मूल्यपरक जीवन जीने का प्रषिक्षण है रोजा
Updated: December 7, 2011
मो. इफ्तेखार अहमद, रमजान का महत्व धार्मिक ही नहीं, वैज्ञानिक भी ’’रमजान‘‘ के पाक महीना के आरम्भ होते ही मस्जिदों में इबादत की हलचल व…
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यूआईडीः यह कार्ड खतरनाक है
Updated: December 7, 2011
डॉ. मनीष कुमार वर्ष 1991 में भारत सरकार के वित्त मंत्री ने ऐसा ही कुछ भ्रम फैलाया था कि निजीकरण और उदारीकरण से 2010 तक…
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सोशल नेटवर्किंग बनाम सेक्स नेटवर्किंग
Updated: December 7, 2011
डॉ. मनोज चतुर्वेदी मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है वह समाज के लिए जीता व मरता है। यदि वह समाज से अलग हो तो या वह…
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वुस्तानवी एक शख्सियत नहीं बल्कि एक विचारधारा का संघर्ष
Updated: December 7, 2011
इक़बाल हिंदुस्तानी दारूलउलूम देवबंद विश्वप्रसिद्व इस्लामी संस्था है। मौलाना वुस्तानवी का मामला भले ही शांत दिख रहा हो लेकिन उनके समर्थक अगर उनकी बर्खास्तगी के…
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सोने की चिड़िया क्यों लुटती थी?
Updated: December 7, 2011
शंकर शरण महान इतिहासकार विल ड्यूराँ ने अपना पूरा जीवन लगाकर वृहत ग्यारह भारी-भरकम खंडों में “स्टोरी ऑफ सिविलाइजेशन” लिखी था। उसके प्रथम खंड में…
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हाँ, हाँ मैंने वक्त बदलते देखा है…….
Updated: December 7, 2011
पंकज व्यास मैंने वक्त बदलते देखा है, दुनिया के दस्तूर बदलते देखे हैं, मैंने, मैंने, रिश्ते और रिश्तेदार बदलते देखे हैं मैंने, अपनो को बैगाना…
Read moreसावन तूने निराश किया , धरती को उदास किया .
Updated: December 7, 2011
खेतों की हरियाली को , किसानों की खुशहाली को ; तूने बहुत हताश किया . सावन तूने निराश किया , धरती को उदास किया .…
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थल सेनाध्यक्ष के खिलाफ सरकार की साजिश
Updated: December 7, 2011
चौथी दुनिया ब्यूरो भारतीय सेना पर लिखने से हमेशा बचा जाता रहा है, क्योंकि सेना ही है जो देश की रक्षा दुश्मनों से करती है,…
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अपनी थाती को संभालने वाला थाईलैंड
Updated: December 7, 2011
अरुण कुमार सिंह भारत में ‘सेकुलरवाद’ नाम का रोग इतनी तेजी से पफैल रहा है कि कुछ लोग यहां की सदियों पुरानी सभ्यता और संस्कृति,…
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मेले से महरूम एक शहीद की चिता
Updated: December 7, 2011
अगस्त क्रांति 1942 की याद में (शशांक चंद्रशेखर उपाध्याय) कौन याद रखता है अंधेरे वक्त के साथियों को सुबह होते ही चिरागों को बुझा देते हैं।…
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बम धमाकों के पीछे का असली चेहरा कौन ?
Updated: December 7, 2011
पी.बी. लोमियो इस प्रश्न का आम तौर पर जो उत्तर दिया जाएगा वह यही होगा कि आतंकवादियों के सिवाए और कौन हो सकता है। प्रिंट…
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जनवाणी-देववाणी
Updated: December 7, 2011
वीरेन्द्र सिंह परिहार जैसे कि प्रत्याशा थी, कुछ उसी तरह सरकारी लोकपाल बिल जनता के सामने आया, वह कम से कम ऐसा लोकपाल तो नही है,…
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