कविता कविता: जब तिमिर बढ़ने लगे तो

कविता: जब तिमिर बढ़ने लगे तो

जब तिमिर बढ़ने लगे तो दीप को जलना पड़ेगा दैत्य हुंकारें अगर तो देव को हँसना पड़ेगा दीप है मिट्टी का लेकिन हौसला इस्पात-सा हमको…

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कविता कविता : चलो अरुंधती राय बन जाएँ

कविता : चलो अरुंधती राय बन जाएँ

-शिखा वार्ष्‍णेय भूखे नंगों का देश है भारत, खोखली महाशक्ति है , कश्मीर से अलग हो जाना चाहिए उसे .और भी ना जाने क्या क्या…

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विविधा मैं ‘प्रवक्‍ता’ से स्वयं को निर्वासित करता हूँ: पंकज झा

मैं ‘प्रवक्‍ता’ से स्वयं को निर्वासित करता हूँ: पंकज झा

आ. संजीव जी. जैसा कि आप जानते हैं कि प्रवक्ता से अपना भी जुड़ाव इसके शुरुआती दौर से ही रहा है. कुछ अपवादों को छोड़…

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खेल जगत अयोध्या और कॉमनवेल्थ के बीच मीडिया

अयोध्या और कॉमनवेल्थ के बीच मीडिया

-उमेश चतुर्वेदी भारतीय और खासकर भाषाई मीडिया की भूमिका को लेकर इन दिनों राजनीति से लेकर समाज के प्रमुख वर्गों की ओर से सराहना के…

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विश्ववार्ता ओबामा यात्रा पर विशेष-गुलामों की टोली के लालच

ओबामा यात्रा पर विशेष-गुलामों की टोली के लालच

-जगदीश्‍वर चतुर्वेदी अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा भारत आ रहे हैं और हमारे देश की पूरी मशीनरी उनकी खिदमत के लिए तैयार की जा रही…

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प्रवक्ता न्यूज़ संजीव जी, ‘अंजाम’ हमें नहीं पता, आप बताएं.

संजीव जी, ‘अंजाम’ हमें नहीं पता, आप बताएं.

-पंकज झा पंकजजी का मुझे संबोधित लेख प्रस्‍तुत है। प्रवक्‍ता पर बहुत विवाद हो गए। हम इस विवाद कांड को यही पर रोक रहे हैं।…

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व्यंग्य हास्य-व्यंग्य/उल्लुं शरणं गच्छामि

हास्य-व्यंग्य/उल्लुं शरणं गच्छामि

-पंडित सुरेश नीरव जी हां जनाब बात ही है ये रोने की। कि ऐसी लागी नजर कुटिल जादू-टोने की। कि हमारा देश जो कभी चिड़या…

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खेत-खलिहान गाय बची तो ही हिन्दू और मुसलमान बचेगा

गाय बची तो ही हिन्दू और मुसलमान बचेगा

-हरपाल सिंह भारत की संस्कृति, समृद्वि और सभ्यता का आधार गंगा, गौ, गायत्री, गीता और गुरु ही रही है। भारत की संस्कृति प्रकृति मूलक संस्कृति…

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साहित्‍य अंग्रेजी में संस्कृत स्रोत

अंग्रेजी में संस्कृत स्रोत

-डॉ. मधुसूदन ‘सप्तांबर, अष्टांबर, नवाम्बर, दशाम्बर’ आपके मनमें, कभी प्रश्न उठा होगा कि अंग्रेज़ी महीनों के नाम जैसे कि, सप्टेम्बर, ऑक्टोबर, नोह्वेम्बर, डिसेम्बर कहीं, संस्कृत…

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राजनीति सिर फोड़ने का सलीका

सिर फोड़ने का सलीका

-जगदीश्‍वर चतुर्वेदी हिन्दुत्व का स्वप्नलोक बदल रहा है। स्वप्नलोक से यहां तात्पर्य है यूटोपिया से। जो लोग भारत को हिन्दूराष्ट्र बनाना चाहते हैं उनके पास…

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धर्म-अध्यात्म चिंतनीय है धर्म के नाम पर फैलता ध्वनि प्रदूषण

चिंतनीय है धर्म के नाम पर फैलता ध्वनि प्रदूषण

-निर्मल रानी नि:संदेह प्रत्येक भारतवासी एक आज़ाद देश का आजाद नागरिक है। परंतु इस ‘आजादी’ शब्द के अंतर्गत हमारे संविधान ने हमें जहां तमाम ऐसे…

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राजनीति वामपंथी हिंसा, हिंसा न भवति।।

वामपंथी हिंसा, हिंसा न भवति।।

-शैलेन्‍द्र कुमार ये एक सर्वमान्य सिद्धांत है कि जो विचार मानव समाज के अनुकूल नहीं होंगे वो स्वतः ही ख़त्म हो जायेंगे। वामपंथ ऐसी ही…

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