बेचारी पुलिस
Updated: December 11, 2011
पुलिस को ‘‘बेचारी पुलिस’’कहने से उन लोगों को आपत्ति हो सकती है जो पुलिस की लाचारी को नही समझते। यह विडंबना ही है कि जिस…
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अपने डेथ- वारंट पर हस्ताक्षर कौन करेगा !
Updated: December 11, 2011
प्रो ए. डी. खत्री मेरा प्रश्न अजीब लग सकता है परन्तु इसका उत्तर ढूंढना ही होगा . आजकल आन्दोलनों का बाजार गर्म है . बाबा…
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कांग्रेस पार्टी को आखिर हुआ क्या है ?
Updated: December 11, 2011
संसदीय राजनीति और संस्थाओं की विश्वसनीयता बचाने की जरूरत संजय द्विवेदी देश जिन हालात से गुजर रहा है उसमें सबसे बड़ा खतरा हमारी संसदीय राजनीति…
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संघ यात्रा : एक विहंगम दृष्टि
Updated: December 11, 2011
के. एन. गोविन्दाचार्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समाज परिवर्तन के क्षेत्र में पिछली सदी में एक महत्वपूर्ण एवं अभिनव प्रयोग है। जहां महात्मा गांधी ने देश…
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निरंकुश सरकारों के खिलाफ सत्याग्रह व संघर्ष
Updated: December 11, 2011
अरविन्द विद्रोही अब वो समय आ गया है की युवा वर्ग को अपना ध्यान आम जनता के बीच सरकार की निरंकुशता के खिलाफ जागृति पैदा…
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पहल में ही ‘हल’ छिपा होता है
Updated: December 11, 2011
चैतन्य प्रकाश क्या आपने कभी छलांग भरी है? गङ्ढे, खाई, नाले, दीवार से या यों ही मैदान में छलांग भरते हुए चलना वाकई एक रोमांचक…
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पंचायतों में महिला प्रतिनिधियों के सैद्धांतिक एवं व्यवहारिक पहलू
Updated: December 11, 2011
डाँ. रमेश प्रसाद द्विवेदी प्रस्तावना: देश को स्वतंत्र हुए 63 साल पूर्ण हो चके है लेकिन महिलाओं की स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं दिख…
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बाबा रामदेव के खोट खोजने की कवायद
Updated: December 11, 2011
प्रमोद भार्गव बाबा और अन्ना के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलनों से हलाकान यूपीए की केंद्र सरकार अब खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे की स्थिति में है। दुर्घटना…
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प्रचार के भूखे हैं बाबा रामदेव
Updated: December 11, 2011
विनोद उपाध्याय आज-कल बाबा रामदेव की तुलना राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से की जा रही है। लेकिन दोनों के व्यक्तित्व और कृतित्व में जमीन-आसमान का अंतर…
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फायर ब्रांड उमा की खामोश वापसी!
Updated: December 11, 2011
लिमटी खरे उमा भारती एक फायर ब्रांड साध्वी और नेत्री हैं इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। उमा जनाधार वाली नेत्री हैं,…
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भारतीय समाज और गाय
Updated: December 11, 2011
सौरभ मालवीय मानवता ने जब भी चेतना को प्राप्त किया तो उसने सर्व शक्ति सम्पन्न को मातृ रूपेण ही देखा है। इसी कारण भारत में…
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उलझाया जा रहा है भ्रष्टाचार का मुद्दा !
Updated: June 8, 2011
नरेश भारतीय स्पष्ट संकेत हैं कि भारत के अंदर एक परिवर्तनकारी आत्म-संघर्ष का होना अवश्यम्भावी है, क्योंकि स्वाधीनता के बाद से देश में जिस प्रकार…
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