कविता : मेरी माँ …
Updated: December 25, 2011
आज फिर अल्लसुबह उसी तुलसी के विरवा के पास केले के झुरमुटों के नीचे पीताम्बर ओढ़े वो औरत नित्य की भांति दियना जला रही थी…
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मध्य प्रदेश में महिलाओं की स्थिति
Updated: December 25, 2011
राज्य में इन दिनों प्रशासन प्रदेश में महिलाओं सुदृढ़ स्थिति को लेकर फुले नहीं समा रहा है। राज्य सरकार का मानना है कि प्रदेश में…
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बस्तर में सिमट रहा है माओवादियों का दायरा
Updated: December 25, 2011
हाल में बस्तर के घनघोर जंगल में जाकर जनसत्ता रायपुर के स्थानीय संपादक अनिल विभाकर और वहीँ के सलाहकार संपादक सुजीत कुमार (आईएएनएस एवं रायटर…
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रंगीन पतंगें
Updated: December 25, 2011
अच्छी लगती थीं वो सब रंगीन पतंगें काली नीली पीली भूरी लाल पतंगें कुछ सजी हुई सी मेलों में कुछ टंगी हुई बाज़ारों में कुछ…
Read moreराष्ट्र विभाजक ‘दुर्योधनों’ को किसने बनाया शक्तिशाली?
Updated: December 25, 2011
महाराष्ट्र की राजधानी तथा देश की गौरवशाली औद्योगिक महानगरी मुंबई को लेकर देश में घमासान मचा हुआ है। महाराष्ट्र राज्य की सत्ता पर क़ब्ज़ा जमाने…
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समझना होगा इंटरनेट के इंद्रजाल को
Updated: December 25, 2011
सायबर क्राईम के लिए हो गया है उपजाउ माहौल तैयार अब समय आ गया है कि इस बात पर सर जोडकर बैठा जाए और विश्लेषण…
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तीर्थयात्रा बनाम पर्यटन
Updated: December 25, 2011
विश्व की समस्त नदियों में पवित्रतम है गंगा। यह वर्ष हरिद्वार में पूर्ण कुंभ का वर्ष है। लाखों भक्त अब तक गंगा में स्नान कर…
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परिचर्चा : राज ठाकरे की राजनीति के बारे में आप क्या कहते हैं?
Updated: April 9, 2014
स्वस्थ बहस ही लोकतंत्र का प्राण होती है। ‘प्रवक्ता डॉट कॉम‘ पर हुए विचार-विमर्शों में हमने हमेशा आम आदमी की आवाजों को प्रमुख स्थान दिया…
Read moreनवभारत टाइम्स का जवाब, ‘दुनिया है मेला, पर कुंभ अलबेला’
Updated: December 25, 2011
नवभारत टाइम्स के ब्लागर राकेश परमार ने महाकुंभ को 5 करोड़ मूर्खों का मेला कहा है। उनके ब्लाग के प्रत्युत्तर में प्रवक्ता से जुड़े पाठक राकेश…
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विलुप्त की कगार पर भाषाएं
Updated: December 25, 2011
आज सुबह जैसे ही अख़बार उठाया एक छोटी सी खबर ने सोचने पर मज़बूर कर दिया…खब़र थी अंडमान की एक प्राचीन भाषा को बोलने वाली…
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कुकुरमुत्ते का उगना
Updated: December 25, 2011
हम अपने दड़बे में बैठे इस बात पर सोच को एकाग्र करने का सार्थक प्रयास कर रहे थे कि हमारे यहां पर आखिर एक कुकुरमुत्ता…
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वेलेन्टाइन डे का राजनीतिकरण : संस्कृति का अपमान
Updated: December 25, 2011
दोस्तों…………….सही रुढ़िवादी होने के नाते मै वेलेन्टाइन डे को प्यार के किसी ख़ास दिन के रूप में न तो जानता था और नाही जानने की…
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