कविता
भारतीय-संस्कृति
/ by शकुन्तला बहादुर
सतयुग , त्रेता , द्वापर में , विकसी इस युग में आई , गौरवान्वित हो पूर्वजों से, जग में सुकीर्ति भी पाई । पश्चिम से जो आँधी आई , पूरब में वो आकर छायी , बदला सब कुछ इस युग में, पश्चिम की संस्कृति भायी । निज भाषा, सुवेष और व्यंजन, संस्कृति आज भुला डाले […]
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