राजनीति फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ जिनके अंदर अपने देश का बोध सदा बना रहा November 26, 2018 / November 26, 2018 by अनिल अनूप | Leave a Comment अनिल अनूप फ़ैज़ अहमद फ़ैज़, महमूद दरवेश और नाज़िम हिक़मत साहित्यिक और राजनीतिक व्यक्तित्वों की उस कड़ी का निर्माण करते हैं जो अपने देश से बाहर रहे या रहने को बाध्य किए गए. एक व्यापक अर्थ में वे विश्व नागरिक थे लेकिन उनके अंदर अपने देश का बोध सदा बना रहा.वे जो कहना चाह रहे […] Read more » तुर्की नाइंसाफी प्रेम फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ कला फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ जिनके अंदर अपने देश का बोध सदा बना रहा म्यांमार शोषण श्रीलंका संघर्ष
समाज गुरुनानक देव ईश्वर के सच्चे प्रतिनिधि थेे November 22, 2018 / November 22, 2018 by ललित गर्ग | Leave a Comment ललित गर्ग – भारत भूमि विभिन्न धर्म-संप्रदायों की भूमि रही है। इस उदारभूमि ने सभी धर्म के लोगों को अपनी उपासना-पद्धति और स्वतंत्र रूप से अनुष्ठान करने का अधिकार दिया है। शायद ही विश्व का कोई देश हो, जहां भारत जैसी धार्मिक विभिन्नताएं और उनका पालन करने की पूर्ण स्वतंत्रता हो। इसी भारतभूमि ने मानव […] Read more » ‘गुरुग्रंथ साहब’ अन्याय अलगाव कबीर कवि गुरुनानक देव ईश्वर के सच्चे प्रतिनिधि थेे गृहस्थ दार्शनिक देशभक्त एवं विश्वबंधु धर्म-सुधारक योगी रैदास शोषण समाज सुधारक साधु-संतों
धर्म-अध्यात्म “ऋषि दयानन्द न होते तो आज हम दीपावली न मना रहे होते” November 8, 2018 / November 8, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, आज दीपावली का पर्व है। देश भर में व विदेश में भी जहां भारतीय आर्य हिन्दू रहते हैं, वहां दीपवली का पर्व मनाया जा रहा है। दीपावली शरद ऋतु में आश्विन मास की अमावस्या के दिन मनाई जाती है। अमावस्या के दिन रात्रि में अन्धकार रहता है जिसे दीपमालाओं के प्रकाश से […] Read more » “ऋषि दयानन्द न होते तो आज हम दीपावली न मना रहे होते” अन्याय अपराध अभाव व अज्ञान आवास उपेक्षा छुआछूत पक्षपात भोजन वस्त्र शिक्षा व चिकित्सा शोषण
धर्म-अध्यात्म शक्ति उपासना का पर्व – विजयदशमी October 10, 2018 by अभिलेख यादव | 1 Comment on शक्ति उपासना का पर्व – विजयदशमी सुरेन्द्र नाथ गुप्ता (२०-९-२०१८) हिन्दू समाज उत्सवों और त्योहारों का समाज है| वर्ष भर जितने त्योहार हिन्दुओं में होते हैं उतने संभवतः संसार के अन्य किसी भी समाज में नहीं होते| यह तथ्य हिन्दू समाज की आमोद-विनोद प्रियता का परिचायक है| कुछ त्योहार केवल पारिवारिक उत्सव हैं तो कुछ पारिवारिक के साथ-साथ सामाजिक उत्सव भी […] Read more » अपहरण और भोगवादी किन्नर देव नाग शोषण स्वार्थ
धर्म-अध्यात्म “महान ईश्वर व उसकी मत-मतान्तरों में फंसी अज्ञानी व अन्धविश्वासी सन्तानें” October 3, 2018 / October 3, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, वेदों का सत्य स्वरूप व गुण, कर्म, स्वभाव का ज्ञान मत-मतान्तरों के किसी धर्म ग्रन्थ में प्राप्त नहीं होता अपितु यह वेद और वेदों पर आधारित ऋषियों के ग्रन्थ उपनिषद्, दर्शन आदि से ही विदित होता है। ऋषि दयानन्द के प्रमुख ग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका, आर्याभिविनय, पंचमहायज्ञ विधि आदि ग्रन्थ भी ईश्वर व […] Read more » अत्याचार अनाचार अन्याय असमानता झगड़े दुराचार भ्रष्टाचार महर्षि दयानन्द शोषण सर्वत्र शोषण स्वार्थ
राजनीति स्टरलाइट प्लांट पर तालेबंदी से जुड़े प्रश्न May 31, 2018 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग – चैदह लोगों की मौत के बाद तमिलनाडु की पलानीसामी सरकार ने वेदांता के थुथुकुड़ी स्थित स्टरलाइट प्लांट को बन्द करने के आदेश जारी कर दिये हैं। सरकार ने इसके विस्तार के लिए अधिगृहीत 342.22 एकड़ जमीन का आवंटन भी रद्द कर दिया और जमीन की कीमत वापस की जा रही है। इतने […] Read more » Featured चैदह लोगों तमिलनाडू तालेबंदी से जुड़े प्रश्न थुथुकुड़ी पर्यावरण मौत शोषण स्टरलाइट प्लांट
धर्म-अध्यात्म आर्यत्व का धारण मनुष्य को श्रेष्ठ व सफल मनुष्य बनाता है” May 2, 2018 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on आर्यत्व का धारण मनुष्य को श्रेष्ठ व सफल मनुष्य बनाता है” मनमोहन कुमार आर्य हम अपने पूर्व जन्मों के अच्छे कर्मों के कारण इस जन्म में मनुष्य योनि में उत्पन्न हुए हैं। दो मनुष्यों व इनकी आत्माओं के कर्म समान नहीं होते। अतः सभी मनुष्यों के परिवेश व इनकी सामाजिक परिस्थितियां भिन्न भिन्न देखने को मिलती हैं। वैदिक कर्म-फल सिद्धान्त के अनुसार मनुष्य योनि में जो […] Read more » Featured अत्याचार आत्मा तम्बाकू का सेवन धूम्रपान प्रति अन्याय बुद्धि व आत्मबल भ्रष्टाचार मछली मन मस्तिष्क शरीर शोषण
महत्वपूर्ण लेख आज न्यूनतम मजदूरी का कानून बनाने और उसका कड़ाई से पालन करने की जरूरत April 30, 2018 by ब्रह्मानंद राजपूत | Leave a Comment (अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस, 01 मई 2018 पर विशेष आलेख) ब्रह्मानंद राजपूत हर वर्ष अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मई महीने की पहली तारीख को मनाया जाता है।अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस को मई दिवस भी कहकर बुलाया जाता है। अमेरिका में 1886 में जब मजदूर संगठनों द्वारा एक शिफ्ट में काम करने की अधिकतम सीमा 8 घंटे करने के […] Read more » Featured आत्मिक प्रगति बाल श्रम बौद्धिक एवं सामाजिक भारत मजदूर दिवस मजदूरी मानसिक शारीरिक शोषण समाज समृद्धि
सार्थक पहल संघर्ष कभी शब्दों के मोहताज नहीं रहे April 23, 2018 by दिलीप बीदावत | 1 Comment on संघर्ष कभी शब्दों के मोहताज नहीं रहे दिलीप बीदावत शब्द जब सियासत के लिए आफत बन जाते हैं या शब्द की अवधारणा से उजागर समाज के किसी वर्ग विषेष के जीवन स्तर के सुधार में कामयाबी हासिल नहीं होती है, तो शब्द को बदलने या प्रतिबंधित करने की प्रथा सच्चाई को तो नहीं छिपा सकती। हाल ही में सरकार ने दलित शब्द […] Read more » Featured उत्पीड़न जातियों दलन दलित शब्द धर्मों लिंग आधारित भेदभाव शोषण
समाज तो क्या ऐसे बचेंगी बेटियां? April 13, 2018 / April 25, 2018 by निर्मल रानी | Leave a Comment निर्मल रानी हमारे देश में नवरात्रि के दौरान व्रत तथा पूजा-पाठ आदि धर्म एवं भक्ति का ऐसा पावन दृश्य देखने को मिलता है मानो इस देश से बड़े धर्मपरायण,सदाचारी तथा चरित्रवान लोग दुनिया के किसी दूसरे देश में रहते ही न हों। नेता,अभिनेता,अदालतें,सेना,पुलिस,मीडिया तथा धर्मगुरू आदि सभी महिलाओं के पक्ष में अपनी टिप्पणियां करते तथा […] Read more » Featured आरोप उन्नाव पूर्व जज जस्टिस ए के गांगूली बलात्कार बेटियां मीडिया तथा न्यायपालिका योगी राजनीति विधायक शोषण हैदराबाद
टॉप स्टोरी विविधा अनुशासन की आड़ में कहीं शोषण तो नहीं January 12, 2017 by डॉ नीलम महेन्द्रा | Leave a Comment भ्रष्टाचार जिसकी जड़ें इस देश को भीतर से खोखला कर रही हैं उससे यह देश कैसे लड़ेगा ? यह बात सही है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने काफी अरसे बाद इस देश के बच्चे बूढ़े जवान तक में एक उम्मीद जगाई है। इस देश का आम आदमी भ्रष्टाचार और सिस्टम के आगे हार कर उसे […] Read more » Featured low quality food in BSF अनुशासन की आड़ तेज बहादुर यादव बी.एस.एफ बी.एस.एफ के जवान तेज बहादुर यादव जो शोषण
आलोचना साहित्य मान भी जाईये साहब ! ‘शोषण’ ही आज का नया ‘पेशा’ है… March 30, 2016 by हिमांशु तिवारी आत्मीय | Leave a Comment गजब है सियासत भी। आज राजनीतिक पार्टियों के इतर आम जिंदगियों में भी उतर आई है। कहीं न कहीं हर पेशे में अब सियासत दिखाई देने लगी है। दरअसल कुछ लोग अपने सह कर्मचारियों के साथ ही निचले तबके में कार्यरत् लोगों का भी शोषण एकदम जनता सरीखे करना चाहते हैं। जैसे कि कल तक […] Read more » exploitation is the new proffession नया 'पेशा' शोषण