राजनीति मुफ्त की होड़ में दिल्ली के बुनियादी मुद्दे गायब?

मुफ्त की होड़ में दिल्ली के बुनियादी मुद्दे गायब?

– ललित गर्ग- सड़क से लेकर सीवर तक, पर्यावरण से लेकर विकास तक दिल्ली के बुनियादी मुद्दे की जगह मुफ्त की सुविधाओं की होड़ ने…

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राजनीति क्या हैं लॉस एंजेलिस की भयावह आग के संकेत ?

क्या हैं लॉस एंजेलिस की भयावह आग के संकेत ?

निर्मल रानीविश्व का सर्व शक्तिशाली देश अमेरिका इन दिनों गोया प्राकृतिक प्रलय की चपेट में है। एक ओर तो मध्य अमेरिका में आये भीषण बर्फ़ीले…

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राजनीति देश के पहले प्रधानमंत्री नेताजी सुभाष चंद्र बोस

देश के पहले प्रधानमंत्री नेताजी सुभाष चंद्र बोस

21 अक्टूबर 1943 का दिन भारत के स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारी आंदोलन का एक महत्वपूर्ण दिन है। क्योंकि इसी दिन भारत के क्रांतिकारी आंदोलन के…

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कला-संस्कृति महाकुम्भ : दक्षिण एशिया में भारतीय सॉफ्ट पावर का प्रतीक

महाकुम्भ : दक्षिण एशिया में भारतीय सॉफ्ट पावर का प्रतीक

गजेंद्र सिंहसामाजिक चिंतक एवं सामाजिक निवेश विशेषज्ञ दुनिया की सबसे बड़ी धार्मिक सभा, महाकुंभ मेला, 13 जनवरी 2025 को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में शुरू हो गया है। कुंभ मेला…

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राजनीति भारत अंतिरक्ष में सैटेलाइट जोड़ने वाला विश्व का चौथा देश बना

भारत अंतिरक्ष में सैटेलाइट जोड़ने वाला विश्व का चौथा देश बना

रामस्वरूप रावतसरे भारत ने वर्ष 2025 की शुरुआत के साथ ही अंतरिक्ष क्षेत्र में बड़ी सफलता हासिल की है। इसरो ने अंतरिक्ष में ही स्पेडेक्स…

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राजनीति राम ही सच्ची स्वतंत्रता है

राम ही सच्ची स्वतंत्रता है

डॉ.सुधाकर कुमार मिश्रा                 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ( आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत का बयान राजनीतिक गलियारे , खासकर विपक्षी खेमें…

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राजनीति राहुल की हताशा-निराशा कांग्रेस को डुबो रही है

राहुल की हताशा-निराशा कांग्रेस को डुबो रही है

राजेश कुमार पासी राहुल गांधी जब बोलते हैं तो लगता है कि बहुत विचार करने के बाद गंभीरता से बोल रहे हैं लेकिन उनके बयान कांग्रेस को ही नुकसान पहुंचाते हैं। आजकल बोलते समय  उनके चेहरे से उनकी हताशा-निराशा की झलक देखने को मिल रही है क्योंकि उनके चेहरे पर बेवजह का गुस्सा नजर आता है। अकसर देखा गया है कि उनके बयान कांग्रेस को ही भारी पड़ते हैं लेकिन कांग्रेसी उनके बयान का विरोध नहीं कर पाते। वास्तव में कांग्रेस के नेताओं के लिए समस्या यह है कि राहुल गांधी जो बोलते हैं वो पार्टी की सोच और विचारधारा मानी जाती है । यही कारण है कि कांग्रेस के नेता राहुल के बयानों को दूसरा रूप देने की कोशिश करते हैं और उनके शब्दों की नई-नई परिभाषा निकालते हैं । 15 जनवरी को कांग्रेस को नया मुख्यालय मिला है और उसके उद्घाटन पर राहुल गांधी बयान दे रहे थे। उन्होंने कहा कि उनकी लड़ाई सिर्फ भाजपा और संघ से नहीं है बल्कि उनकी लड़ाई भारतीय स्टेट से है । उन्होंने यह बयान बहुत गंभीरता से दिया है इसलिये इसे भूलवश मुंह से निकली हुई बात नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा कि भाजपा धीरे-धीरे पूरी व्यवस्था पर कब्जा कर रही है इसलिए उनकी लड़ाई भारतीय स्टेट से है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, इससे पहले कई बार वो विदेशी धरती पर इससे मिलता-जुलता बयान दे चुके हैं। उन्होंने कई बार कहा है कि भारत में हालात बहुत खराब हैं । उन्होंने कहा था कि भाजपा ने पूरे देश में केरोसिन डाला हुआ है. एक छोटी सी चिंगारी से आग भड़क सकती है। वास्तव में जब आदमी निराश हो जाता है तो वो नकारात्मकता से भर जाता है और उसे सब तरफ सिवाये बर्बादी के कुछ नजर नहीं आता । उसे लगता है कि अब कुछ अच्छा होने वाला नहीं है क्योंकि उसके साथ कुछ अच्छा नहीं हो रहा होता है।                    राहुल गांधी कांग्रेस के सबसे बुरे दौर के नेता हैं लेकिन इस दौर को लाने के लिए वो पूरी तरह जिम्मेदार नहीं हैं। यूपीए सरकार के कारनामों के कारण 2014 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस सिर्फ 44 सीटों तक सीमित हो गई थी। इसकी सबसे बड़ी वजह कांग्रेस के सहयोगी दलों द्वारा किया गया भ्र्ष्टाचार था जिस पर गठबंधन सरकार होने के कारण सरकार काबू नहीं कर पाई थी । दूसरी बदकिस्मती राहुल गांधी की यह रही कि उनका सामना राजनीति के दो धुरंधर खिलाड़ी मोदी-शाह की जोड़ी से हो रहा है । मोदी जी का कुशल नेतृत्व और शाह का राजनीतिक प्रबंधन कांग्रेस को बहुत भारी पड़ रहा है। कांग्रेस की कमजोरी के लिए सिर्फ कांग्रेस का नेतृत्व ही जिम्मेदार नहीं है बल्कि भाजपा के वर्तमान नेतृत्व का रणनीतिक कौशल भी है। भारतीय राजनीति के इतिहास में कांग्रेस को ऐसी चुनौती का सामना कभी नहीं करना पड़ा है। भारतीय जनता में राजनीतिक जागरूकता बढ़ती जा रही है जिसके कारण उसकी उम्मीदों पर खरा उतरना राजनीतिक दलों और नेताओं के लिए बहुत मुश्किल होता जा रहा है। राहुल गांधी की समस्या सिर्फ भाजपा नहीं है बल्कि दूसरे विपक्षी दल भी उनके लिए बड़ी समस्या बन गए हैं। कहने को तो गठबंधन के सहयोगी दल कांग्रेस के साथ हैं लेकिन वो सिर्फ भाजपा के खिलाफ कांग्रेस के साथ खड़े हैं। वास्तव में विपक्षी दल कांग्रेस के उतने ही बड़े विरोधी हैं जितने वो भाजपा के हैं बल्कि कहना चाहिए कि वो भाजपा से ज्यादा कांग्रेस के विरोधी हैं। विपक्षी दल चाहते हैं कि कांग्रेस अपने प्रभाव क्षेत्र में उन्हें जगह बनाने का मौका दे लेकिन वो उनके प्रभाव क्षेत्र से दूर रहे । राहुल गांधी के सामने ऐसी समस्या है जिसका सामना कांग्रेस को पहली बार करना पड़ रहा है। उन्हें यह फैसला करना है कि वो पहले भाजपा से लड़े या अपने ही सहयोगी दलों से लड़े ।                   ऐसा लगता है कि राहुल गांधी ने यह फैसला कर लिया है कि उन्हें विपक्षी दलों से अपना वोटबैंक वापिस पाना है । 2024 के लोकसभा चुनाव से कांग्रेस को यह संकेत मिला है कि उसका मुस्लिम और दलित वोट बैंक उसके पास वापिस लौट रहा है । कांग्रेस मुस्लिम वोटबैंक पाने के लिए मुस्लिम तुष्टिकरण से आगे बढ़कर हिन्दू विरोध की राजनीति की ओर चल पड़ी है।  वास्तव में मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति पर  पूरा विपक्ष चल रहा है इसलिये सिर्फ इस नीति पर चलकर मुस्लिमों को कांग्रेस से जोड़ना आसान नहीं लग रहा है । राहुल गांधी को लगता है कि वो अगर हिन्दू विरोध की राजनीति करेंगे तो मुस्लिम उनके साथ जुड़ सकते हैं। राहुल गांधी को लगता है कि मुस्लिमों को लुभाने के लिए देश का विरोध भी किया जाए तो बेहतर परिणाम हासिल हो सकते हैं। राहुल गांधी ने कहा है कि उनकी लड़ाई इंडियन स्टेट के साथ है । कांग्रेस समर्थक इस बयान का बचाव यह कहकर कर रहे हैं कि इंडियन स्टेट से उनका मतलब भारत सरकार है और भारत सरकार का मतलब मोदी सरकार है। राजनीति शास्त्र के अनुसार लोकतंत्र में स्टेट का मतलब सिर्फ सरकार नहीं होता है बल्कि पूरी सरकारी व्यवस्था होती है। इस सरकारी व्यवस्था में विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका शामिल हैं। इंडियन स्टेट में भारत का संविधान भी शामिल है जिसे राहुल गांधी खतरे में बताते हैं। उन्हें बताना चाहिए कि क्या वो खुद ही संविधान के लिए सबसे बड़ा खतरा है। इस देश की पूरी व्यवस्था संविधान के अनुसार ही चल रही है, जो व्यक्ति व्यवस्था से लड़ने का दावा करता है, इसका मतलब है कि वो संविधान को खत्म करना चाहता है। माओवादी, नक्सलवादी, आतंकवादी और अलगाववादी इंडियन स्टेट से लड़ने का दावा करते हैं और वो लोग संविधान को नहीं मानते हैं। अपने बयान से राहुल गांधी उनके साथ खड़े हो गए हैं।                इंडियन स्टेट में भारतीय सेना, पुलिस और पूरी नौकरशाही आती है जिसमें हमारे देश के युवा काम कर रहे हैं। इंडियन स्टेट में सारे राज्य और उनकी पूरी व्यवस्था आती है, जिसमें कांग्रेस और विपक्षी दलों की सरकारें भी शामिल हैं। कांग्रेस के नेता और समर्थक इतनी सी बात नहीं समझ रहे हैं कि राहुल गांधी देश विरोधी बनते जा रहे हैं। मुस्लिमों को कांग्रेस के साथ लाने के चक्कर में राहुल गांधी धर्म विरोधी होने के बाद देश विरोधी बनते जा रहे हैं। राहुल गांधी सोचते हैं कि भाजपा सत्ता में होने के कारण पूरी व्यवस्था पर काबिज होती जा रही है तो व्यवस्था को ही खत्म कर दिया जाए । वो भूल गए हैं कि कांग्रेस ने 55 साल देश पर राज किया है और पूरी व्यवस्था उसके कब्जे में थी, इसके बावजूद भाजपा से उसे सत्ता से हटाने में कामयाब रही । इस देश की जनता संवैधानिक तरीके से अपने हक हासिल करती है और व्यवस्था से भी लड़ती है लेकिन व्यवस्था परिवर्तन की बात नहीं करती है। आज़ादी की लड़ाई के दौरान भी हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने इंडियन स्टेट से लड़ने की बात नहीं की बल्कि वो ब्रिटिश शासन से लड़ने की बात करते थे। एक लोकतांत्रिक देश में स्टेट से लड़ने का मतलब सिर्फ सरकार से लड़ना नहीं होता बल्कि देश की जनता से भी लड़ना होता है क्योंकि सरकार जनता द्वारा ही चुनी गई होती है। राहुल गांधी को बताना चाहिए कि क्या वो देश की जनता से लड़ने जा रहे हैं। अगर देश में किसी  तानाशाह की सरकार होती तो स्टेट से लड़ना सही हो सकता था लेकिन किसी लोकतांत्रिक देश में संवैधानिक व्यबस्था के तहत जनता द्वारा चुनी गई सरकार से सिर्फ लोकतांत्रिक तरीके से लड़ा जा सकता है। राहुल गांधी को अपने बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए क्योंकि अगर इंडियन स्टेट से लड़ रहे होते तो वो चुनाव नहीं लड़ सकते थे । स्टेट से लड़ने का दावा करने वाले नक्सलवादी, आतंकवादी और माओवादी चुनाव नहीं लड़ते हैं। राहुल गांधी सबसे पुरानी और सबसे ज्यादा शासन करने राजनीतिक पार्टी के नेता हैं. उन्हें स्टेट से नहीं लड़ना है बल्कि विपक्षी पार्टी से लड़ना है।  राजेश कुमार पासी

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राजनीति पांच साला सरकार चुनें, फ्री स्कीम ठुकराएं 

पांच साला सरकार चुनें, फ्री स्कीम ठुकराएं 

मनोज कुमार  वरिष्ठ पत्रकार  इस समय देश के कई राज्यों की सरकार अंगद के पैर तरह जम गई हैं। एक लंबे समय तक सत्ता में…

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राजनीति कांग्रेस की इंडिया से लडाई की घोषणा

कांग्रेस की इंडिया से लडाई की घोषणा

– कुलदीप चन्द अग्निहोत्री राहुल गान्धी भारतीय संसद में विपक्ष के नेता हैं । वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के भी नेता हैं । वैसे लोकलाज…

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राजनीति अफ़गानिस्तान के साथ भारत के जुड़ाव और तालिबान

अफ़गानिस्तान के साथ भारत के जुड़ाव और तालिबान

अफ़गानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद भारत ने काबुल में अपना दूतावास फिर से खोल दिया है। भारत ने अब तक केवल तालिबान को…

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लेख धर्म बांटने की नहीं, जोड़ने की जीवन पद्धति है

धर्म बांटने की नहीं, जोड़ने की जीवन पद्धति है

विश्व धर्म दिवस- 17 जनवरी, 2025 ललित गर्ग  विश्व धर्म दिवस हर साल जनवरी के तीसरे रविवार यानी इस वर्ष 19 जनवरी को मनाया…

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राजनीति संसार का विनाश और विश्व नेता

संसार का विनाश और विश्व नेता

हर शाख पे उल्लू बैठा है कहने की आवश्यकता नहीं है कि अंजामे गुलिस्ताँ क्या होगा? क्योंकि इन लोगों के हाथ परमाणु शक्ति लगी हुई…

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