Tag: रामनवमी

कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म

युवाओं के लिए प्रेरक भगवान श्रीराम

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समाजिक समरसता की स्थापना के लिए भगवान श्रीराम ने सदा न्याय का साथ दिया और अन्याय के विरूद्ध खड़े हुये। इसका संुदर उदारहण बालिवध का प्रसंग है। बालि ने जब धर्म की दुहाई देते हुए श्रीरामजी के कार्य को अन्याय बताया तो उन्होनें उसकी बात का खण्डन करते हुए कहा कि -”बालि तुम्हें तुम्हारे पाप का ही दण्ड मिला है। तुमने अपने छोटे भाई की स्त्री को जो तुम्हारी पुत्रवधू के समान है बलपर्वूक रख लिया है। अतः तुम्हें दण्ड देकर मैनें राजधर्म, मित्रधर्म एवं प्रतिज्ञा का पालन किया है।“

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विविधा

अयोध्या मे भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिये आना चाहिये मुस्लिमों को आगे

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भगवान श्रीराम चंद्र जी के जीवन से सभी को भक्तिभाव के पथ पर चलने की सीख लेनी चाहिए और मर्यादा का पाठ सीखना चाहिए। भगवान श्रीराम चंद्र जी ने अपने जीवन का उद्देश्य अधर्म का नाश कर धर्म की स्थापना करना बताया, इसीलिए भगवान विष्णु ने सातवें अवतार के रूप में अयोध्या में जन्म लिया और दुष्ट रावण का वध कर उसके पापों से लोगों को मुक्ति दिलाई। भगवान राम के जीवन से हमें एक बेदाग और मर्यादा पूर्ण जीवन जीने की सीख मिलती है।

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कला-संस्कृति विविधा

राम और रामराज्य

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गांधीजी कहते थे- ‘‘अपराधी से नहीं अपराध से घृणा होनी चाहिये।’’ कितना भी बड़ा अपराध क्यों न हो, उसे एहसास करनें वाला, लज्जित होने वाला अपराध का परिमार्जन कर देता है। निश्चित रूप से अपराधबोध से ग्रस्तव्यक्ति का व्यक्तित्व भी विभाजित होगा और ऐसे व्यक्ति एक आदर्श समाज बनाने मे सहायक नहीं हो सकते। श्री राम को यह बात अच्छी तरह पता है। यद्यपि सत्ता के लिये निकटतम सम्बंधियों की हत्याओं से इतिहास भरा पड़ा है। मुस्लिमों की परम्पराओं पर इस सम्बंध में अलग से कुछ कहने की जरूरत नहीं है। वहीं सिंहासन की जगह वनवास दिलाने वाली कैकेयी को श्री राम लज्जित समझकर सबसे पहले उसी से मिलकर उसे अपराध बोध से मुक्त कराते हैं। इस तरह से श्रीराम जैसे उदात्त दृष्टि वाले शासक अथवा अग्रणी व्यक्ति होंगे, तभी इस धरती पर रामराज्य संभव है।

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