राजनीति देश का पार्टी तंत्र बनाम लोकतंत्र

देश का पार्टी तंत्र बनाम लोकतंत्र

हम देखते हैं कि राजनीति में कई बार ऐसा होता है कि जनता किसी पार्टी का विधानमंडल में पूर्ण रूप से सफाया कर देती है,…

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राजनीति आप की राजनीति और दिल्ली के चुनाव परिणाम

आप की राजनीति और दिल्ली के चुनाव परिणाम

दिल्ली चुनाव परिणाम केजरीवाल के खिलाफ आए हैं। केजरीवाल पिछले 11 वर्ष से जिस प्रकार दिल्ली की जनता का मूर्ख बना रहे थे, झूठे वादे…

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राजनीति कांग्रेस,संविधान और राहुल गांधी

कांग्रेस,संविधान और राहुल गांधी

राहुल गांधी ने पटना में एक विशेष कार्यक्रम में कहा है कि बिना जातिगत जनगणना के दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों का विकास नहीं होगा ।…

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कला-संस्कृति तीर्थशिरोमणि  प्रयागराज  का पौराणिक इतिहास

तीर्थशिरोमणि  प्रयागराज  का पौराणिक इतिहास

                                आत्माराम यादव पीव         विश्व की प्राचीनतम संस्कृतियों में भारतीय संस्कृति सबसे प्राचीन है ओर इन संस्कृतियों का प्रमुख केंद्र स्थान प्रयाग है जो…

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राजनीति भारत ने विभिन्न क्षेत्रों में प्राप्त की हैं असाधारण उपलब्धियां

भारत ने विभिन्न क्षेत्रों में प्राप्त की हैं असाधारण उपलब्धियां

दिनांक 31 जनवरी 2025 को देश की राष्ट्रपति आदरणीया श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने लोक सभा एवं राज्य सभा के संयुक्त अधिवेशन को अपने सम्बोधन में, हाल ही के समय में, भारत में विभिन्न क्षेत्रों में प्राप्त की गई उपलब्धियों के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा है कि “भारत की विकास यात्रा के इस अमृतकाल को आज मेरी (केंद्र) सरकार अभूतपूर्व उपलब्धियों के माध्यम से नई ऊर्जा दे रही है। तीसरे कार्यकाल में तीन गुना तेज गति से काम हो रहा है। आज देश बड़े निर्णयों और नीतियों को असाधारण गति से लागू होते देख रहा है। और, इन निर्णयों में देश के गरीब, मध्यम वर्ग, युवा, महिलाओं, किसानों को सर्वोच्च प्राथमिकता मिली है।” आदरणीया श्रीमती द्रौपदी मुर्मू द्वारा दिए गए उक्त भाषण में अंशों को जोड़कर इस लेख में यह बताने का प्रयास किया गया है कि किस प्रकार भारत में गरीब वर्ग, युवाओं, मातृशक्ति, किसानों, आदि के लिए विभिन्न योजनाएं सफलतापूर्वक चलाई जा रही हैं।  आज आम नागरिकों की मूलभूत आवश्यकताओं रोटी, कपड़ा और मकान के साथ साथ स्वास्थ्य एवं शिक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। समस्त परिवारों को आवास सुविधा उपलब्ध कराने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना का विस्तार करते हुए तीन करोड़ अतिरिक्त परिवारों को नए घर देने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए 5 लाख 36 हजार करोड़ रुपए की राशि का खर्च किए जाने की योजना है। इसी प्रकार, गांव में गरीबों को उनकी आवासीय भूमि का हक देने के उद्देश्य से स्वामित्व योजना के अंतर्गत अभी तक 2 करोड़ 25 लाख सम्पत्ति कार्ड जारी किए जा चुके हैं। साथ ही, पीएम किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत लगभग 11 करोड़ किसानों को पिछले कुछ महीनों में 41,000 करोड़ रुपए की राशि का भुगतान किया गया है। जनजातीय समाज के पांच करोड़ नागरिकों के लिए “धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष” अभियान प्रारंभ हुआ है। इसके लिए अस्सी हजार करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया गया है। आज मध्यम वर्ग को मकान/फ्लैट खरीदने के लिए लोन पर सब्सिडी भी दी जा रही है एवं रेरा जैसा कानून बनाकर मध्यम वर्ग के स्वयं के मकान सम्बंधी सपने को सुरक्षा दी गई है। देश के नागरिकों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराए जाने के उद्देश्य से आयुषमान भारत योजना चलाई जा रही है। अब इस योजना के अंतर्गत 70 वर्ष और उससे अधिक उम्र के 6 करोड़ वरिष्ठ नागरिकों को स्वास्थ्य बीमा देने का निर्णय लिया गया है। इन वरिष्ठ नागरिकों को प्रत्येक वर्ष में पांच लाख रुपए का स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराया जाएगा।   केंद्र सरकार द्वारा आज युवाओं की शिक्षा और उनके लिए रोजगार के नए अवसर तैयार करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। मेधावी छात्रों को उच्च शिक्षा में वित्तीय सहायता देने के लिए पीएम विद्यालक्ष्मी योजना शुरू की गई है। एक करोड़ युवाओं को शीर्ष पांच सौ कंपनियों में इंटर्नशिप के अवसर भी दिये जाएंगे। पेपर लीक की घटनाओं को रोकने और भर्ती में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए नया कानून लागू किया गया है।सहकार से समृद्धि की भावना पर चलते हुए सरकार ने ‘त्रिभुवन’ सहकारी यूनिवर्सिटी की स्थापना का प्रस्ताव स्वीकृत किया है। जब देश के विकास का लाभ अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को भी मिलने लगता है तभी विकास सार्थक होता है। गरीब को गरिमापूर्ण जीवन मिलने से उसमें जो सशक्तिकरण का भाव पैदा होता है, वो गरीबी से लड़ने में उसकी मदद करता है। स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत बने 12 करोड़ शौचालय, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत निशुल्क दिए गए 10 करोड़ गैस कनेक्शन, 80 करोड़ जरूरतमंदों को राशन, सौभाग्य योजना, जल जीवन मिशन जैसी अनेक योजनाओं ने गरीब को ये भरोसा दिया है कि वो सम्मान के साथ जी सकते हैं। ऐसे ही प्रयासों की वजह से देश के 25 करोड़ लोग गरीबी को परास्त करके आज अपने जीवन में आगे बढ़ रहे हैं। इन्होंने नियो मिडिल क्लास का एक ऐसा समूह तैयार किया है, जो भारत की ग्रोथ को नई ऊर्जा से भर रहा है। उड़ान योजना ने लगभग डेढ़ करोड़ लोगों का हवाई जहाज में उड़ने का सपना पूरा किया है। जन औषधि केंद्र में 80 प्रतिशत रियायती दरों पर मिल रही दवाओं से, देशवासियों के 30 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा बचे हैं। हर विषय की पढ़ाई के लिए सीटों की संख्या में कई गुना बढ़ोतरी का बहुत लाभ मध्यम वर्ग को मिला है। केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के चौथे चरण में पच्चीस हजार बस्तियों को जोड़ने के लिए 70,000 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की हैं। आज जब हमारा देश अटल जी की जन्म शताब्दी का वर्ष मना रहा है, तब प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना उनके विजन का पर्याय बनी हुई है। देश में अब 71 वंदे भारत, अमृत भारत और नमो भारत ट्रेन चल रही हैं, जिनमें पिछले छह माह में ही 17 नई वंदे भारत और एक नमो भारत ट्रेन को जोड़ा गया है।  आगे आने वाले समय में देश के आर्थिक विकास में देश की आधी आबादी अर्थात मातृशक्ति के योगदान को बढ़ाना ही होगा। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 91 लाख से अधिक स्वयं सहायता समूहों को सशक्त किया जा रहा है। देश की दस करोड़ से भी अधिक महिलाओं को इसके साथ जोड़ा गया है। इन्हें कुल नौ लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि बैंक लिंकेज के माध्यम से वितरित की गई है। केंद्र सरकार ने देश में तीन करोड़ लखपति दीदी बनाने लक्ष्य निर्धारित किया है। आज एक करोड़ 15 लाख से भी अधिक लखपति दीदी एक गरिमामय जीवन जी रही हैं। इनमें से लगभग 50 लाख लखपति दीदी, बीते 6 महीने में बनी हैं। ये महिलाएं एक उद्यमी के रूप में अपने परिवार की आय में योगदान दे रही हैं। भारत में सभी के लिए बीमा की भावना के साथ कुछ महीने पूर्व ही बीमा सखी अभियान भी शुरू किया गया है। बैंकिंग और डिजी पेमेंट सखियां दूर दराज के इलाकों में लोगों को वित्तीय व्यवस्था से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। कृषि सखियां नेचुरल फार्मिंग को बढ़ावा दे रही हैं और पशु सखियों के माध्यम से देश का पशुधन मजबूत हो रहा है। आज भारत में बड़ी संख्या में महिलाएं लड़ाकू विमान उड़ा रही हैं, पुलिस में भर्ती हो रही हैं और कॉरपोरेट कंपनियों का नेतृत्व भी कर रही हैं। आज बालिकाओं की भर्ती राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूलों में भी प्रारंभ हो गई है। नेशनल डिफेंस अकैडमी में भी महिला कैडेट्स की भर्ती शुरू हो गई है।  पिछले एक दशक में मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत, स्टार्टअप इंडिया, स्टैंड-अप इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसी पहल ने युवाओं को रोजगार के अनेक अवसर प्रदान किए हैं। पिछले दो वर्षों में सरकार ने, रिकॉर्ड संख्या में दस लाख स्थायी सरकारी नौकरियां प्रदान की हैं। युवाओं के बेहतर कौशल और नए अवसरों के सृजन के लिए दो लाख करोड़ रुपए का पैकेज केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत किया गया है। एक करोड़ युवाओं के लिए इंटर्नशिप की व्यवस्था से युवाओं को ग्राउंड पर काम करने का अनुभव प्राप्त होगा। आज भारत में डेढ़ लाख से अधिक स्टार्टअप हैं जो इनोवेशन के स्तंभ के रूप में उभर रहे हैं। एक हजार करोड़ रुपए की लागत से स्पेस सेक्टर में वेंचर कैपिटल फंड की शुरुआत भी की गई है। आज भारत क्यूएस वर्ल्ड फ्यूचर स्किल इंडेक्स 2025 में पूरे विश्व में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। अर्थात, फ्यूचर ऑफ वर्क श्रेणी में AI और डिजिटल तकनीक अपनाने में भारत दुनिया को रास्ता दिखा रहा है। ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में भी भारत की रैंकिंग 76 से सुधर कर 39 हो गई है। यह सब भारतीय युवाओं के भरोसे ही सम्भव हो पा रहा है।  देश में आज राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से विद्यार्थियों के लिए आधुनिक शिक्षा व्यवस्था तैयार की जा रही है। कोई भी शिक्षा से वंचित ना रहे, इसीलिए मातृभाषा में शिक्षा के अवसर दिये जा रहे हैं। विभिन्न भर्ती परीक्षाएं तेरह भारतीय भाषाओं में आयोजित कर, भाषा संबंधी बाधाओं को भी दूर किया गया है। बच्चों में इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए दस हजार से अधिक स्कूलों में अटल टिंकरिंग लैब्स खोली गई हैं। “ईज ऑफ डूइंग रिसर्च” के लिए हाल ही में वन नेशन-वन सब्सक्रिप्शन स्कीम लायी गई है। इससे अंतरराष्ट्रीय शोध की सामग्री निशुल्क उपलब्ध हो सकेगी। पिछले एक दशक में भारत में उच्च शिक्षण संस्थाओं की संख्या बढ़ी है। इनकी गुणवत्ता में भी व्यापक सुधार हुआ है। क्यूएस विश्व यूनिवर्सिटी – एशिया रैंकिंग में भारत के 163 विश्वविद्यालय शामिल हुए हैं। नालंदा विश्वविद्यालय के नये कैंपस का शुभारंभ कर शिक्षा में, भारत का पुराना गौरव वापस लाया गया है।  विकसित भारत के निर्माण में किसान, जवान और विज्ञान के साथ ही अनुसंधान का बहुत बड़ा महत्व है।  भारत को भारत को ग्लोबल इनोवेशन पावरहाउस बनाने के लक्ष्य निर्धारित किया गया है। देश के शिक्षण संस्थाओं में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए पचास हजार करोड़ रुपए की लागत से अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउन्डेशन स्थापित किया गया है। 10,000 करोड़ रुपए की लागत से “विज्ञानधारा योजना” के तहत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में इनोवेशन को बढ़ावा दिया जा रहा है। आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में भारत के योगदान को आगे बढ़ाते हुए “इंडिया ए आई मिशन” प्रारम्भ किया गया है। राष्ट्रीय क्वांटम मिशन से भारत, इस फ्रंटियर टेक्नॉलाजी में दुनिया के अग्रणी देशों की पंक्ति में स्थान बना सकेगा। देश में “बायो – मैन्यूफैक्चरिंग” को बढ़ावा देने के उद्देश्य से BioE3 Policy लायी गई है। यह पॉलिसी भविष्य की औद्योगिक क्रांति का सूत्रधार होगी। बायो इकॉनामी का उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों का कुशल उपयोग करना है जिससे पर्यावरण को संरक्षित करते हुए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। भारत के छोटे व्यापारी गांव से लेकर शहरों तक, हर जगह आर्थिक प्रगति को गति देते हैं। केंद्र सरकार छोटे उद्यमियों को अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानते हुए उन्हें स्वरोजगार के नए अवसर दे रही है। MSME के लिए क्रेडिट गारंटी स्कीम और ई-कॉमर्स एक्सपोर्ट हब्स सभी प्रकार के उद्योगों को बढ़ावा दे रहे हैं। मुद्रा ऋण की सीमा को दस लाख रुपए से बढ़ाकर बीस लाख रुपए करने का लाभ करोड़ों छोटे उद्यमियों को हुआ है। केंद्र सरकार ने क्रेडिट एक्सेस को आसान बनाया है। इससे वित्तीय सेवाओं को लोकतांत्रिक बनाया जा सका है। आज लोन, क्रेडिट कार्ड, बीमा जैसे प्रोडक्ट, सबके लिए आसानी से सुलभ हो रहे हैं। दशकों तक भारत के रेहड़ी-पटरी पर दुकान लगाकर आजीविका चलाने वाले भाई-बहन बैंकिंग व्यवस्था से बाहर रहे। आज उन्हें पीएम स्वनिधि योजना का लाभ मिल रहा है। डिजिटल ट्रांजेक्शन रिकॉर्ड के आधार पर उनको बिजनेस बढ़ाने के लिए और लोन मिलता है। ओएनडीसी की व्यवस्था ने डिजिटल कॉमर्स यानी ऑनलाइन शॉपिंग की व्यवस्था को समावेशी बनाया है। आज देश में छोटे बिजनेस को भी आगे बढ़ने का समान अवसर मिल रहा है। प्रहलाद सबनानी 

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राजनीति देसी रंग में रंगा होगा  ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट

देसी रंग में रंगा होगा  ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट

मनोज कुमार ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट इस बार देसी रंग में रंगा होगा. दुनिया भर से आए उद्योगपतियों के लिए भी एक नया अनुभव होगा. विदेशी…

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लेख गरल के समंदर से भी गंगाजल निकलेगा

गरल के समंदर से भी गंगाजल निकलेगा

हाल ही में 10 फरवरी 2025 के दिन हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘परीक्षा पे चर्चा’(पीपीसी) कार्यक्रम में छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों से…

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प्रवक्ता न्यूज़ संत रविदास का मुगल विरोध और भीम मीम का छलावा 

संत रविदास का मुगल विरोध और भीम मीम का छलावा 

12 फर. माघ पूर्णिमा, संत रविदास जयंती पर विशेष – लगभग सवा छः सौ वर्ष जन्में संत रैदास भारत के आदि, मुखर धर्मांतरण विरोधी रहें…

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टेलिविज़न रिश्तों में अश्लीलता घोलता सोशल मीडिया

रिश्तों में अश्लीलता घोलता सोशल मीडिया

-ः ललित गर्ग:- इंटरनेट मीडिया इन्फ्लुएंसर एवं यूट्यूबर रणवीर इलाहाबादिया ने माता-पिता की गरिमा को आहत करने वाली अश्लील, अपमानजनक एवं विवादास्पद टिप्पणी करते हुए…

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लेख रैदास युगपुरुष और युगस्रष्टा सिद्ध संत थे

रैदास युगपुरुष और युगस्रष्टा सिद्ध संत थे

संत रविदास जयन्ती- 12 फरवरी, 2025ललित गर्गमहामना संत रविदास कहो या रैदास-भारतीय संत परम्परा, भक्ति आन्दोलन और संत-साहित्य के जहां महान् हस्ताक्षर है, वहीं वे…

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लेख धनाढ्यों के विदेश पलायन पर प्रदर्शन क्यों नहीं?

धनाढ्यों के विदेश पलायन पर प्रदर्शन क्यों नहीं?

-ः ललित गर्ग:- डॉनल्ड ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति पद संभालने के बाद सौ से अधिक अवैध भारतीयों के पहले बैच को अपराधियों की तरह…

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आर्थिकी रेपोदर में कमी के साथ ही भारत में ब्याज दरों के नीचे जाने का चक्र प्रारम्भ

रेपोदर में कमी के साथ ही भारत में ब्याज दरों के नीचे जाने का चक्र प्रारम्भ

भारतीय रिजर्व बैंक के नवनियुक्त अध्यक्ष श्री संजय मल्होत्रा ने अपने कार्यकाल की प्रथम मुद्रानीति दिनांक 7 फरवरी 2025 को घोषित की। अभी तक प्रत्येक दो माह के अंतराल पर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा घोषित की गई मुद्रा नीति के माध्यम से लिए गए निर्णयों का देश में मुद्रा स्फीति को नियंत्रण में रखने में विशेष योगदान रहा है। हालांकि पिछले लगभग 5 वर्षों में रेपो दर में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया गया है। मई 2020 में अंतिम बार रेपो दर में वृद्धि की घोषणा की गई थी। इसके बाद घोषित की गई 29 मुद्रा नीतियों में रेपो दर को स्थिर रखा गया है और यह अभी भी 6.5 प्रतिशत के स्तर पर कायम है। परंतु,अब फरवरी 2025 माह में घोषित की गई मुद्रा नीति में रेपो दर में 25 आधार बिंदुओं की कमी करते हुए इसे 6.50 प्रतिशत से 6.25 प्रतिशत पर लाया गया है। केंद्र सरकार द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक को देश में मुद्रा स्फीति की दर को नियंत्रण में रखने हेतु मेंडेट दिया गया है और इस मेंडेट पर ध्यान रखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने देश में मुद्रा स्फीति को नियंत्रण में रखने में सफलता भी पाई है। परंतु, वित्तीय वर्ष 2024-25 के प्रथम एवं द्वितीय तिमाही में देश के सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर घटकर 5.2 प्रतिशत एवं 5.4 प्रतिशत के निचले स्तर पर आ गई थी, जबकि वित्तीय वर्ष 2023-24 में सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत की रही थी। अतः देश में आर्थिक विकास की दर पर भी अब विशेष ध्यान देने की आवश्यकता प्रतिपादित हो रही थी, इसीलिए भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो दर में 25 आधार बिंदुओं में कमी की घोषणा की है। रेपो दर में कमी करने का उक्त निर्णय मुद्रानीति समिति के समस्त सदस्यों ने एकमत से लिया है।   भारतीय रिजर्व बैंक के आंकलन के अनुसार वित्तीय वर्ष 2024-45 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर 6.4% की रहेगी और वित्तीय वर्ष 2025-26 में यह बढ़कर 6.7 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच जाएगी। इस वर्ष खरीफ की फसल बहुत अच्छे स्तर पर आई है एवं आगे आने वाली रबी की फसल भी ठीक रहेगी क्योंकि मानसून की बारिश अच्छी रही थी और देश के जलाशयों में, क्षमता के अनुसार, पर्याप्त पानी इन जलाशयों में उपलब्ध है, जिसे कृषि सिंचाई के लिए उपयोग में लाया जा रहा है और जो अंततः कृषि की पैदावार को बढ़ाने में सहायक होगा। इससे ग्रामीण इलाकों में उत्पादों की मांग में वृद्धि देखी गई है। हालांकि शहरी इलाकों में उत्पादों की मांग में अभी भी सुधार दिखाई नहीं दिया है। परंतु हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा मध्यमवर्गीय करदाताओं को आय कर में दी गई जबरदस्त छूट के चलते आगे आने वाले समय में शहरी क्षेत्रों में भी उत्पादों की मांग में वृद्धि दर्ज होगी और विनिर्माण क्षेत्र में कार्यरत औद्योगिक इकाईयों की उत्पादन वृद्धि दर तेज होगी। सेवा क्षेत्र तो लगातार अच्छा प्रदर्शन कर ही रहा है। प्रयागराज में आयोजित महाकुम्भ मेले में धार्मिक पर्यटन के चलते देश की अर्थव्यवस्था में लगभग 2 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त योगदान होने की सम्भावना व्यक्त की जा रही है। इस प्रकार, भारत की आर्थिक विकास दर के वित्तीय वर्ष 2023-24 में लगभग 7 प्रतिशत एवं वित्तीय वर्ष 2024-25 में लगभग 8 प्रतिशत रहने के प्रबल सम्भावना बनती है। भारतीय रिजर्व बैंक का आंकलन उक्त संदर्भ में कम ही कहा जाना चाहिए।    इसी प्रकार मुद्रा स्फीति के संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक के अनुमान के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई की दर वित्तीय वर्ष 2024-25 में 4.8 प्रतिशत एवं वित्तीय वर्ष 2025-26 में घटकर 4.2 प्रतिशत रह सकती है। भारत में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई की दर मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों के महंगे होने के चलते ही बढ़ती है, जिसे ब्याज दरों को बढ़ाकर नियंत्रण में नहीं लाया जा सकता है। हेडलाइन मुद्रा स्फीति की दर अक्टूबर 2024 में अपने उच्चत्तम स्तर पर पहुंच गई थी परंतु उसके बाद से लगातार नीचे ही आती रही है। इसी प्रकार, कोर मुद्रा स्फीति की दर भी लगातार नियंत्रण में बनी रही है। केवल खाद्य पदार्थों में के महंगे होने के चलते उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई पर दबाव जरूर बना रहा है। इस प्रकार महंगाई दर के नियंत्रण में आने से अब भारत में ब्याज दरों में कमी का दौर प्रारम्भ हो गया है। आगे आने वाले समय में भी भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रेपो दर में कमी की घोषणा की जाती रहेगी ऐसी सम्भावना व्यक्त की जा रही है और दिसम्बर 2025 तक रेपो दर में लगभग 100 आधार बिंदुओं की कमी की जा सकती है और रेपो दर घटकर 5.25 प्रतिशत तक नीचे आ सकती है। हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक का कहना है कि देश में आर्थिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर रेपो दर में परिवर्तन के बारे में समय समय पर विचार किया जाएगा। भारतीय रिजर्व बैंक ने नीति उद्देश्य को भी निष्पक्ष रखा है परंतु चूंकि ब्याज दरों में अब कमी करने का चक्र प्रारम्भ हो चुका है अतः इसे उदार रखा जा सकता था। इसका आश्य यह है कि आगे आने वाले समय में भी रेपो दर में कमी की सम्भावना बनी रहेगी।   भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रेपो दर में की गई कमी की घोषणा के बाद अब विभिन्न बैकों को ऋणराशि पर ब्याज दरों को कम करते हुए ऋणदाताओं को लाभ पहुंचाने के बारे में शीघ्रता से विचार करना चाहिए जिससे आम नागरिकों द्वारा बैकों को अदा की जाने वाली किश्तों एवं ब्याज राशि में कुछ राहत महसूस हो सके। इससे अर्थव्यवस्था में भी कुछ गति आने की सम्भावना बढ़ेगी।  दिसम्बर 2024 माह में देश में तरलता में कुछ कमी महसूस की जा रही थी और बैकों के पास ऋण प्रदान करने योग्य फंड्ज की कमी महसूस की जा रही थी। भारतीय रिजर्व बैंक ने तुरंत निर्णय लेते हुए आरक्षित नकदी अनुपात (CRR) को 4.5 प्रतिशत से घटाकर 4 प्रतिशत कर दिया था, जिससे बैकों की तरलता की स्थिति में कुछ सुधार दृष्टिगोचर हुआ था। बैकों के लिए इसे अधिक सरल बनाने की दृष्टि से जनवरी 2025 में भी भारतीय रिजर्व बैंक ने लगभग 1.50 लाख करोड़ रुपए बांड्ज विभिन्न बैकों से खरीदे थे ताकि इन बैकों की तरलता की स्थिति में और अधिक सुधार किया जा सके और बैकिंग सिस्टम में तरलता की वृद्धि की जा सके। उक्त वर्णित उपायों का परिणाम यह है कि आज भारतीय बैकों का ऋण:जमा अनुपात 80.8 प्रतिशत के स्तर पर बना हुआ है और बैकों की लाभप्रदता में भी लगातार सुधार होता दिखाई दे रहा है। विभिन्न बैकों द्वारा अभी तक घोषित किए गए परिणामों के अनुसार, बैकों ने लगभग 1.50 लाख करोड़ रुपए का लाभ घोषित किया है।   अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जरूर परिस्थितियां अभी भी अस्थिर बनी हुई हैं और वैश्विक स्तर पर रुपए पर दबाव बना हुआ है। अभी हाल ही में डॉलर इंडेक्स 109 के स्तर तक पहुंच गया था और 10 वर्षीय यू एस बांड यील्ड भी 4.75 प्रतिशत तक पहुंच गई थी, इससे अन्य देशों की मुद्राओं पर दबाव बढ़ता जा रहा है और आज अमेरिकी डॉलर के मुकाबले में रुपए की कीमत अपने निचले स्तर 87.66 पर पहुंच गई थी। परंतु, आगे आने वाले समय में अमेरिका में भी यदि ब्याज दरों में कमी की घोषणा होती है तो भारत में भी ब्याज दरों में कमी का चक्र और भी तेज हो सकता है। ब्रिटेन एवं कुछ अन्य यूरोपीयन देशों ने भी हाल ही के समय में ब्याज दरों में कमी की घोषणा की है। चूंकि अब कई देशों में मुद्रा स्फीति नियंत्रण में आ चुकी है अतः अब लगभग समस्त देश ब्याज दरों में कमी की घोषणा करते हुए दिखाई दे रहे हैं। इससे अब आने वाले समय में इन देशों में आर्थिक विकास दर में कुछ तेजी आते हुए भी दिखाई देगी। अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने के चलते अमेरिका के शेयर बाजार में केवल जनवरी 2025 माह में ही 15,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर की राशि निवेशकों द्वारा डाली गई है, जबकि भारत के शेयर बाजार से 2.50 लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा निकाली गई है, इससे भी भारतीय रुपए पर दबाव बना हुआ है। परंतु भारतीय रिजर्व बैंक को शायद आभास है कि यह समस्या अस्थायी है एवं भारतीय कम्पनियों की लाभप्रदता में सुधार होते ही विदेशी संस्थागत निवेशक पुनः भारतीय शेयर बाजार में अपने निवेश को बढ़ाएंगे। अमेरिका एवं चीन के बीच छिड़े व्यापार युद्ध का प्रभाव भी भारत पर सकारात्मक रहने की सम्भावना है क्योंकि इससे यदि चीन से अमेरिका को निर्यात कम होते हैं तो सम्भव हैं कि भारत से अमेरिका को निर्यात बढ़ें। भारत से निर्यात बढ़ने पर भारतीय रुपए पर दबाव कम होने लगेगा, जिससे भारतीय रिजर्व बैंक को भारत में रेपो दर को कम करने में और अधिक आसानी होगी।       प्रहलाद सबनानी

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