मदा जल को देते उतरनों की वसीयत
Updated: February 14, 2025
माँ नर्मदा तू पतित पावनी है, तेरा शीतल जल देता है पाप से छुटकारा तेरे दर पर बिन बुलाये चले आते है, स्नान करने नर-नारी…
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