Tech एआई का विस्तार या नौकरी का संकुचनः बड़ी चुनौती

एआई का विस्तार या नौकरी का संकुचनः बड़ी चुनौती

 ललित गर्ग  भारत जैसे युवाओं वाले और उभरती अर्थव्यवस्था वाले देश में तकनीकी विकास के प्रति उत्साह हमेशा गहरा रहा है। डिजिटल इंडिया,…

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राजनीति आत्मनिर्भरता के लिए कौशल दक्षता का आलाप

आत्मनिर्भरता के लिए कौशल दक्षता का आलाप

प्रमोद भार्गवदेश में वस्तु निर्माण के पुख्ता स्तंभ बनाने के लिए कौशल दक्षता में कमी की बात कही जाती है। यहां तक कि इंजीनियर और…

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कविता यह देश है पृथ्वीराजों का….

यह देश है पृथ्वीराजों का….

देशभक्ति की कविता इतिहास उठा कर देखो अपना भारत सबसे न्यारा है।जितने भर भी देश विश्व में भारत सबसे प्यारा है।। बलिदानों का देश है…

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पर्यावरण वायु प्रदूषण से स्मृति-लोप का बढ़ता खतरा

वायु प्रदूषण से स्मृति-लोप का बढ़ता खतरा

 ललित गर्ग  पर्यावरण की उपेक्षा एवं बढ़ता वायु प्रदूषण मनुष्य स्वास्थ्य के लिये न केवल घातक हो रहा है, बल्कि एक बीमार समाज…

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राजनीति बाघों के सबसे बड़े घर में सुरक्षा बनी चुनौती

बाघों के सबसे बड़े घर में सुरक्षा बनी चुनौती

प्रमोद भार्गव मध्यप्रदेश में चल रहे मानव-बाघ संघर्श और अवैध शिकार एक बड़ी चुनौती बनकर पेश आई है। क्योंकि यह राज्य देश में ‘टाइगर स्टेट‘…

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आलोचना क्या देश की व्यवस्था जनता के लिए है ?

क्या देश की व्यवस्था जनता के लिए है ?

राजेश कुमार पासी किसी भी देश को चलाने के लिए एक व्यवस्था की जरूरत होती है ताकि वो देश सुचारू रूप से चलता रहे ।…

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राजनीति भारत दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा ई-कचरा उत्पादक

भारत दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा ई-कचरा उत्पादक

पुनीत उपाध्याय भारत में बढ़ता ई-कचरा या ई-वेस्ट गंभीर चुनौती बनता जा रहा है। इलेक्ट्रॉनिक कचरा या ई-कचरा दरअसल बिजली और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का वेस्ट…

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राजनीति कंबोडिया-थाईलैंड के बीच तनाव से चीन को होगा फायदा

कंबोडिया-थाईलैंड के बीच तनाव से चीन को होगा फायदा

राजेश जैन दक्षिण-पूर्व एशिया एक बार फिर अशांत है। कंबोडिया और थाईलैंड खतरनाक सीमा संघर्ष में उलझ गए हैं। अब तक 27 लोगों की मौत हो चुकी…

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कला-संस्कृति वैश्विक समस्याओं का समाधान भारतीय चिंतन में !

वैश्विक समस्याओं का समाधान भारतीय चिंतन में !

डॉ.बालमुकुंद पांडेय                 संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत वैश्विक समस्याओं का समाधान भारतीय चिंतन, विचार और अनुशासन में देख…

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राजनीति बिहार का भविष्य अनिश्चिता के गर्त में

बिहार का भविष्य अनिश्चिता के गर्त में

डॉ.नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी बिहार में नेताओं के अपने परिवारवाद को विकसित करने की वजह से बिहार का भविष्य अंधकार में चला गया। केवल नेताओं के वंश विकसित हो सके लेकिन बिहार अंदर से खोखला होता गया।  वैसे तो बिहार में आजादी के बाद से स्थिति में सुधार सामाजिक और आर्थिक तौर पर बाकी राज्यों की अपेक्षा कमतर ही रहा है। जब झारखंड बिहार का हिस्सा था, फिर भी बिहार में हटिया या बोकारो स्टील प्लांट या जमशेदपुर के अलावा कोई भी औद्योगिक क्षेत्र विकसित नही हो पाया। बिहार में सबकुछ होते हुए भी राजनीतिक इच्छा शक्ति के अभाव में बिहार का विकास समुचित तरीके से नहीं हो पाया। बिहार की विडंबना ये रही कि बिहार जातीय भेदभाव में ही उलझ कर रह गया। कोई भी नेता बिहार में ऐसा नही हो पाया जो बिहारी अस्मिता की बात करता हो। जयप्रकाश नारायण या राजेन्द्र प्रसाद के अलावा सभी नेता जातीय समीकरण को ही आगे बढ़ाने में तुले रहे। बिहार का कोई भी नेता राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने में नाकाम रहा । बिहार के किसी भी नेता वह माद्दा नहीं रहा कि वह राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व दे सकें। बिहार के सारे नेता पिछलग्गू नेता ही बने रहे। बिहार का दुर्भाग्य रहा कि कांग्रेस के बाद राजद की सत्ता रही जिसने पंद्रह सालों तक बिहार को केवल अराजकता की स्थिति में डाले रखा। उसके बाद जब उस अराजकता से मुक्ति मिली तो नीतीश कुमार की सरकार रही। नीतीश कुमार की सरकार ने शुरुआत के पाँच सालों तक बिहार में थोड़ा-  बहुत विकास का काम जरूर किया लेकिन पिछले दस सालों में नीतीश कुमार की सरकार  भी राजद  के पदचिन्हों पर चलती हुई नजर आ रही है।आज बिहार की स्थिति बद से बदतर है। नीतीश कुमार की बिहार के प्रशासन पर पकड़ एकदम  ढीली पड़ गई है। दरअसल नीतीश कुमार अचेतावस्था में सरकार की बागडोर संभाले हुए हैं। बीजेपी का बिहार में क्या रोल है ये उनको भी पता नहीं है। केवल नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाये रखना उनकी प्राथमिकता है। दरअसल बिहार में बीजेपी का कोई सशक्त नेता भी नहीं है जिसके चेहरे पर बीजेपी अपने दम पर चुनाव लड़ सके। बीजेपी अपने दम पर बिहार में चुनाव जीत जाए, ये असंभव है। बिहार अपने जातीय समीकरण से अभी तक उभर नहीं पाया है। बिहार में पहले अपनी जाति है, तब बिहार की अस्मिता की बात आती है। बिहार के गौरव की बात करने वाला एक भी बिहारी आपको  नहीं मिलेगा।एक तो बिहार की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि हर साल बिहार बाढ़ से प्रभावित रहता है जिसके कारण बहुसंख्यक बिहारिओं को अन्य राज्यों में जाकर मजदूरी करनी पड़ती है।…

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कला-संस्कृति पर्यावरण और आध्यात्म का अनोखा संगम है नागपंचमी

पर्यावरण और आध्यात्म का अनोखा संगम है नागपंचमी

नाग पंचमी 29  जुलाई  संतोष तिवारी   भारत में व्रत त्यौहार कहीं न कहीं धार्मिक मान्यताओं और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के आधार पर ही मनाये जाते रहे है, भले ही आज लोग अपनी भागम भाग की जिंदगी में सही से समय नहीं दे पा रहे है। भारत के समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं में तमाम त्यौहार हैं जिनमें  नागपंचमी का एक विशेष स्थान है। यह पर्व नाग देवता की पूजा के लिए समर्पित है, जिन्हें सनातन धर्म में जीवन रक्षक और आध्यात्मिक शक्ति के प्रतीक के रूप में माना जाता है। यह त्यौहार मध्य बारिश के समय में मनाया जाता है जो कहीं न कहीं पर्यवारण के संरक्षण और आध्यत्मिक जुड़ाव को एक करता है। नाग पंचमी के दिन पुराने समय में गावों में तमाम तरह के खेलकूद का आयोजन होता था, जो आज केवल नाम मात्र का रह गया है।                                   …

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राजनीति बंग में राष्ट्रपति शासन की संभावना

बंग में राष्ट्रपति शासन की संभावना

  शिवानन्द मिश्रा पश्चिम बंगाल में बाजी पलट गई है। चुनाव आयोग ने कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन की…

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