कविता
जिसकी भी ग़ैरत बाकी है
/ by हिमांशु सिंह
जिसकी भी ग़ैरत बाकी है, जिसके भी सीने में दिल है सब उठो, चलो, आगे आओ, अब देर हुई तो मुश्क़िल है! जिसने राह दिखाई, उस पर आँच नहीं अब आने दो जो तुम पर मरता है, यारों,उसको मत मर जाने दो… ख़ुद से, मुल्क से, अन्ना से, गर करते होगे प्यार कहीं […]
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