Tag: शिक्षा

विविधा

सेवा कार्य ही ईश्वरीय कार्य : प्रो. संजय द्विवेदी

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सेवा भारती द्वारा मेधावी छात्र-छात्राओं का सम्मान समारोह आयोजित, 250 विद्यार्थियों को किया गया पुरुस्कृत प्रो. संजय द्विवेदी भोपाल, 29 जुलाई। सेवा कार्य ही ईश्वरीय कार्य है। जब हम समाज को शिक्षित, संस्कारित, स्वावलंबी और समरस बनाने के लिए सेवा कार्य करते हैं तो उसी आनंद की अनुभूति करते हैं,जो ईश्वर की आराधना में प्राप्त होता है। यह विचार माखनलाल […]

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धर्म-अध्यात्म

“ऋषि दयानन्द का ‘स्वमन्तव्यामन्तव्यप्रकाश’ गागर में सागर”

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“ऋषि दयानन्द का ‘स्वमन्तव्यामन्तव्यप्रकाश’ गागर में सागर” -मनमोहन कुमार आर्य, ऋषि दयानन्द का सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ संसार में सुविख्यात ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ में ऋषि दयानन्द ने संसार में विद्यमान पदार्थों के सत्य स्वरूप का प्रकाश किया है। यह ग्रन्थ चौदह समुल्लासों में है। प्रथम दस समुल्लास ग्रन्थ पूर्वाद्ध कहलाते हैं और बाद के चार समुल्लास […]

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समाज

शिक्षा अधिकार है तो मिलता क्यों नही ?

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समाजसेवी शब्बीर अहमद कहते हैं " हमें गांव में बसने की सरे आम सजा दी जा रही है। जिससे यह साबित हो रहा है कि शिक्षा भी केवल अमीर लोगों की जागीर बन चुकी है।गरीबों के बच्चे अमीरों की नौकरी के लिए ही इस्तेमाल किए जाते हैं और आगे भी किए जाते रहेंगे। नेता चुनाव के दौरान उच्च अधिकारियों के सामने इन गरीबों को ख्वाब दिखा कर उनका शोषण करते हैं। जिससे साफ जाहिर होता है कि हम लोकतांत्रिक भारत में नहीं रहते । आज के विकसित दौर में भी मोरी अड़ाई के बच्चे खुले आसमान तले शिक्षा लेने को मजबूर हैं।मिडिल स्कूलकी अधूरी बिल्डिंग के निर्माण को पूरा होना चाहिए ताकि कम से कम धूप और बारिश में भी उनकी पढ़ाई जारी रह सके "।

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विविधा

भारतीय मूल्यों पर आधारित हो शिक्षा

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वैसे भी जो समाज व्यापार के बजाए शिक्षा से मुनाफा कमाने लगे उसका तो राम ही मालिक है। हमारे ऋषियों-मुनियों ने जिस तरह की जिजीविषा से शिक्षा को सेवा और स्वाध्याय से जोड़ा था वह तत्व बहुलतः शिक्षा व्यवस्था और तंत्र से गायब होता जा रहा है। इस ऐतिहासिक फेरबदल ने हमारे शिक्षा जगत से चिंतन, शोध और अनुसंधान बंद कर दिया है। पश्चिम के दर्शन और तौर-तरीकों को स्वीकार करते हुए अपनी जड़ें खोद डालीं। आज हम न तो पश्चिम की तरह बन पाए, न पूरब का सत्व और तेज बचा पाए।

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