शख्सियत समाज राष्ट्र-धर्म का पालन देश के सभी नागरिकों का सर्वोपरि कर्तव्य April 22, 2020 / April 22, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य के अनेक कर्तव्य होते हैं। आर्यसमाज का वैदिक सिद्धान्तों के अनुकूल एक नियम है ‘सब मनुष्यों को सामाजिक सर्वहितकारी नियम पालने में परतन्त्र रहना चाहिए और प्रत्येक हितकारी नियम में सब स्वतन्त्र रहें।’ इस नियम में कहा गया है कि सामाजिक व सर्वहितकारी नियम पालने में देश के सब नागरिकों […] Read more » Obeying nationalism is the paramount duty of all citizens of the country राष्ट्र-धर्म का पालन राष्ट्रधर्म
राजनीति अटल जी की पत्रकारिता August 28, 2018 / August 30, 2018 by विजय कुमार | Leave a Comment विजय कुमार स्वतंत्रता मिलते ही संघ ने हिन्दी पत्र जगत में प्रवेश का निश्चय किया। उन दिनों उ.प्र. में भाऊराव देवरस प्रांत प्रचारक और दीनदयाल जी उनके सहायक थे। इसके लिए दोनों की निगाह प्रखर वक्ता और कवि अटल बिहारी वाजपेयी पर गयी। प्रखर लेखनी के धनी जिला प्रचारक राजीवलोचन अग्निहोत्री को भी साथ में […] Read more » ‘पांचजन्य’ Featured अटल बिहारी वाजपेयी दीनदयाल जी राजीवलोचन अग्निहोत्री राष्ट्रधर्म
विज्ञान क्यों कुंवारे रहे अटल जी….. August 17, 2018 / August 17, 2018 by अनिल अनूप | Leave a Comment अनिल अनूप भारत के राजनीतिक इतिहास में अटल बिहारी वाजपेयी का संपूर्ण व्यक्तित्व शिखर पुरुष के रूप में दर्ज है. उनकी पहचान एक कुशल राजनीतिज्ञ, प्रशासक, भाषाविद, कवि, पत्रकार व लेखक के रूप में है. उन्होंने राजनीति को दलगत और स्वार्थ की वैचारिकता से अलग हट कर अपनाया और उसको जिया. जीवन में आने वाली […] Read more » Featured कवि कुशल राजनीतिज्ञ क्यों कुंवारे रहे अटल जी..... जनसंघ के संसदीय पत्रकार पाँचजन्य प्रशासक बंग्लादेश भाषाविद मोरारजी देसाई राष्ट्रधर्म
राजनीति राजनीति के महायोध्दा का महाप्रयाण August 17, 2018 / August 17, 2018 by ब्रह्मानंद राजपूत | Leave a Comment ब्रह्मानंद राजपूत भारत माँ के सच्चे सपूत, राष्ट्र पुरुष, राष्ट्र मार्गदर्शक, सच्चे देशभक्त ना जाने कितनी उपाधियों से पुकार जाता था भारत रत्न पंडित अटल बिहारी वाजपेयी जी को वो सही मायने में भारत रत्न थे। इन सबसे भी बढ़कर पंडित अटल बिहारी वाजपेयी जी एक अच्छे इंसान थे। जिन्होंने जमीन से जुड़े रहकर राजनीति […] Read more » Featured अटल बिहारी वाजपेयी ईमानदारी कलकत्ता चेन्नई व मुम्बई दिल्ली पाँचजन्य भाजपा राष्ट्रधर्म राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ शालीनता सादगी
राजनीति अटल जी, बातें और यादें August 17, 2018 / August 17, 2018 by विजय कुमार | Leave a Comment विजय कुमार बात संभवतः सितम्बर 1983-84 की है। मैं उन दिनों बरेली में प्रचारक था। पश्चिमी उ.प्र. के सभी जिला प्रचारकों की एक बैठक मथुरा में हुई। स्व. दीनदयाल उपाध्याय का पैतृक गांव नगला चंद्रभान मथुरा जिले में ही है। उनके निधन के बाद वहां उनकी स्मृति में प्रतिवर्ष मेला होता है। अनेक तरह […] Read more » अटल जी बातें और यादें भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रधर्म
राजनीति वाजपेयीजी को अलविदा नहीं कहा जा सकता August 17, 2018 / August 17, 2018 by ललित गर्ग | Leave a Comment ललित गर्ग- भारतीय राजनीति का महानायक, भारतीय जनता पार्टी के 93 वर्षीय दिग्गज नेता, प्रखर कवि, वक्ता और पत्रकार श्री अटल विहारी वाजपेयी मौत से जंग करते हुए इस संसार से विदा हो गये हैं। उनका निधन न केवल भारत की राजनीति की बल्कि राष्ट्रीयता की अपूरणीय क्षति है। पूरा राष्ट्र अपने महानायक से जुदा […] Read more » Featured गांवों झोपड़ियों और भवनों पगडंडियों परमाणु परीक्षण पाकिस्तानी सेना पाँचजन्य महानगरों राजमार्गों राष्ट्रधर्म श्री अटल विहारी वाजपेयी
मीडिया यह कैसा ‘राष्ट्रधर्म’ है? April 14, 2017 by अतुल तारे | 1 Comment on यह कैसा ‘राष्ट्रधर्म’ है? माचार पत्र एवं दृश्य मीडिया इसमें एक कारगर हथियार है। विगत इतिहास में सरकारी पैसों से वामपंथियों ने इसकी दम पर जहर घोला है घोल रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में मूल्य आधारित पत्रकारिता राष्ट्रीय विचारों की पत्रकारिता के टिमटिमाते ही सही दीए कौन कौन से हैं यह सरकार को सरकारी चश्मा हटाकर देखना होगा, समझना होगा। ध्ांधे के लिए पत्रकारिता एवं विचार के लिए पत्रकारिता इसमें सरकार को भेद करना होगा। Read more » Featured राष्ट्रधर्म
समाज धर्म बनाम राष्ट्रधर्म October 19, 2016 by वीरेंदर परिहार | Leave a Comment दुर्भाग्य का विषय यह कि स्वतंत्र भारत में मुस्लिम लाॅ में व्यक्ति की गरिमा और मानव अधिकारों के हित में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। शहबानों प्रकरण में देश की शीर्ष अदालत यह कह चुकी है कि मुस्लिम समुदाय में निजी कानूनों में सुधार होना चाहिए। Read more » Featured uniform civil code तीन तलाक धर्म राष्ट्रधर्म
विविधा कर्तव्य प्रधान भारत का राष्ट्रधर्म August 31, 2010 / December 22, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 13 Comments on कर्तव्य प्रधान भारत का राष्ट्रधर्म – हृदयनारायण दीक्षित संस्कृत लोकमंगल अभीप्सु भाषा है। कण-कण में एकत्व की बोली है। यह देवत्व और दिव्यत्व की अनुभूति वाणी है। भारत का प्राचीन दर्शन, विज्ञान, इतिहास, काव्य और गीत संस्कृत में ही उगा। लेकिन अंग्रेजी अमेरिकी सभ्यता के मानसिक गुलाम संस्कृत को मृत भाषा कहते हैं। पीछे सप्ताह संस्कृत प्रेमियों ने यू.पी. की […] Read more » Rashtradharma राष्ट्रधर्म
धर्म-अध्यात्म भारतीय संस्कृति में राष्ट्रधर्म और विधान का राज्य August 14, 2010 / December 22, 2011 by वी. के. सिंह | 6 Comments on भारतीय संस्कृति में राष्ट्रधर्म और विधान का राज्य -वी. के. सिंह भारतीय संस्कृति में सामाजिक व्यवस्था का संचालन सरकारी कानून से नहीं बल्कि प्रचलित नियमों जिसे ‘धर्म’ के नाम से जाना जाता था, के द्वारा होता था। धर्म ही वह आधार था जो समाज को संयुक्त एवं एक करता था तथा विभिन्न वर्गों में सामंजस्य एवं एकता के लिए कर्तव्य-संहिता का निर्धारण करता […] Read more » culture राष्ट्रधर्म संस्कृति