न्यायाधीशों द्वारा सम्पत्ति घोषित करने के निहितार्थ : मयंक चतुर्वेदी
Updated: December 27, 2011
ज्युडिशिअरी पर उठ रहे प्रश्नों को विराम देते हुए जिस प्रकार सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीशों ने एकमत होकर सम्पत्ति को सार्वजनिक करने का निर्णय लिया…
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यदि जिन्ना राष्ट्रवादी व सैकुलर हैं तो स्वयं जसवन्त सिंह क्या है?
Updated: December 27, 2011
वर्तमान भारतीय लेखन और सिनेमा में एक बात तो सांझी लगती है: किसी पुस्तक या फिल्म पर जितना ही बड़ा विवाद खड़ा हो वह पुस्तक…
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सनातन वांग्मय के वैज्ञानिक आधार
Updated: December 27, 2011
वैसे तो सनातन व्यवस्था अति प्राचीन मानी जाती है। इतिहासवेत्ताओं के अनुसार भी विश्व में सबसे पुरानी सनातन सभ्यता ही रही है। जिसका आधार बीसवीं…
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पत्रकारिता के पुरोधा : विद्यार्थी जी
Updated: December 27, 2011
”जो कलम सरीखे टूट गये पर झुके नहीं, उनके आगे यह दुनिया शीश झुकाती है जो कलम किसी कीमत पर बेची नहीं गई, वह तो…
Read moreरेत के धोरों में सब्ज़ियों की खेती
Updated: December 27, 2011
आज जहां बंजर भूमि के क्षेत्र में लगातार हो रही बढ़ोतरी ने पर्यावरण और कृषि विशेषज्ञों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं,…
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जसवंत सिंह! ये देश के साथ बौद्धिक गद्दारी है
Updated: December 27, 2011
मोहम्मद अली जिन्ना के जीवन पर आधारित बीजेपी के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह की किताब जिन्ना: इंडिया-पार्टीशन इंडीपेंडेंस हाल ही में प्रकाशित हुई है. पुस्तक…
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हरियाणा विधान सभा भंग,फिर जनकोष से सरकार का ढिंढोरा क्यों?
Updated: December 27, 2011
हमारे देश में कानून और परम्पराओं के नाम पर मात्र एक ढकोसला है, अजीब गोरखधंधा। जो हमारे राजनीतिज्ञों को ठीक बैठता है, वही है कानून…
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पंथ निरपेक्षता बनाम धर्म निरपेक्षता को लेकर छिडी बहस के सही संदर्भ
Updated: December 27, 2011
किसी एक शब्द की गलत व्याख्या या उसका गलत अनुवाद किस प्रकार पूरे परिदृश्य को धुमिल कर सकता है और चिंतन को प्रदूषित कर सकता…
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दिल्ली का दर्द
Updated: December 27, 2011
शुक्रवार की वारिस और लम्बे जाम में दिल्ली वालों को सरकारी दावों का असली रुप देखने को मिला।जलभराव का नजारा भंयकर था। एक घन्टे की…
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जसवंत सिंह की पुस्तक इतिहास लेखन पर कलंक – राकेश उपाध्याय
Updated: December 27, 2011
जसवंत सिंह अब भारतीय जनता पार्टी में नहीं हैं। उनके जिन्ना प्रेम ने अंतत: उन्हें अपने राजनीतिक जीवन के सबसे बुरे दौर में लाकर खड़ा…
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मेरा पहला प्यार…………
Updated: December 27, 2011
मेरा पहला प्यार………… एक दिन यूं ही ख्याल आया अलग तरिके से देखूं ये संसार क्या सबकी सोच एक जैसी है? क्या सबके लिये खास…
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महँगाई का दंश – पुनीता सिंह
Updated: December 27, 2011
बरसात आती है या महँगाई बरसती है बाजार मे हर चीज बहुत मंहगी है। बाहर बाढ जैसा नज़ारा है इधर घर की नाव डूबने को…
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