धर्म-अध्यात्म ईश्वर से विज्ञान एवं राज्यादि ऐश्वर्य की प्रार्थना होने से वेद संसार के सर्वोत्तम धर्मग्रन्थ January 26, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य महर्षि दयानन्द महाभारत काल के पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने संसार को ईश्वर, जीव व प्रकृति, इन तीन सत्ताओं का सिद्धान्त दिया जिसे त्रैतवाद के नाम से जाना जाता है। यह सिद्धान्त युक्ति, तर्क तथा प्रत्यक्षादि प्रमाणों से भी सिद्ध होता है। इस कारण इसके विपरीत अन्य सभी सिद्धान्त अपूर्ण व दोषपूर्ण होने […] Read more » वेद वेद संसार के सर्वोत्तम धर्मग्रन्थ
धर्म-अध्यात्म वेद का ज्ञान और भाषा प्राचीन व अर्वाचीन ग्रन्थों में सबसे उन्नत November 29, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment संसार में प्रचलित विकासवाद के सिद्धान्त के अनुसार संसार का क्रमिक विकास होता है। उनके अनुसार एक प्रकार के जीवाणु ‘अमीवा’ से मुनष्य व अन्य प्राणी बने हैं। भौतिक जगत व अमीवा किससे बने, इसका समुचित उत्तर उनके पास नहीं है। सूर्य, चन्द्र, पृथिवी व हमारे ब्रह्माण्ड का विकास नहीं अपितु विकास से ह्रास हो रहा है, अतः इस कारण विकासवाद का सिद्धान्त पिट जाता है। Read more » प्राचीन भाषा वेद वेद वेद अर्वाचीन ग्रन्थों में सबसे उन्नत वेद का ज्ञान
धर्म-अध्यात्म ईश्वर, वेद, राजर्षि मनु व महर्षि दयानन्द सम्मत शासन प्रणाली September 8, 2015 / September 8, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य महर्षि दयानन्द ने सप्रमाण घोषणा की थी कि वेद ईश्वरीय ज्ञान है एवं यही धर्म व सभी सत्य विद्याओं के आदि ग्रन्थ होने से सर्वप्राचीन एवं सर्वमान्य हैं। यदि ऐसा है तो फिर वेद में देश की राज्य व शासन व्यवस्था कैसी हो, इस पर भी विचार मिलने ही चाहियें। महर्षि दयानन्द […] Read more » Featured ईश्वर महर्षि दयानन्द सम्मत शासन प्रणाली राजर्षि मनु वेद
धर्म-अध्यात्म जन्म-मरण से छूटने का एक ही उपाय वैदिक सन्ध्या और नित्यकर्म June 24, 2015 / June 24, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य- वेदों का अध्ययन करने पर हमें ज्ञात होता है कि ईश्वर ने हमारे लिए ही यह सृष्टि बनाई है और इसमें हमारे सुख के लिए नाना प्रकार के पदार्थ बनाकर हमें निःशुल्क प्रदान किये हैं। यही नहीं, हमारा शरीर भी हमें ईश्वर से निःशुल्क प्राप्त हुआ है जिसका आधार हमारे पूर्व […] Read more » Featured जन्म-मरण से छूटने का एक ही उपाय वैदिक सन्ध्या और नित्यकर्म महर्षि दयानंद वेद
धर्म-अध्यात्म वेदों के नासदीय-सूक्त में सिद्धान्त रूप में सृष्टि की प्रलय व उत्पत्ति का वर्णन है June 13, 2015 / June 13, 2015 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on वेदों के नासदीय-सूक्त में सिद्धान्त रूप में सृष्टि की प्रलय व उत्पत्ति का वर्णन है –मनमोहन कुमार आर्य- ऋग्वेद के मण्डल 10 सूक्त 129 को नासदीय–सूक्त कहते हैं। इस सूक्त में सृष्टि की उत्पत्ति होने से पूर्व आकाश की अन्धकाररूप स्थिति का वर्णन है। परमात्मा के सम्मुख सृष्टि का उपादान कारण द्रव्यभाव से वर्तमान था, आत्माएं भी साधारण और मुक्त अवस्था की बहुत थीं आदि ऐसे अनेक विषयों का वर्णन […] Read more » Featured उत्पत्ति नासदीय-सूक्त प्रलय वेद सृष्टि
धर्म-अध्यात्म मानवोन्नति की अनन्या साधिका वर्णव्यवस्था June 10, 2015 by शिवदेव आर्य | Leave a Comment -शिवदेव आर्य- वर्णाश्रम व्यवस्था वैदिक समाज को संगठित करने का अमूल्य रत्न है। प्राचीन काल में हमारे पूर्वजों ने समाज को सुसंगठित, सुव्यवस्थित बनाने तथा व्यक्ति के जीवन को संयमित, नियमित एवं गतिशील बनाने के लिए चार वर्णों एवं चार आश्रमों का निर्माण किया। वर्णाश्रम विभाग मनुष्य मात्र के लिए है, और कोई भी […] Read more » Featured मानवोन्नति की अनन्या साधिका वर्णव्यवस्था वर्ण वेद
धर्म-अध्यात्म वेदों का पुरूष-सूक्त और मन्त्रों में विहित रहस्यात्मक सत्य ज्ञान June 10, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य– ऋग्वेद के दशवें मण्डल का नव्वेवां सूक्त पुरूष-सूक्त के नाम से विख्यात है। इस सूक्त की मन्त्र संख्या 16 है। यह सभी मन्त्र यजुर्वेद के 31 वें अध्याय में भी आये हैं। ऋग्वेद के 16 मन्त्रों के अलावा यजुर्वेद में 6 मन्त्र अधिक हैं। इन 6 मन्त्रों को उत्तर-नारायण-अनुवाक की संज्ञा दी […] Read more » Featured पुरूष-सूक्त मंत्र वेद वेदों का पुरूष-सूक्त और मन्त्रों में विहित रहस्यात्मक सत्य ज्ञान सत्य ज्ञान
धर्म-अध्यात्म मां गायत्री है वेदों की जननी May 29, 2015 / May 29, 2015 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- भारत भूमि की यह विशेषता है कि यह भूमि कभी भी संतों, महापुरुषों, देवज्ञों, विद्वानों से खाली नहीं हुई, रिक्त नहीं हुई। स्वामी विवेकानन्द, दयानन्द सरस्वती, रामकृष्ण परमहंस, टैगोर और गांधी सरीखे महापुरुष हमारे आदर्श रहे हैं। उनके कर्म अनुकरणीय हैं। उन्होंने क्या हमारा मार्गदर्शन नहीं किया ? सत्य और अहिंसा का पाठ […] Read more » Featured मां गायत्री मां गायत्री है वेदों की जननी वेद
धर्म-अध्यात्म ईश्वर से आदि चार ऋषियों को वेद ज्ञान विषयक हमारी भ्रान्ति May 19, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य- कुछ दिन पूर्व हम वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून में सत्संग में बैठे हुए आर्य विद्वान श्री उमेश चन्द्र कुलश्रेष्ठ जी का ईश्वर द्वारा चार आदि ऋ़षियों को वेद ज्ञान प्रदान करने का वर्णन सुन रहे थे। इसी बीच हमारे मन में अचानक एक विचार आया। हम सुनते व पढ़ते आयें हैं […] Read more » Featured ईश्वर से आदि चार ऋषियों को वेद ज्ञान विषयक हमारी भ्रान्ति वेद वेद ज्ञान
धर्म-अध्यात्म वेदाध्ययन से जीवन का कल्याण May 14, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -‘वेद परिवार के सब सदस्यों के हृदयों व मनों की एकता का सन्देश देते हैं’- –मनमोहन कुमार आर्य– वेद सब सत्य विद्याओं का पुस्तक है। वेद ईश्वर प्रदत्त होने के कारण ही सब सत्य विद्याओं से युक्त सर्वांगपूर्ण ज्ञान है। अतः वेदों को पढ़ना व दूसरों को पढ़ाना व प्रचार करना सब विचारशील मनुष्यों का […] Read more » Featured दयानंद सरस्वती वेद वेदाध्ययन से जीवन का कल्याण वैदिक
महत्वपूर्ण लेख न्यूटन से हजारों नहीं वरन सहस्त्राब्दियों वर्ष पूर्व वेद और वैदिक ग्रन्थों में गुरूत्वाकर्षण के नियम May 14, 2015 / May 14, 2015 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -अशोक “प्रवृद्ध”- भारतवर्ष के प्रसिद्ध और जाने-माने वैज्ञानिक एवं भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) के भूतपूर्व प्रमुख जी माधवन नायर ने गत दिनों यह कहकर पाश्चात्य पद्धति से शिक्षित भारतीयजनों में हड़कम्प मचा दिया है कि वेद के कई श्लोकों में चन्द्रमा पर जल की उपलब्धता अर्थात मौजूदगी का विवरण अंकित है और आर्यभट्ट जैसे […] Read more » Featured गुरूत्वाकर्षण के नियम न्यूटन न्यूटन से हजारों नहीं वरन सहस्त्राब्दियों वर्ष पूर्व वेद और वैदिक ग्रन्थों में गुरूत्वाकर्षण के नियम वेद वैदिक ग्रंथ
धर्म-अध्यात्म प्रभातवेला में ईश्वर से किस प्रकार व क्या प्रार्थना करें? May 7, 2015 / May 7, 2015 by मनमोहन आर्य | 2 Comments on प्रभातवेला में ईश्वर से किस प्रकार व क्या प्रार्थना करें? –मनमोहन कुमार आर्य– -वैदिक जीवन का एक नित्य कर्तव्य- वेद ईश्वरीय ज्ञान है। सृष्टि के आरम्भ में संसार के सभी मनुष्य वेदों के अनुसार ही जीवन व्यतीत करते आयें हैं। रात्रि को मनुष्यों को कब सोना चाहिये, प्रातः काल कब जागना चाहिये और प्रथम क्या कर्तव्य हैं, इसका उल्लेख वेदों के आधार पर महर्षि दयानन्द […] Read more » Featured ईश्वर दयानंद सरस्वती प्रभातवेला में ईश्वर से किस प्रकार व क्या प्रार्थना करें ? वेद