कविता हमें इंसानियत की वाजिब सूरतेहाल चाहिए December 15, 2020 / December 15, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकहमें ना दोजख, ना जन्नत बेमिसाल चाहिए,हमें तो चैन-सुकून का भारत विशाल चाहिए! हमें ना किल्लत चाहिए, ना जिल्लत चाहिए,हमें अपने देश के लोगों में मिल्लत चाहिए! हमें ना मालामाल चाहिए, ना फटेहाल चाहिए,हमें सब कोई अपने देश में खुशहाल चाहिए! हमें ना गंजेड़ी-भंगेड़ी, ना कोई मताल चाहिए,हमें टी.वी.स्क्रीन पे सच्चरित्र मिसाल चाहिए! […] Read more » fair day for humanity इंसानियत
राजनीति इंसानियत की ऊंची मिसाल September 17, 2019 / September 17, 2019 by डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Leave a Comment डॉ. वेदप्रताप वैदिकगुजरात में सावरकुंडला के एक मुस्लिम परिवार ने इंसानियत की बहुत ऊंची मिसाल कायम कर दी है। मियां भीखू करैशी और भानुशंकर पंडया, दोनों मजदूर थे। चालीस साल पहले एक ही जगह मजदूरी करते-करते दोनों की दोस्ती हो गई। पंडया ने शादी नहीं की। वे अकेले रहते थे। कई साल पहले उनका पांव […] Read more » इंसानियत
समाज सार्थक पहल इंसानियत अभी ज़िंदा है December 4, 2017 by अरुण तिवारी | Leave a Comment अरुण तिवारी सच है कि अधिक से अधिक धन, अधिक से अधिक भौतिक सुविधा, अधिक से अधिक यश व प्रचार हासिल करना आज अधिकांश लोगों की हसरत का हिस्सा बनता जा रहा है। यहीं यह भी सच है कि ऐसी हसरतों की पूर्ति के लिए हमने जो रफ्तार और जीवन शैली अख्तियार कर ली […] Read more » Featured इंसानियत
समाज इंसानियत है मज़हब सबसे बड़ा जहां में March 17, 2016 by निर्मल रानी | 1 Comment on इंसानियत है मज़हब सबसे बड़ा जहां में निर्मल रानी इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत सहित पूरे विश्व में मानवता को शर्मसार करने वाली तमाम घटनाओं की ख़बरें सुनने को मिलती रहती है। चारों ओर संकीर्णता,कट्टरपंथी वैचारिकता,स्वार्थ,लालच,धर्म व जाति आधारित वैमनस्य जैसी सामाजिक बुराईयों का बोलबाला है। धर्मांधता व जातिवाद जैसे संकीर्ण विचार रखने वाले लोग मानवता को तिलंाजलि देकर अपने-अपने नापाक […] Read more » Featured humanity is the best religion इंसानियत मजहब सबसे बड़ा मज़हब
टॉप स्टोरी कश्मीर , कश्मीरियत और इंसानियत February 24, 2015 / February 24, 2015 by हर्ष सिंह | 2 Comments on कश्मीर , कश्मीरियत और इंसानियत हर्ष सिंह कश्मीर को हम भारतीय अपना गौरव कहते है | कश्मीर को हमने हिंदुस्तान का मुकुट कहा है लेकिन क्या हमने कश्मीर के साथ वो व्यवहार किया जिसका वो अधिकारी है ? शायद नहीं , क्यूकी कश्मीर को हमने हमेशा एक जीती हुई वस्तु के समान माना और समझा है | कश्मीर को कभी […] Read more » इंसानियत कश्मीर कश्मीरियत कश्मीरियत और इंसानियत
धर्म-अध्यात्म उसकी पहचान इंसानियत है, मजहब नहीं October 20, 2012 / October 20, 2012 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | 1 Comment on उसकी पहचान इंसानियत है, मजहब नहीं आशुतोष शर्मा 1947 के विभाजन के दौरान मुजफ्फराबाद (पाक अधिकृत कश्मीर) के एक गांव में करीब डेढ़ साल का बच्चा एक मुर्दा शरीर से लिपटा रो रहा था। तभी वहां से गुजर रही एक मुस्लिम महिला की नजर उस पर पड़ी। वह नर्मदिल औरत उस बच्चे को अपने घर ले आयी और बेटे की तरह […] Read more » इंसानियत मजहब
सार्थक पहल मानवीय रिश्तों की गरिमा और अहमियत समझने की ज़रूरत है ! January 9, 2012 / January 9, 2012 by इक़बाल हिंदुस्तानी | 1 Comment on मानवीय रिश्तों की गरिमा और अहमियत समझने की ज़रूरत है ! इक़बाल हिंदुस्तानी उस बूढ़ी मां की जान बचाकर मुझे बेशकीमती संतोष मिला है! आज पूंजीवाद और समाजवाद का अंतर धीरे धीरे हमारे सामने आने लगा है लेकिन दौलत और शौहरत के पुजारी मुट्ठीभर लोग इस सच्चाई को लगातार झुठलाने का प्रयास कर रहे हैं कि पैसा कमाने की होड़ समाज से रिश्ते नातों, धर्म, मर्यादा […] Read more » help to a older women इंसानियत मानवीय रिश्तों की गरिमा समाजिकता
धर्म-अध्यात्म इंसानियत की राह में धर्म के गतिरोधक. June 29, 2011 / December 9, 2011 by श्रीराम तिवारी | 1 Comment on इंसानियत की राह में धर्म के गतिरोधक. श्रीराम तिवारी इंसान ने अपनी पृकृति प्रदत्त नैसर्गिक वौद्धिक बढ़त से जब पृथ्वी पर थलचरों ,जलचरों और नभचरों पर विजय हासिल की होगी तो उसके सामने नित नई-नई प्राकृतिक ,कबीलाई और पाशविक वृत्तियों की चुनौतियां भी आयीं होगी.पहिये और आग के आविष्कार से लेकर परिवार,कुटुंब,समाज,राष्ट्र और ’वसुधेव कुटुम्बकम’ तक आते -आते इंसान जागतिक स्तर पर […] Read more » Religion इंसानियत गतिरोधक धर्म